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Shared psychotic disorder : जिसकी एडवांस स्टेज बुराड़ी कांड को जन्म देती है

    • आईचौक
    • Updated: 06 जुलाई, 2018 12:05 PM
  • 06 जुलाई, 2018 12:05 PM
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बुराड़ी कांड में पुलिस को शक है कि भाटिया परिवार एक मानसिक बीमारी का शिकार था जिसका नाम है शेयर्ड साइकॉटिक डिसऑर्डर. पर क्या ऐसी बीमारी का वाकई 11 लोगों पर ऐसा असर हो सकता है?

बुराड़ी सुसाइड मामले ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया. एक साथ एक ही परिवार के 11 लोगों की लाशें मिलने से जहां लोग चौंक गए थे, वहीं इस बात का शक होते ही कि ये आत्महत्या थी और ये अंधविश्वास के कारण हुई थी, तब से ये मामला और भी ज्यादा डरावना हो गया है. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज भी निकाल ली है जिसमें घर की महिलाएं खुद स्टूल ले जा रही हैं जो बाद में आत्महत्या के लिए इस्तेमाल हुआ है.

ये मामला इतना पेचीदा है कि एक तरफ अंधविश्वास का एंगल दिखता है और दूसरी तरफ एक मानसिक बीमारी का संकेत मिलता है जिसकी वजह से पूरे परिवार की जान गई. डायरी में लिखी हुई बातें, घर के बाहर 11 पाइप और हवन, तंत्र, मंत्र का किस्सा सब कुछ किसी डारवने सपने जैसा लगता है, लेकिन ये हकीकत है.

पुलिस का शक है कि भाटिया परिवार एक मानसिक बीमारी का शिकार था जिसका नाम है शेयर्ड साइकॉटिक डिसऑर्डर. ये एक अलग तरह की मानसिक बीमारी होती है. वैज्ञानिकों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी तो नहीं है, लेकिन उनका मानना है कि अकेलेपन और स्ट्रेस इसके कई कारणों में से एक हो सकते हैं. सीसीटीवी फुटेज देखकर समझ आता है कि मरने वाले लोगों ने खुद ही इसकी तैयारी की थी. यानी हत्या की कोई भी गुंजाइश नहीं.

इस तरह की अफवाहें भी चल रही हैं कि इसमें किसी मानसिक बीमारी नहीं बल्कि इसके लिए कोई अंधविश्वास जिम्मेदार है. पर फिर भी मानसिक बीमारी वाली थ्योरी सबसे ज्यादा सही लगती है. शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी यही बात सामने आई है कि इन लोगों ने आत्महत्या की थी.

पर असल में ये शेयर्ड साइकॉटिक डिसऑर्डर है क्या जिसके कारण इस परिवार की जान गई या कम से कम थ्योरी बनाई जा रही है. WebMD के मुताबिक ये मानसिक बीमारी ऐसी है कि इसमें एक स्वस्थ्य इंसान भी एक मानसिक रोगी की तरह सोचने लगता है. जैसे स्किजोफ्रेनिया में होता है...

बुराड़ी सुसाइड मामले ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया. एक साथ एक ही परिवार के 11 लोगों की लाशें मिलने से जहां लोग चौंक गए थे, वहीं इस बात का शक होते ही कि ये आत्महत्या थी और ये अंधविश्वास के कारण हुई थी, तब से ये मामला और भी ज्यादा डरावना हो गया है. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज भी निकाल ली है जिसमें घर की महिलाएं खुद स्टूल ले जा रही हैं जो बाद में आत्महत्या के लिए इस्तेमाल हुआ है.

ये मामला इतना पेचीदा है कि एक तरफ अंधविश्वास का एंगल दिखता है और दूसरी तरफ एक मानसिक बीमारी का संकेत मिलता है जिसकी वजह से पूरे परिवार की जान गई. डायरी में लिखी हुई बातें, घर के बाहर 11 पाइप और हवन, तंत्र, मंत्र का किस्सा सब कुछ किसी डारवने सपने जैसा लगता है, लेकिन ये हकीकत है.

पुलिस का शक है कि भाटिया परिवार एक मानसिक बीमारी का शिकार था जिसका नाम है शेयर्ड साइकॉटिक डिसऑर्डर. ये एक अलग तरह की मानसिक बीमारी होती है. वैज्ञानिकों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी तो नहीं है, लेकिन उनका मानना है कि अकेलेपन और स्ट्रेस इसके कई कारणों में से एक हो सकते हैं. सीसीटीवी फुटेज देखकर समझ आता है कि मरने वाले लोगों ने खुद ही इसकी तैयारी की थी. यानी हत्या की कोई भी गुंजाइश नहीं.

इस तरह की अफवाहें भी चल रही हैं कि इसमें किसी मानसिक बीमारी नहीं बल्कि इसके लिए कोई अंधविश्वास जिम्मेदार है. पर फिर भी मानसिक बीमारी वाली थ्योरी सबसे ज्यादा सही लगती है. शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी यही बात सामने आई है कि इन लोगों ने आत्महत्या की थी.

