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फिनलैंड की खुशी का राज इस भारतीय ने खोज निकाला!

    • आईचौक
    • Updated: 18 मार्च, 2018 07:29 PM
  • 18 मार्च, 2018 07:29 PM
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पहली नजर में कोई भी फिनिश व्यक्ति आपको 'खुश' नहीं दिखेगा. लेकिन वही सच है ऐसा मानना आपकी भूल होगी. क्योंकि अगर सिर्फ 5.5 मीलियन लोगों की जनसंख्या वाला ये देश अपने पड़ोसी नॉर्वे के साथ लगातार विश्व के सबसे खुश देशों में आ रहा है तो कुछ तो बात होगी.

फिनलैंड से मेरा रिश्ता इत्तेफाकन शुरु हुआ. मैं अपनी पीएचडी के लिए जद्दोजहद कर रही थी. मेरी एक दोस्त के सिफारिश पर मैंने फिनलैंड के पश्चिमी तट पर स्थित एक छोटी सी यूनिवर्सिटी में अप्लाई कर दिया. ये यूनिवर्सिटी अपने बिजनेस स्टडीज प्रोग्राम के लिए जानी जाती है. डिपार्टमेंट ने मेरा पीएचडी प्रोपोचल स्वीकार कर लिया और मुझे स्कॉलरशीप ऑफर की. ये अप्रत्याशित था, लेकिन फिनलैंड में मेरी रुचि थी तो 2015 की गर्मियों में मैं इस देश में शिफ्ट कर गई.

फिनलैंड में गर्मियों का खास महत्व होता है. और क्योंकि यहां गर्मियां बड़े ही छोटे समय के लिए रहती हैं तो इसके हर एक पल का यहां के लोग मजा लेते हैं. ये समय यहां के लोगों के लिए लंबी छुट्टियों और पार्टियों का होता है. यही कारण है कि अगर इस मौसम में आप किसी फिनलैंड के निवासी को देखकर मुस्कुराएंगे तो वो भी आपको मुस्कुराहट वापस देंगे.

पहली नजर में कोई भी फिनिश व्यक्ति आपको 'खुश' नहीं दिखेगा. लेकिन वही सच है ऐसा मानना आपकी भूल होगी. क्योंकि अगर सिर्फ 5.5 मीलियन लोगों की जनसंख्या वाला ये देश अपने पड़ोसी नॉर्वे के साथ लगातार विश्व के सबसे खुश देशों में आ रहा है तो कुछ तो बात होगी. यहां तक की इस साल के यूनाइटेड नेशन के वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2018 के मुताबिक तो फिनलैंड ने नॉर्वे को पीछे छोड़ दिया है.

इस रिपोर्ट को लोगों द्वारा अपनी खुशहाली, भ्रष्टाचार के बारे में उनकी राय, उदारता और आजादी के बारे में पोल के बाद तैयार किया गया है. लेकिन एक तरफ जहां ये सब खुशियों का एक महत्वपूर्ण पैमाना तो हैं लेकिन मेरे हिसाब से फिनलैंड के रीति रिवाजों के बारे में जानना भी बहुत जरुरी है, जो इस देश के बाशिंदों की खुशी और तंदरुस्ती का राज हैं.

फिनलैंड से मेरा रिश्ता इत्तेफाकन शुरु हुआ. मैं अपनी पीएचडी के लिए जद्दोजहद कर रही थी. मेरी एक दोस्त के सिफारिश पर मैंने फिनलैंड के पश्चिमी तट पर स्थित एक छोटी सी यूनिवर्सिटी में अप्लाई कर दिया. ये यूनिवर्सिटी अपने बिजनेस स्टडीज प्रोग्राम के लिए जानी जाती है. डिपार्टमेंट ने मेरा पीएचडी प्रोपोचल स्वीकार कर लिया और मुझे स्कॉलरशीप ऑफर की. ये अप्रत्याशित था, लेकिन फिनलैंड में मेरी रुचि थी तो 2015 की गर्मियों में मैं इस देश में शिफ्ट कर गई.

