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रंजीत डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है

    • सुजीत कुमार झा
    • Updated: 28 अक्टूबर, 2016 06:28 PM
  • 28 अक्टूबर, 2016 06:28 PM
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अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह रंजीत डॉन ने 200 करोड़ की एक बिजनेस डील के बहाने दिल्ली के दो बिजनेस मैन भाइयों को फ्लाइट टिकट भिजवाकर बिहार बुलवाया और उनका अपहरण किया.

डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है..यह डायलॉग भले ही अमिताभ बच्चन ने अपनी फिल्म डॉन में कहा था, लेकिन यह कहावत अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह रंजीत मंडल उर्फ रंजीत डॉन के साथ चरितार्थ होती दिख रही है. 

बिहार के लखीसराय जिले के एक छोटे से गांव बोधनगर में पैदा हुआ रंजीत मंडल देखते-देखते अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया. एक समय में गरीबी और मुफलिसी की जिंदगी जीने को विवश बोधनगर गांव के शिवदानी मंडल का बेटा रंजीत मंडल देखते-देखते करोड़पति बन गया और कहलाने लगा रंजीत डॉन. आज उसके पास बंगला है, गाड़ी है और न जाने कितने करोड़ का मालिक है. बड़े-बड़े व्यवसायियों को झांसे में लेकर व्यापार करने का प्रलोभन देकर बुलाना और फिर उसका फिरौती के लिए अपहरण कर लेना ही रंजीत डॉन का मुख्य रोजगार है. आज रंजीत डॉन अंतर्राज्यीय अपहरण गिरोह का सरगना बन बैठा है. रंजीत डॉन का कारोबार न सिर्फ बिहार बल्कि पड़ोसी राज्य झारखंड के साथ-साथ बंगाल और यूपी में भी फल-फूल रहा है. दिल्ली के कारोबारी के दो बेटों के अपहरण के मामले में वो फिर सुर्खियों में है.

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 मोस्ट वॉन्टेड रंजीत डॉन और इनसेट में पीड़ित बिजनेसमैन भाई

आज से करीब चार साल पहले रंजीत मंडल उर्फ रंजीत डॉन सुर्खियों में उस वक्त आया था जब उसने साल 2012 में हरियाणा के सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से सांसद जगवीर सिंह मल्लिक के रिश्तेदार अजय सिरोहा को अगवा...

डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है..यह डायलॉग भले ही अमिताभ बच्चन ने अपनी फिल्म डॉन में कहा था, लेकिन यह कहावत अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह रंजीत मंडल उर्फ रंजीत डॉन के साथ चरितार्थ होती दिख रही है. 

बिहार के लखीसराय जिले के एक छोटे से गांव बोधनगर में पैदा हुआ रंजीत मंडल देखते-देखते अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया. एक समय में गरीबी और मुफलिसी की जिंदगी जीने को विवश बोधनगर गांव के शिवदानी मंडल का बेटा रंजीत मंडल देखते-देखते करोड़पति बन गया और कहलाने लगा रंजीत डॉन. आज उसके पास बंगला है, गाड़ी है और न जाने कितने करोड़ का मालिक है. बड़े-बड़े व्यवसायियों को झांसे में लेकर व्यापार करने का प्रलोभन देकर बुलाना और फिर उसका फिरौती के लिए अपहरण कर लेना ही रंजीत डॉन का मुख्य रोजगार है. आज रंजीत डॉन अंतर्राज्यीय अपहरण गिरोह का सरगना बन बैठा है. रंजीत डॉन का कारोबार न सिर्फ बिहार बल्कि पड़ोसी राज्य झारखंड के साथ-साथ बंगाल और यूपी में भी फल-फूल रहा है. दिल्ली के कारोबारी के दो बेटों के अपहरण के मामले में वो फिर सुर्खियों में है.

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 मोस्ट वॉन्टेड रंजीत डॉन और इनसेट में पीड़ित बिजनेसमैन भाई

आज से करीब चार साल पहले रंजीत मंडल उर्फ रंजीत डॉन सुर्खियों में उस वक्त आया था जब उसने साल 2012 में हरियाणा के सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से सांसद जगवीर सिंह मल्लिक के रिश्तेदार अजय सिरोहा को अगवा कर लिया था. चूंकि मामला हाईप्रोफाइल था इसलिए राज्य सरकार ने इस घटना को चुनौती के रुप में लेते हुए काफी मशक्कत के बाद अपहृत व्यक्ति को पीरीबाजार के बरियारपुर के कोड़ासी जंगल से बरामद कर लिया. पुलिस ने इस मामले में रंजीत मंडल गिरोह के ग्यारह लोगों को गिरफ्तार किया था, लेकिन रंजीत मंडल उस वक्त भागने में सफल रहा था. अपहरण की इस घटना में रंजीत मंडल उर्फ रंजीत डॉन ने बतौर फिरौती पांच करोड़ रुपये की मांग की थी.

