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पाकिस्‍तान में गांधी जी की मूर्ति देख लीजिए, AMU वाले जिन्ना पर बहस बंद हो जाएगी

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 02 मई, 2018 05:33 PM
  • 02 मई, 2018 05:33 PM
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर को पूरे सम्मान के साथ रखा गया है. सवाल ये है कि आखिर उन भारतीय महापुरुषों की तस्वीर और प्रतिमाओं का क्या हुआ जो पाकिस्तान में थीं. आखिर पाकिस्तान ने उनके साथ क्या किया?

अलीगढ़ यूनिवर्सिटी पर इन दिनों संकट के बादल गहराए हैं. शायद ही कोई ऐसा दिन बीतता है जब कैम्पस में किसी न किसी बात को लेकर विवाद हो जाता है. ताजा मामला जिन्ना की तस्वीर का है. एएमयू में लगी पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर से विवाद उत्पन्न हो गया है. बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने एएमयू के वाइस चांसलर तारिक मंसूर को पत्र लिखकर इसका कारण पूछा है.

वीसी को लिखे अपने पत्र में भाजपा संसद ने तारिक मंसूर से जवाब तलब किया है कि ऐसी क्या वजह थी कि जिसके चलते मुल्क का बंटवारा करवाने वाले की तस्वीर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में लगाई गई है. वीसी को लिखी अपनी चिट्ठी में सतीश गौतम ने इस बात को स्वीकारा है कि उन्हें ये नहीं पता कि ये तस्वीर यूनिवर्सिटी के किस हिस्से में है. मगर बड़ा सवाल ये है कि आखिर इस तस्वीर को देश के एक प्रतिष्ठित संस्थान में किस आधार पर लगाया गया है.

भाजपा सांसद ने प्रश्न उठाया है कि एएमयू में जिन्ना की तस्वीर को किस आधार पर रखा गया है

भाजपा सांसद की इस चिट्ठी का जवाब एएमयू छात्र संघ के अध्यक्ष ने दिया है. एएमयूएसयू अध्यक्ष के अनुसार, ये तस्वीर यूनिवर्सिटी में आजादी से पहले यानी 1938 में लगाई गई थी. उन्होंने कहा कि जिन्ना पर कोई भी चैप्टर यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ाया जा रहा है. इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा कि अगर सरकार जिन्ना की तस्वीर हटाने का आदेश देती है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. वहीं इस मामले पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जनसंपर्क अधिकारी ने अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा है कि विश्वविद्यालय का छात्रसंघ एक स्वतंत्र संस्था है. जिसने 1920 में आजीवन सदस्यता दिए जाने की शुरूआत की थी. उन्होंने बताया कि तभी महात्मा गांधी और जिन्ना को सदस्यता मिली थी और वो तस्वीर वहां लगाई गई थी.

बात चूंकि...

अलीगढ़ यूनिवर्सिटी पर इन दिनों संकट के बादल गहराए हैं. शायद ही कोई ऐसा दिन बीतता है जब कैम्पस में किसी न किसी बात को लेकर विवाद हो जाता है. ताजा मामला जिन्ना की तस्वीर का है. एएमयू में लगी पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर से विवाद उत्पन्न हो गया है. बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने एएमयू के वाइस चांसलर तारिक मंसूर को पत्र लिखकर इसका कारण पूछा है.

वीसी को लिखे अपने पत्र में भाजपा संसद ने तारिक मंसूर से जवाब तलब किया है कि ऐसी क्या वजह थी कि जिसके चलते मुल्क का बंटवारा करवाने वाले की तस्वीर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में लगाई गई है. वीसी को लिखी अपनी चिट्ठी में सतीश गौतम ने इस बात को स्वीकारा है कि उन्हें ये नहीं पता कि ये तस्वीर यूनिवर्सिटी के किस हिस्से में है. मगर बड़ा सवाल ये है कि आखिर इस तस्वीर को देश के एक प्रतिष्ठित संस्थान में किस आधार पर लगाया गया है.

भाजपा सांसद ने प्रश्न उठाया है कि एएमयू में जिन्ना की तस्वीर को किस आधार पर रखा गया है

भाजपा सांसद की इस चिट्ठी का जवाब एएमयू छात्र संघ के अध्यक्ष ने दिया है. एएमयूएसयू अध्यक्ष के अनुसार, ये तस्वीर यूनिवर्सिटी में आजादी से पहले यानी 1938 में लगाई गई थी. उन्होंने कहा कि जिन्ना पर कोई भी चैप्टर यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ाया जा रहा है. इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा कि अगर सरकार जिन्ना की तस्वीर हटाने का आदेश देती है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. वहीं इस मामले पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जनसंपर्क अधिकारी ने अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा है कि विश्वविद्यालय का छात्रसंघ एक स्वतंत्र संस्था है. जिसने 1920 में आजीवन सदस्यता दिए जाने की शुरूआत की थी. उन्होंने बताया कि तभी महात्मा गांधी और जिन्ना को सदस्यता मिली थी और वो तस्वीर वहां लगाई गई थी.

