• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

'मजहबी मान्यता' की आड़ में कोविड वैक्सीन न लगवाने वाले शिक्षक सुपर-स्प्रेडर न बन जाएं!

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 01 दिसम्बर, 2021 09:27 PM
  • 01 दिसम्बर, 2021 09:27 PM
offline
केरल (Kerala) के मुस्लिम धर्म के कुछ सौ नहीं बल्कि, करीब 5000 शिक्षकों और नॉन-टीचिंग स्टाफ (Muslim Teachers) ने कोविड वैक्सीन लगवाने से इनकार कर दिया है. इन तमाम लोगों ने मुस्लिम धर्म की मान्यताओं और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कोरोना टीकाकरण (Covid Vaccine) से किनारा कर लिया है.

भारत में कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में अब तक कोविड वैक्सीन एक बड़ा हथियार साबित हुई है. कोरोना टीकाकरण की रफ्तार को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार पूरा जोर लगा रही है. लेकिन, केरल के मुस्लिम धर्म के कुछ सौ नहीं बल्कि, करीब 5000 शिक्षकों और नॉन-टीचिंग स्टाफ ने कोविड वैक्सीन लगवाने से इनकार कर दिया है. इन तमाम लोगों ने मुस्लिम धर्म की मान्यताओं और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कोरोना टीकाकरण से किनारा कर लिया है. ये हाल तब है, जब केरल में लंबे समय से कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. आज भी देशभर के कुल कोरोना के एक्टिव मामलों के करीब आधे केरल में ही हैं. इसके बावजूद केवल मजहबी आधार पर कोरोना वैक्सीन न लगवाने का फैसला सीधे तौर पर 'आ बैल मुझे मार' का उदाहरण ही नजर आता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो मजहबी आधार पर कोविड वैक्सीन न लगवाने वाले शिक्षक कोरोना के सुपर-स्प्रेडर बन सकते हैं.

केरल में लंबे समय से कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं.

लोगों की जान से ज्यादा तुष्टिकरण की चिंता

यहां गौर करने वाली बात ये है कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पहले भी लोगों की जान से ऊपर अपने वोटबैंक और मुस्लिम तुष्टिकरण को रखा है. कोविड-19 के डेल्टा वेरिएंट ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत में कहर बरपाया था और हजारों जिंदगियों को निगल लिया था. इतना सब कुछ जानने और समझने के बाद भी केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर के बाद बकरीद पर लोगों को बाजार जाने की छूट देकर राज्य में कोरोना महामारी को भयंकर रूप से फैलने का आमंत्रण दिया. मजहबी आधार पर मिली इस छूट की वजह से ही अचानक कोरोना संक्रमण के मामलों में केरल सबसे टॉप पर पहुंच गया था. वैसे, केरल सरकार की ओर से मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के लिए बीते महीने नवंबर में इन शिक्षकों को कोरोना वैक्सीन न लगवाने पर दो हफ्ते के लिए स्कूल न आकर ऑनलाइन क्लास लेने का आदेश जारी किया था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो पिनराई विजयन की सरकार ने मुस्लिम...

भारत में कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में अब तक कोविड वैक्सीन एक बड़ा हथियार साबित हुई है. कोरोना टीकाकरण की रफ्तार को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार पूरा जोर लगा रही है. लेकिन, केरल के मुस्लिम धर्म के कुछ सौ नहीं बल्कि, करीब 5000 शिक्षकों और नॉन-टीचिंग स्टाफ ने कोविड वैक्सीन लगवाने से इनकार कर दिया है. इन तमाम लोगों ने मुस्लिम धर्म की मान्यताओं और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कोरोना टीकाकरण से किनारा कर लिया है. ये हाल तब है, जब केरल में लंबे समय से कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. आज भी देशभर के कुल कोरोना के एक्टिव मामलों के करीब आधे केरल में ही हैं. इसके बावजूद केवल मजहबी आधार पर कोरोना वैक्सीन न लगवाने का फैसला सीधे तौर पर 'आ बैल मुझे मार' का उदाहरण ही नजर आता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो मजहबी आधार पर कोविड वैक्सीन न लगवाने वाले शिक्षक कोरोना के सुपर-स्प्रेडर बन सकते हैं.

केरल में लंबे समय से कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं.

