• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

20 साल के दौरान टॉपर्स बने छात्रों ने विदेश पलायन कर कई बातें बेनकाब कीं

    • मशाहिद अब्बास
    • Updated: 31 दिसम्बर, 2020 04:23 PM
  • 31 दिसम्बर, 2020 04:19 PM
offline
देश में बोर्ड परीक्षा (Board Exams) में टॉप (Topper) करने वाले होनहार छात्रों पर हुए शोध में जो नतीजा सामने निकल कर आया है वो चिंताजनक है. शोध में पाया गया है कि देश में बोर्ड परीक्षा में टॉप करने वाले बच्चे आगे चलकर देश ही छोड़ देते हैं. आख़िर ऐसी कौन सी वजह है कि टॉपर बच्चे देश से बाहर जाना ही पसंद कर रहे हैं. इस समस्या का समाधान निकालना बेहद ज़रूरी है.

देश के एक बड़े अख़बार ने शोध कर एक रिपोर्ट छापी है और उसका नतीजा हैरान कर देने वाला है. अख़बार ने एक रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए बताया कि पिछले 20 से 25 सालों में जिन बच्चों ने बोर्ड परीक्षाओं में टॉप किया था, आज वह लोग क्या कर रहे हैं और उनकी स्थिति कैसी है. वर्ष 1996 से लेकर वर्ष 2015 तक के कुल 86 टॉपर्स की लिस्ट में बताया गया है कि इनमें से अधिकंश बच्चे विदेश निकल गए हैं. जबकि आधे से भी कम लोग देश में हैं. कुल 86 बच्चों में से 46 बच्चे विदेश में बस चुके हैं जबकि महज 40 बच्चे ही देश मे हैं. ये एक बड़ी गंभीर स्थिति है कि आखिर देश के होनहार देश में क्यों नहीं टिक पा रहे हैं. देश में प्रतिभाओं को सम्मान क्यों नहीं मिल रहा है, आख़िर कौन से ऐसे संसाधनो की कमी है की हमारे देश के काबिल काबिल छात्र विदेश में बसे जा रहे हैं.

हमारे देश में जब भी बेरोजगारी की बातें होती है तो यह ज़रूर कहा जाता है कि अगर आपके अंदर प्रतिभा है तो नौकरी की आपके लिए भरमार है. और फिर जब बात टॅापर्स की आती है तो कहा जाता है वह लोग प्रतिभा के इतने धनी होते हैं कि जो चाहें वो कर सकते हैं. वो सिविल के क्षेत्र में आकर प्रशासनिक अधिकारी बन सकते हैं या फिर वो जिस भी क्षेत्र में जाना चाहते हैं आराम से जा सकते हैं. भारत में बच्चे का विदेश में रहकर पढ़ना या फिर विदेश में रहकर कमाना खाना सफलता का पैमाना क्यों समझा जाता है.

ये अपने में दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे युवा हिंदुस्तान में पढ़ने लिखने के बाद बाहर मुल्कों में सेटल हो रहे हैं

हम भारतीय बड़े गर्व के साथ कहते हैं हमारा बेटा न्यूयार्क में नौकरी करता है या लंदन में बिजनेस करता है या फिर कनाडा में बैंक मैनेजर है. ऐसे हज़ारों उदाहरण हैं जिसमें भारतीय लोग अपनों की कामयाबी का ज़िक्र इस रूप में ज़रूर करते हैं तो...

देश के एक बड़े अख़बार ने शोध कर एक रिपोर्ट छापी है और उसका नतीजा हैरान कर देने वाला है. अख़बार ने एक रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए बताया कि पिछले 20 से 25 सालों में जिन बच्चों ने बोर्ड परीक्षाओं में टॉप किया था, आज वह लोग क्या कर रहे हैं और उनकी स्थिति कैसी है. वर्ष 1996 से लेकर वर्ष 2015 तक के कुल 86 टॉपर्स की लिस्ट में बताया गया है कि इनमें से अधिकंश बच्चे विदेश निकल गए हैं. जबकि आधे से भी कम लोग देश में हैं. कुल 86 बच्चों में से 46 बच्चे विदेश में बस चुके हैं जबकि महज 40 बच्चे ही देश मे हैं. ये एक बड़ी गंभीर स्थिति है कि आखिर देश के होनहार देश में क्यों नहीं टिक पा रहे हैं. देश में प्रतिभाओं को सम्मान क्यों नहीं मिल रहा है, आख़िर कौन से ऐसे संसाधनो की कमी है की हमारे देश के काबिल काबिल छात्र विदेश में बसे जा रहे हैं.

