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तो क्या पीएम मोदी का चमचा बन, अनुपम ला पाएंगे अपने प्रोफेशनल बाग में बहार?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 30 जनवरी, 2018 10:46 AM
  • 30 जनवरी, 2018 10:46 AM
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अनुपम खेर का पीएम मोदी और उनकी नीतियों का गुणगान करना कोई नई बात नहीं है. अनुपम अपने को खुले तौर पर पीएम का चमचा मान चुके हैं इसके बाद सवाल ये उठता है कि क्या अनुपम अब अपने आलोचकों से बच पाएंगे?

किसी भी व्यक्ति को लेकर दूसरे व्यक्ति के विचार, या तो अच्छे होते हैं, या बुरे. इन विचारों में बीच का कुछ भी नहीं होता. व्यक्ति अगर किसी से प्रेम करता है तो फिर वहां प्रेम होता है. यदि वही व्यक्ति किसी से द्वेष रखे तो वहां केवल द्वेष की भावना होती है. प्रायः ऐसा कम ही देखने को मिलता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से, एक ही समय में प्रेम और द्वेष दोनों रखे. अभिनेता अनुपम खेर को ही देखिये, ये बात किसी से छुपी नहीं है कि वो पीएम मोदी के जबरदस्त फैन हैं. हमारे आस पास ऐसे कई मौके आए हैं जब अनुपम अलग-अलग मंचों से पीएम मोदी की तारीफ करते नजर आए हैं. कहा जा सकता है कि ये देश के प्रधानमंत्री का व्यक्तित्व ही है जिसके चलते अनुपम को पीएम मोदी  का चमचा बनने से भी गुरेज नहीं है.

ऐसे कई मौके आएं हैं जब अनुपम खेर प्रधानमंत्री की हां में हां मिलाते हुए नजर आए हैं

जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. अनुपम खेर का मानना है कि,'किसी दूसरे की बाल्टी बनने से अच्छा है मैं नरेंद्र मोदी का चमचा बन जाऊं.' दरअसल हुआ ये था कि अनुपम इंडिया टीवी के कार्यक्रम 'आप की अदालत' में आए थे, और वहां बड़ी ही बेबाकी से पत्रकार रजत शर्मा द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दे रहे थे.

पत्रकार रजत शर्मा के पूछने पर कि, जिस तरह वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफें करते रहते हैं लोगों ने उन्हें पीएम का चमचा मान लिया है. इसपर अपना पक्ष रखते हुए अनुपम का तर्क था कि, "लोग ठीक बोलते हैं, मैं मोदी का चमचा हूं. किसी और की बाल्टी होने से अच्छा है कि मैं किसी का चमचा बन जाऊं"

ज्ञात हो कि ये पहली बार नहीं है जब अनुपम ने इस हद...

किसी भी व्यक्ति को लेकर दूसरे व्यक्ति के विचार, या तो अच्छे होते हैं, या बुरे. इन विचारों में बीच का कुछ भी नहीं होता. व्यक्ति अगर किसी से प्रेम करता है तो फिर वहां प्रेम होता है. यदि वही व्यक्ति किसी से द्वेष रखे तो वहां केवल द्वेष की भावना होती है. प्रायः ऐसा कम ही देखने को मिलता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से, एक ही समय में प्रेम और द्वेष दोनों रखे. अभिनेता अनुपम खेर को ही देखिये, ये बात किसी से छुपी नहीं है कि वो पीएम मोदी के जबरदस्त फैन हैं. हमारे आस पास ऐसे कई मौके आए हैं जब अनुपम अलग-अलग मंचों से पीएम मोदी की तारीफ करते नजर आए हैं. कहा जा सकता है कि ये देश के प्रधानमंत्री का व्यक्तित्व ही है जिसके चलते अनुपम को पीएम मोदी  का चमचा बनने से भी गुरेज नहीं है.

ऐसे कई मौके आएं हैं जब अनुपम खेर प्रधानमंत्री की हां में हां मिलाते हुए नजर आए हैं

जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. अनुपम खेर का मानना है कि,'किसी दूसरे की बाल्टी बनने से अच्छा है मैं नरेंद्र मोदी का चमचा बन जाऊं.' दरअसल हुआ ये था कि अनुपम इंडिया टीवी के कार्यक्रम 'आप की अदालत' में आए थे, और वहां बड़ी ही बेबाकी से पत्रकार रजत शर्मा द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दे रहे थे.

पत्रकार रजत शर्मा के पूछने पर कि, जिस तरह वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफें करते रहते हैं लोगों ने उन्हें पीएम का चमचा मान लिया है. इसपर अपना पक्ष रखते हुए अनुपम का तर्क था कि, "लोग ठीक बोलते हैं, मैं मोदी का चमचा हूं. किसी और की बाल्टी होने से अच्छा है कि मैं किसी का चमचा बन जाऊं"

ज्ञात हो कि ये पहली बार नहीं है जब अनुपम ने इस हद तक खुलकर अपनी बात रखी है और पीएम तथा उनकी नीतियों का समर्थन किया है. कश्मीरी पंडितों से लेकर देश के अन्य ज्वलंत मुद्दों तक, एक लम्बे वक़्त से सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर पर सक्रिय अनुपम अपनी राय दे रहे हैं और पीएम मोदी और उनकी नीतियों पर हां में हां मिला रहे हैं. अनुपम को लेकर उनके आलोचकों तक का मानना है कि जिस तरह से आज वो भाजपा और प्रधानमंत्री का गुणगान कर रहे हैं वो दिन दूर नहीं, जब सरकार से उन्हें इसका सिला मिल जाए और कोई बड़ा पद उनकी झोली में आकर गिर जाए.

गौरतलब है कि रजत शर्मा के जिस शो में ये सारी बात चीत हुई शर्मा ने लोगों में उत्सुकता डालने के लिए अनुपम खेर के साथ हुई अपनी बातचीत के एक छोटे से अंश को ट्विटर पर शेयर किया है. ध्यान रहे कि शर्मा द्वारा इसे ट्विटर पर शेयर किये जाने के बाद उन्हें लोगों से प्रतिक्रिया मिलनी शुरू हो गयी है. लोगों का तर्क ही कि अनुपम आज जो भी बोल रहे हैं उसमें उनकी मंशा यही है कि वो लगातार प्रधानमंत्री की नजरों में आएं और उन्हें वो मुकाम हासिल हो जाए जिसकी एक लम्बे समय से उन्हें तलाश है.

बहरहाल, ये बयान अनुपम ने क्यों और क्या सोचकर दिया इसका तो वही जानें मगर हां एक बात तो है कि देश की जनता को तब आश्चर्य में नहीं पड़ना चाहिए जब हम कल इस बड़े बयान के फलस्वरूप अनुपम को किसी महत्वपूर्ण कुर्सी से बड़े फैसले लेते हुए देख लें. अंत में हम ये कहकर अपनी बात खत्म करेंगे कि कुल मिलाकर अब अनुपम के अच्छे दिनों की शुरुआत हो गयी है और बहुत जल्द उनके बागों में भी बहार आ ही जाएगी. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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