बात चूंकि एक केंद्रीय विश्व विद्यालय में पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना की तस्वीर की हो रही है. तो आइये एक नजर डालें उन प्रतिमाओं और तस्वीरों पर जो आजादी के समय पाकिस्तान में थीं और जानें कि आज पाकिस्तान ने उन प्रतिमाओं और तस्वीरों का क्या हश्र किया. इस जानकारी के लिए हमनें पाकिस्तान की मशहूर वेबसाइट डॉन का रुख किया और जो जानकारियां निकल कर सामने आईं वो हैरत में डालने वाली थीं.

तो आइये देर किस बात की आइये जानें उन तस्वीरों और मूर्तियों के बारे में जो पाकिस्तान में थीं और आज उनकी हालत कैसी है :

लाला लाजपत राय

बात जब गुलामी की जंजीरों में जकड़ी भारत माता को आजादी दिलाने की हो तो ऐसे में लाला लाजपत राय के योगदान को नहीं भूला जा सकता. साइमन कमीशन का विरोध करते हुए लाला लाजपत राय पर लाठियां बरसाई गयी थीं जिसके चलते 17 नवम्बर 1928 को उनकी मौत हो गई थी. पाकिस्तान स्थित लाहौर में लाला लाजपत राय की मूर्ति किम गन के बगल में हुआ करती थी जिसे 1947 में नष्ट कर दिया गया. फिल्हाल वर्तमान में नष्ट हुई लाला लाजपत राय की ये मूर्ति लाहौर संग्रहालय के वेयर हाउस में दोबारा लगने के इन्तेजार में धूल फांक रही है.

 

पाकिस्तान में आज भी लाला लाजपत राय की मूर्ति लाहौर के एक वेयर हाउस में पड़ी है.

श्री गंगा राम

आपने भले ही गंगा राम का नाम ज्यादा न सुना हो. मगर श्री गंगा राम हॉस्पिटल का नाम अवश्य सुना होगा. ये हॉस्पिटल इन्हीं के नाम पर बना है. एक परोपकारी इंजीनियर के रूप में मशहूर गंगा राम ने लाहौर की कई खूबसूरत इमारतों का निर्माण किया था. इनकी भी प्रतिमा लाला लाजपत राय की तरह लाहौर के मॉल पर लगी थी जिसे आम विद्रोही पाकिस्तानी आवाम द्वारा नष्ट कर दिया गया. आज पाकिस्तान में श्री गंगा राम की मूर्ति का भी हाल कुछ-कुछ लाला लाजपत राय की मूर्ति से मिलता जुलता है. इनकी मूर्ति कैसे तोड़ी  गई इसका जिक्र पाकिस्तान के मशहूर कहानीकार सआदत हसन मंटो ने अपनी कई कहानियों में किया है.

दयाल सिंह

पेशे से बैंकर दयाल सिंह जिनके नाम पर लाहौर में एक कॉलेज का निर्माण किया गया उनकी भी मूर्ति पाकिस्तानी आवाम द्वारा तोड़ दी गई. वर्तमान में दयाल सिंह की भी मूर्ति को संरक्षण के नाम पर लाहौर में कहीं रखा गया है.

पाकिस्तान में लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा को तोड़ने के एक नहीं बल्कि कई बार प्रयास हुए

महात्मा गांधी

महात्मा गांधी की मूर्ति को कराची स्थित सिंध हाई कोर्ट में लगाया गया था. इसे भी लोगों ने नष्ट कर दिया और नष्ट हुई मूर्ति को इंडियन हाई कमीशन के हवाले कर दिया गया, जिसने इस मूर्ति का पुनर्निर्माण कराया. इस मूर्ति को 1931 में कराची में लगाया गया था जिसे 1950 में हुए दंगों के अंतर्गत नष्ट किया गया था. 1981 के पहले तक इस मूर्ति को कई बार लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ा. वर्तमान में ये मूर्ति इस्लामाबाद स्थित इंडियन हाई कमीशन में लगी हुई है.

पाकिस्तान में जैसा हमारे महापुरुषों की मूर्तियों के साथ किया गया उसको देखने के बाद ये कहना गलत नहीं है कि अगर अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर लगी है तो उसे सरकार का आदेश आने से पहले ही हटा देना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि ताली कभी एक साथ से नहीं बजती और पाकिस्तान इस इज्जत का हकदार बिल्कुल नहीं है. बात बहुत साफ है जिन महापुरुषों की मूर्तियां पाकिस्तान ने खंडित कीं उन्होंने केवल भारतीयों के लिए काम नहीं किया. अगर आज पाकिस्तान आजाद है तो उसे इन महापुरुषों का भी एहसान मानना और उसे हरगिज नहीं भूलना चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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