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'मैं भी चौकीदार' से बड़ा कैंपेन हो सकता है 'बेरोजगार', बशर्ते...

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 19 मार्च, 2019 10:26 PM
  • 19 मार्च, 2019 10:26 PM
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प्रधानमंत्री की मुहीम 'मैं भी चौकीदार' के काउंटर में कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने खुद को 'बेरोजगार' बताया है. कह सकते हैं कि कांग्रेस ने दाव अच्छा खेला है और आगे इसपर राजनीति न करते हुए इसे यहीं छोड़ देना चाहिए.

2019 का आम चुनाव आने में बस कुछ वक़्त शेष है. ऐसे में जो सियासी समीकरण स्थापित हुए हैं वो अपने आप में दिलचस्प हैं. कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी द्वारा बार बार ये कहने के बाद कि 'चौकीदार चोर है.' ट्विटर पर 'मैं भी चौकीदार' ट्रेंड में हैं. क्या प्रधानमंत्री, क्या उनके सहयोगी देश के एक बहुत बड़े वर्ग ने अपने प्रधानमंत्री की देखा देखी सोशल मीडिया पर अपने नाम के पहले चौकीदार लगा दिया है. सत्ता पक्ष जहां एक तरफ अपने को चौकीदार कह रहा है. तो वहीं विपक्ष का ये आरोप है कि ऐसा करते हुए सत्ताधारी दल भाजपा कहीं न कहीं अपनी कमियां छुपाने का प्रयास कर रहा है. मामले को लेकर विपक्ष का ये भी आरोप है कि ऐसा करके प्रधानमंत्री और उनके दल द्वारा जहां एक तरह आम जनता को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है. तो वहीं दूसरी तरफ ऐसा करके भाजपा असल चौकीदारों का भी मजाक उड़ाती नजर आ रही है.

आम चुनाव से पहले हार्दिक पटेल ने खुद को बेरोजगार बताकर एक बड़ा दाव खेला है

मैं भी चौकीदार पर आरोप प्रत्यारोप लगातार जारी हैं. ऐसे में जो गुजरात से कांग्रेसी नेता हार्दिक पटेल ने किया, उसने इस पूरी बहस को एक नई दिशा दे दी है. गुजरात में पाटीदार समुदाय के लिए लगातार संघर्ष करने वाले कांग्रेसी नेता हार्दिक पटेल ने अपने नाम के पीछे 'बेरोजगार' लगाया है. हार्दिक की इस पहल के बाद साफ हो गया है कि 2019 के आम चुनाव से पहले राजनीति में चौकीदार से इतर अगर कोई चीज वाकई बहुत बड़ी है तो वो और कुछ नहीं बल्कि बेरोजगारी है.

खुद को बेरोजगार बताकर हार्दिक पटेल पीएम मोदी को सीधा मुकाबला देते...

2019 का आम चुनाव आने में बस कुछ वक़्त शेष है. ऐसे में जो सियासी समीकरण स्थापित हुए हैं वो अपने आप में दिलचस्प हैं. कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी द्वारा बार बार ये कहने के बाद कि 'चौकीदार चोर है.' ट्विटर पर 'मैं भी चौकीदार' ट्रेंड में हैं. क्या प्रधानमंत्री, क्या उनके सहयोगी देश के एक बहुत बड़े वर्ग ने अपने प्रधानमंत्री की देखा देखी सोशल मीडिया पर अपने नाम के पहले चौकीदार लगा दिया है. सत्ता पक्ष जहां एक तरफ अपने को चौकीदार कह रहा है. तो वहीं विपक्ष का ये आरोप है कि ऐसा करते हुए सत्ताधारी दल भाजपा कहीं न कहीं अपनी कमियां छुपाने का प्रयास कर रहा है. मामले को लेकर विपक्ष का ये भी आरोप है कि ऐसा करके प्रधानमंत्री और उनके दल द्वारा जहां एक तरह आम जनता को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है. तो वहीं दूसरी तरफ ऐसा करके भाजपा असल चौकीदारों का भी मजाक उड़ाती नजर आ रही है.

आम चुनाव से पहले हार्दिक पटेल ने खुद को बेरोजगार बताकर एक बड़ा दाव खेला है

मैं भी चौकीदार पर आरोप प्रत्यारोप लगातार जारी हैं. ऐसे में जो गुजरात से कांग्रेसी नेता हार्दिक पटेल ने किया, उसने इस पूरी बहस को एक नई दिशा दे दी है. गुजरात में पाटीदार समुदाय के लिए लगातार संघर्ष करने वाले कांग्रेसी नेता हार्दिक पटेल ने अपने नाम के पीछे 'बेरोजगार' लगाया है. हार्दिक की इस पहल के बाद साफ हो गया है कि 2019 के आम चुनाव से पहले राजनीति में चौकीदार से इतर अगर कोई चीज वाकई बहुत बड़ी है तो वो और कुछ नहीं बल्कि बेरोजगारी है.

खुद को बेरोजगार बताकर हार्दिक पटेल पीएम मोदी को सीधा मुकाबला देते नजर आ रहे हैं

कह सकते हैं एक ऐसे समय में जब प्रमुख विरोधी दल कांग्रेस, देश की सरकार को नौकरी पर घेर रहा हो. बेरोजगारी का शुमार देश की बड़ी समस्याओं में है. बात चूंकि हार्दिक पटेल की चल रही है, तो ऐसा नहीं है कि हार्दिक अभी हाल में ही देश के युवाओं के रोजगार के विषय में संजीदा हुए हैं. हार्दिक लगातर इस मुद्दे पर ट्वीट कर रहे हैं.

