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बॉक्सर निकहत जरीन या हिजाब गर्ल मुस्कान, मुस्लिम लड़कियों के लिए आदर्श कौन है?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 23 मई, 2022 02:01 PM
  • 20 मई, 2022 10:28 PM
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निकहत जरीन (Nikhat Zareen) ने शॉर्ट्स पहनकर वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का मान बढ़ाया है. वहीं मुस्कान भी हिजाब गर्ल नाम से गांव-गांव में प्रसिद्ध हो चुकी हैं. अब आप जो बाएंगे वही तो काटेंगे...

इन दो तस्वीरों को देखिए जो अपनी कहानी खुद बयां कह रही हैं. एक में शॉर्ट्स पहने हुए निकहत जरीन ( Nikhat Zareen) हैं तो दूसरे में हिजाब गर्ल (Hijab Girl Muskan) नाम से अपनी पहचान कायम करने वाली मुस्कान...

सबसे पहले हम निकहत ही बात करते हैं. जिन्होंने हाल ही में वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का मान बढ़ाया है. निकहत के नाम का मतलब खुशबू होता है. जिसने 52 किलो ग्राम कैटेगरी में थाईलैंड की जिटपॉन्ग जुटामस को 5-0 से करारी शिकस्त देकर, अपने नाम की महक पूरी दुनिया में फैला दी है.

अब बात मुस्कान की, हमें नहीं लगता कि इनके बारे में अधिक बताने की जरूरत है. एक छोटे से वीडियो ने इन्हें शहर से लेकर गांव तक में फेमस कर दिया है. हिजाब पहनने के अधिकार की बात करने वाली मुस्कान ने घर-घर में अपनी पहचान बना ली है. मुस्कान को यह प्रसिद्धि पाने के लिए किसी मेहनत की जरूरत नहीं पड़ी. अब युवा मुस्लिम लड़कियां दोनों में से किसे फॉलो करना चाहेंगी, किसे पढ़ना चाहेंगी या किसे आदर्श मानना चाहेंगी ये तो उनकी अपनी मर्जी हैं. 

मुस्कान हिजाब की बात करती रहीं और छोटे कपड़े पहनने पर ताना मारने वाले लोगों को निकहत ने गोल्ड मेडल के रूप में जवाब दे दिया

निकहत और मुस्कान ये दोनों लड़कियां मुस्लिम समुदाय से आती हैं. दोनों ने अपनी पहचान बनाई है लेकिन दोनों में जमीन आसमान का फासला है. निकहत वो हैं जिन्हें शॉर्ट्स और ट्रेनिंग शर्ट पहनने पर लोगों ने ताने कसे गए. रिश्तेदारों ने बेटी को स्पोर्ट्स में भेजने और छोटे कपड़े पहनने पर इनके पिता मोहम्मद जमील को खरी-खोटी सुनाई. पिता ने किसी की बात नहीं सुनी और बेटी को वही करने दिया जो वो करना चाहती थी. उन्होंने निकहत को किसी बात के लिए नहीं रोका-टोका और आज पूरा देश निकहत पर नाज...

इन दो तस्वीरों को देखिए जो अपनी कहानी खुद बयां कह रही हैं. एक में शॉर्ट्स पहने हुए निकहत जरीन ( Nikhat Zareen) हैं तो दूसरे में हिजाब गर्ल (Hijab Girl Muskan) नाम से अपनी पहचान कायम करने वाली मुस्कान...

सबसे पहले हम निकहत ही बात करते हैं. जिन्होंने हाल ही में वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का मान बढ़ाया है. निकहत के नाम का मतलब खुशबू होता है. जिसने 52 किलो ग्राम कैटेगरी में थाईलैंड की जिटपॉन्ग जुटामस को 5-0 से करारी शिकस्त देकर, अपने नाम की महक पूरी दुनिया में फैला दी है.

अब बात मुस्कान की, हमें नहीं लगता कि इनके बारे में अधिक बताने की जरूरत है. एक छोटे से वीडियो ने इन्हें शहर से लेकर गांव तक में फेमस कर दिया है. हिजाब पहनने के अधिकार की बात करने वाली मुस्कान ने घर-घर में अपनी पहचान बना ली है. मुस्कान को यह प्रसिद्धि पाने के लिए किसी मेहनत की जरूरत नहीं पड़ी. अब युवा मुस्लिम लड़कियां दोनों में से किसे फॉलो करना चाहेंगी, किसे पढ़ना चाहेंगी या किसे आदर्श मानना चाहेंगी ये तो उनकी अपनी मर्जी हैं. 