पर असल में ये शेयर्ड साइकॉटिक डिसऑर्डर है क्या जिसके कारण इस परिवार की जान गई या कम से कम थ्योरी बनाई जा रही है. WebMD के मुताबिक ये मानसिक बीमारी ऐसी है कि इसमें एक स्वस्थ्य इंसान भी एक मानसिक रोगी की तरह सोचने लगता है. जैसे स्किजोफ्रेनिया में होता है कि कोई इंसान किसी और की तरह सोचने लगता है. इस बीमारी को फ्रेंच में ‘folie à deux’ भी कहा जाता है यानी दो लोगों का पागलपन.

ये बीमारी उन लोगों को हो सकती है जो एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. अगर परिवार के किसी एक व्यक्ति से ये बीमारी शुरू हुई है तो परिवार के बाकी सदस्य भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं.

क्या हैं लक्षण?

इस बीमारी के लक्ष्ण में हैलूसिनेशन यानी भ्रम जैसी स्थिती, एक साथ होने वाली गलतफहमी, असामान्य व्यवहार आदि शामिल हैं.

ऐसा कहा जाता है कि इस बीमारी से ग्रसित होने के बाद वैसी हरकतें करने लगते हैं जैसा कोई एक कर रहा होता है. ऐसे रोगियों में भ्रम होता है और जिस इंसान को ये लोग फॉलो कर रहे होते हैं उसके जैसे लक्षण दिखने लगते हैं और बाकी लोग भी उसी की तरह सोचने लगते हैं. एक को अगर ये बीमारी है तो दूसरा भी उसी तरह की बातें सुनने लगेगा. 

ऐसे लोग अपनी दैनिक जिंदगी को झेल नहीं पाते और उन्हें असलियत से जुड़े रहने में दिक्कत होती है. ये बीमारी जेनेटिक नहीं होती, लेकिन एक परिवार के कई लोगों को हो सकती है.

क्योंकि जो लोग इस बीमारी से ग्रसित होते हैं वो शायद ही कभी किसी चिकित्सा के बारे में सोचते हैं इसलिए इस बीमारी का पता लगाना बहुत मुश्किल है. इसी के साथ इस बीमारी का कोई ट्रीटमेंट भी अभी तक समझ नहीं आया है. आम तौर पर ट्रीटमेंट ऑप्शन की बात करें तो इसके लिए डॉक्टर साइकोथैरपी, फैमिली थैरपी या हल्की दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर दो हफ्तों में भी ये समस्या ठीक नहीं हुई तो डॉक्टर नींद की गोलियां या अन्य तरीके भी इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर इस बीमारी का इलाज नहीं किया गया तो ये बहुत पुरानी और खतरनाक भी हो सकती है.

पहले भी हुए हैं ऐसे कांड...

बुराड़ी कांड ऐसा पहला किस्सा नहीं है जिसमें लोगों ने किसी विश्वास के तहत आत्महत्या कर ली हो. वैसे तो बुराड़ी मामले की ये एक थ्योरी ही है कि परिवार ने आत्महत्या की है, लेकिन फिर भी ऐसे कई किस्से पहले हो चुके हैं. अगर हम बात करें तो मास सुसाइड के कई किस्से इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. जैसे...

1. 909 लोगों ने खा लिया था जहर...

एक साथ पूरे गांव ने जहर खा लिया था. ये बात है अमेरिका की जहां जोन्सटाउन नाम का एक छोटा सा गांव था. वहां एक गुरू जिम जोन्स ने लोगों को ऐसी पट्टी पढ़ाई थी कि यहां कुछ नहीं रखा है और वो उन्हें स्वर्ग दिखाएगा. वो काफी सभ्य तरीके से लोगों का ब्रेन वॉश करता था. जब लोगों ने उसे छोड़ना शुरू किया तो अपनी बात मनवाने के लिए उसने लोगों को सुसाइड करने को कहा और उन्होंने कर भी लिया. बच्चे जो नहीं तैयार थे उन्हें साइनाइड का इंजेक्शन दे दिया गया.

2. 39 लोग अंतरिक्ष में जाने के लिए मर गए...

मार्शल एप्पलव्हाइट.. अगर आप इस नाम को गूगल करेंगे तो आपको पता चलेगा कि ये एक धर्म गुरू हैं जो खुद को जीसस क्राइस्ट के वंशज बताते हैं और हेवन्स गेट नाम के ग्रुप के रचियता हैं. इन्होंने अपने अनुयायियों को ये बता दिया था कि पृथ्वी को एलियन से खतरा है और खुद को बचाने के लिए 39 लोगों ने अपनी जान दे दी थी.

3. 778 लोगों ने लगा ली थी खुद को आग...

ये बात है युगांडा की जहां एक ग्रुप जिसका नाम था 'रिस्टोरेशन ऑफ टेन कमांडमेंट्स ऑफ गॉड' ये मानता था कि मार्च 17, 2000 को दुनिया खत्म हो जाएगी. तो उन्होंने खुद को एक कमरे में बंद किया.. एक अच्छे भोज का बंदोबस्त किया और खुद को आग लगा ली. जिन लोगों ने भागने की कोशिश की उन्हें गोली मार दी गई थी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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