फिनलैंड में गर्मियों का खास महत्व होता है. और क्योंकि यहां गर्मियां बड़े ही छोटे समय के लिए रहती हैं तो इसके हर एक पल का यहां के लोग मजा लेते हैं. ये समय यहां के लोगों के लिए लंबी छुट्टियों और पार्टियों का होता है. यही कारण है कि अगर इस मौसम में आप किसी फिनलैंड के निवासी को देखकर मुस्कुराएंगे तो वो भी आपको मुस्कुराहट वापस देंगे.

पहली नजर में कोई भी फिनिश व्यक्ति आपको 'खुश' नहीं दिखेगा. लेकिन वही सच है ऐसा मानना आपकी भूल होगी. क्योंकि अगर सिर्फ 5.5 मीलियन लोगों की जनसंख्या वाला ये देश अपने पड़ोसी नॉर्वे के साथ लगातार विश्व के सबसे खुश देशों में आ रहा है तो कुछ तो बात होगी. यहां तक की इस साल के यूनाइटेड नेशन के वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2018 के मुताबिक तो फिनलैंड ने नॉर्वे को पीछे छोड़ दिया है.

इस रिपोर्ट को लोगों द्वारा अपनी खुशहाली, भ्रष्टाचार के बारे में उनकी राय, उदारता और आजादी के बारे में पोल के बाद तैयार किया गया है. लेकिन एक तरफ जहां ये सब खुशियों का एक महत्वपूर्ण पैमाना तो हैं लेकिन मेरे हिसाब से फिनलैंड के रीति रिवाजों के बारे में जानना भी बहुत जरुरी है, जो इस देश के बाशिंदों की खुशी और तंदरुस्ती का राज हैं.

इनकी खुशी का राज जानना है तो रीति रिवाजों को पढ़िए

फिनिश संस्कृति में हर किसी की व्यक्तिगत खुशी बहुत मायने रखती है और लोगों के साथ समाज के विकास से इसका सीधा संबंध है. इसके बारे में ज्यादा जानने के लिए सबसे अच्छा तरीका हैं, टोव जैनसन के मोमिन कॉमिक्स. सच कहूं तो मोमिन कॉमिक्स भी एक कारण थी जिसकी वजह से फिनलैंड के रीति रिवाजों में मेरी रुचि बढ़ी थी. साथ ही इन मोमिन कॉमिक्स ने फिनिश लोगों और वहां की संस्कृति को समझना आसान कर दिया.

पूरे विश्व में जहां खामियों को त्याज्य माना जाता है, जैनसन के किरदार इंसान की खामियों के साथ खड़े होते हैं और सीरियस मुद्दों को अपने हास्य और बुद्धि विवेक के दम पर निपटाते हैं. इनके किरदार ज्ञान नहीं देते बल्कि जिंदगी के द्वंद, मुश्किलों और उतार चढ़ाव को प्यार और सम्मान के साथ सामना करने की सीख देते हैं.

दरअसल मोमिन कॉमिक्स हमें हमारी संस्कृति के बारे में सचेत करती हैं, जहां से व्यक्तिगत सुख और भलाई बढ़ती है और असुविधा, अंधकार और विरोधाभास का नाश होता है. आज के समय में हमारा सारा जोर खुशी पर ही होता है, जबकि हम ये भूल गए हैं कि जीवन की कठिनाईयां हमें खुशियों को लिए तैयार करती हैं. बताती हैं कि कैसे हमारे आसपास के लोगों से हमारी खुशियां जुड़ी हैं. कैसे हम विरोधाभासों की जिंदगी जी रहे हैं. गलती किसी से भी हो सकती है. गलती होना अपराध नहीं है. लेकिन गलती होने का मतलब ये नहीं कि दूसरा चांस मिलेगा ही नहीं.

इस तरह की सोच, इस तरह का वातावरण लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. उनमें आत्मविश्वास भरता है. ये अप्रोच फिनलैंड में सामान्य है. यहां ये बहुत आम सी बात है कि एक अपराधी को जिस पुलिसवाले ने गिरफ्तार किया है उसका बेटा भी उसी स्कूल या क्लास में होगा जिसमें उस अपराधी का बेटा पढ़ रहा होगा. जब मैंने पहली बार ये देखा था तो मैं आश्चर्यचकित रह गई थी. लेकिन फिर मुझे बताया गया कि फिनलैंड में माफ करना ज्यादा आसान और सस्ता (फिनलैंड के लोगों को बहुत ज्यादा टैक्स देना होता है) पड़ता है.

