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Burari Death mystery: मौत के बाद की जिंदगी इतनी लुभाती क्यों है?

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 03 जुलाई, 2018 04:19 PM
  • 02 जुलाई, 2018 03:48 PM
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बुराड़ी में हुई रहस्‍यमय मौतों ने कुछ सवाल जिंदा कर दिए हैं. आखिर मान्यताओं को सच मानकर लोग अपनी जिंदगी कुर्बान क्यों कर देते हैं? क्यों उन्‍हें मौत के बाद की जिंदगी वास्तविक जिंदगी से अधिक खूबसूरत लगती है?

मरने के बाद किसी इंसान का क्या होता है ये कोई नहीं बता सकता. लेकिन अलग-अलग धर्मों में किसी न किसी तरह की मान्यता जरूर देखने को मिलती है. ये मान्यताएं ही हैं, जिनके फेर में पड़कर अक्सर लोग अपनी या अपने चाहने वालों की बलि दे देते हैं. हाल ही में दिल्ली के बुराड़ी में 11 लोगों की सामूहिक आत्महत्या इसका ताजा उदाहरण है. लेकिन सोचने की बात ये है कि जब किसी को पता ही नहीं है कि मरने के बाद वास्तव में क्या होगा तो फिर सिर्फ मान्यताओं को सच मानकर लोग अपनी जिंदगी कुर्बान क्यों कर देते हैं? क्या कारण है कि कुछ लोगों को मौत के बाद की जिंदगी वास्तविक जिंदगी से कहीं अधिक खूबसूरत लगती है? चलिए एक नजर डालते हैं उन मान्यताओं पर जो अलग-अलग धर्म मानते हैं.

दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली है.

मरने के बाद क्या होता है?

हिंदू धर्म में मौत के बाद दो तरह की घटनाएं होने की बात कही गई है-

पहला ये कि मरने के बाद आत्मा शरीर से निकल जाती है और किसी दूसरे शरीर के साथ दोबारा जन्म लेती है. यानी व्यक्ति का किसी न किसी रूप में पुनर्जन्म होता है. जब तक व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिल जाता, तब तक वह जीवन-मरण के बंधन में बंधा रहता है. इसी बंधन से खुद को मुक्त करने यानी मोक्ष पाने के उद्देश्य से बुराड़ी के भाटिया परिवार के सभी 11 सदस्यों ने मौत को गले लगा लिया.

दूसरी मान्यता ये है कि मरने के बाद इंसान को स्वर्ग या नर्क जाना होता है. अगर व्यक्ति ने जीवन में अच्छे काम किए हैं तो वह स्वर्ग का सुख भोगता है और अगर बुरे काम किए हैं तो उसे नर्क में उसके किए की सजा मिलती है.

ईसाई धर्म में आत्महत्या की इजाजत नहीं

जहां एक ओर भारत में कुछ समय पहले तक आत्महत्या...

मरने के बाद किसी इंसान का क्या होता है ये कोई नहीं बता सकता. लेकिन अलग-अलग धर्मों में किसी न किसी तरह की मान्यता जरूर देखने को मिलती है. ये मान्यताएं ही हैं, जिनके फेर में पड़कर अक्सर लोग अपनी या अपने चाहने वालों की बलि दे देते हैं. हाल ही में दिल्ली के बुराड़ी में 11 लोगों की सामूहिक आत्महत्या इसका ताजा उदाहरण है. लेकिन सोचने की बात ये है कि जब किसी को पता ही नहीं है कि मरने के बाद वास्तव में क्या होगा तो फिर सिर्फ मान्यताओं को सच मानकर लोग अपनी जिंदगी कुर्बान क्यों कर देते हैं? क्या कारण है कि कुछ लोगों को मौत के बाद की जिंदगी वास्तविक जिंदगी से कहीं अधिक खूबसूरत लगती है? चलिए एक नजर डालते हैं उन मान्यताओं पर जो अलग-अलग धर्म मानते हैं.

दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली है.

मरने के बाद क्या होता है?

हिंदू धर्म में मौत के बाद दो तरह की घटनाएं होने की बात कही गई है-

पहला ये कि मरने के बाद आत्मा शरीर से निकल जाती है और किसी दूसरे शरीर के साथ दोबारा जन्म लेती है. यानी व्यक्ति का किसी न किसी रूप में पुनर्जन्म होता है. जब तक व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिल जाता, तब तक वह जीवन-मरण के बंधन में बंधा रहता है. इसी बंधन से खुद को मुक्त करने यानी मोक्ष पाने के उद्देश्य से बुराड़ी के भाटिया परिवार के सभी 11 सदस्यों ने मौत को गले लगा लिया.

दूसरी मान्यता ये है कि मरने के बाद इंसान को स्वर्ग या नर्क जाना होता है. अगर व्यक्ति ने जीवन में अच्छे काम किए हैं तो वह स्वर्ग का सुख भोगता है और अगर बुरे काम किए हैं तो उसे नर्क में उसके किए की सजा मिलती है.

