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भारतीयों की नींद में खलल डालते ये 7 दानव!

    • ऑनलाइन एडिक्ट
    • Updated: 16 मार्च, 2018 11:02 AM
  • 16 मार्च, 2018 10:54 AM
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एक एवरेज भारतीय लगभग 6.5 घंटे सोता है और 45% से ज्यादा भारतीयों को 6 घंटे से भी कम नींद मिलती है. वर्ल्ड स्लीप डे पर नींद से जुड़ी कुछ अहम बातें हैं जो भारतीयों के लिए जाननी जरूरी हैं..

एक औसत इंसान की जिंदगी का एक तिहाई हिस्सा सोने में बीतता है. नींद की कमी कई बार सेहत को खराब कर देती है लेकिन भारत में नींद न आना और लोगों की नींद में खलल पड़ जाना बहुत आम है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 20% भारतीय इन्सॉम्निया का शिकार हैं. अब खुद ही सोचिए अगर शरीर के 80% काम नींद से जुड़े हुए हैं तो नींद की कमी क्या कर देगी. एक एवरेज भारतीय लगभग 6.5 घंटे सोता है और 45% से ज्यादा भारतीयों को 6 घंटे से भी कम नींद मिलती है.

अब हर किसी को नरेंद्र मोदी बनने की तो जरूरत है नहीं कि बस एक दिन में 4 घंटे सोकर सारी समस्या का हल कर लिया जाए और देश चला लिया जाए. आम आदमी को नींद की सख्त जरूरत होती है.

सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि डॉक्टर के हिसाब से किस उम्र के इंसान को कितनी नींद चाहिए होती है..

नवजात बच्चों को 14-17 घंटों की नींद चाहिए, 1 साल से 5 साल तक के बच्चों को 10-14 घंटे की नींद चाहिए. स्कूल जाने वाले बच्चों को 9-11 घंटों के लिए सोना चाहिए. इसके अलावा, टीनएजर को 8-10 घंटे. 18-25 साल की उम्र वालों को 7-9 घंटे सोना चाहिए. 25-64 साल के लोगों को भी 7-9 घंटे सोना चाहिए और 65 से ऊपर वालों को 7-8 घंटे की नींद जरूरी होती है.

ये तो थी आंकड़ों की बात, लेकिन यकीन मानिए भारतीयों की नींद में खलल डालने वाले लोग और कारणों की कमी नहीं है. मच्छर, रिश्तेदार, शादी, पूजा, बारात तो सब आम कारण हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिनपर हमारा बस नहीं चलता.

1. चोरी का डर

गाड़ी बाहर खड़ी है, घर का कोई सामान गलती से बाहर छूट जाए, रात में दरवाजे पर आहट हो. बस नींद में खलल पड़ना तो तय है. एक आहट से भी नींद खुल जाती है. अक्सर एक आहट पर उठ जाने का काम भारतीय महिलाओं का होता है.

2. हॉर्न हैं या खर्राटे

सड़कों के पास जिनके भी...

एक औसत इंसान की जिंदगी का एक तिहाई हिस्सा सोने में बीतता है. नींद की कमी कई बार सेहत को खराब कर देती है लेकिन भारत में नींद न आना और लोगों की नींद में खलल पड़ जाना बहुत आम है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 20% भारतीय इन्सॉम्निया का शिकार हैं. अब खुद ही सोचिए अगर शरीर के 80% काम नींद से जुड़े हुए हैं तो नींद की कमी क्या कर देगी. एक एवरेज भारतीय लगभग 6.5 घंटे सोता है और 45% से ज्यादा भारतीयों को 6 घंटे से भी कम नींद मिलती है.

अब हर किसी को नरेंद्र मोदी बनने की तो जरूरत है नहीं कि बस एक दिन में 4 घंटे सोकर सारी समस्या का हल कर लिया जाए और देश चला लिया जाए. आम आदमी को नींद की सख्त जरूरत होती है.

सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि डॉक्टर के हिसाब से किस उम्र के इंसान को कितनी नींद चाहिए होती है..

नवजात बच्चों को 14-17 घंटों की नींद चाहिए, 1 साल से 5 साल तक के बच्चों को 10-14 घंटे की नींद चाहिए. स्कूल जाने वाले बच्चों को 9-11 घंटों के लिए सोना चाहिए. इसके अलावा, टीनएजर को 8-10 घंटे. 18-25 साल की उम्र वालों को 7-9 घंटे सोना चाहिए. 25-64 साल के लोगों को भी 7-9 घंटे सोना चाहिए और 65 से ऊपर वालों को 7-8 घंटे की नींद जरूरी होती है.