यहां लोगों को हाई टैक्स अदा करने में कोई संकोच या कठिनाई नहीं होती. क्योंकि इस टैक्स के पैसे से सरकार उनके बच्चों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और सामाजिक फायदों की सेवाएं मुहैया कराती है. टैक्स डिटेल और सैलेरी डिटेल आसानी से उपलब्ध होने की वजह से सरकार में लोगों का भरोसा बढ़ता है. फिनलैंड की व्यवस्था में भरोसा अंतर्निहीत है. हां एक दो अपवाद वाली घटनाओं को छोड़कर ऐसे बहुत कम मामले हैं जिसमें सरकार से धोखाधड़ी या सरकार द्वारा धोखाधड़ी की बात सामने आई हो.

फिनलैंड की सफलता के पीछे कुछ बातों को ध्यान में रखना जरुरी है. 5.5 मीलियन जनसंख्या समान भाषा, इतिहास, संस्कृति और जाति से जुड़े हैं. लोगों द्वारा ऐसे बड़े पैमाने पर समरूप समुदायों में विश्वास बनाना आसान है. इतिहास, भाषा, संस्कृति और जाति के मामले में अगर अधिक विविधता बनती है तो यह देखना दिलचस्प होगा कि मौजूदा डाटा किस प्रकार रुप धरेगा.

उदाहरण के लिए अचानक ही बड़ी संख्या में रिफ्यूजी लोगों का फिनलैंड की सीमा में प्रवेश अब बहस का मुद्दा बन चुका है. अब यहां के लोग इस तय करने की कोशिश में लगे हैं कि इस तरह की अभूतपूर्व परिस्थितियों में उनकी जीवनशैली क्या होनी चाहिए. हालांकि, बहस के लिए मौजूद रहने और आम सहमति के माध्यम से परिवर्तन लाने की व्यवस्था लोगों में भरोसा बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं और लोगों में खुशी के लिए ये एक महत्वपूर्ण शर्त भी है. ये इस बात से भी स्पष्ट होता है कि कैसे फिनिश इनोवेशन एजेंसी, सितारा (भारत के नीति आयोग जैसा ही एक व्यवस्था) आजकल एक बहस को बढ़ावा दे रही है. इस बहस का मुद्दा है कि अब केंद्रीय निर्णय प्रणाली से व्यवस्था को छोटे स्तर पर खोजों के जरिए विकेंद्रीत किया जाए.

इसके पीछे आइडिया ये है कि इस तरह के खोजों को बढ़ावा देकर सीखने और लगातार विकास में प्रयोग किया जाए. बहस को बढ़ावा देकार सितारा देश के विभिन्न क्षेत्रों (सामाजिक व्यवस्था, बिजनेस, रिचर्च संस्थाएं, शिक्षण संस्थाएं) इत्यादि को सम्मिलित करना चाहती है ताकि ये आगे बढ़कर समाज में इस शिक्षाओं को फैलाएं और विकास का प्रशस्त हो.

विश्वास, खुलापन, सहयोग की यही संस्कृति फिनिश लोगों को सुरक्षित महसूस करती है और खुश रखती है. वे अपने समाज और सदस्यों के साथ एक मजबूत रिश्ता कायम करते हैं. और अगर अभी भी आप ये सोच रहे हैं कि आखिर फिनिश लोगों के करीबी दोस्त कम क्यों होते हैं, तो मोमिन की ये पंक्तियां आपके लिए पहेली को हल कर सकती है: "बहुत ज्यादा दोस्त होने की मुश्किल ये है कि, एक ही समय में उन सभी के प्रति निष्ठा दिखाना कठिन हो जाता है..."

(ये लेख रुमी नारायण ने DailyO के लिए लिखा है)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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