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अब KFC और मैकडॉनल्ड्स की खबर लेंगे बाबा रामदेव...

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 06 मई, 2017 01:24 PM
  • 06 मई, 2017 01:24 PM
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आखिर कौन बर्गर KFC का एक्स्ट्रा क्रिस्पी (Extra crispy) बर्गर खाना चाहेगा जब उनके पास पतंजलि का कम फैट वाला वेज बर्गर हो? अब क्या होगा KFC जैसे फूड ज्वाइंट्स का?

बाबा रामदेव अब आपको और ज्यादा सेहतमंद बनाने के लिए अपने कदम उठा चुके हैं. अब आखिर कौन बर्गर KFC का एक्स्ट्रा क्रिस्पी (Extra crispy) बर्गर खाना चाहेगा जब उनके पास पतंजलि का कम फैट वाला वेज बर्गर हो? वो बर्गर जो शायद आपकी आंतें खराब ना करे. या फिर शायद ऐसे ही कोई चमत्कारी गुण लिए आएगा बाबा रामदेव का बर्गर!

बाबा रामदेव का फास्ट फूड रेस्टोरेंट अगले साल से पहले नहीं खुल पाएगाऐसा इसलिए होगा क्योंकि बाबा रामदेव अब फास्टफूड इंडस्ट्री में अपने पैर जमाने के बारे में सोच रहे हैं. बाबा का कहना है कि शाकाहारी खाने से ज्यादा बेहतर, स्वादिष्ट और सेहतमंद कुछ नहीं होता है. हम लोगों को कई सारे विकल्प देंगे और वो सभी मल्टीनेशनल जो मटन और चिकन दे रहे हैं हमसे टकराने पर मुश्किल में पड़ जाएंगे.

बाबाजी का कहना है कि वो साउथ इंडिया और नॉर्थ इंडिया को बीच में कोई भेदभाव नहीं करना चाहते इसलिए मेनु भी एक ही रखेंगे. भई वाह! मतलब अब पतंजलि बर्गर ही सबका फेवरेट बनाने की कोशिश में हैं रामदेव जी. हालांकि, मैं अभी भी सोच रही हूं कि उसका विज्ञापन कैसा होगा और किस तरह से विदेशी कंपनियों के बर्गर को नीचा दिखाएंगे.

पर 71% भारतीय हैं नॉन-वेज...

पतंजलि के मेनु में तो सब कुछ शाकाहारी होगा, लेकिन सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS)बेसलाइन द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार भारत में 71% लोग नॉन-वेज खाते हैं. इसमें सबसे ज्यादा तेलांगना में है जहां 98.8% लोग अपने आहार में मीट, मछली आदि रखते हैं. हालांकि, अगर हम अपने आस-पास देखें तो ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो नॉनवेजिटेरियन होने के बाद भी हफ्ते में सिर्फ एक या दो दिन ही इसका सेवन करते हैं. तो बाबा रामदेव को इस फील्ड में फायदा तो हो ही सकता है.

इसमें कोई दो राय नहीं कि पतंजलि का बिजनेस बहुत अच्छा है. पिछले साल...

बाबा रामदेव अब आपको और ज्यादा सेहतमंद बनाने के लिए अपने कदम उठा चुके हैं. अब आखिर कौन बर्गर KFC का एक्स्ट्रा क्रिस्पी (Extra crispy) बर्गर खाना चाहेगा जब उनके पास पतंजलि का कम फैट वाला वेज बर्गर हो? वो बर्गर जो शायद आपकी आंतें खराब ना करे. या फिर शायद ऐसे ही कोई चमत्कारी गुण लिए आएगा बाबा रामदेव का बर्गर!

बाबा रामदेव का फास्ट फूड रेस्टोरेंट अगले साल से पहले नहीं खुल पाएगाऐसा इसलिए होगा क्योंकि बाबा रामदेव अब फास्टफूड इंडस्ट्री में अपने पैर जमाने के बारे में सोच रहे हैं. बाबा का कहना है कि शाकाहारी खाने से ज्यादा बेहतर, स्वादिष्ट और सेहतमंद कुछ नहीं होता है. हम लोगों को कई सारे विकल्प देंगे और वो सभी मल्टीनेशनल जो मटन और चिकन दे रहे हैं हमसे टकराने पर मुश्किल में पड़ जाएंगे.

बाबाजी का कहना है कि वो साउथ इंडिया और नॉर्थ इंडिया को बीच में कोई भेदभाव नहीं करना चाहते इसलिए मेनु भी एक ही रखेंगे. भई वाह! मतलब अब पतंजलि बर्गर ही सबका फेवरेट बनाने की कोशिश में हैं रामदेव जी. हालांकि, मैं अभी भी सोच रही हूं कि उसका विज्ञापन कैसा होगा और किस तरह से विदेशी कंपनियों के बर्गर को नीचा दिखाएंगे.

पर 71% भारतीय हैं नॉन-वेज...

पतंजलि के मेनु में तो सब कुछ शाकाहारी होगा, लेकिन सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS)बेसलाइन द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार भारत में 71% लोग नॉन-वेज खाते हैं. इसमें सबसे ज्यादा तेलांगना में है जहां 98.8% लोग अपने आहार में मीट, मछली आदि रखते हैं. हालांकि, अगर हम अपने आस-पास देखें तो ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो नॉनवेजिटेरियन होने के बाद भी हफ्ते में सिर्फ एक या दो दिन ही इसका सेवन करते हैं. तो बाबा रामदेव को इस फील्ड में फायदा तो हो ही सकता है.

इसमें कोई दो राय नहीं कि पतंजलि का बिजनेस बहुत अच्छा है. पिछले साल कंपनी ने 10561 करोड़ का बिजनेस किया था. पतंजलि एफएमसीजी प्रोडक्ट्स में तो एक बड़ा नाम है ही, गार्मेंट्स बिजनेस में अपना इंट्रेस्ट दिखाने के बाद अब फास्ट फूड सेक्टर में आना कोई बड़ी बात नहीं है. कंपनी के सीईओ आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि हम अभी कई तरह के प्रयोग कर रहे हैं. रेस्टोरेंट बिजनेस में आने से पहले हम अपने सभी विकल्प तलाश लेना चाहते हैं और साथ ही इस बिजनेस को समझ लेना चाहते हैं.

हालांकि, अभी बहुत से और बिजनेस बाकी हैं. अगर इसी स्पीड से चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब आप पतंजलि ऑर्गेनिक जीन्स पहने हुए पतंजलि एयरलाइन में सफर करते-करते पतंजलि शुद्ध गंगाजल मिनरल वॉटर पीते हुए पतंजलि मल्टीग्रेन बन से बना हुआ पतंजलि बर्गर खा रहे होंगे! ये सिर्फ कल्पना थी, लेकिन क्या भरोसा शायद ऐसा हो भी जाए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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