मुस्कान हिजाब की बात करती रहीं और छोटे कपड़े पहनने पर ताना मारने वाले लोगों को निकहत ने गोल्ड मेडल के रूप में जवाब दे दिया

निकहत और मुस्कान ये दोनों लड़कियां मुस्लिम समुदाय से आती हैं. दोनों ने अपनी पहचान बनाई है लेकिन दोनों में जमीन आसमान का फासला है. निकहत वो हैं जिन्हें शॉर्ट्स और ट्रेनिंग शर्ट पहनने पर लोगों ने ताने कसे गए. रिश्तेदारों ने बेटी को स्पोर्ट्स में भेजने और छोटे कपड़े पहनने पर इनके पिता मोहम्मद जमील को खरी-खोटी सुनाई. पिता ने किसी की बात नहीं सुनी और बेटी को वही करने दिया जो वो करना चाहती थी. उन्होंने निकहत को किसी बात के लिए नहीं रोका-टोका और आज पूरा देश निकहत पर नाज कर रहा है. आज निकहत ने ताना मारने वाले लोगों को गोल्ड मेडल के रूप में जवाब दे दिया है.

निकहत वो लड़की है जिसने अपनी बेड़ियां तोड़ी हैं. वह अपने लिए लड़ी है. उसने मंजिल तक पहुंचने के लिए अपने रास्ते खुद बनाए हैं. वह हर लड़की के लिए मिसाल बनी हैं. वह मुस्लिम लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है. उसने अपना नाम, अपना वजूद कायम किया है. उसने दुनिया में अपनी पहचान बनाई है. निकहत को यह प्रसिद्धि काफी मेहनत करने के बाद हांसिल हुई है. उसने दुनिया पंच मारकर अपने होने का एहसास करवाया है.

अब बात करते हैं मुस्कान की. जो लड़कियों के अधिकार के नाम पर हिजाब की आड़ में बुर्के की बात करती हैं. उनकी वीडियो में वे बुर्का पहनी हैं और हिजाब से सिर ढका हुआ है, चेहरे पर मास्क है. वे हाथ उपर उठाकर धार्मिक नारा लगाती हैं और यह वीडियो वायरल हो जाता है. लोग उन्हें अपनी बेटियों को उनकी तरह बनाना चाहते हैं.

दैनिक भास्क की रिपोर्ट में लिखा है कि माता-पिता छोटी-छोटी बच्चियों को बुर्का और हिजाब पहनाकर मुस्कान से मिलवाने उनके घर पहुंच रहे थे. मुस्लिम संगठन उन्हें ईनाम दे रहे थे. कई सारे गिफ्ट्स मुस्कान के लिए भेजे गए थे.

मुस्कान वो हैं जो मुस्लिम लड़कियों को सदियों पीछे ले जाना चाहती हैं. वो बच्चियों को पीछे की तरफ ढकेल रही हैं. जबकि निकहत ने दायरे तोड़कर अपना वजूद कायम किया है. वो लड़कियों को आगे ले जाना चाहती हैं जबकि मुस्कान लड़कियों कैद में रहने वाली आजादी की बात करती हैं.

कुछ घरों में लड़कियों की कंडीशनिंग ऐसे ही की जाती है कि वे घर से बाहर कदम नहीं रख पाती हैं. वे जल्दी किसी बात के लिए पति को मना नहीं कर पातीं. वे पति के लिए सजती-संवरती हैं लेकिन कैद होकर. कुछ घरों में तो दिन के समय लड़कियों के छत जाने पर भी मनाही होती है. 

ऐसे लड़कियों के निकाह से पहले पिता और निकाह के बाद उनके शौहर उनके मालिक और पहचान होते हैं. वे उन्हीं के नाम से पुकारी जाती हैं. वे ना तो बाहर निकल पाती हैं और ना ही दुनियां में अपनी पहचान बना पाती हैं.

ऐसे माहौल से निकलकर निकहत ने दुनिया को मु्क्का मारा है. उसने चीखते हुए लड़कियों से कहा है कि उठो और अपनी जगह बनाओ. निकहत लड़कियों से कह रही है कि अपनी आजादी के लिए लड़ो, तुम्हें किसी सहारे की जरूरत नहीं, तुम लाचार नहीं हो, तुम्हें किसी सहारे की जरूरत नहीं है. तुम अपना फैसला ले सकती हो. तुम अकेले दुनिया घूम सकती हो और जो चाहो कर सकती हो.

सोचिए जब हिजाब पहने हुए मुस्कान की तस्वीरें घरों में आई होंगी तब क्या मुस्लिम लड़कियों पर हिजाब पहनने का दबाव नहीं बना होगा. मुस्कान कहती हैं कि हिजाब हर मुसलमान लड़की की पाकीजगी है. अब भला कोई लड़की इसे पहनने से कैसे मना कर सकती हैं. मुस्कान को लोगों ने एक मसीहा की तरह पेश कर दिया जिसका खामियाजा उन लड़कियों ने भुगता तो जैसे-तैसे बिना हिजाब घरों से निकल रही थीं. मुस्कान कहती हैं कि हिजाब हमारा गर्व है, हमारा विश्वास है और हमारी पहचान है.

जबकि निकहत आज किसी पहचान की मुहताज नहीं हैं. वे लोग जो मुस्कान के स्टेटस लगाए आज वे ही निकहत पर गर्व कर रहे हैं. अब हम किसे चुनते हैं यह हमारे ऊपर निर्भर करता है. हम मुस्कान को आदर्श मानते हैं या निकहत को यह भी हमारी मर्जी है, क्योंकि हम जो बाएंगे वही तो काटेंगे...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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