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Breaking News घोटाला, जो जरूरी खबरों को सुर्खी नहीं बनने देता

    • अनु रॉय
    • Updated: 25 सितम्बर, 2020 05:34 PM
  • 25 सितम्बर, 2020 05:34 PM
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एक ऐसे समय में जब हमारे चारों तरफ मीडिया और ख़बरों का बोलबाला हो अक्सर ही वो खबरें नकार दी जाती हैं जो हमसे जुड़ी हैं और हमें वो ख़बरें दिखाई जाती हैं जिनका हमसे दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं है.

आपको शायद याद भी न हो, मार्च में जिस भुक्खल घासी की मौत भूख से हुई थी, उसके दो बच्चे भी भूख से मर गए. उसकी मौत के बाद मई और अगस्त में मैंने लिखा था कि उनके पास न राशन कॉर्ड है और न आधार कॉर्ड. उन्हें सरकार की तरफ़ से कोई मदद नहीं मिल रही थी. अब हेमंत सोरेन (Hemant Soren) भूख से हो रही इन मौतों को झुठला कर बीमारी से हुई मौत बता रहें हैं. ख़ैर, आपको खाना मिल रहा है तो आपको क्या परवाह इनकी मौत की. आप ख़ुश रहिए कि दीपिका पादुकोण क्या खा कर नशा कर रही है? उसी से आपका जीवन चलेगा तभी तो मीडिया वही दिखा रहा है और TRP बटोर रहा है. आप नहीं देखेंगे तो वो ये दिखाएगा भी नहीं लेकिन आपको वही चरस देखना है. देखिए.

आपको तो ये भी पता नहीं होगा कि मार्च से लेकर अब तक भारत में कितने बच्चों का यौन शोषण और बलात्कार हुआ. नहीं पता है न? क्योंकि आपको आपका पसंदीदा न्यूज़ चैनल ये नहीं दिखा रहा और न वेब-पोर्टल. हां आपको ये ज़रूर पता होगा कि पायल घोष को अनुराग कश्यप ने कहां-कहां और कितनी बार छुआ. वैसे मेरे बताने से फ़र्क़ तो नहीं ही पड़ेगा लेकिन फिर भी बता दे रही हूं, 13,244 मामले नेशनल साइबर-क्राइम रिपोर्टिंग विभाग में दर्ज किए गए हैं बच्चों से जुड़ी पॉर्नग्राफ़ी, बलात्कार और मॉलेस्टेशन में मामले में.

आज मीडिया शायद ही हमें वो चीजें दिखा रहा हो जिनका सरोकार हमसे है

स्मृति ईरानी ने इन आंकड़ों के बारे में मंगलवार को पार्लियामेंट में ज़िक्र किया था. अगर आप लोकसभा टीवी देखते तो शायद आपको पता होता. पूनम पाण्डेय पर उसके पति सैम ने बॉम्बे में शादी के दो हफ़्ते बाद ही मार पीट की और जेल गया. ये ख़बर शायद आपको पता होगी लेकिन क्या आपको ये पता है कि 1 मार्च से लेकर 20 सितम्बर तक कितनी हज़ार महिलाओं ने लॉक-डाउन में पति...

आपको शायद याद भी न हो, मार्च में जिस भुक्खल घासी की मौत भूख से हुई थी, उसके दो बच्चे भी भूख से मर गए. उसकी मौत के बाद मई और अगस्त में मैंने लिखा था कि उनके पास न राशन कॉर्ड है और न आधार कॉर्ड. उन्हें सरकार की तरफ़ से कोई मदद नहीं मिल रही थी. अब हेमंत सोरेन (Hemant Soren) भूख से हो रही इन मौतों को झुठला कर बीमारी से हुई मौत बता रहें हैं. ख़ैर, आपको खाना मिल रहा है तो आपको क्या परवाह इनकी मौत की. आप ख़ुश रहिए कि दीपिका पादुकोण क्या खा कर नशा कर रही है? उसी से आपका जीवन चलेगा तभी तो मीडिया वही दिखा रहा है और TRP बटोर रहा है. आप नहीं देखेंगे तो वो ये दिखाएगा भी नहीं लेकिन आपको वही चरस देखना है. देखिए.

आपको तो ये भी पता नहीं होगा कि मार्च से लेकर अब तक भारत में कितने बच्चों का यौन शोषण और बलात्कार हुआ. नहीं पता है न? क्योंकि आपको आपका पसंदीदा न्यूज़ चैनल ये नहीं दिखा रहा और न वेब-पोर्टल. हां आपको ये ज़रूर पता होगा कि पायल घोष को अनुराग कश्यप ने कहां-कहां और कितनी बार छुआ. वैसे मेरे बताने से फ़र्क़ तो नहीं ही पड़ेगा लेकिन फिर भी बता दे रही हूं, 13,244 मामले नेशनल साइबर-क्राइम रिपोर्टिंग विभाग में दर्ज किए गए हैं बच्चों से जुड़ी पॉर्नग्राफ़ी, बलात्कार और मॉलेस्टेशन में मामले में.

आज मीडिया शायद ही हमें वो चीजें दिखा रहा हो जिनका सरोकार हमसे है

स्मृति ईरानी ने इन आंकड़ों के बारे में मंगलवार को पार्लियामेंट में ज़िक्र किया था. अगर आप लोकसभा टीवी देखते तो शायद आपको पता होता. पूनम पाण्डेय पर उसके पति सैम ने बॉम्बे में शादी के दो हफ़्ते बाद ही मार पीट की और जेल गया. ये ख़बर शायद आपको पता होगी लेकिन क्या आपको ये पता है कि 1 मार्च से लेकर 20 सितम्बर तक कितनी हज़ार महिलाओं ने लॉक-डाउन में पति या पुरुष प्रेमी के हाथों मार-कुटाई खायी हैं?

इसका भी ज़िक्र स्मृति ईरानी ने अपने भाषण में किया था. उन्होंने बताया कि 1 मार्च से लेकर 20 सितम्बर तक 4,350 शिकायतें नेशनल कमीशन फ़ॉर विमन के पास आईं. क्या वो स्त्रियां, स्त्रियां नहीं हैं? उनके साथ हो रही हिंसा की ख़बरें न्यूज़ चैनल पर नहीं आनी चाहिए? अब सोचिए ज़रा कि आप को किस क़दर अंधेरे में रखा जा रहा है.

आप ख़ुद कोई सेलेब्रेटी तो हैं नहीं. भगवान न करे आपके साथ कल को कुछ बुरा हो तो क्या ये मीडिया आपकी मदद करेगी? क्या आपके लिए ख़बर चलाएगी? मैं ये नहीं कहती हूं कि मीडिया. दीपिका या अनुराग या कंगना या सुशांत की ख़बरें कवर न करें. करें उनकी ख़बरें भी दिखायें लेकिन बाक़ी खबरों से यूं नज़रें न चुराए. देश में कितना कुछ घट रहा है, उसके बारे में भी बताए. और जो मीडिया ऐसा नहीं करती है तो प्लीज़ आप ये बकवास ख़बरें देखना छोड़ दें. इसी में देश का भला है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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