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तो क्या शादी करके मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है ?

    • आईचौक
    • Updated: 07 जुलाई, 2017 05:00 PM
  • 07 जुलाई, 2017 05:00 PM
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मध्‍यप्रदेश के पाइतपुरा में रहने वाले 80 के सुख कुशवाहा और 75 साल की हरिया ने 50 साल पहले एक दूसरे के साथ लिव इन में रहने के बाद मोक्ष की चाह में एक दूसरे से विवाह करने का फैसला किया है.

भीड़ भाड़ भरी जिंदगी और सबसे आगे निकलने की होड़ में रेस लगाते व्यक्ति के लिए जीवन में कभी न कभी रुकना बहुत जरूरी है. अक्सर यही देखा गया है कि व्यक्ति तब ही रुकता है जब वो सांसारिक मोह से उकता गया हो और उसके बाद उसे केवल और केवल मोक्ष के मार्ग पर चलना हो. कह सकते हैं कि मोक्ष पाने के बाद ही व्यक्ति सिद्धार्थ से बुद्ध बनता है. अब यदि कोई ये कहे कि वो विवाह करके मोक्ष पाना चाहता है तो न सिर्फ ये बात हास्यपद है बल्कि सोचने पर मजबूर करने वाली भी है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय दर्शन में नश्वरता को दु:ख का कारण माना गया है और साथ ही ये भी कहा गया है कि संसार आवागमन, जन्म-मरण और नश्वरता का केंद्र हैं. इस अविद्याकृत प्रपंच से मुक्ति पाना ही मोक्ष है.

इसके विपरीत विवाह दो व्यक्तियों प्राय: एक पुरुष और एक स्त्री के धार्मिक या/तथा कानूनी रूप से एक साथ रहने के लिए प्रदान सामाजिक मान्यता है. विवाह मानव-समाज की अत्यंत महत्वपूर्ण प्रथा या समाजशास्त्रीय संस्था है. यानी मोक्ष और विवाह को साथ लाना और ये कहना कि कोई विवाह के जरिये मोक्ष प्राप्त कर ले तो ये लंबी बहस का विषय है.

50 साल में इस जोड़े को मोक्ष न मिला पाया तो इन्होंने शादी ही कर ली  

बहरहाल हम मोक्ष और विवाह की बात क्यों कर रहे हैं इसको समझाने के लिए हम आपको एक खबर से अवगत कराना चाहेंगे. खबर है कि मध्‍यप्रदेश के पाइतपुरा में रहने वाले 80 के सुख कुशवाहा और 75 साल की हरिया ने 50 साल पहले एक दूसरे के साथ लिव इन में रहने के बाद मोक्ष की चाह में एक दूसरे से विवाह करने का फैसला किया है.

आपको बताते चलें कि 50 साल से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे इस जोड़े के वर्तमान में चार बच्‍चे हैं जिसमें दो बेटे और दो बेटियां शामिल हैं. बताया जा रहा है कि 80 के सुख कुशवाहा अपनी जिंदगी से खुश...

भीड़ भाड़ भरी जिंदगी और सबसे आगे निकलने की होड़ में रेस लगाते व्यक्ति के लिए जीवन में कभी न कभी रुकना बहुत जरूरी है. अक्सर यही देखा गया है कि व्यक्ति तब ही रुकता है जब वो सांसारिक मोह से उकता गया हो और उसके बाद उसे केवल और केवल मोक्ष के मार्ग पर चलना हो. कह सकते हैं कि मोक्ष पाने के बाद ही व्यक्ति सिद्धार्थ से बुद्ध बनता है. अब यदि कोई ये कहे कि वो विवाह करके मोक्ष पाना चाहता है तो न सिर्फ ये बात हास्यपद है बल्कि सोचने पर मजबूर करने वाली भी है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय दर्शन में नश्वरता को दु:ख का कारण माना गया है और साथ ही ये भी कहा गया है कि संसार आवागमन, जन्म-मरण और नश्वरता का केंद्र हैं. इस अविद्याकृत प्रपंच से मुक्ति पाना ही मोक्ष है.

इसके विपरीत विवाह दो व्यक्तियों प्राय: एक पुरुष और एक स्त्री के धार्मिक या/तथा कानूनी रूप से एक साथ रहने के लिए प्रदान सामाजिक मान्यता है. विवाह मानव-समाज की अत्यंत महत्वपूर्ण प्रथा या समाजशास्त्रीय संस्था है. यानी मोक्ष और विवाह को साथ लाना और ये कहना कि कोई विवाह के जरिये मोक्ष प्राप्त कर ले तो ये लंबी बहस का विषय है.

50 साल में इस जोड़े को मोक्ष न मिला पाया तो इन्होंने शादी ही कर ली  

बहरहाल हम मोक्ष और विवाह की बात क्यों कर रहे हैं इसको समझाने के लिए हम आपको एक खबर से अवगत कराना चाहेंगे. खबर है कि मध्‍यप्रदेश के पाइतपुरा में रहने वाले 80 के सुख कुशवाहा और 75 साल की हरिया ने 50 साल पहले एक दूसरे के साथ लिव इन में रहने के बाद मोक्ष की चाह में एक दूसरे से विवाह करने का फैसला किया है.

आपको बताते चलें कि 50 साल से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे इस जोड़े के वर्तमान में चार बच्‍चे हैं जिसमें दो बेटे और दो बेटियां शामिल हैं. बताया जा रहा है कि 80 के सुख कुशवाहा अपनी जिंदगी से खुश नहीं थे ऐसा इसलिए क्योंकि उनको महसूस हुआ कि उनके और उनकी लिव इन पार्टनर के जीवन का अंतिम दौर आ गया है और यदि वो विधिवत विवाह नहीं करते तो उन्हें मोक्ष नहीं मिलेगा. अतः उन्होंने हिन्दू मान्‍यताओं के अनुसार विधिवत विवाह करने का निश्चय किया ताकि उन्हें और उनके साथी को मोक्ष मिल सके.

इस पूरे मामले को देखने के बाद एक बात तो साफ है कि इस जोड़े को 50 साल साथ रखकर मोक्ष की अनुभूति नहीं हुई थी कह सकते हैं कि शायद इस शादी के बाद ही इन्हें मोक्ष मिल जाए और इनका जीवन सफल हो जाए.  

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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