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नकली नीरव मोदी की नहीं ये असली मेहुल चौकसी की कहानी है!

    • आईचौक
    • Updated: 19 मार्च, 2019 11:15 AM
  • 19 मार्च, 2019 11:15 AM
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पीएम नरेंद्र मोदी को ट्रोल करने वालों को एक और कारण मिल गया है. अब मेहुल चौकसी ने पीएम मोदी पर पीएचडी थीसिस लिख डाली है. चौंकिए मत, सच्चाई यही है.

हिंदुस्तान में नीरव मोदी और मेहुल चौकसी रजिस्टर्ड फ्रॉड बन गए हैं. बैंकों का हज़ारों करोड़ रुपया लेकर भागने वाले इन दोनों की चर्चा आए दिन चलती रहती है भले ही वो नीरव मोदी के लंदन में महंगा जैकेट पहन कर आने की बात हो या फिर मेहुल चौकसी की एंटिगुआ की नागरिकता की, लेकिन इन दोनों ने कई सुर्खियां बटोरी. पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर भी बहुत सी चर्चा हुई कि आखिर उनके रहते इतने बड़े फ्रॉड हो कैसे गए.

इस बार भी इन दोनों का ही नाम नरेंद्र मोदी से जुड़ी खबरों से सामने आया है और कारण फ्रॉड नहीं बल्कि कुछ और ही है. सबसे पहले बात करते हैं मेहुल चौकसी की. ये वो इंसान हैं जिन्होंने नरेंद्र मोदी पर PhD का थीसिस पूरा कर लिया है. जी चौंकिए मत.. ये फ्रॉड मेहुल चौकसी नहीं बल्कि गुजरात के एक वकील मेहुल चौकसी हैं जो अपने नाम के कारण परेशान हो रहे हैं. जैसे ही ये खबर फैली कि मेहुल चौकसी ने नरेंद्र मोदी पर PhD का कोई प्रोजेक्ट पूरा कर लिया है वैसे ही इंटरनेट पर न सिर्फ डॉक्टर मेहुल चौकसी को बधाई देने का सिलसिला शुरू हुआ बल्कि उनके नाम के कारण उन्हें ट्रोल करने का सिलसिला भी शुरू हो गया.

मेहुल चौकसी के पीएचडी करने की बात को लेकर जिस तरह उन्हें ट्रोल किया जा रहा है वो सोशल मीडिया की क्रिएटिविटी भी बताता है.

मेहुल चौकसी वीर नर्मद साउथ गुजरात यूनिवर्सिटी (सूरत) के स्टूडेंट हैं और लोग उन्हें सिर्फ उनके नाम के लिए नहीं ट्रोल कर रहे हैं बल्कि इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि उनका पीएचडी का सब्जेक्ट नरेंद्र मोदी हैं.

मेहुल चौकसी पेशे से एक वकील हैं जो पॉलिटिकल साइंस की शिक्षा लिए हुए हैं और उनकी थीसिस का टॉपिक है "Leadership nder Government: Case Study of...

हिंदुस्तान में नीरव मोदी और मेहुल चौकसी रजिस्टर्ड फ्रॉड बन गए हैं. बैंकों का हज़ारों करोड़ रुपया लेकर भागने वाले इन दोनों की चर्चा आए दिन चलती रहती है भले ही वो नीरव मोदी के लंदन में महंगा जैकेट पहन कर आने की बात हो या फिर मेहुल चौकसी की एंटिगुआ की नागरिकता की, लेकिन इन दोनों ने कई सुर्खियां बटोरी. पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर भी बहुत सी चर्चा हुई कि आखिर उनके रहते इतने बड़े फ्रॉड हो कैसे गए.

इस बार भी इन दोनों का ही नाम नरेंद्र मोदी से जुड़ी खबरों से सामने आया है और कारण फ्रॉड नहीं बल्कि कुछ और ही है. सबसे पहले बात करते हैं मेहुल चौकसी की. ये वो इंसान हैं जिन्होंने नरेंद्र मोदी पर PhD का थीसिस पूरा कर लिया है. जी चौंकिए मत.. ये फ्रॉड मेहुल चौकसी नहीं बल्कि गुजरात के एक वकील मेहुल चौकसी हैं जो अपने नाम के कारण परेशान हो रहे हैं. जैसे ही ये खबर फैली कि मेहुल चौकसी ने नरेंद्र मोदी पर PhD का कोई प्रोजेक्ट पूरा कर लिया है वैसे ही इंटरनेट पर न सिर्फ डॉक्टर मेहुल चौकसी को बधाई देने का सिलसिला शुरू हुआ बल्कि उनके नाम के कारण उन्हें ट्रोल करने का सिलसिला भी शुरू हो गया.

मेहुल चौकसी के पीएचडी करने की बात को लेकर जिस तरह उन्हें ट्रोल किया जा रहा है वो सोशल मीडिया की क्रिएटिविटी भी बताता है.

मेहुल चौकसी वीर नर्मद साउथ गुजरात यूनिवर्सिटी (सूरत) के स्टूडेंट हैं और लोग उन्हें सिर्फ उनके नाम के लिए नहीं ट्रोल कर रहे हैं बल्कि इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि उनका पीएचडी का सब्जेक्ट नरेंद्र मोदी हैं.

