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सफल शादी के लिए कुंडली से ज्यादा जरूरी है विचारधारा का मिलान !

    • रिम्मी कुमारी
    • Updated: 02 मई, 2017 03:10 PM
  • 02 मई, 2017 03:10 PM
offline
जब राजनीतिक बहस से देश में असहिष्‍णुता बढ़ने का खतरा हो तो घर में ऐसी कलह कौन चाहेगा ? शादी के लिए रिश्‍ता तलाश करने में क्‍या समान राजनीतिक विचारधारा का होना शर्त हो सकती है ?

शादी के लिए विज्ञापन तो आपने बहुत देखे होंगे. अमूमन शादी के हर विज्ञापन में लड़के या लड़की की पढ़ाई, चेहरा-मोहरा, जाति, उम्र, खान-पान तक का जिक्र भी हम पढ़ते हैं. लेकिन आइए हम आपको एक ऐसे मेट्रोमेनियल विज्ञापन के बारे में बताते हैं जो अपने आप में अनोखा है.

'एमए पास लड़की के लिए वामपंथी वर चाहिए'.

जी हां, सही पढ़ा आपने. लड़की के भाई ने विज्ञापन में लिखा है- 'सुंदर, सुशील, पढ़ी-लिखी मेरी बहन के लिए वामपंथी वर चाहिए. क्योंकि वामपंथी लोग खुले विचारों वाले होते हैं और उनकी विचारधारा संकीर्ण नहीं होती है. जीवन के हर क्षेत्र में उनकी दिलचस्पी होती है. वे कुछ बड़ा करने का सोचते हैं. हमारे घर का वातावरण भी कुछ ऐसा ही है. हमें अपनी बहन के लिए ऐसा लड़का चाहिए जो खुद को वामपंथी बताने में गर्व महसूस करता हो!'

कुंडली नहीं विचारधारा मिलाएं

हालांकि कई लोग इस विज्ञापन को फर्जी बता रहे हैं. साथ ही बंगाल के वामपंथी लोग इसे बंगाल में वामपंथ की गहरी जड़ का हवाला दे रहे हैं. खैर. वाद-विवाद, सच-झूठ की बहस से इतर ये एक प्रोग्रेसिव स्टेप है. शादी दो लोगों का नहीं, दो घरों, दो स्वतंत्र विचारों का मिलन भी होता है. लड़का या लड़की दोनों की ही अपनी-अपनी एक सोच, एक नजरिया, एक विचारधारा होती है, जो उनके जीवन को स्वरुप देता है.

अब जाहिर है अगर दो लोगों के बीच शादी हो रही है तो सोच का मिलना जरूरी है. क्योंकि अक्सर हम देखते हैं कि घर में विपरीत विचारों वाले लोगों के बीच मामूली सी बात भी बहस का रूप ले लेती है. यहां तक की टीवी पर सीरियल कौन सा देखा जाएगा ये भी कलह का कारण बन जाता है. और तो और कई बार तो बात इतनी बिगड़ जाती है कि शादी टूटने तक की नौबत आ जाती है.

कुंडली मिलाने से पहले अगर लोगों की विचारधारा का मिलान...

शादी के लिए विज्ञापन तो आपने बहुत देखे होंगे. अमूमन शादी के हर विज्ञापन में लड़के या लड़की की पढ़ाई, चेहरा-मोहरा, जाति, उम्र, खान-पान तक का जिक्र भी हम पढ़ते हैं. लेकिन आइए हम आपको एक ऐसे मेट्रोमेनियल विज्ञापन के बारे में बताते हैं जो अपने आप में अनोखा है.

'एमए पास लड़की के लिए वामपंथी वर चाहिए'.

जी हां, सही पढ़ा आपने. लड़की के भाई ने विज्ञापन में लिखा है- 'सुंदर, सुशील, पढ़ी-लिखी मेरी बहन के लिए वामपंथी वर चाहिए. क्योंकि वामपंथी लोग खुले विचारों वाले होते हैं और उनकी विचारधारा संकीर्ण नहीं होती है. जीवन के हर क्षेत्र में उनकी दिलचस्पी होती है. वे कुछ बड़ा करने का सोचते हैं. हमारे घर का वातावरण भी कुछ ऐसा ही है. हमें अपनी बहन के लिए ऐसा लड़का चाहिए जो खुद को वामपंथी बताने में गर्व महसूस करता हो!'

कुंडली नहीं विचारधारा मिलाएं

हालांकि कई लोग इस विज्ञापन को फर्जी बता रहे हैं. साथ ही बंगाल के वामपंथी लोग इसे बंगाल में वामपंथ की गहरी जड़ का हवाला दे रहे हैं. खैर. वाद-विवाद, सच-झूठ की बहस से इतर ये एक प्रोग्रेसिव स्टेप है. शादी दो लोगों का नहीं, दो घरों, दो स्वतंत्र विचारों का मिलन भी होता है. लड़का या लड़की दोनों की ही अपनी-अपनी एक सोच, एक नजरिया, एक विचारधारा होती है, जो उनके जीवन को स्वरुप देता है.

अब जाहिर है अगर दो लोगों के बीच शादी हो रही है तो सोच का मिलना जरूरी है. क्योंकि अक्सर हम देखते हैं कि घर में विपरीत विचारों वाले लोगों के बीच मामूली सी बात भी बहस का रूप ले लेती है. यहां तक की टीवी पर सीरियल कौन सा देखा जाएगा ये भी कलह का कारण बन जाता है. और तो और कई बार तो बात इतनी बिगड़ जाती है कि शादी टूटने तक की नौबत आ जाती है.

कुंडली मिलाने से पहले अगर लोगों की विचारधारा का मिलान किया जाए तो कई घरों में लड़ाई-झगड़ों की जड़ ही खत्म हो जाएगी. बंगाल को उसकी विचारधारा से इतर कई मामलों में प्रगतिशील राज्य माना जा सकता है. चाहे मेट्रो की बात हो या फिर फुटबॉल और क्रिकेट की दिवानगी, साहित्य की बात हो या फिर सिनेमा की, हर क्षेत्र में बंगाल फ्लैग-बियरर राज्य है.

कुंडली मिलाने की जगह आगे से विचारधारा मिलाकर देखें, क्या पता घर, जन्नत बन जाए!

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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