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उस लड़की की कहानी जिसके दूल्हे को दो का पहाड़ा आता था, लेकिन...!

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 12 मई, 2021 11:20 PM
  • 12 मई, 2021 11:20 PM
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कल ही महोबा की एक लड़की के बारे में बात की थी, जिसने शादी के एन मौके पर अपने होने वाले पति की पढ़ाई का झूठ उससे दो का पहाड़ा बुलवाकर पकड़ लिया था. लेकिन, आज बात करेंगे एक ऐसी लड़की की, जिसकी शादी तो एक डॉक्टर से हुई थी, लेकिन अब उसके अनुभव बता रहे हैं कि पति की पढ़ाई का शादी की उम्र से कोई लेना-देना नहीं होता.

पिछले कुछ दिनों दो का पहाड़ा (2 ka table) काफी चर्चा का विषय था. उत्तर प्रदेश के महोबा की रहने वाली दुल्हन (bride) ने वरमाला (varmala) से पहले शादी तोड़ दी, क्योंकि उसके पति ने अपनी पढ़ाई को लेकर झूठ कहा था. जयमाला वाले स्टेज पर दूल्हन ने उससे 2 का पहाड़ा सुनाने को कहा तो उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई. और इसी के शादी टूट गई. लड़के वालों की बेइज्जती हुई सो अलग. कहा गया कि लड़की ने जागरुकता से अपना जीवन बर्बाद होने से बचा लिया (पूरी कहानी यहां पढ़ें). तो आइए, एक दूसरी कहानी पर नजर डालते हैं. यहां दूल्हे की पढ़ाई ने लड़की वालों का दिल जीत लिया. पेशे से डॉक्टर जो था. लड़की वालों को लगा कि हीरे जैसा दामाद मिला है. दो साल के भीतर जिस यातनाभरे अनुभवों को लेकर लड़की लौटी है, वह दूल्हा-दुल्हन का रिश्ता तय करने वाले पैमाने पर सवाल उठाता है. एक लड़की इस मार्मिक कहानी को शेयर किया गया है 'ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' फेसबुक पेज पर...

अब ये अपने बेटे के साथ खुशी-खुशी जिंदगी बिता रही हैं (फोटो: ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे)

 

“जब मैं 23 साल की थी तब मैं अरेंज्ड मैरिज सेटअप (arranged marriage setup) के जरिए उससे मिली. एक डॉक्टर होने के बावजूद जब वह मुझसे मिला तो बड़ा उदार दिलवाला लगा. जब मेरे पेरेंट्स ने मुझसे पूछा, क्या तुम्हें लड़का पसंद है? मैंने मुस्कुराते हुए हां पापा कह दिया.” पापा ने मुझसे कहा अच्छे लोग हैं, तुम खुश रहोगी....

पिछले कुछ दिनों दो का पहाड़ा (2 ka table) काफी चर्चा का विषय था. उत्तर प्रदेश के महोबा की रहने वाली दुल्हन (bride) ने वरमाला (varmala) से पहले शादी तोड़ दी, क्योंकि उसके पति ने अपनी पढ़ाई को लेकर झूठ कहा था. जयमाला वाले स्टेज पर दूल्हन ने उससे 2 का पहाड़ा सुनाने को कहा तो उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई. और इसी के शादी टूट गई. लड़के वालों की बेइज्जती हुई सो अलग. कहा गया कि लड़की ने जागरुकता से अपना जीवन बर्बाद होने से बचा लिया (पूरी कहानी यहां पढ़ें). तो आइए, एक दूसरी कहानी पर नजर डालते हैं. यहां दूल्हे की पढ़ाई ने लड़की वालों का दिल जीत लिया. पेशे से डॉक्टर जो था. लड़की वालों को लगा कि हीरे जैसा दामाद मिला है. दो साल के भीतर जिस यातनाभरे अनुभवों को लेकर लड़की लौटी है, वह दूल्हा-दुल्हन का रिश्ता तय करने वाले पैमाने पर सवाल उठाता है. एक लड़की इस मार्मिक कहानी को शेयर किया गया है 'ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' फेसबुक पेज पर...

अब ये अपने बेटे के साथ खुशी-खुशी जिंदगी बिता रही हैं (फोटो: ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे)

 

“जब मैं 23 साल की थी तब मैं अरेंज्ड मैरिज सेटअप (arranged marriage setup) के जरिए उससे मिली. एक डॉक्टर होने के बावजूद जब वह मुझसे मिला तो बड़ा उदार दिलवाला लगा. जब मेरे पेरेंट्स ने मुझसे पूछा, क्या तुम्हें लड़का पसंद है? मैंने मुस्कुराते हुए हां पापा कह दिया.” पापा ने मुझसे कहा अच्छे लोग हैं, तुम खुश रहोगी. इसके बाद हमारी शादी हो गई. शादी के एक साल तक तो सब कुछ बहुत अच्छा था.

