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दिवाली पर समाज से इन 8 बातों को भी साफ करने की जरूरत है!

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 22 अक्टूबर, 2022 05:10 PM
  • 22 अक्टूबर, 2022 04:46 PM
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हमारे समाज और घरों की तरह बहुत सारी गंदगी हमारे मन में भी छिपी हुई है. तो क्यों ना इस बार दिवाली के त्योहार पर घर की सफाई के साथ मन की भी सफाई कर ली जाए.

दिवाली (Diwali 2022) की सफाई में हम घर का एक-एक कोना साफ कर देते हैं मगर कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें समाज से साफ करने की जरूरत है. हमारे घरों की तरह बहुत सारी गंदगी हमारे मन में भी छिपी हुई है. तो क्यों ना इस बार त्योहार के उत्सव में घर की सफाई के साथ मन की भी सफाई कर ली जाए? आइए ऐसी ही कुछ बातों पर नजर डालते हैं जिनकी सफाई करके समाज को महिलाओं के लिए बेहतर बनाया जा सकता है.

क्यों ना इस बार त्योहार के उत्सव में घर की सफाई के साथ मन की भी सफाई कर ली जाए?

1) टॉक्सिक रिलेशनशिप

दिवाली पर अपने रिश्ते को बेहतर बनाने की कोशिश कीजिए. हो सकता है कि माता-पिता, परिवार के किसी सदस्य या पार्टनर के साथ आपका रिश्ता बिगड़ गया हो. इस दिवाली खुद से वादा कीजिए कि आप अपने रिश्ते को बेतरह बनाने की कोशिश करेंगे. कहने का मतलब यह है कि अपने अंदर से कड़वाहट को दूर कीजिए और सामने वाले से बात करने की कोशिश कीजिए. हो सकता है कि आपके बिगड़े रिश्ते को दूसरा मौका मिल जाए.

2) घर के कामों में सहयोग

सिर्फ दिवाली की सफाई में ही नहीं, बाकी के दिनों में ही घर के कामों में अपनी मां या पत्नी का सहयोगा कीजिए. आपकी थोड़ी सी कोशिश उनके चेहरे पर मुस्कान ला सकती है. इससे उन्हें एहसास होगा कि आप उनके बारे में कितना सोचते हैं. आप बच्चों को संभाल सकते हैं, वाशिंग मशीन ऑन कर सकते हैं, बॉलकनी में लगे पौधों को देख सकते हैं, आटा गूंथ सकते हैं, सब्जी काट सकते हैं.

3) बहू-बेटी और बेटा-बेटी में अंतर

दुनिया की हर सास अच्छी होती है. मगर जहां बात अपने बेटे और अपनी बेटी की आती है तो थोड़ा अंतर तो दिख जाता है. एक औरत जब मां होती है तो उसका नजरिया दूसरा होता है और जब वही सास की भूमिका में आती है...

दिवाली (Diwali 2022) की सफाई में हम घर का एक-एक कोना साफ कर देते हैं मगर कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें समाज से साफ करने की जरूरत है. हमारे घरों की तरह बहुत सारी गंदगी हमारे मन में भी छिपी हुई है. तो क्यों ना इस बार त्योहार के उत्सव में घर की सफाई के साथ मन की भी सफाई कर ली जाए? आइए ऐसी ही कुछ बातों पर नजर डालते हैं जिनकी सफाई करके समाज को महिलाओं के लिए बेहतर बनाया जा सकता है.

क्यों ना इस बार त्योहार के उत्सव में घर की सफाई के साथ मन की भी सफाई कर ली जाए?

1) टॉक्सिक रिलेशनशिप

दिवाली पर अपने रिश्ते को बेहतर बनाने की कोशिश कीजिए. हो सकता है कि माता-पिता, परिवार के किसी सदस्य या पार्टनर के साथ आपका रिश्ता बिगड़ गया हो. इस दिवाली खुद से वादा कीजिए कि आप अपने रिश्ते को बेतरह बनाने की कोशिश करेंगे. कहने का मतलब यह है कि अपने अंदर से कड़वाहट को दूर कीजिए और सामने वाले से बात करने की कोशिश कीजिए. हो सकता है कि आपके बिगड़े रिश्ते को दूसरा मौका मिल जाए.