मेहुल चौकसी पेशे से एक वकील हैं जो पॉलिटिकल साइंस की शिक्षा लिए हुए हैं और उनकी थीसिस का टॉपिक है "Leadership nder Government: Case Study of Narendra Modi". मेहुल चौकसी का कहना है कि उन्होंने 450 खास लोगों से मिलकर ये रिसर्च की है. इसमें सरकारी कर्मचारी, अधिकारी, किसान, स्टूडेंट सभी शामिल हैं. ANI ने जो फोटो शेयर की है उसमें मेहुल चौकसी खुद नरेंद्र मोदी के साथ खड़े हैं.

साथ ही, चौकसी का दावा है कि 81 प्रतिशत लोग जिनसे वो मिले उन्हें लगा कि नरेंद्र मोदी सरकार का असर पॉजिटिव है, इसमें से 34 लोगों का कहना है कि मोदी सरकार का सबसे बड़ा हथियार है पारदर्शिता और 31 प्रतिशत लोगों ने माना कि मोदी सरकार की सत्यता ज्यादा जरूरी है. हालांकि, इसमें निगेटिव रिस्पॉन्स भी थे, लेकिन अधिकतर पॉजिटिव कमेंट्स ही थे. मेहुल चौकसी ने सभी प्रतिभागियों को 32 सवालों की एक प्रश्नावली दी थी. सबने उसी का जवाब दिया था.

मेहुल चौकसी के पीएचडी गाइड नीलेश जोशी का कहना है कि लोगों से बात करना और देश के सबसे ताकतवर लोगों में से एक के बारे में सवाल पूछना और फिर उनके बारे में लिखना कि उनका काम कैसा है ये आंखें खोलने वाला अनुभव रहा. उनके बारे में बिना किसी पक्षपात के लिखना ही सबसे ज्यादा जरूरी था और मेहुल चौकसी ने ये काम पूरी निष्ठा के साथ निभाया है.

पर इंटरनेट को क्या कहें. उसे तो ट्रोल करने के लिए एक और वाक्या मिल गया.

इस खबर पर मोदी समर्थक और मोदी विरोधी सभी आपस में भिड़ गए हैं.

खैर, जब बात मेहुल चौकसी की हो रही है तो नीरव मोदी को आखिर कैसे छोड़ा जा सकता है. तो हुआ कुछ यूं कि जैसे ही नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी भाजपा ने #MainBhiChowkidar हैशटैग के साथ चौकीदार वाली कैंपेन शुरू की वैसे ही न सिर्फ उनके भक्त बल्कि उनके विरोधियों ने भी इसी हैशटैग के साथ ट्वीट करना और उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया. लेकिन बात कुछ यूं हुई कि भाजपा IT सेल ने ट्विटर पर ऑटोरिप्लाई शुरू किया जहां नरेंद्र मोदी के आधिकारिक वेरिफाइड अकाउंट से इस हैशटैग का इस्तेमाल करने वाले सभी लोगों को रिप्लाई जाने लगा और नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रिया कहा जाने लगा.

अब शायद नरेंद्र मोदी की मीडिया मैनेजमेंट टीम ये भूल गई थी कि सिर्फ साथ देने के लिए नहीं बल्कि ट्रोल करने के लिए भी ट्विटर पर हैशटैग का इस्तेमाल किया जाता है. इस गड़बड़ी के कारण नरेंद्र मोदी के आधिकारिक अकाउंट से नीरव मोदी पैरोडी अकाउंट को भी थैंक्यू गए.

इस लिस्ट में सिर्फ नीरव मोदी नहीं बल्कि नेहरू की गलती है और लालू प्रसाद यादव के पैरोडी अकाउंट्स भी शामिल थे.

नरेंद्र मोदी को ट्रोल करने वालों ने अंबानी का चेला नाम से भी अकाउंट बनाया हुआ है और उस अकाउंट पर भी इसी तरह का रिस्पॉन्स गया.

देश की तरक्की के लिए शुक्रिया पाने वालों की लिस्ट बहुत लंबी थी.

इसमें एक अकाउंट तो 'मोदी ले डूबेगा' था.

इसी तरह लालू प्रसाद यादव, नेहरू की गलती, ध्रुव राठी जैसे ट्विटर अकाउंट्स पर भी इसी तरह की ट्वीट की गई है. यानी नरेंद्र मोदी ने उनका मजाक उड़ाने वाले लोगों को भी इसी तरह से शुक्रिया किया.

आलम ये था कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्लाह ने भी नरेंद्र मोदी को लेकर चुटकी ले ली.

अब भले ही नीरव मोदी का वो अकाउंट फेक रहा हो, लेकिन आखिर नाम तो यहां नीरव मोदी और मेहुल चौकसी का ही हुआ. और इस बार भी जाने अनजाने में बात नरेंद्र मोदी की हो ही गई. कोई कितनी भी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इन दोनों गुजरातियों के घोटाले को भूलना आसान नहीं है और शायद यही वजह है कि इन दोनों खबरों का असर अभी भी हो रहा है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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