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कोर्ट ने भांजी से शादी करने वाले यौन अपराधी मामा को छोड़ दिया, हैप्पी मैरिड लाइफ में दखल नहीं

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 12 मई, 2022 10:30 PM
  • 12 मई, 2022 10:25 PM
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तमिलनाडु में सुप्रीम कोर्ट ने सगी भांजी से शादी करने वाले मामा के दोषमुक्त कर दिया है. वो भी उस मामा को जिसने अपनी ही भांजी का तब यौन शौषण किया जब वह 14 साल की थी.

तमिलनाडु में सुप्रीम कोर्ट ने सगी भांजी से शादी करने वाले मामा को POCSO act के तहत दोष से मुक्त कर दिया है. वो भी उस मामा को, जिसने अपनी ही भांजी का तब यौन शौषण किया जब वह 14 साल की थी. इस अपराध के लिए उसे दोषी भी करार दिया गया था. उस वक्त कोर्ट ने 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. मद्रास हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखा था.

वहीं अब सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि "वह आरोपी अब पीड़िता से शादी कर चुका है और उसके दो बच्चे हैं. अदालत इस जमीनी हकीकत से आंखें नहीं मूंद सकती और अपीलकर्ता व अभियोक्ता के सुखी पारिवारिक जीवन में खलल नहीं डाल सकती. हमें तमिलनाडु में एक लड़की के मामा से शादी करने के रिवाज के बारे में भी जानकारी मिली है."

यह कहां का रिवाज है कि जिसने यौन शोषण किया उसी से शादी हो जाए

मामा के खिलाफ शादी का झांसा देकर रेप करने का आरोप लगा था. अब शायद सजा से बचने के उसने भांजी से शादी कर ली. इसके बाद साल 2017 में भांजी उसके दूसरे बच्चे की मां बनी. गौर करने वाली बात है कि दूसरी बार मां बनने पर भी वह नाबालिग ही थी. आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने इसी बात पर जोर दिया कि उसने शादी करने का वादा किया था और शादी कर ली. उसके दो बच्चे हैं और वह अपने परिवार के साथ सुखी जीवन जी रहा है.

कोर्ट ने कहा कि बाद के हालात को देखते हुए आरोपी की दोषसिद्धि और सजा को अपास्त किया जा सकता है. भविष्य में अगर अपीलकर्ता मामा अपने परिवार की देखभाल नहीं करता है तो राज्य की तरफ से इसमें संसोधन किया जा सकता है.

आपकी इस फैसले के बारे में क्या राय है. एक तो मामा से शादी करना ही सुनकर अजीब लग सकता है, लेकिन अगर वहां इस तरह की शादियों का रिवाज है तो ठीक है. लेकिन यह कहां का रिवाज है कि जिसने यौन शोषण किया उसी से शादी हो जाए. हमारे...

तमिलनाडु में सुप्रीम कोर्ट ने सगी भांजी से शादी करने वाले मामा को POCSO act के तहत दोष से मुक्त कर दिया है. वो भी उस मामा को, जिसने अपनी ही भांजी का तब यौन शौषण किया जब वह 14 साल की थी. इस अपराध के लिए उसे दोषी भी करार दिया गया था. उस वक्त कोर्ट ने 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. मद्रास हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखा था.

वहीं अब सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि "वह आरोपी अब पीड़िता से शादी कर चुका है और उसके दो बच्चे हैं. अदालत इस जमीनी हकीकत से आंखें नहीं मूंद सकती और अपीलकर्ता व अभियोक्ता के सुखी पारिवारिक जीवन में खलल नहीं डाल सकती. हमें तमिलनाडु में एक लड़की के मामा से शादी करने के रिवाज के बारे में भी जानकारी मिली है."

यह कहां का रिवाज है कि जिसने यौन शोषण किया उसी से शादी हो जाए

मामा के खिलाफ शादी का झांसा देकर रेप करने का आरोप लगा था. अब शायद सजा से बचने के उसने भांजी से शादी कर ली. इसके बाद साल 2017 में भांजी उसके दूसरे बच्चे की मां बनी. गौर करने वाली बात है कि दूसरी बार मां बनने पर भी वह नाबालिग ही थी. आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने इसी बात पर जोर दिया कि उसने शादी करने का वादा किया था और शादी कर ली. उसके दो बच्चे हैं और वह अपने परिवार के साथ सुखी जीवन जी रहा है.

कोर्ट ने कहा कि बाद के हालात को देखते हुए आरोपी की दोषसिद्धि और सजा को अपास्त किया जा सकता है. भविष्य में अगर अपीलकर्ता मामा अपने परिवार की देखभाल नहीं करता है तो राज्य की तरफ से इसमें संसोधन किया जा सकता है.

आपकी इस फैसले के बारे में क्या राय है. एक तो मामा से शादी करना ही सुनकर अजीब लग सकता है, लेकिन अगर वहां इस तरह की शादियों का रिवाज है तो ठीक है. लेकिन यह कहां का रिवाज है कि जिसने यौन शोषण किया उसी से शादी हो जाए. हमारे हिसाब से तो उस पीड़िता के लिए इससे बड़ा दुख कुछ नहीं हो सकता. वह जब-जब उसकी शक्ल देखेगी उसे अपने साथ हुए उत्पीड़न की याद आएगी. हो सकता है कि जिस्म की जख्म भर जाए लेकिन उस दर्द का क्या जो उसके मन में बैठ जाता है.

यह सही है पहले लड़की का उत्पीड़न करो फिर उससे शादी करके उस पर एहसान कर दो. इसतरह सजा भी माफ हो जाएगी और समाज की नजरों में इज्ज्त भी बनी रहेगी. क्या ऐसे अपराध से मुक्त होगा हमारा समाज? क्या कोर्ट का यह फैसला सही है?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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