ईसाई धर्म में आत्महत्या की इजाजत नहीं

जहां एक ओर भारत में कुछ समय पहले तक आत्महत्या को अपराध माना जाता था और अब उसे अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है, वहीं दूसरी ओर, ईसाई धर्म में आत्महत्या अभी भी एक अपराध है. इसके अनुसार अगर कोई ईसाई व्यक्ति आत्महत्या करता है तो उसकी आत्मा को नर्क में जाना होता है. वहीं अगर हिंदू धर्म की बात की जाए तो इसमें आत्महत्या को अपराध माने जाने के उदाहरण नहीं मिलते हैं. जैसे भगवान राम का सरयू नदी में समा जाना और पांडवों का पहाड़ों मे चला जाना और कभी वापस ना आना. हिंदू धर्म में स्वेच्छा से समाधि लेने यानि शरीर त्यागने की अनुमति की बातें सामने आती हैं. हो सकता है कि इन्हीं से प्रेरित होकर भाटिया परिवार ने सामूहिक आत्महत्या करने के बारे में सोचा होगा. हालांकि, हिंदू धर्म में शरीर को स्वेच्छा से सिर्फ तब त्यागने की बात कही गई है, जब वह शख्स सांसारिक कामों से निपट चुका हो.

इस्लाम धर्म में ये तीन काम हैं सबसे बड़े गुनाह

जिस तरह हिंदू और ईसाई धर्म में स्वर्ग और नर्क का जिक्र है, ठीक उसी तरह इस्लाम धर्म में भी जन्नत और दोजख की बात कही गई है. इस्लाम धर्म के अनुसार अच्छे काम करने वाले शख्स को मरने के बाद जन्नत नसीब होती है, जबकि बुरे काम करने वाले शख्स को दोजख की आग में जलना पड़ता है. हालांकि, इस्लाम धर्म में आत्महत्या, इच्छा मृत्यु और किसी की हत्या को सबसे बड़े गुनाहों की श्रेणी में रखा गया है. यानी अगर कोई ऐसा करता है तो उसे दोजख की आग में जलना होगा.

क्या हुआ है बुराड़ी वाले मामले में?

दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली है. मरने वालों में 7 महिलाएं और चार पुरुष हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि नौ लोगों के हाथ-पैर और मुंह सफेद कपड़े से बंधे हुए थे और कानों में रूई डाली गई थी. पुलिस को छानबीन से दो रजिस्टर मिले हैं, जिसमें ये सब लिखा गया है कि कब और कैसे आत्महत्या करनी है, ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो सके. कौन सा शख्स कहां फांसी लगाएगा और कैसे मरेगा सब कुछ रजिस्टर में लिखा है. आस-पास के लोगों ने भी बताया है कि भाटिया परिवार काफी आध्यात्मिक था. आध्यात्म में लोगों का अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र की तरफ मुड़ जाना कोई नई बात नहीं है, लेकिन बुराड़ी जैसा वीभत्स मामला पहली बार देखने को मिला है.

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

बुराड़ी में परिवार की सामूहिक आत्महत्या के मामले ने उज्जैन की एक घटना की यादें ताजा कर दी हैं, जिसमें तांत्रिक के चक्कर में एक ही परिवार के 5 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस घटना में एक युवक छुपे हुए खजाने के चक्कर में तांत्रिक की बातों में आ गया था, जिसके बाद मई 2000 में परिवार के पांचों लोगों की हत्या कर दी गई थी. हैरान करने वाली बात ये थी कि ये हत्याएं घर में नहीं, बल्कि बाहर हुई थीं और अलग-अलग जगह पर हुई थीं. परिवार के अमित और उसकी मां अंगूलबाला और भाई सुमित की लाश इंदौर के एक लॉज में मिली थी. जबकि सुरेश जैन और उनके सबसे छोटा बेटा नीतेश लापता हो गए थे. इस मामले की सीबीआई जांच तक हुई थी. इसमें तांत्रिक को हत्या का दोषी पाया जाने पर कोर्ट ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई थी.

मार्च 2013 में राजस्थान के गांगापुर में भगवान शिव के प्रकट नहीं होने पर एक ही परिवार के 8 लोगों ने मावे के लड्डू में जहर मिलाकर खा लिया था. जब हवन के बाद भी भागवान शिव प्रकट नहीं हुए तो उन्होंने फैसला किया कि वह मौत को गले लगाकर उनसे मिलेंगे. इसका ये वीडियो जिसने भी देखा था, उसकी रूह कांप गई थी.

मरने के बाद इंसान का क्या होता है, इसे लेकर अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग मान्यताएं हैं, जिनकी पुष्टि शायद कभी नहीं हो सकती है. लोगों का आध्यात्म की ओर झुकाव होना तो सही है, लेकिन अंधविश्वास की ओर मुड़ जाना बुराड़ी जैसी घटनाओं को न्योता देता है. इस तरह के अंधविश्वास में पड़कर ही लोग अपने साथ-साथ पूरे परिवार को बलि का बकरा बना देते हैं और मौत को गले लगा लेते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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