नौकरी को लेकर किया गया हार्दिक का ट्वीट

हार्दिक ने इसी साल 6 मार्च को एक ट्वीट किया था. ट्वीट में हार्दिक ने कहा था और बताया है कि कैसे पीएम मोदी के राज में बेरोजगारी ने अपने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. आपको बताते चलें कि अपने इस कथन के लिए हार्दिक ने अभी हाल में ही आई CMIE की रिपोर्ट का हवाल दिया था.

अपने ट्वीट में सरकार से कई अहम सवाल पूछते हार्दिक पटेल

इसी तरह हार्दिक ने एक अन्य ट्वीट 11 मार्च को भी किया था और उन तमाम मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने का काम किया था जिसपर अमूमन सरकार अपने को बचाती नजर आ रही है.

चुनाव से ठीक पहले जिस तरह ये चौकीदार बनाम बेरोजगार का ये मामला शुरू हुआ है वो अपने आप में खासा दिलचस्प है. कह सकते हैं कि हार्दिक के रूप में कांग्रेस ने एक अच्छी चल चली है अब बस उसे यही छोड़ देना चाहिए और आगे की रणनीति पर ध्यान देना चाहिए. गौरतलब है कि सारी बातों से इतर भारत में रोजगार हमेशा ही एक बड़ा मुद्दा रहा है. चूंकि चुनाव नजदीक हैं इसलिए कहीं न कहीं देश के लोगों में भी इस मुद्दे को लेकर अपनी सरकार से शिकायत है.

देश में बेरोजगारी कैसे एक बड़ी समस्या में परिवर्तित हो गई है? इस प्रश्न को समझना हो तो हम ट्विटर के ही एक अन्य ट्रेंड 'मैं भी बेरोजगार' का अवलोकन कर सकते हैं. माना जा रहा है कि ट्विटर पर चल रहा ये नया ट्रेंड 'मैं भी चौकीदार' का काउंटर है. इस ट्रेंड के बाद अपने आप ही ये बात साफ हो जाती है कि नौकरी न मिलने से देश के लोग किस हद तक कुंठा में हैं और कहीं न कहीं अवसाद का शिकार हो रहे हैं.  

रोजगार तो लेकर जनता में किस हद तक रोष है? जब इसे जानने के लिए हमने ट्विटर का रुख किया तो परिणाम वाकई चौकाने वाले थे. वहां ऐसे लोगों की बहुतायत थी जिनका मानना था कि हमें 'मैं भी चौकीदार' नहीं बल्कि 'मैं भी बेरोजगार जैसे ट्रेंड की जरूरत है.

सोशल मीडिया पर लोग भी मैं भी बेरोजगार पहल का समर्थन करते नजर आ रहे हैं

सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम यूजर हैं जिनका मानना है कि अब वो वक़्त आ गया है जब देश की सरकार को इस अहम समस्या पर गंभीर हो जाना चाहिए.

सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम यूजर हैं जो कह रहे हैं कि आज युवा चौकीदार नहीं बल्कि बेरोजगार है

ट्विटर पर हमें देश के आम आदमी के मुंह से ये तक सुनाई दिया कि आज का युवा चौकीदार नहीं बल्कि बेरोजगार है जिसे और कुछ नहीं बस ढंग की नौकरी चाहिए.

रोजगार पर पब्लिक का आक्रोश और हार्दिक की राजनीति का ये अंदाज देखकर हमारे लिए ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि वर्तमान में विपक्ष और जनता दोनों के ही पास बेरोगजारी के रूप में एक ऐसा हथियार मौजूद है जिसके दम पर वो दिन में ही अपनी सारकार को तारे दिखा सकती है.

ज्ञात हो कि किसी भी राष्ट्र को समृद्ध तभी माना जाता है जब वहां रहने वाले लोगों के पास रोजगार हो. कह सकते हैं देश की सरकार को भी अपने देश के बेरोजगारों के साथ भी ठीक वैसा ही सलूक करना चाहिए जैसा वो किसानों के साथ करती है. ध्यान रहे कि चुनाव आते ही जहां एक तरह किसानों के कर्जे माफ हो जाते हैं तो वहीं उनके लिए ऐसी कई परियोजनाओं की शुरुआत कर दी जाती है जो उनके लिए हितकर होती है और जिन्हें ध्यान में रखकर किसान वोट देते हैं.

भारत एक युवा देश है. अतः हमारे लिए भी ये देखना दिलचस्प रहेगा कि हार्दिक की ये शुरुआत कितनी आगे जाती है और कैसे रोजगार या फिर बेरोजगारी निकट भविष्य में एक बड़ा मुद्दा बन देश में एक बिल्कुल नई तरह की क्रांति का संचार करता है.

अंत में बस इतना ही कि कांग्रेस द्वारा उठाया गया ये मुद्दा धीरे धीरे रंग ला रहा है. ऐसे में उसे कोई जल्दबाजी न करते हुए उसे यही छोड़ देना चाहिए. उसे ये याद रखना चाहिए कि यदि उसने इसपर राजनीति की तो इस मुद्दे की भूर्ण हत्या हो जाएगी और फिर उसके लिए भाजपा और पीएम मोदी को घेरना उतना भी आसान नहीं रहेगा. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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