हमारे देश में बलात्कार शब्द इतनी बार इस्तेमाल किया जाता है कि हर बार इस शब्द का वजन पहले से हल्का हो जाता है. सोचिए जिस देश में हर दिन 90 बलात्कार होने की खबरें आती होंगी, वहां बलात्कार को लेकर लोग कितने संवेदनशील होंगे. कहने का मतलब ये है कि रेप के मामले अब इतने ज्यादा होते हैं कि अब लोग इन खबरों से चौंकते नहीं हैं, जब तक कि पीड़िता के साथ बहुत बुरा न हुआ हो.
ये एक कड़वी सच्चाई है. अखबार बलात्कार की खबरों से पटे रहते हैं. हर दिन ये खबरें आप पढ़ते हैं कि दो साल की बच्ची के साथ बलात्कार, 9 महीने की बच्ची के साथ बलात्कार, जिन महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार होता है उनकी उम्र भी अब हैरान नहीं करती क्योंकि ये अब नॉर्मल है.
कल हैदराबाद के आरोपियों का पुलिस ने एनकाउंटर किया तो आज उन्नाव रेप पीड़िता की मौत हो गई. देश में इन दो मामलों पर खूब हो हल्ला हो रहा है, बिल्कुल वैसा जैसा 2012 में हुआ था निर्भया मामले के बाद. 7 साल में कुछ नहीं बदला, न रेप, न रेप करने वालों की मानसिकता. बदल गई है तो बस रेप के प्रति हमारी संवेदनशीलता. इतने हंगामे के बीच भी हर तरफ से महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों की खबरें ही आ रही हैं.
अब उन्नाव से ही एक खबर आई कि एक 3 साल की बच्ची के साथ बलात्कार की कोशिश की गई. आरोपी को घटनास्थल से ही गिरफ्तार कर लिया गया, जांच जारी है.
बिहार के दरभंगा में एक ऑटो ड्राइवर को 5 साल की बच्ची के साथ रेप के आरोप में गिरफ्तार किया गया. बताया जा रहा है कि वो ड्राइवर बच्ची एक बगीचे में ले...
हमारे देश में बलात्कार शब्द इतनी बार इस्तेमाल किया जाता है कि हर बार इस शब्द का वजन पहले से हल्का हो जाता है. सोचिए जिस देश में हर दिन 90 बलात्कार होने की खबरें आती होंगी, वहां बलात्कार को लेकर लोग कितने संवेदनशील होंगे. कहने का मतलब ये है कि रेप के मामले अब इतने ज्यादा होते हैं कि अब लोग इन खबरों से चौंकते नहीं हैं, जब तक कि पीड़िता के साथ बहुत बुरा न हुआ हो.
ये एक कड़वी सच्चाई है. अखबार बलात्कार की खबरों से पटे रहते हैं. हर दिन ये खबरें आप पढ़ते हैं कि दो साल की बच्ची के साथ बलात्कार, 9 महीने की बच्ची के साथ बलात्कार, जिन महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार होता है उनकी उम्र भी अब हैरान नहीं करती क्योंकि ये अब नॉर्मल है.
कल हैदराबाद के आरोपियों का पुलिस ने एनकाउंटर किया तो आज उन्नाव रेप पीड़िता की मौत हो गई. देश में इन दो मामलों पर खूब हो हल्ला हो रहा है, बिल्कुल वैसा जैसा 2012 में हुआ था निर्भया मामले के बाद. 7 साल में कुछ नहीं बदला, न रेप, न रेप करने वालों की मानसिकता. बदल गई है तो बस रेप के प्रति हमारी संवेदनशीलता. इतने हंगामे के बीच भी हर तरफ से महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों की खबरें ही आ रही हैं.
अब उन्नाव से ही एक खबर आई कि एक 3 साल की बच्ची के साथ बलात्कार की कोशिश की गई. आरोपी को घटनास्थल से ही गिरफ्तार कर लिया गया, जांच जारी है.
बिहार के दरभंगा में एक ऑटो ड्राइवर को 5 साल की बच्ची के साथ रेप के आरोप में गिरफ्तार किया गया. बताया जा रहा है कि वो ड्राइवर बच्ची एक बगीचे में ले गया जहां उसके साथ रेप किया. मासूम बच्ची अस्पताल में है.
मध्य प्रदेश के दमोह में एक लड़की अपने गांव के ही कुछ युवकों की छेड़कानी से इतनी परेशान हो गई कि उसने तालाब में कूदकर अपनी जान दे दी.
केरल को कोट्टायम जिले में नाबालिग बच्ची के साथ पानी मांगने के बहाने से एक शख्स ने रेप किया.
कोलकाता में 6 साल की बच्ची को बाथरूम में बंदकर रेप करने का मामला सामने आया है. पुलिस ने बताया है कि इस मामले में एक 19 साल के शख्स को गिरफ्तार किया गया है. दिल्ली के रोहिणी से खबर आई कि एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और बहू की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी. क्योंकि उसे दोनों के अवैध संबंध होने का शक था.
ये सिर्फ एक दिन के वो मामले थे जो देश की सुर्खियों में आए. ये वो मामले हैं जो तब हुए जब देश में रेप को लेकर इतना आक्रोश हो, जब एक ही दिन पहले हैदराबाद की पुलिस ने रेप के 4 आरोपियों को गोली से उड़ा दिया हो. लेकिन रेपिस्ट पर किसी बहस और किसी कार्यवाई का कोई असर नहीं. इन्हें बेखौफ कहना भी गलत होगा, ये वहशी हैं.
और यही है भारत में महिलाओं की स्थिति. वो अखबारों की सुर्खियों में रेप पीड़िता के रूप में पहचान रखती हैं. रोजाना हर महिला ये खबरें पड़ती है और रोजाना खुद के साथ ऐसा कुछ भी न हो जाने की दुआ करती है. भारत में महिलाओं का यही एक आम दिन होता है.
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