वह कितने भी थके होते या फिर अस्पताल (hospital) से लेट आते मुझसे बात करने के लिए समय जरूर निकाल लेते. उनकी यह कोशिश मुझे बहुत अच्छी लगती. वह हमेशा मुझसे पूछते कि तुम्हारा दिन कैसा रहा. हम बेबी प्लानिंग करने लगे. इस बीच में प्रेग्नेंट (pregnant) हो गई. इस खबर से दोनों घरवाले काफी खुश हुए.

कुछ दिनों बाद मैंने मेरे पति के व्यवहार में अंतर देखा. एक दिन मैं मॉर्निंग सिकनेस (morning sickness) की वजह से नाश्ता बनाने में लेट हो गई तो मेरे पति ने कहा कि, तुम दुनिया की पहली औरत नहीं हो जो प्रेग्नेंट हुई हो. इसलिए नाटक करना बंद कर दो. ऐसे ही एक दिन मैं लैंप ऑन करके भूल गई तो उसने मुझे बेड से नीचे उतार दिया. जब मैं रोने लगी तो उसने कहा ‘बाहर जा के रो, मुझे सोना है’.

काफी दिनों तक मेरे पति के व्यवहार में कोई परिवर्तन ना देखने पर मैनें इसका सामना करने का फैसला किया. रिश्ते में ज्यादा गर्मागर्मी होने के बाद एक दिन उसने मुझे तेजी से धक्का दिया और मैं गिर गई. मैं सुसाइड करने के लिए छत पर गई और वहां से कूदकर अपनी जान देना (suicide) चाहती थी. तभी एक चमत्कार हुआ. मैंने पहली बार बेबी किक (baby cick) महसूस किया. मुझे लगा मेरे गर्भ में पल रहा बच्चा चाहता है कि मैं जीऊं. मैंने इसके बाद जीने का फैसला किया और नीचे आ गई.

बेबी शॉवर (baby shower) के बाद मैं डिलीवरी के लिए अपने मायके चली गई. इस दौरान मेरे ससुराल वाले मेरे पेरेंट्स को गोल्ड के पैसे के लिए तंग कर रहे थे, आखिरकार पापा पैसे (dowry) देने के लिए तैयार हो गए. यहां तक की मेरे पति ने डिलवरी के दिन अस्पताल का मेडिकल बिल (medical) देने से मना कर दिया. अस्पताल का सारा खर्च पापा ने दिया.

इतना कुछ सहने के बाद भी मैं अपने ससुराल गई. यह सोचकर पति को एक मौका दिया कि शायद बच्चे की वजह से हमारी शादी बच जाए, लेकिन मैं गलत साबित हुई. तीन महीने बाद वह मुझे और बच्चे को पापा के यहां छोड़ गए. जब पापा ने बात की तो उसने कहा “अगर वह आना चाहती है तो उसे मेरे पैरेंट (parents) के साथ रहना होगा, मैं उसके साथ नहीं रहूंगा”. जाते-जाते उसने मुझसे कहा कि अब तो बेबी हो गया है, कहां जाओगी?

मेरे लिए मेरी शादी उसी दिन खत्म हो गई. इसके बाद मैंने तलाक के लिए डिवोर्स फाइल कर दिया. मेरे पेरेंट्स की मदद से मैं बच्चे को पाल रही हूं. कुछ महीनों पहले ही हमने उसका पहला बर्थ डे मनाया. उसके बाद उसने मुझे पहली बार मां कहा. हमने हमारी छोटी सी दुनिया बसाई है जहां मैं और श्रवण खुशी-खुशी रहते हैं.

अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं जो यह कहते हैं कि एडजस्ट करना चाहिए था. तुम्हें उसके पास वापस जाना था. कम से कम मारता तो नहीं था, लेकिन मैंने ऐसे लोगों पर ध्यान देना छोड़ दिया है. भविष्य में मेरा बेटा वही करेगा जो मैं आज करूंगी, क्योंकि वह मुझसे ही सीखेगा. इस तरह की विषैली सोसाइटी में मेरे बच्चे की परवरिश (parenting) नहीं करना चाहती.

हम अपने बच्चों को क्या सिखाते (sanskar) हैं यह काफी मैटर करता है और मेरा बेटा अपनी मां के बारे में सब कुछ जानते हुए बड़ा होगा. साथ ही वह हर उस महिला का रिस्पेक्ट करेगा जो सिंगल रहती हैं, क्योंकि हर महिला सम्मान की हकदार होती है.***आइए, अब मुद्दे की बात पर आते हैं. महोबा की शादी में लड़की ने बड़ी आसानी से लड़के का झूठ पकड़ लिया था. लेकिन, डॉक्टरी की पढ़ाई कर चुके लड़के का मन कैसा है, ये कोई लड़की कैसे जानेगी? पढ़ा-लिखा होना निश्चित ही मायने रखता है, लेकिन शादी जैसे संवेदनशील रिश्ते में लड़की-लड़की का आपसी तालमेल और समझ बहुत मायने रखती है. यदि ये तालमेल और समझ उनके बीच हो, तो अनपढ़ होने के बावजूद उनकी शादी कामयाब हो जाएगी. और यदि ऐसा नहीं है, तो तमाम ज्ञान किताबी ही रह जाता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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