• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

बाबा रामदेव की सियासी गुगली अनुभूत योग है या कोई नया बिजनेस?

    • आईचौक
    • Updated: 19 फरवरी, 2017 02:53 PM
  • 19 फरवरी, 2017 02:53 PM
offline
जो बाबा कल तक राजनीति को उंगलियों पर नचाते दिखते, दिखाते या दावा करते रहे उनका ताजा बयान क्या उनकी किसी नई रणनीति की ओर इशारा करता है?

बाबा रामदेव का अनुभूत योग थोड़ा अलग है. इसमें उन्होंने राजनीति और बिजनेस को मिलाकर बढ़िया कॉकटेल बनाया - और मायावती की सोशल इंजीनियरिंग से भी कहीं ज्यादा कामयाब रहे. मायावती तो महज एक सूबे तक सिमटी रहीं, बाबा तो पूरे देश पर राज करने लगे हैं.

जो बाबा कल तक राजनीति को उंगलियों पर नचाते दिखते, दिखाते या दावा करते रहे उनका ताजा बयान क्या उनकी किसी नई रणनीति की ओर इशारा करता है?

विश्वामित्र हूं मैं...

ये बाबा रामदेव का ही जलवा रहा कि तब की यूपीए सरकार के सीनियर मंत्री उनकी अगवानी के लिए एयरपोर्ट पहुंचे थे, ये बात अलग है कि कुछ ही घंटों बाद बाबा को दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के चलते महिलाओं के कपड़े में भागना पड़ा था.

उसके बाद तो बाबा अपने मिशन पर निकल पड़े. उनके योग शिविरों पर चुनाव आयोग भी नजर रखने लगा, लेकिन वो जुटे रहे और कामयाब होकर रहे. बाद में खुद उन्होंने और मोदी सरकार के मंत्रियों ने भी सरेआम माना कि बीजेपी को दिल्ली पहुंचाने में बाबा रामदेव का बड़ा योगदान रहा. बाबुल सुप्रियो के लेख से तो पता चला कि टिकट दिलवाने में भी उनका कितना बड़ा रोल था.

विश्वामित्र और राजा !

एक टीवी इंटरव्यू में बाबा रामदेव ने अपनी ताकत की नजीर भी रखी, "अगर मैं चाहता तो प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बन सकता था लेकिन मैंने विश्वामित्र की तरह किसी और को राजा बनाने का रास्ता चुना."

राजा के राजकाज में प्रजा को जो खुशहाली मिली उसके अपने अपने अलग अनुभव हो सकते हैं. जाहिर है बाबा रामदेव के भी अलग अनुभव रहे होंगे.

क्या राजा से मोहभंग हो गया?

काले धन के मुद्दे पर विपक्ष '15 हजार-15 हजार' चिल्लाता रहा, लेकिन बाबा रामदेव मोदी सरकार के साथ खड़े रहे. नोटबंदी के मुद्दे पर भी बाबा...

बाबा रामदेव का अनुभूत योग थोड़ा अलग है. इसमें उन्होंने राजनीति और बिजनेस को मिलाकर बढ़िया कॉकटेल बनाया - और मायावती की सोशल इंजीनियरिंग से भी कहीं ज्यादा कामयाब रहे. मायावती तो महज एक सूबे तक सिमटी रहीं, बाबा तो पूरे देश पर राज करने लगे हैं.

जो बाबा कल तक राजनीति को उंगलियों पर नचाते दिखते, दिखाते या दावा करते रहे उनका ताजा बयान क्या उनकी किसी नई रणनीति की ओर इशारा करता है?

विश्वामित्र हूं मैं...

ये बाबा रामदेव का ही जलवा रहा कि तब की यूपीए सरकार के सीनियर मंत्री उनकी अगवानी के लिए एयरपोर्ट पहुंचे थे, ये बात अलग है कि कुछ ही घंटों बाद बाबा को दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के चलते महिलाओं के कपड़े में भागना पड़ा था.

उसके बाद तो बाबा अपने मिशन पर निकल पड़े. उनके योग शिविरों पर चुनाव आयोग भी नजर रखने लगा, लेकिन वो जुटे रहे और कामयाब होकर रहे. बाद में खुद उन्होंने और मोदी सरकार के मंत्रियों ने भी सरेआम माना कि बीजेपी को दिल्ली पहुंचाने में बाबा रामदेव का बड़ा योगदान रहा. बाबुल सुप्रियो के लेख से तो पता चला कि टिकट दिलवाने में भी उनका कितना बड़ा रोल था.