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रंजीत डॉन का ससुराल मुंगेर जिले के बरियारपुर प्रखंड के पीरीबाजार में है और यही इलाका उसके अपहर्ताओं का छुपाने की जगह है. ये पूरा इलाका नक्सल प्रभावित है और रंजीत डॉन अपने अपहरण उद्योग के धंधे में नक्सलियों को भी साथ रखता है और उसकी मदद भी लेता है. चार साल बाद रंजीत डॉन एक बार फिर चर्चा में है. दिल्ली के मार्बल व्यवसायी बाबूलाल शर्मा के दो पुत्र कपिल शर्मा और सुरेश शर्मा को भी बिहार में मार्बल का बड़ी ठीकेदारी दिलाने का प्रलोभन देकर बुलाया और फिर उसका अपहरण कर लिया. रंजीत डॉन सितंबर महीने में गोपाल गोयल बनकर इन दोनों भाइयों से मुलाकात की थी. घटना के 15 दिन पहले फिर दोनों से मुलाकात रंजीत डॉन की हुई थी और बिहार बुलाने का कार्यक्रम तय कर दिया था. फिर दोनों के पटना पहुंचते ही 21 अक्टूबर को एयरपोर्ट से ही अगवा कर लिया गया. पटना पुलिस ने 26 अक्टूबर को कारोबारी के बेटों को बरामद कर लिया रंजीत डॉन के कई गुर्गे भी गिरफ्तार हुए लेकिन रंजीत डॉन फिर फरार होने में सफल हो गया.

पुलिस की सक्रियता के कारण कपिल शर्मा और सुरेश शर्मा को सकुशल बरामद तो कर लिया गया लेकिन इन चार दिनों में इन दोनों व्यवसायी बंधु ने जो यातनाएं झेली उससे वो बेहद ही आहत है. कपिल और सुरेश की बरामदगी के वक्त जो हालत उनकी दिखाई दे रही थी, उनके चेहरे पर जो खौफ था उसे बयां करना आसान नहीं. इन दोनों की बातों पर यकीन करें तो इन दोनों भाइयों के साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जाता था. दोनों भाई अपनी चार दिन की कहानी कहते–कहते रो देते. व्यवसायी भाइयों के अनुसार उन्हें बेहोश करने के बाद घसीटते हुए एक ठिकाने से दूसरे ठिकाने तक ले जाया जाता था. 24 घंटे में केवल दो गिलास सुबह और शाम पीने के लिए पानी दिया जाता था. दोपहर के वक्त खाने के लिए चूड़ा देते थे. यहां तक कि इन दोनों को शौच के लिए भी जाने नहीं दिया जाता था. मौत को आंखों से करीब तब देखा, जब कनपटी पर पिस्टल सटाकर जान से मारने की धमकी दी जाती थी. जिंदा लौटने की उम्मीद खत्म हो चुकी थी. बरामदगी के बाद दोनों भाइयों ने एक ही बात कही- ‘अब कुछ भी हो जाए, हम बिहार नहीं आएंगे.’

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अंतर्राज्यीय अपहरण गिरोह का सरगना रंजीत डॉन पर पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. अपराध की दुनिया से काली कमाई इकट्ठा करने वाला रंजीत डॉन की संपत्ति की जांच अब ईडी करेगी. रंजीत डॉन के आपराधिक इतिहास के साथ उसकी अवैध कमाई से अर्जित की गयी संपत्ति को जब्त करने का प्रस्ताव पुलिस महानिरीक्षक आर्थिक अपराध इकाई बिहार पटना को भेजा जा चुका है. रंजीत डॉन ने अपहरण उद्योग के जरिए काफी संपत्ति अर्जित की है. पुलिस रिपोर्ट के अनुसार अपराधी रंजीत मंडल के आय का कोई दूसरा स्त्रोत नहीं है. अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी पंकज कुमार ने बताया कि अपराधी रंजीत मंडल के खिलाफ प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत अपराध से अर्जित संपत्ति को जब्त करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय से अनुरोध करने के लिए आर्थिक अपराध इकाई बिहार पटना को अनुशंसा की गई है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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