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सब इंस्पेक्टर इमरान की लाश, आतंकी माजिद की घर वापसी - ये कश्मीर की कहानी के दो पात्र हैं

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 18 नवम्बर, 2017 11:44 AM
  • 18 नवम्बर, 2017 11:44 AM
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एक आम भारतीय, मौजूदा वक़्त में तमाम कश्मीरियों के लिए इस आशा के साथ दुआ कर सकता है कि कल वादी में चलने वाली किसी गोली पर इनका नाम न लिखा हो ताकि ये अमन सुकून और भाईचारे से रह सकें.

आज सुबह सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट ट्विटर पर एक खबर बहुत तेजी से वायरल हुई और लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बनी. खबर कश्मीर से थी जहां लश्कर के एक आतंकी ने लश्कर का खेमा छोड़ के पुलिस के सामने सरेंडर किया था. पुलिस के सामने सरेंडर करने वाले आतंकी का नाम माजिद है जो किसी जमाने में फुटबॉल का बढ़िया खिलाड़ी रहा है. माजिद की इस हरकत से राज्य की पुलिस भी खासी खुश है और माजिद की शान में कसीदे पढ़ते हुए कह रही है कि माजिद का ये प्रयास वादी के उन भटके हुए नौजवानों को सबक देगा जो आतंकियों के चंगुल में हैं और माजिद की ही तरह वो भी अपनी घर वापसी करना चाहते हैं.

सुबह से दिन हुआ दिन से शाम हुई और ट्विटर का मिजाज बदला मगर कश्मीर ट्रेंड में बना रहा बस इसके पात्र बदले. ट्विटर पर जो कश्मीर सुबह तक फुटबॉलर से आतंकी बन घर वापसी कर रहे माजिद के कारण चर्चा में था शाम को उस पर लोग ज़कूरा हजरतबल और इमरान टाक के बारे में बात कर रहे थे.

कश्मीर को देखकर बस यही लगता है कि इसके हालात दिन ब दिन खराब हो रहे हैं

हो सकता है ज़कूरा और इमरान का नाम आपको विचलित कर दे और आप इस सोच में पड़ जाएं कि आखिर ये ज़कूरा और इमरान कौन है तो आपको बता दें कि ज़कूरा हज़रतबल जम्मू और कश्मीर का एक जिला है, जहां आज पाकिस्तान फंडेड आतंकियों ने ड्यूटी पर तैनात पुलिस सब इंस्पेक्टर इमरान टाक को शहीद कर दिया. इमरान की मौत से न सिर्फ अमन पसंद कश्मीरी बल्कि देश का हर वो नागरिक दुखी होने के अलावा गुस्सा है जो वादी को शांति से फलते फूलते हुए देखना चाहता है.

इमरान की मौत देखने के बाद चंद ही लोग होंगे जो माजिद को देखकर खुशी मनाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि आज कश्मीर के हालात बेहद खराब है. राज्य में आतंकवाद लगातार बढ़ता जा रहा है कब कौन कहाँ मार दिया जाए इसका भरोसा नहीं. ये  कहना बेहद...

आज सुबह सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट ट्विटर पर एक खबर बहुत तेजी से वायरल हुई और लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बनी. खबर कश्मीर से थी जहां लश्कर के एक आतंकी ने लश्कर का खेमा छोड़ के पुलिस के सामने सरेंडर किया था. पुलिस के सामने सरेंडर करने वाले आतंकी का नाम माजिद है जो किसी जमाने में फुटबॉल का बढ़िया खिलाड़ी रहा है. माजिद की इस हरकत से राज्य की पुलिस भी खासी खुश है और माजिद की शान में कसीदे पढ़ते हुए कह रही है कि माजिद का ये प्रयास वादी के उन भटके हुए नौजवानों को सबक देगा जो आतंकियों के चंगुल में हैं और माजिद की ही तरह वो भी अपनी घर वापसी करना चाहते हैं.