ये तो थी आंकड़ों की बात, लेकिन यकीन मानिए भारतीयों की नींद में खलल डालने वाले लोग और कारणों की कमी नहीं है. मच्छर, रिश्तेदार, शादी, पूजा, बारात तो सब आम कारण हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिनपर हमारा बस नहीं चलता.

1. चोरी का डर

गाड़ी बाहर खड़ी है, घर का कोई सामान गलती से बाहर छूट जाए, रात में दरवाजे पर आहट हो. बस नींद में खलल पड़ना तो तय है. एक आहट से भी नींद खुल जाती है. अक्सर एक आहट पर उठ जाने का काम भारतीय महिलाओं का होता है.

2. हॉर्न हैं या खर्राटे

सड़कों के पास जिनके भी घर हैं (अक्सर होते ही हैं.) उन्हें रात भर ट्रक, बस, गाड़ियों के हॉर्न की आवाज ही परेशान कर देती है. अरे, भारतीयों की आदत है जनाब खाली सड़क पर भी हॉर्न मारने की. वैसे तो ये दिन भर की समस्या है, लेकिन रात होते ही जिस तरह से हॉर्न सुनाई देने लगते हैं वो तो किसी हाथी की आवाज जैसे लगते हैं.

3. चुभते बिस्‍तर...

अगर विदेशी बिस्तरों से तुलना की जाए तो भारत में बिस्तर काफी सख्त होते हैं. चारपाई पर सोने की आदत, लकड़ी के तख्त पर सोने की आदत, रूई वाले मजबूत गद्दों में सोने की आदत, यहां तक की अगर गद्दों के बीच से रुई थोड़ी ऊपर नीचे हो गई है तो वहां भी सोने की आदत लोगों को होती है, लेकिन इसी कारण से हमारे घरों में उम्रदराज लोगों के साथ-साथ जवान लोगों को भी कमर दर्द की शिकायत हो जाती है.

4. सुकून छीनने वाली भक्ति...

सुबह की अजान और रात के जगराते भारत में कितने लोगों की नींद खराब करते हैं इसके सरकारी आंकड़े तो बिलकुल नहीं मिलेंगे. लेकिन इस बात को सही मानने वाले लोग हर गली, नुक्कड़ और चौराहे पर मिल सकते हैं. भक्ति भारत में बहुत ही सीरियस है और लाउड स्पीकर हटाने की जुर्ररत कोई नहीं कर सकता. पर नींद में चाहें हिंदू हों या मुस्लिम सभी के खलल पड़ता है. और अगर किसी का घर मंदिरों के पास हो तब तो दिन रात के भजन, घंटियां और जगराते सुनने की आदत पड़ ही जाती है.

5. फोन की करवट...

फोन जरा सा वाइब्रेट क्या हुआ लोग आधी नींद में भी उठकर देख लेते हैं. भारत दुनिया के सबसे बड़े सेलफोन मार्केट्स में से एक है और लोगों को फोन दिखाना और देखना दोनों ही पसंद है. स्मार्टफोन का कीड़ा ऐसा है कि अगर फोन में कोई नोटिफिकेशन नहीं भी आया हो तो भी बार-बार उसे खोलकर देखेंगे कि आखिर फोन बजा या नहीं. बस, ट्रेन, सिनेमाहॉल कहीं भी सेलफोन को अकेला न छोड़ने वाले भारतीय भला सोते समय फोन को कैसे छोड़ देंगे.

6. दिन की चिंता...

सुबह मीटिंग है, प्रेजेंटेशन है, परीक्षा है या सीधा-साधा टिफिन में क्या बनाना है, घर में बाई आएगी की नहीं आएगी, दुनिया भर के सारे टेंशन नींद के समय ही लिए जाते हैं. टेंशन लेने के मामले में भारतीय अव्वल हैं और यकीन करिए रात के समय ये चिंताएं विश्व युद्ध की चिंता से भी बड़ी लगती हैं और यही नींद में खलल डालती हैं.

7. कुत्‍तों की नाइट मीटिंग...

भारत की सड़कें कुत्तों से भरी हुई हैं. सड़क हो, समुंदर का किनारा हो, रेगिस्तान हो या किसी मेट्रो शहर की कोई बड़ी कॉलोनी... कुत्ते हर जगह हैं. जैसे ही सूरज ढलता है उनकी नाइट मीटिंग शुरू हो जाती है. किसी एक कुत्ते ने भौंकना शुरू किया तो न जाने उसके कितने साथी उसका साथ देते हैं. नींद में खलल पड़ने का एक कारण ये भी हैं.

अंत में बस इतना ही कहूंगी की नींद बहुत जरूरी है और उसे भरपूर लें. कोई आपका खास कारण हो जिससे नींद में खलल पड़ता हो तो हमें बताएं और इस लिस्ट को अपडेट करने में मदद करें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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