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एक वायरल तस्वीर जो अब इतिहास बन गयी

    • अशरफ वानी
    • Updated: 15 अक्टूबर, 2017 05:15 PM
  • 15 अक्टूबर, 2017 05:15 PM
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इससे पहले कश्मीर में सक्रिय आतंकी अपनी तस्वीरें इस तरह सामने नहीं लाते थे. कश्मीर में चल रहे करीब तीन दशकों के आतंकवाद के इतिहास में ये पहला मौका था जब एक साथ 11 आतंकी तस्वीरों में दिखे थे.

2015 में कश्मीर में हिज़्बुल कमांडर बुरहान वानी और उसके 10 साथियों की वो तस्वीर जो न सिर्फ वायरल हुई बल्कि देश दुनिया में कई पत्रिकाओं और अखबारों में भी खूब छपी. ये तस्वीर अब एक इतिहास बन गयी है. क्योंकि तस्वीर में बुरहान ब्रिगेड का आखरी आतंकी वसीम अहमद शाह शनिवार को पुलवामा ज़िले के लीतर गांव में सुरक्षाबलों के साथ हुई एक मुठभेड़ में मारा गया. फोटो में दिख रहे सभी 10 आतंकी कश्मीर में मारे गए. और 11वां आतंकी तारिक़ पंडित आत्मसमर्पण के बाद जेल में सजा काट रहा है.

ये वायरल तस्वीर अब इतिहास बन गई

तस्वीर मे बुरहान वानी के साथ जो 10 आतंकी हैं उनमें से 7 आतंकी 2015 में ही बुरहान वानी के साथ मारे गए थे. जबकि बुरहान वानी के उत्तराधिकारी सबज़ार अहमद भट और एक अन्य को 2016 में मारा गया. और एकमात्र बचे हुए आतंकी वसीम शाह को सुरक्षाबलों ने शनिवार को ढेर किया. हालांकि वसीम शाह, बुरहान वानी के मारे जाने के बाद हिज़्बुल मुजाहिदीन छोड़कर लश्कर-ए-तय्यबा में शामिल हो गया था. वसीम शाह शोपियां ज़िले का लश्कर कमांडर था. 

2015 में यह तस्वीर वायरल होने के साथ-साथ कश्मीर में आतंकवादियों के लिए प्रचार का माध्यम भी बन गयी थी. माना जा रहा है कि इस तस्वीर के सोशल मीडिया पर वायरल हो जाने के बाद कई कश्मीरी युवाओं ने आतंकवाद की राह पकड़ ली थी. इससे पहले कश्मीर में सक्रिय आतंकी अपनी तस्वीरें इस तरह सामने नहीं लाते थे. कश्मीर में चल रहे करीब तीन दशकों के आतंकवाद के इतिहास में ये पहला मौका था जब एक साथ 11 आतंकी तस्वीरों में दिखे थे. उसके बाद कश्मीर में स्थानीय आतंकियों ने सोशल मीडिया को ही अपना हथियार बनाकर उसी से आतंकवाद को दिशा भी दी. और इसी के जरिए अपने समर्थकों से जुड़ते भी रहे.

2015 में कश्मीर में हिज़्बुल कमांडर बुरहान वानी और उसके 10 साथियों की वो तस्वीर जो न सिर्फ वायरल हुई बल्कि देश दुनिया में कई पत्रिकाओं और अखबारों में भी खूब छपी. ये तस्वीर अब एक इतिहास बन गयी है. क्योंकि तस्वीर में बुरहान ब्रिगेड का आखरी आतंकी वसीम अहमद शाह शनिवार को पुलवामा ज़िले के लीतर गांव में सुरक्षाबलों के साथ हुई एक मुठभेड़ में मारा गया. फोटो में दिख रहे सभी 10 आतंकी कश्मीर में मारे गए. और 11वां आतंकी तारिक़ पंडित आत्मसमर्पण के बाद जेल में सजा काट रहा है.

ये वायरल तस्वीर अब इतिहास बन गई

तस्वीर मे बुरहान वानी के साथ जो 10 आतंकी हैं उनमें से 7 आतंकी 2015 में ही बुरहान वानी के साथ मारे गए थे. जबकि बुरहान वानी के उत्तराधिकारी सबज़ार अहमद भट और एक अन्य को 2016 में मारा गया. और एकमात्र बचे हुए आतंकी वसीम शाह को सुरक्षाबलों ने शनिवार को ढेर किया. हालांकि वसीम शाह, बुरहान वानी के मारे जाने के बाद हिज़्बुल मुजाहिदीन छोड़कर लश्कर-ए-तय्यबा में शामिल हो गया था. वसीम शाह शोपियां ज़िले का लश्कर कमांडर था. 

2015 में यह तस्वीर वायरल होने के साथ-साथ कश्मीर में आतंकवादियों के लिए प्रचार का माध्यम भी बन गयी थी. माना जा रहा है कि इस तस्वीर के सोशल मीडिया पर वायरल हो जाने के बाद कई कश्मीरी युवाओं ने आतंकवाद की राह पकड़ ली थी. इससे पहले कश्मीर में सक्रिय आतंकी अपनी तस्वीरें इस तरह सामने नहीं लाते थे. कश्मीर में चल रहे करीब तीन दशकों के आतंकवाद के इतिहास में ये पहला मौका था जब एक साथ 11 आतंकी तस्वीरों में दिखे थे. उसके बाद कश्मीर में स्थानीय आतंकियों ने सोशल मीडिया को ही अपना हथियार बनाकर उसी से आतंकवाद को दिशा भी दी. और इसी के जरिए अपने समर्थकों से जुड़ते भी रहे.

आतंक का ऑपरेशन ऑलआउट

कश्मीर में सुरक्षाबलों के लिए इस तस्वीर में दिख रहे आतंकियों का खात्मा नाक का सवाल बन गया था. आखिरकार 14 अक्टूबर 2017 को सेना और सुरक्षाबलों ने कांटे की तरह चुभ रही उस तस्वीर को इतिहास बना ही दिया. लेकिन अब सवाल खड़ा यही होता है कि क्या बुरहान ब्रिगेड के खात्में से कश्मीर में आतंकवाद का खत्म हो गया? लेकिन शायद ऐसा नहीं होगा क्योंकि बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में 130 स्थानीय युवा आतंकवादी बन गए हैं. और उनमें से कई रोजाना मारे भी जा रहे हैं.

कश्मीर में सेना और सुरक्षाबलों की तरफ से ऑपरेशन ऑल-आउट चल रहा है. लेकिन जानकारों का मानना है कि आतंकवाद को ख़त्म करने के लिए आतंकवादियों को मारने से ज्यादा ज़रूरी उन समस्याओं पर काबू पाना है जो आतंकवाद को पैदा करते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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