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6 इंच की ममी का राज सुलझते ही और उलझ गया

    • आईचौक
    • Updated: 23 जुलाई, 2018 06:18 PM
  • 23 जुलाई, 2018 06:18 PM
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2018 की स्टडी एटा पर की गई सबसे हालिया स्टडी है और इसके पब्लिश होने से पहले ये उम्मीद की जा रही थी कि ये एटा के रहस्य को सुलझाएगी, लेकिन इसने गुत्थी को और उलझा दिया.

हमारी दुनिया का इतिहास बड़ा ही दिलचस्प भी है और खतरनाक भी. इतिहास के कितने ऐसे राज़ हैं जिनके बारे में न तो हमें पता है और न ही हम उनकी सच्चाई जानते हैं, लेकिन किसी एक सुराग के मिलते ही हम अपने इतिहास की ही पड़ताल करने लगते हैं. दुनिया भर के आर्कियोलॉजिस्ट हमेशा किसी न किसी ऐसे ही इतिहास की खोज में रहते हैं जो उन्हें मानव सभ्यता के बारे में बताए. ममी यानी मानव कंकाल जिन्हें सहेज कर रखा जाता है वो हमेशा ही आर्कियोलॉजिस्ट की जागरुकता का केंद्र रहते हैं.

2003 में चिली के रेगिस्तान में एक ऐसा अजीब ममी मिला था जो अभी तक रहस्य बना हुआ है. ये किसी 6 फुट के इंसान का नहीं बल्कि एक 6 इंच के बच्चे का ममी था. एटाकामा रेगिस्तान में मिले इस ममी का नाम एटा रखा गया था.

शुरुआती रिसर्च में इस ममी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिली. इसे इसके साइज के कारण एलियन ममी कहा गया. डीएनए की जांच के बाद पता चला कि इस बच्चे में जेनेटिक म्यूटेशन थे. बौनापन और स्कोलियोसिस (रीढ़ की हड्डी का एक तरफ झुकाव) उनमें से एक था.

2018 की रिसर्च कहती है ये...

2018 की स्टडी एटा पर की गई सबसे हालिया स्टडी है और इसके पब्लिश होने से पहले ये उम्मीद की जा रही थी कि ये एटा के रहस्य को सुलझाएगी, लेकिन इसने गुत्थी को और उलझा दिया.

एटा पर की गई रिसर्च की एक कड़ी (भट्टाचार्य 2018) हाल ही में सामने आई है. ये रिसर्च कहती है कि एटा दरअसल एक मानव (लड़की) का कंकाल है जो कई जेनेटिक खामियों के चलते ऐसा हो गया था. इस कंकाल में ‘accelerated bone age.’(समय से पहले हड्डियों का बढ़ जाना) जैसी कमी भी पाई गई है. हालांकि,...

हमारी दुनिया का इतिहास बड़ा ही दिलचस्प भी है और खतरनाक भी. इतिहास के कितने ऐसे राज़ हैं जिनके बारे में न तो हमें पता है और न ही हम उनकी सच्चाई जानते हैं, लेकिन किसी एक सुराग के मिलते ही हम अपने इतिहास की ही पड़ताल करने लगते हैं. दुनिया भर के आर्कियोलॉजिस्ट हमेशा किसी न किसी ऐसे ही इतिहास की खोज में रहते हैं जो उन्हें मानव सभ्यता के बारे में बताए. ममी यानी मानव कंकाल जिन्हें सहेज कर रखा जाता है वो हमेशा ही आर्कियोलॉजिस्ट की जागरुकता का केंद्र रहते हैं.

2003 में चिली के रेगिस्तान में एक ऐसा अजीब ममी मिला था जो अभी तक रहस्य बना हुआ है. ये किसी 6 फुट के इंसान का नहीं बल्कि एक 6 इंच के बच्चे का ममी था. एटाकामा रेगिस्तान में मिले इस ममी का नाम एटा रखा गया था.

शुरुआती रिसर्च में इस ममी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिली. इसे इसके साइज के कारण एलियन ममी कहा गया. डीएनए की जांच के बाद पता चला कि इस बच्चे में जेनेटिक म्यूटेशन थे. बौनापन और स्कोलियोसिस (रीढ़ की हड्डी का एक तरफ झुकाव) उनमें से एक था.

2018 की रिसर्च कहती है ये...

2018 की स्टडी एटा पर की गई सबसे हालिया स्टडी है और इसके पब्लिश होने से पहले ये उम्मीद की जा रही थी कि ये एटा के रहस्य को सुलझाएगी, लेकिन इसने गुत्थी को और उलझा दिया.

