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ब्लैक फंगस से बचने के लिए एम्स डॉक्टर ने बताए 3 उपाय!

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 23 मई, 2021 05:25 PM
  • 23 मई, 2021 05:25 PM
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कोरोना के कहर से पहले ही लोग जूझ रहे हैं ऊपर से कभी ब्लैक फंगस तो कभी व्हाइट फंगस लोग करें तो क्या करें, एक बीमारी से निपटने की कोशिश कर रहे हैं तब तक दूसरी महामारी उन्हें सताने लग रही है.

कोरोना (coronavirus) के कहर से पहले ही लोग जूझ रहे हैं ऊपर से कभी ब्लैक फंगस (Black fungus or Mucormycosis) तो कभी व्हाइट फंगस (white fungus). लोग करें तो क्या करें, एक बीमारी से निपटने की कोशिश कर रहे हैं तब तक दूसरी महामारी उन्हें सताने लग रही है. इसी बीच अफवाहों की भी कमी नहीं है. असल में यह समय ऐसा है कि लोग जो भी सुन रहे हैं ठीक होने के लिए वही उपाय अपनाने लग रहे हैं. जिससे उनको फायदा हो या ना हो, नुकसान जरूर हो रहा है.

हालांकि हेल्थ एक्सपर्ट ब्लैक फंगस के बारे में लोगों जागरूक (what is black fungus) करने का काम कर रहे हैं. दरअसल, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया और मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन ने ब्लैक फंगस पर विस्तार से जानकारी दी.

ब्लैक फंगस से बचने के लिए शुगर लेवल पर कंट्रोल है बेहद जरूरी

1- ब्लैक फंगस से बचने के लिए डॉ. रणदीप गुलेरिया ने तीन महत्वपूर्ण बातें समझाई हैं. जिसमें स्टेरॉयड के ज्यादा इस्तेमाल न करने की बात भी शामिल है. आप इस बात का जरूर ध्यान रखें कि स्टेरॉयड कब और कितनी खुराक देनी है. वहीं ब्लड शुगर का लेवल कंट्रोल रखना है. इसके लिए जो मरीज स्टेरॉयड पर हैं वे रोजाना अपना शुगर लेवल चेक करना न भूलें.

2- झूठे दावों से दूरी बनाकर चलिए, आज कल सोशल मीडिया पर तमाम फेक हकीम मौजूद हैं. जो नहीं हैं वो भी खुद को डॉक्टर ही समझने लगे हैं. इस बारे में डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि ब्लैक फंगस को लेकर कई की अफवाह फैलाई जा रही हैं. जिनमें बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है. कई लोग बोल रहे हैं कि कच्चा खाना खाने से और ऑक्सीजन के इस्तेमाल से ब्लैक फंगस हो रहा है. जबकि ये महज अफवाह है और कुछ नहीं. ऐसी खबरों की पुष्टि के लिए कोई...

कोरोना (coronavirus) के कहर से पहले ही लोग जूझ रहे हैं ऊपर से कभी ब्लैक फंगस (Black fungus or Mucormycosis) तो कभी व्हाइट फंगस (white fungus). लोग करें तो क्या करें, एक बीमारी से निपटने की कोशिश कर रहे हैं तब तक दूसरी महामारी उन्हें सताने लग रही है. इसी बीच अफवाहों की भी कमी नहीं है. असल में यह समय ऐसा है कि लोग जो भी सुन रहे हैं ठीक होने के लिए वही उपाय अपनाने लग रहे हैं. जिससे उनको फायदा हो या ना हो, नुकसान जरूर हो रहा है.

हालांकि हेल्थ एक्सपर्ट ब्लैक फंगस के बारे में लोगों जागरूक (what is black fungus) करने का काम कर रहे हैं. दरअसल, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया और मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन ने ब्लैक फंगस पर विस्तार से जानकारी दी.

ब्लैक फंगस से बचने के लिए शुगर लेवल पर कंट्रोल है बेहद जरूरी

1- ब्लैक फंगस से बचने के लिए डॉ. रणदीप गुलेरिया ने तीन महत्वपूर्ण बातें समझाई हैं. जिसमें स्टेरॉयड के ज्यादा इस्तेमाल न करने की बात भी शामिल है. आप इस बात का जरूर ध्यान रखें कि स्टेरॉयड कब और कितनी खुराक देनी है. वहीं ब्लड शुगर का लेवल कंट्रोल रखना है. इसके लिए जो मरीज स्टेरॉयड पर हैं वे रोजाना अपना शुगर लेवल चेक करना न भूलें.

2- झूठे दावों से दूरी बनाकर चलिए, आज कल सोशल मीडिया पर तमाम फेक हकीम मौजूद हैं. जो नहीं हैं वो भी खुद को डॉक्टर ही समझने लगे हैं. इस बारे में डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि ब्लैक फंगस को लेकर कई की अफवाह फैलाई जा रही हैं. जिनमें बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है. कई लोग बोल रहे हैं कि कच्चा खाना खाने से और ऑक्सीजन के इस्तेमाल से ब्लैक फंगस हो रहा है. जबकि ये महज अफवाह है और कुछ नहीं. ऐसी खबरों की पुष्टि के लिए कोई आंकड़ा नहीं है. ब्लैक फंगस तो होम आइसोलेशन में रहने वालों को भी हो रहा है. इसलिए इन दावों पर ध्यान न दें क्योंकि इसमें कोई सच्चाई नहीं है. 

3- एक्सपर्ट का मानना है कि ब्लैक फंगस के लक्षणों को जल्दी पहचान कर इस बीमारी को मात दिया जा सकता है. इसके लक्षणों के बारे में मेदांता के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन का कहना है कि, म्यूकरमाइकोसिस में सबसे पहले दर्द, नाक में भारीपन, गालों पर सूजन, मुंह के अंदर फंगस का पैच और पलकों में सूजन आता है. जिसके लिए सख्त मेडिकल इलाज की जरूरत होती है. डॉ. नरेश त्रेहन ने यह भी कहा कि ब्लैक फंगस को कंट्रोल करने की कुंजी स्टेरॉयड का सावधानी से इस्तेमाल करना है. इसके साथ ही ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखना भी बेहद जरूरी है.

ब्लैक फंगस से बचने के लिए एक्सपर्ट ने जो बताया है उसका पालन करें. लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज कराएं ना कि लोगों की सुनी सुनाई बातों पर यकीन कर बीमारी को और बढ़ाएं. ध्यान रहे इस समय अफवाहों पर यकीन ना करें, सोशल मीडिया पर बताई गई बातों के झांसे में आकर अपनी जान खतरे में न डालें. 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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