लोगों की जान से ज्यादा तुष्टिकरण की चिंता

यहां गौर करने वाली बात ये है कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पहले भी लोगों की जान से ऊपर अपने वोटबैंक और मुस्लिम तुष्टिकरण को रखा है. कोविड-19 के डेल्टा वेरिएंट ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत में कहर बरपाया था और हजारों जिंदगियों को निगल लिया था. इतना सब कुछ जानने और समझने के बाद भी केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर के बाद बकरीद पर लोगों को बाजार जाने की छूट देकर राज्य में कोरोना महामारी को भयंकर रूप से फैलने का आमंत्रण दिया. मजहबी आधार पर मिली इस छूट की वजह से ही अचानक कोरोना संक्रमण के मामलों में केरल सबसे टॉप पर पहुंच गया था. वैसे, केरल सरकार की ओर से मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के लिए बीते महीने नवंबर में इन शिक्षकों को कोरोना वैक्सीन न लगवाने पर दो हफ्ते के लिए स्कूल न आकर ऑनलाइन क्लास लेने का आदेश जारी किया था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो पिनराई विजयन की सरकार ने मुस्लिम शिक्षकों वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करने की बजाय उनकी मजहबी भावनाओं को और तूल दिया.

बीते महीने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की सरकार की ओर से कोविड वैक्सीन न लगवाने वाले इन मुस्लिम शिक्षकों को छूट देने पर काफी विवाद हुआ था. वहीं, अब भारत समेत दुनिया भर में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (omicron variant) का खतरा मंडराने लगा है, तो केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की नींद में खलल पड़ा है. जिसके बाद केरल के शिक्षा मंत्री वी सिवनकुट्टी बच्चों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार द्वारा जल्द ही स्थिति की समीक्षा करने की बात कहते नजर आ रहे हैं. मतलब कोरोना मामलों में नंबर एक होने के बाद भी केरल सरकार इन शिक्षकों पर कार्रवाई करने की जगह उन्हें और समय देने की बात कर रही है. यह पूरी तरह से समझ से बाहर है कि शिक्षा मंत्री वी सिवनकुट्टी किसे मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं. आखिर जिन शिक्षकों ने इतने महीनों में अब तक कोरोना वैक्सीन का एक भी डोज लगवाने से इनकार कर दिया हो. उन्हें और समय देकर क्या वैक्सीन लगवाने के लिए राजी किया जा सकता है?

कोरोना वैक्सीन न लेने वाले ये 5000 शिक्षक केवल दो मुस्लिम बहुल इलाकों कासरगोड और मलप्पुरम के ही हैं. राज्य में करीब 1.6 लाख स्कूल शिक्षक और 25,000 नॉन टीचिंग स्टाफ है. जिनमें से कितने मुस्लिम शिक्षक होंगे, जिन्होंने कोविड वैक्सीन नहीं ली है, इसके लिए केरल सरकार अभी डेटा जुटा रही है. चौंकाने वाली बात ये है कि पिछले महीने वैक्सीन न लगवाने वाले इन मुस्लिम शिक्षकों और नॉन-टीचिंग स्टाफ की संख्या 2600 के आसपास थी. लेकिन, जांच करने पर एक महीने के अंदर ही इनकी संख्या 5000 के करीब (केवल दो मुस्लिम बहुल इलाकों की) पहुंच चुकी है. इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अन्य इलाकों के मुस्लिम शिक्षकों ने भी कोरोना वैक्सीन लगवाने से परहेज किया ही होगा. तो, आने वाले समय में इस संख्या का और बढ़ना तय है. 

धर्मांधता में जाहिल बने पढ़े-लिखे शिक्षक

यह धर्मांधता ही है कि पढ़े-लिखे शिक्षक भी जाहिलों जैसा व्यवहार कर रहे हैं. क्या इन मुस्लिम शिक्षकों को ये नहीं पता है कि सऊदी अरब, इंडोनेशिया, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात जैसे मुस्लिम देशों में कोविड वैक्सीन को लेकर किसी तरह का कोई भ्रम नहीं है. और, इन देशों की मुस्लिम आबादी टीकाकरण के मामले में कोई कोताही नहीं बरत रही है. शुरुआती हिचक के बाद इन सभी मुस्लिम देशों ने वैक्सीन को अपनाया है. मलेशिया में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने साफ किया है कि कोविड वैक्सीन लगवाना सभी के लिए अनिवार्य है.

भारत में कोरोना टीकाकरण में इस्तेमाल की जा रही ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका यानी कोविशील्ड को कई मेडिकल और मजहबी संस्थाओं ने शरिया के हिसाब से सही बताया है. वैक्सीन में इस्तेमाल की जाने वाली चीजों को लेकर फैले भ्रम को खत्म करने के लिए सैकड़ों बार जानकारी दी जा चुकी है. इसके बाद भी ये धर्मांध शिक्षक वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार नही हैं. इसे जाहिलियत की पराकाष्ठा ही कहा जाएगा कि भारत के तमाम मुस्लिम नेता भी कोरोना वैक्सीन लगवा चुके हैं. भारत के तमाम मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी वैक्सीन लगवाने के लिए अपील जारी की है. इसके बावजूद भी ये शिक्षक जान-बूझकर कोरोना के सुपर-स्प्रेडर बनने की तैयारी कर रहे हैं.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