एटा पर की गई रिसर्च की एक कड़ी (भट्टाचार्य 2018) हाल ही में सामने आई है. ये रिसर्च कहती है कि एटा दरअसल एक मानव (लड़की) का कंकाल है जो कई जेनेटिक खामियों के चलते ऐसा हो गया था. इस कंकाल में ‘accelerated bone age.’(समय से पहले हड्डियों का बढ़ जाना) जैसी कमी भी पाई गई है. हालांकि, ये स्टडी सामने आते ही विवादों का हिस्सा बन गई. लोग इस रिसर्च पर सवाल उठा रहे हैं. इंटरनेशनल रिसर्चरों के मुताबिक ये जिनोमिक (genomic) असल में सही नहीं माना जा सकता क्योंकि कंकाल असल में एक अविकसित बच्चे का नहीं बल्कि विकसित हो रहे बच्चे का हो सकता है जो 15 हफ्तों के आस-पास का हो सकता है.

मार्च 2018 की स्टडी जो journal Genome Research में पब्लिश की गई थी वो बताती है कि ये अविकसित बच्चे का है और बाकी रिसर्चर कहते हैं कि ये विकसित हो रहे बच्चे का कंकाल है. स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी के लीड रिसर्चर गैरी नोलान ने भी हालिया स्टडी के पब्लिश होते ही इसको लेकर कुछ संशय जताया था.

चिली की सरकार और साइंटिस्ट कहते हैं कि इस कंकाल को गैरकानूनी तरीके से देश के बाहर ले जाया गया था और इसपर स्टडी कभी की ही नहीं जानी चाहिए थी. एक हालिया इनवेस्टिगेशन इस बारे में संशय जताती है कि स्केलेटल और जिनोमिक एनालिसिस पूरी तरह से सही नहीं है.

इंसान या एलियन..

इस ममी को लेकर हमेशा से एक दूसरा पक्ष ये कहता रहा है कि ये इंसानी कंकाल है ही नहीं. इसके छोटे फीचर्स और हड्डियां जो कुछ-कुछ मानव कंकाल जैसे लगते भी हैं और नहीं भी बताते हैं कि ये असल में ये एलियन भी हो सकता है.

यूनिवर्सिटी ऑफ ओटेगो के बायोआर्कियोलॉजिस्ट असोसिएट प्रोफेसन सिएन हैलक्रो का कहना है कि ऐसा कोई साइंटिफिक प्रोसेस नहीं है जिससे एटा का जिनोमिक एनालिसिस सही तरीके से किया जा सके. क्योंकि ये कंकाल आम लग रहा है और जेनेटिक म्यूटेशन सिर्फ इत्तेफाक भी हो सकते हैं. साथ ही कोई भी जेनेटिक म्यूटेशन ऐसा नहीं है जो कंकाल से मेल खाए वो भी इस कम उम्र में.

इंटरनेशन टीम ने इस कंकाल में कई सारी समस्याएं बताईं जैसे इस कंकाल की उम्र का ठीक-ठीक पता नहीं लगाया जा सकता है. कंकाल में सिर्फ 10 पसलियां हैं जब्कि आम इंसानों में 12 होती हैं. ये भी अनियमितता को दर्शाता है. साइंटिस्ट का ये भी कहना है कि इस ममी में कई सारे जेनेटिक म्यूटेशन एक साथ हुए थे.

हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि इतनी कम उम्र में पसलियां ठीक से बनी ही नहीं होंगी और यही कारण है कि इस कंकाल के सिर को लेकर भी ये थ्योरी निकाली जा रही है कि ये प्रीमैच्योर बच्चे का कंकाल हो सकता है. नई इनवेस्टिगेशन के मुताबिक भट्टाचार्य और साथियों (जिनकी रिसर्च मार्च में पब्लिश हुई थी.) की किसी भी तकनीक से ये नहीं पता लगाया जा सकता कि एटा की असली उम्र क्या है. उनकी रिसर्च में कोई भी ऐसी तकनीक नहीं है जो असल में ये पता लगा सकें कि ये कंकाल कितना पुराना है.

रिसर्चरों का मानना है कि ये मिसकैरिज (बच्चा गिरने) का केस है और ये हाल ही का हो सकता है. इसे 40 साल से ज्यादा पुराना कोई नहीं बता सकता. ये किसी मां के उसके बच्चे को खोने की कहानी भी हो सकती है.

इस कंकाल के डीएनए में काफी असमानताएं मिली हैं. कंकाल का सिर काफी असमान है और हाथ और पैर पूरी तरह से विकसित नहीं लगते और इसलिए पेलिएंथ्रोपोलॉजिस्ट विलियम जंगर्स का कहना है कि ये मानव कंकाल है जो प्रीमैच्योर पैदा हुआ था और पैदा होते ही या फिर उसके कुछ समय के अंदर ही मारा गया था.

कुल मिलाकर हालिया स्टडी ने भी इस कंकाल के बारे में गुत्थी को सुलझाया नहीं बल्कि और उलझा दिया है. इसे एलियन कहें या इंसान ये अभी तक मिले ममी में से कुछ सबसे विवादित कंकालों में से एक रहा है. एटा असल में किसी एलियन का बच्चा है या फिर किसी मां के दुख की कहानी इसके बारे में रिसर्च अभी लंबी चलेगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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