हमारे देश में जब भी बेरोजगारी की बातें होती है तो यह ज़रूर कहा जाता है कि अगर आपके अंदर प्रतिभा है तो नौकरी की आपके लिए भरमार है. और फिर जब बात टॅापर्स की आती है तो कहा जाता है वह लोग प्रतिभा के इतने धनी होते हैं कि जो चाहें वो कर सकते हैं. वो सिविल के क्षेत्र में आकर प्रशासनिक अधिकारी बन सकते हैं या फिर वो जिस भी क्षेत्र में जाना चाहते हैं आराम से जा सकते हैं. भारत में बच्चे का विदेश में रहकर पढ़ना या फिर विदेश में रहकर कमाना खाना सफलता का पैमाना क्यों समझा जाता है.

ये अपने में दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे युवा हिंदुस्तान में पढ़ने लिखने के बाद बाहर मुल्कों में सेटल हो रहे हैं

हम भारतीय बड़े गर्व के साथ कहते हैं हमारा बेटा न्यूयार्क में नौकरी करता है या लंदन में बिजनेस करता है या फिर कनाडा में बैंक मैनेजर है. ऐसे हज़ारों उदाहरण हैं जिसमें भारतीय लोग अपनों की कामयाबी का ज़िक्र इस रूप में ज़रूर करते हैं तो उनसे सवाल होना चाहिए कि वह भारत में क्यों नहीं रहना चाहता है. आख़िर अपने देश को छोड़कर किसी दूसरे देश में बस जाने को सफलता के पैमाने पर कैसे तौला जा सकता है.

ऐसा नहीं है कि हमारे देश के सारे होनहार और काबिल लोग देश को छोड़ जाते हैं. ऐेसे लाखों करोड़ों युवा हैं जो बहुत काबिल हैं और वह देश में हैं. फिर जो लोग देश को छोड़कर किसी दूसरे देश को अपनी कर्मभूमि बना ले रहे हैं उनको इस देश में किन किन संसाधनों की कमी है इसको समझकर उसको भी दुरुस्त किए जाने की ज़रूरत है.

बात अगर पिछले टॅापर्स के आंकड़ों की की जाए तो जो 46 लोग विदेश में हैं उनमें 34 तो अकेले अमेरिका में हैं, 3-3 टॅापर सिंगापुर और कनाडा में हैं, 2 युनाइटेड किंगडम और 1-1 बच्चे बांग्लादेश, आस्ट्रेलिया, चीन और यूएई में हैं. कुल 86 टॅापर्स में से 60 ही वर्तमान में नौकरी कर रहे हैं 21 की पढ़ाई अभी भी जारी है औऱ महज 5 टॅापर्स ने ही खुद का कारोबार खड़ा किया है.

सबसे ज़्यादा टॅापर्स का रुझान आईटी क्षेत्र में ही रहा है और सबसे ज़्यादा 19 बच्चों ने इसी क्षेत्र में अपना कैरियर बनाया है. भारत में आईटी ने तेज़ी के साथ पैर फैलाया है इस क्षेत्र में ये होनहार खुद को बहुत ऊंचे मुकाम तक ले जाने की क्षमता रखते थे लेकिन विदेश में बसना और एक सामान्य ज़िंदगी जीना इनको भारत में रहने से ज़्यादा बेहतर लगा.

भारत में बड़े शहरों में मूलभूत सुविधाओं की कोई बड़े पैमाने पर कमी नहीं है लेकिन फिर भी भारत के होनहार किसी दूसरे शहर को वरीयता दे रहे हैं तो ये चिंता की बात है. भारत सरकार को इसके लिए चिंतित होना भी चाहिए और कोशिश भी दुरूस्त तरीके से करनी चाहिए कि देश से काबिल लोग पलायन न कर सकें और अपनी प्रतिभा का योगदान देश के लिए दें ताकि देश तरक्की के मार्ग पर आगे की ओर बढ़ सके.

ये भी पढ़ें -

New Education Policy 2020: कितनी नई होगी, नई शिक्षा नीति?

'साम्प्रदायिक सद्भाव' की खबरें दंगा करने वाले नहीं पढ़ते!

AM कब उतारेगा दरभंगा महाराज का कर्ज

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