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अनुराग कश्यप-दीपिका पादुकोण के दोस्त उन्हें बचाने की जगह फंसा क्यों रहे हैं?

    • धीरेंद्र राय
    • Updated: 24 सितम्बर, 2020 03:54 PM
  • 23 सितम्बर, 2020 08:27 PM
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अनुराग कश्यप पर लगे यौन शोषण (Anurag Kashyap MeToo allegation) के आरोप हों, या फिर दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) सहित बॉलीवुड के बड़े कलाकारों पर लग रहे नशाखोरी के आरोप... इनके बचाव में जो दलीलें दी जा रही हैं, वही इन आरोपियों के लिए दलदल बनती जा रही है.

MeToo मामलों का कॉमन थ्रेड है ही यही, कि यौन शोषण, बलात्कार के पुराने मामलों को समय अनुकूल देखकर पीड़ित महिलाओं ने समाज के सामने रखा. हॉलीवुड में दबदबा रखने वाले हार्वे विंस्टीन की कलई खोलने वाली महिलाओं की आपबीती किसी ताजा मामले की नहीं थी. हार्वे और उसके समर्थकों ने बचाव में इतनी ही दलील दी कि ये महिलाएं अब तक कहां थीं? ठीक वैसे ही दलील, जैसे की अनुराग कश्यप या साजिद खान के समर्थन में दी जा रही हैं. या पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर के समर्थन में दी गईं थीं.

हार्वे विंस्टीन को सजा मिल चुकी है. भारत में MeToo के मामले न्याय पाने के अलग अलग पड़ावों के बीच झूल रहे हैं. इनमें अनुराग कश्यप का मामला ताजा है. उनके संपर्क में आई अभिनेत्री पायल घोष ने गंभीर आरोप लगाते हुए मुंबई के एक पुलिस स्टेशन में एफआईआर भी दर्ज करा दी है. टीवी चैनलों पर अपनी आपबीती सुनाते हुए पायल ने ऋचा चड्ढ़ा और हुमा कुरैशी का नाम भी लिया था. पायल कहती हैं कि उनसे अनुराग ने कथित तौर पर कहा था कि ये हिरोइनें उनके एक कॉल पर हाजिर हो जाती हैं. खैर, अब हर तरह से बचाव और सफाई दी जा रही है. लेकिन, इन सभी बचावों और सफाई में बेहद कमजोर समानता है. आइए, नजर डालते हैं अनुराग और उनके संगी साथी क्या दलीलें दे रहे हैं:

1. इज्जत पर लांछन लगाने के लिए यौन शोषण का आरोप लगाया गया है.

(MeToo के आरोपों में अपराधी साबित हो चुके लोगों ने अपना शुरुआती बचाव ऐसे ही किया था. इसलिए अनुराग कश्यप पर लगे आरोपोंं की जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, इस दलील में कोई दम नहीं).

2. पायल घोष अब तक कहां थीं?

(सवाल सही है, लेकिन इससे पीड़ित के न्याय मांगने का अधिकार खत्म तो नहीं हो जाता? MeToo के अधिकतर मामलों में पीड़ित महिलाओं ने वर्षों बाद शिकायत की, जिस पर उन्हें न्याय मिला. आमतौर पर MeToo के आरोपी समाज में ताकतवर रुतबा रखने वाले शख्स रहे हैं. जब वे किसी समय पीड़ित महिला को कमजोर नजर आए, तो उनके खिलाफ आवाज उठाने का साहस किया गया. तो...

MeToo मामलों का कॉमन थ्रेड है ही यही, कि यौन शोषण, बलात्कार के पुराने मामलों को समय अनुकूल देखकर पीड़ित महिलाओं ने समाज के सामने रखा. हॉलीवुड में दबदबा रखने वाले हार्वे विंस्टीन की कलई खोलने वाली महिलाओं की आपबीती किसी ताजा मामले की नहीं थी. हार्वे और उसके समर्थकों ने बचाव में इतनी ही दलील दी कि ये महिलाएं अब तक कहां थीं? ठीक वैसे ही दलील, जैसे की अनुराग कश्यप या साजिद खान के समर्थन में दी जा रही हैं. या पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर के समर्थन में दी गईं थीं.

हार्वे विंस्टीन को सजा मिल चुकी है. भारत में MeToo के मामले न्याय पाने के अलग अलग पड़ावों के बीच झूल रहे हैं. इनमें अनुराग कश्यप का मामला ताजा है. उनके संपर्क में आई अभिनेत्री पायल घोष ने गंभीर आरोप लगाते हुए मुंबई के एक पुलिस स्टेशन में एफआईआर भी दर्ज करा दी है. टीवी चैनलों पर अपनी आपबीती सुनाते हुए पायल ने ऋचा चड्ढ़ा और हुमा कुरैशी का नाम भी लिया था. पायल कहती हैं कि उनसे अनुराग ने कथित तौर पर कहा था कि ये हिरोइनें उनके एक कॉल पर हाजिर हो जाती हैं. खैर, अब हर तरह से बचाव और सफाई दी जा रही है. लेकिन, इन सभी बचावों और सफाई में बेहद कमजोर समानता है. आइए, नजर डालते हैं अनुराग और उनके संगी साथी क्या दलीलें दे रहे हैं:

1. इज्जत पर लांछन लगाने के लिए यौन शोषण का आरोप लगाया गया है.