2) घर के कामों में सहयोग

सिर्फ दिवाली की सफाई में ही नहीं, बाकी के दिनों में ही घर के कामों में अपनी मां या पत्नी का सहयोगा कीजिए. आपकी थोड़ी सी कोशिश उनके चेहरे पर मुस्कान ला सकती है. इससे उन्हें एहसास होगा कि आप उनके बारे में कितना सोचते हैं. आप बच्चों को संभाल सकते हैं, वाशिंग मशीन ऑन कर सकते हैं, बॉलकनी में लगे पौधों को देख सकते हैं, आटा गूंथ सकते हैं, सब्जी काट सकते हैं.

3) बहू-बेटी और बेटा-बेटी में अंतर

दुनिया की हर सास अच्छी होती है. मगर जहां बात अपने बेटे और अपनी बेटी की आती है तो थोड़ा अंतर तो दिख जाता है. एक औरत जब मां होती है तो उसका नजरिया दूसरा होता है और जब वही सास की भूमिका में आती है तो उसके व्यवहार में अंतर नजर आने लगता है. वहीं लोग कई लोग बेटियों को पराया धन कहने लगते हैं. जबकि यह बात सच है कि बेटियां भी बेटों की तरह अपने माता-पिता का ही हिस्सा होती हैं. इस दिवाली इसी अंतर को खत्म करने की कोशिश कीजिए.

4) लड़कियों पर शादी का दबाव

लड़की के कॉलेज में पहुंचते ही उस पर शादी का दबाव बनाए जाने लगता है. कई लोग शायद यह सोचते हैं कि कॉलेज कर लिया बहुत है. हाई एजुकेशन तो लड़कियों के लिए है ही नहीं. वह पढ़लिख कर क्या करेगी. कई परिवार हैं जो लड़कियों को पढ़ाते-लिखाते हैं वहीं कई परिवार ऐसे भी हैं जिनका फोकस उनकी शादी पर ही होता है.

5) शादी के बाद बच्चा करने पर दबाव

शादी से पहले लड़कियों से कहा जाता है कि आगे की पढ़ाई ससुराल में जाकर पूरी कर लेना. हम कौन सा तुम्हें पढ़ने से रोक रहे हैं. मगर शादी होने के तुरंत बाद ही लड़की के ऊपर बच्चा करने के लिए दबाव बनाना शुरु हो जाता है. हम यह नहीं कहते है कि मां मत बनो, बनो मगर पहले अपनी पढ़ाई तो पूरी कर लो. अपने पैरों पर खड़ी तो हो जाओ.

6) महिलाओं की सैलरी पर उन्हें अधिकार न देना

कई घरों में महिलाएं नौकरी तो करती हैं मगर उनकी सैलरी पर उनका अधिकार नहीं होता है. उनकी सैलरी का क्या करना है यह पति तय करते हैं. महिलाएं अपनी ही सैलरी अपने हिसाब से खर्च नहीं कर पाती. पैसे कहां इनवेस्ट करने हैं यह महज उनसे बता दिया जाता है.

7) महिला औऱ पुरुष कर्मचारी में अंतर

दुनिया महिला-पुरुष समानता की बातें करती है. मगर आज भी कई कंपनियों में महिला और पुरुष कर्मचारी में अंतर देखने को मिलता है. सेम प्रोफाइल पर काम करने वाले महिला औऱ पुरुष कर्मचारियों की सैलरी में अंतर देखने को मिल जाता है. इतना ही नहीं, काम के मामले में भी महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम आंका जाता है. दिवाली पर इसे भी दूर करने की कोशिश तो कर ही सकते हैं.

8) महिलाओं को जज करना

अक्सर देखा जाता है कि जिन लड़कियों के मेल फ्रेंड्स होते हैं, जो महिलाएं सिंगल जिंदगी जीती हैं, जिन महिलाओं का तलाक हो चुका होता है और जो महिलाएं विधवा होती हैं उन्हें अलग नजरिए से देखा जाता है. इस तरह की महिलाओं को हमेशा जज किया जाता है और उनके कैरैक्टर पर उंगली उठाई जाती है. ऐसा करना बंद कर दीजिए.

इतना ही नहीं हमारे समाज में सेक्सुअल हरासमेंट, दहेज प्रताड़ना, यौन उत्पीड़न और घरेलू हिंसा आम बातें हो चुकी हैं, कई महिलाएं इन अपराधों को झेलती हैं. क्या आपको नहीं लगता है कि इन बातों को समाज से साफ करने की जरूरत है?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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