सुबह से दिन हुआ दिन से शाम हुई और ट्विटर का मिजाज बदला मगर कश्मीर ट्रेंड में बना रहा बस इसके पात्र बदले. ट्विटर पर जो कश्मीर सुबह तक फुटबॉलर से आतंकी बन घर वापसी कर रहे माजिद के कारण चर्चा में था शाम को उस पर लोग ज़कूरा हजरतबल और इमरान टाक के बारे में बात कर रहे थे.

कश्मीर को देखकर बस यही लगता है कि इसके हालात दिन ब दिन खराब हो रहे हैं

हो सकता है ज़कूरा और इमरान का नाम आपको विचलित कर दे और आप इस सोच में पड़ जाएं कि आखिर ये ज़कूरा और इमरान कौन है तो आपको बता दें कि ज़कूरा हज़रतबल जम्मू और कश्मीर का एक जिला है, जहां आज पाकिस्तान फंडेड आतंकियों ने ड्यूटी पर तैनात पुलिस सब इंस्पेक्टर इमरान टाक को शहीद कर दिया. इमरान की मौत से न सिर्फ अमन पसंद कश्मीरी बल्कि देश का हर वो नागरिक दुखी होने के अलावा गुस्सा है जो वादी को शांति से फलते फूलते हुए देखना चाहता है.

इमरान की मौत देखने के बाद चंद ही लोग होंगे जो माजिद को देखकर खुशी मनाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि आज कश्मीर के हालात बेहद खराब है. राज्य में आतंकवाद लगातार बढ़ता जा रहा है कब कौन कहाँ मार दिया जाए इसका भरोसा नहीं. ये  कहना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है मगर यही सत्य है कि पुलिस सब इंस्पेक्टर इमरान की मौत आज हर उस आदमी के मुंह पर एक करारा तमाचा है जो ये सोचता है कि शायद आने वाले वक़्त में कश्मीर के हालात सुधर जाएं और वहां के नौजवानों को सही दिशा मिल जाए.

कश्मीर एक कहानी है और माजिद और इमरान आज उसके दो पात्र, बल्कि दो चेहरे बन के हमारे पास आए हैं. एक वो जो हमारे पास आ गया है और दूसरा वो जो हमें छोड़ के सदा के लिए चला गया है और अगर इन दोनों के बीच कुछ है तो वो केवल और केवल आतंकवाद है. वो आतंकवाद जिसने आज पूरे राज्य की कमर तोड़ के रख दी है और कश्मीर की खूबसूरत वादी को गर्त के अंधेरों में ढकेल दिया है.

कश्मीर की वादी में मौत कोई नई चीज नहीं है. इसकी अब लोगों ने आदत डाल ली है

आतंकियों से मोर्चा सँभालते और बेरहमी से क़त्ल किये गए इमरान को देखकर हमें माजिद या फिर उसके जैसे भटके हुए नौजवानों का भविष्य संकट में लग रहा है कि ये बेचारे जुर्म की दुनिया और हिंसा के मार्ग को छोड़ शांति चाहते हैं मगर एक ऐसे माहौल में जहां मौत आम हैं वहां इनका भविष्य संकट में है.

भले ही आज माजिद को अपनी गलती का एहसास हो गया है कि वो गलत था और उसे ये सब छोड़ के समाज की मुख्य धारा से जुड़ना चाहिए मगर सवाल ये है कि आखिर कितने दिन वो समाज की मुख्य धारा से जुड़ा रहेगा. जी हां शायद ये बात आपको आहत, बहुत आहत कर दे मगर ये एक ऐसा सच है जिसे बिल्कुल भी नाकारा नहीं जा सकता.

बहरहाल, अब जब माजिद घर आ गया है तो हम उसके अलावा उन तमाम कश्मीरियों के लिए दुआ करते हैं जो अमन शांति और भाईचारा चाहते हैं. साथ ही हम ये आशा भी करते हैं कि कल वादी में चलने वाली किसी गोली पर इनका नाम न लिखा हो. अंत में बस इतना ही की चाहे कश्मीर का हो या कहीं और का एक भारतीय यही चाहता है कि उसके मुल्क के लोग सुरक्षित और आपसी सौहार्द बना के रहे ताकि हम एक बेहतर भारत का निर्माण कर पाएं. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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