(MeToo के आरोपों में अपराधी साबित हो चुके लोगों ने अपना शुरुआती बचाव ऐसे ही किया था. इसलिए अनुराग कश्यप पर लगे आरोपोंं की जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, इस दलील में कोई दम नहीं).

2. पायल घोष अब तक कहां थीं?

(सवाल सही है, लेकिन इससे पीड़ित के न्याय मांगने का अधिकार खत्म तो नहीं हो जाता? MeToo के अधिकतर मामलों में पीड़ित महिलाओं ने वर्षों बाद शिकायत की, जिस पर उन्हें न्याय मिला. आमतौर पर MeToo के आरोपी समाज में ताकतवर रुतबा रखने वाले शख्स रहे हैं. जब वे किसी समय पीड़ित महिला को कमजोर नजर आए, तो उनके खिलाफ आवाज उठाने का साहस किया गया. तो मान सकते हैं कि अनुराग को कठघरे में खड़ा करने के लिए पायल को यही समय सही लगा हो?)

अनुराग कश्यप के लिए कठिन होगा अपने ऊपर लगे आरोपों की सफाई दे पाना.

3. अनुराग कश्यप चूंकि केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रामक हैं, इसलिए उन पर ये आरोप लगा.

(यदि किसी के पॉलिटिकल स्टैंड की वजह से उस पर लगने वाले MeToo आरोपों का आधार कमजोर हो जाता है, तब तो ऐसे ही आरोप में मोदी सरकार से इस्तीफा देने वाले एमजे अकबर को भी बरी कर दिया जाना चाहिए.)

4. मान ही नहीं सकते कि अनुराग कश्यप किसी लड़की का यौन शोषण कर सकते हैं.

(अनुराग की पूर्व पत्नियों सहित कई अभिनेत्रियों ने ये कहकर ही बचाव किया है कि अनुराग खुद इतने बड़े फेमिनिस्ट हैं. वो किसी लड़की के यौन शोषण के बारे में सोच भी नहीं सकते. बात सही हो सकती है, लेकिन इसी समाज में ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जहां अपराधी ने ऐसे कुकृत्य करके समाज को चौंकाया है. जब पादरी, मौलवी, पुजारी अपना मुंह काला करवा चुके हैं तो मायानगरी के किसी आरोपी को तुरंत संत-महात्मा कहकर बिना जांच के बरी तो नहीं किया जा सकता?)

5. कोरोना, इकोनॉमी जैसे गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए अनुराग जैसे सेलिब्रिटी को निशाना बनाया गया है. (ओह, प्लीज़.)

दीपिका पादुकोण और ड्रग्स के पक्ष में तो भगवान शिव को घसीट लाए!

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में संदिग्ध रिया चक्रवर्ती के व्हाट्सएप चैट ने बॉलीवुड के भीतर जमी ड्रग्स की गंदगी को सतह पर ला दिया है. बॉलीवुड सेलिब्रिटी को ड्रग्स मुहैया कराने वाले लोगों से दीपिका पादुकोण, सारा अली खान, श्रद्धा कपूर, रकुल प्रीत सिंह जैसी अभिनेत्रियों की बातचीत होश उड़ाने वाली है. आखिर ये क्यों कर इस नशे को गले लगा रही थीं. सिर्फ मजे के लिए? बॉलीवुड की टैलेंट मैनेजमेंट कंपनियों से जुड़े लोग नशाखोरी की मोबाइल सर्विस उपलब्ध करवा रहे थे! अब बॉलीवुड के कई लोग कह रहे हैं कि यह तो आम बात है, इसमें इतना हल्ला मचाने की क्या बात है? इतना ही नहीं, बॉलीवुड और अन्य अभिनेत्रियों के हक में एक से बढ़कर एक स्क्रिप्ट लिखी जा रही हैं, जिसे आम जनता चर्चा में आते ही फ्लॉप करार दे रही हैं.

1. केंद्र सरकार के खिलाफ स्टैंड लेने वाली सेलिब्रिटी हैं, इसलिए निशाना बनाया जा रहा है.

(दीपिका पादुकोण बेशक जनवरी 2020 में जेएनयू के आंदोलनरत वामपंथी छात्रों के समर्थन में कैंपस पहुंची थी. लेकिन, इससे 2017 में उनकी व्हाट्सएप चैट पवित्र कैसे हो जाती है? जिसमें वो अपनी सेक्रेटरी से 'माल' (ड्रग्स) उपलब्ध कराने की गुहार लगा रही हैं. ड्रग्स के लिए उनकी उस तड़प का सरकार के विरोध से तो कोई लेना देना नहीं है.)