विश्वामित्र और राजा !

एक टीवी इंटरव्यू में बाबा रामदेव ने अपनी ताकत की नजीर भी रखी, "अगर मैं चाहता तो प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बन सकता था लेकिन मैंने विश्वामित्र की तरह किसी और को राजा बनाने का रास्ता चुना."

राजा के राजकाज में प्रजा को जो खुशहाली मिली उसके अपने अपने अलग अनुभव हो सकते हैं. जाहिर है बाबा रामदेव के भी अलग अनुभव रहे होंगे.

क्या राजा से मोहभंग हो गया?

काले धन के मुद्दे पर विपक्ष '15 हजार-15 हजार' चिल्लाता रहा, लेकिन बाबा रामदेव मोदी सरकार के साथ खड़े रहे. नोटबंदी के मुद्दे पर भी बाबा रामदेव ने सपोर्ट किया था.

जब सब कुछ ठीक ठीक चल रहा है तो बाबा ने ये क्यों कहा - 'इस चुनाव में बड़े-बड़े सूरमा निपट जाएंगे'.

बाबा रामदेव अब कहने लगे हैं कि इस चुनाव में वो ‘निष्पक्ष’ हैं. बड़े ताज्जुब की बात है कि चुनाव प्रचार में बीजेपी एड़ी चोटी का जोर लगा चुकी है और बाबा रामदेव खुद को निष्पक्ष कर लिये हैं. इसका तो साफ मतलब हुआ कि वो बीजेपी का सपोर्ट नहीं कर रहे हैं.

लेकिन ये स्थिति आयी क्यों? वास्तव में वो कौन सी वजह है जो रामदेव को पक्षकार से निष्पक्ष स्थिति में पहुंचने को बाध्य कर दी, ये तो ठीक ठीक उन्हें या उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को ही पता होगा. लेकिन ये तो पक्का है कि मामला बहुत गंभीर है.

बस इतना ही नहीं, बाबा रामदेव कहते हैं, "इस बार के विधानसभा चुनाव से उत्तराखंड में भूचाल आ सकता है."

रामदेव के इस बयान को किस तरीके से समझा जाय. क्या बाबा इस बार किसी और मिशन पर थे. क्या ये भविष्यवाणी भी बाबा रामदेव ने किसी अनुभूत योग के जरिये की है, या महज मन की बात है!

उत्तराखंड में बीजेपी इस बार सत्ता की प्रबल दावेदार है और कई सर्वे में भी आंकड़े उसके पक्ष में जाते दिखे. लेकिन बाबा बीजेपी के सत्ता में आने की बात नहीं कर रहे हैं. वो नतीजों में भूचाल की बात कर रहे हैं.

उत्तराखंड बीजेपी में विजय बहुगुणा मुख्य भूमिका में हैं, अगर चुनावों की बात हो. मुख्यमंत्री रह चुके बहुगुणा कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आये हैं. बहुगुणा खुद ही नहीं आये बल्कि प्रदेश कांग्रेस के कई कद्दावर नेताओं को भी बीजेपी ज्वाइन कराया और टिकट दिलवाया है.

बाबा रामदेव के कारोबार का मुख्य केंद्र भी उत्तराखंड के हरिद्वार में है जो भ्रमण और मिशन पूरा होने के बाद विश्राम का स्थायी पता होता है. निश्चित तौर पर बाबा उत्तराखंड के रग रग से वाकिफ होंगे.

बाबा का कहना है कि दुनिया में कहीं भी रहें, वोट देने वो अपने बूथ पर जरूर पहुंच जाते हैं और लोगों से भी वो ऐसा ही करने की अपील कर रहे हैं, बस अंदाज में थोड़ी तब्दीली दिखती है - 'साफ छवि वाले उम्मीदवारों को वोट दें और अगर आपको लगता है कि कई उम्मीदवार भ्रष्ट हैं तो कम भ्रष्ट को वोट दें.'

क्या बीजेपी नेताओं के बारे में बाबा रामदेव की राय बदल चुकी है? बाबा रामदेव की इस सियासी गुगली के निशाने पर आखिर कौन है? क्या एजेंडे में किसी नये किरदार की एंट्री हो गयी है?

इन्हें भी पढ़ें :

पतंजलि इस्तेमाल ना करूं तो क्या मैं संस्कारी नहीं?

क्योंकि... बाबा को चैलेंज पसंद है !

सोफिया हयात तो बाबा रामदेव का सन्यास छुड़वा ही देंगी !

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