2. 59 ग्राम ड्रग्स ही तो लिया था, पकड़ना हो तो बड़े तस्करों को पकड़ो.

(जी हां, 59 ग्राम ड्रग्स की बरामदगी से रिया चक्रवर्ती का नाम जुड़ने पर बॉलीवुड की कई दिग्गज हस्तियों ने दलील दी कि इतनी छोटी मात्रा में ड्रग्स की बरामदगी पर इतना हंगामा क्यों किया जा रहा है. बात सही है, लेकिन कानून भी ऐसे ही काम करता है. वह धुंआ देखकर ही आग के पास पहुंचता है. अकाउंट्स की मामूली गड़बड़ियों के सहारे कई बड़े बड़े घोटाले पकड़े गए हैं. कौन जानता था कि सुशांत की आत्महत्या का राज जानने के लिए जिन संदिग्धों की व्हाट्सएप चैट खंगाली जाएंगी, उसमें से बॉलीवुड में ड्रग्स के रैकेट का भंडाफोड़ होगा. जो बड़े तस्करों को पकड़ने की बात करते हैं, वे इंतजार करें.)

3. किसी की निजी जिंदगी में ऐसी ताकझांक क्यों?

(ड्रग्स के मामले में सालभर में हजारों गिरफ्तारियां होती हैं, लेकिन टीवी चैनलों पर उनके नाम से डिबेट नहीं होती. लेकिन बॉलीवुड सेलिब्रिटी का मामला थोड़ा अलग है. देश और मीडिया की नजर इन पर इसलिए है क्योंकि वो ये जानना चाहते हैं कि जिन्हें उन्होंने अपने सिर-माथे पर बैठाया था, वे किस गर्त में डूबे हुए थे. जांच एजेंसियों के लिए बॉलीवुड ड्रग्स केस उसी तरह संवेदनशील है, जैसे कि हजारों करोड़ की फिल्म इंडस्ट्री को लेकर होना चाहिए. यह जानना बेहद जरूरी है कि भारत की इस फलती फूलती इंडस्ट्री के भीतर ये कौन हैं, जो ड्रग्स का कारोबार फैला रहे हैं.)

दीपिका पादुकोण के लिए चुनौती होगी अपनी नायिका वाली पहचान को वापस पाना.

4. बाकी जगह भी तो ड्रग्स की समस्या है, फिर बॉलीवुड ही क्यों?

(बात सही है, ड्रग्स से मुक्ति की जहां तक बात है तो वो हर सेक्टर हर तबके से इसकी सफाई होनी चाहिए. लेकिन, ये बात गले नहीं उतरती कि जब तक सारी दुनिया से ड्रग्स को नहीं हटाया जाता, तब तक बॉलीवुड को न छुआ जाए. मैं तो कहता हूं कि बॉलीवुड सबसे परफेक्ट जगह है, इस तरह का स्वच्छता अभियान शुरू करने के लिए. बॉलीवुड ने कांड करने में कभी कमी नहीं छोड़ी. बॉलीवुड में ड्रग्स माफिया की पैठ कितनी गहरी है, यह तो आने वाला वक्त बताएगा. लेकिन, यह पूरी दुनिया जानती है कि 80-90 के दशक में बॉलीवुड ने किस तरह अंडरवर्ल्ड को एंट्री दी. जिसके कारण कई लोगों के करिअर बर्बाद हुए. कई जानें गईं. ऐसे में आज जो ड्रग्स को लेकर बॉलीवुड का बचाव कर रहे हैं, उन्हें बॉलीवुड के दुश्मन के रूप में भी देखा जाना चाहिए. बॉलीवुड की थाली में छेद करने वाले.)

5. भगवान शिव भी तो ड्रग्स लेते थे, ये तो रिक्रिएशन के लिए है!

(बॉलीवुड ड्रग्स स्कैंडल सामने आने के बाद कई दिव्य आत्माएं सोशल मीडिया पर ड्रग्स के पक्ष में 'आध्यात्मिक' दलीलें देती नजर आ जाती हैं. इंडिया टुडे चैनल की एक डिबेट में तो लेखिका मेघना पंत यहां तक कह गईं कि भगवान शिव भी तो ड्रग्स लेते थे. ऐसे सभी महानुभावों से विनम्र निवेदन है कि भगवान शिव के देश ने ड्रग्स के सेवन, क्रय, विक्रय को अपराध की श्रेणी में डाला हुआ है. यानी अपना फिजूल आध्यात्मिक ज्ञान अपने पास रखें. हिंदू देवी देवताओं को गलत संदर्भों में प्रस्तुत करने के और भी बहुत मौके मिलेंगे. ड्रग्स के पक्ष में ऐसी दलीलें देनें से बचें, क्योंकि आपकी दलीलों से प्रभावित होकर यदि आपके बच्चों या नातेदारों ने ड्रग्स का सेवन शुरू कर दिया, तो ये ज्ञान काम नहीं आएगा. ड्रग्स का दुष्परिणाम क्या होता है ये संजय दत्त से ज्यादा सुनील दत्त महसूस करते होंगे.)

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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