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त्रिपुरा चुनाव में भाजपा की जीत में योगी आदित्यनाथ की अहम भूमिका

    • अमित अरोड़ा
    • Updated: 05 मार्च, 2018 08:41 PM
  • 05 मार्च, 2018 08:41 PM
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भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता कई वर्षों से त्रिपुरा में भाजपा के विस्तार के लिए धरातल पर काम कर रहे थे. त्रिपुरा में भाजपा की जीत उन सामान्य कार्यकर्ताओं के परिश्रम की जीत तो है ही, पर योगी के करिश्मे ने इस जीत को और विशाल बना दिया.

त्रिपुरा चुनाव में भाजपा को अभूतपूर्व जीत हासिल हुई है. 25 साल से चल रही वामपंथी सरकार को उखाड़ फैंकने में भाजपा के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं का योगदान है. भाजपा के त्रिपुरा प्रभारी सुनील देवधर, प्रदेश अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब और राम माधव के सिर इस जीत का सेहरा बांधा जा रहा है. भाजपा की विजय में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी अहम भूमिका है.

त्रिपुरा में बीजेपी को जीत दिलाने में योगी आदित्यनाथ की भी बड़ी भूमिका रही

त्रिपुरा के 20 विधानसभा क्षेत्रों में नाथ संप्रदाय के अनुयायी, प्रत्याशियों की जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. राज्य के बांग्ला भाषी हिंदू समाज का एक बड़ा हिस्सा नाथ संप्रदाय और शैव परंपरा से जुड़ा हुआ है. नाथ संप्रदाय केंद्र की 'अन्य पिछड़ा वर्ग' की श्रेणी में आते हैं तथा त्रिपुरा का एक प्रभावशाली समुदाय है.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ को इन 20 विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार के लिए उतारा. त्रिपुरा के चुनाव प्रचार में योगी आदित्यनाथ ने सात जन सभाओं और दो रोड शो में हिस्सा लिया. इन 20 विधानसभा क्षेत्रों में से 17 में भाजपा ने जीत हासिल की है. भाजपा ने कुल 35 विधानसभा क्षेत्रों में विजय हासिल की है, अर्थात आधे क्षेत्रों में योगी आदित्यनाथ का योगदान काम आया है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के अलावा योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ पीठ के महंत भी हैं. यह पीठ देश भर में फैले नाथ संप्रदाय के अनुयायियों के लिए अत्यंत श्रद्धेय स्थान है. नाथ संप्रदाय से जुड़े होने के कारण संप्रदाय के अनुयायियों में उनके प्रति के विशेष आस्था और सम्मान का भाव है.

त्रिपुरा चुनाव में भाजपा को अभूतपूर्व जीत हासिल हुई है. 25 साल से चल रही वामपंथी सरकार को उखाड़ फैंकने में भाजपा के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं का योगदान है. भाजपा के त्रिपुरा प्रभारी सुनील देवधर, प्रदेश अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब और राम माधव के सिर इस जीत का सेहरा बांधा जा रहा है. भाजपा की विजय में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी अहम भूमिका है.

त्रिपुरा में बीजेपी को जीत दिलाने में योगी आदित्यनाथ की भी बड़ी भूमिका रही

त्रिपुरा के 20 विधानसभा क्षेत्रों में नाथ संप्रदाय के अनुयायी, प्रत्याशियों की जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. राज्य के बांग्ला भाषी हिंदू समाज का एक बड़ा हिस्सा नाथ संप्रदाय और शैव परंपरा से जुड़ा हुआ है. नाथ संप्रदाय केंद्र की 'अन्य पिछड़ा वर्ग' की श्रेणी में आते हैं तथा त्रिपुरा का एक प्रभावशाली समुदाय है.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ को इन 20 विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार के लिए उतारा. त्रिपुरा के चुनाव प्रचार में योगी आदित्यनाथ ने सात जन सभाओं और दो रोड शो में हिस्सा लिया. इन 20 विधानसभा क्षेत्रों में से 17 में भाजपा ने जीत हासिल की है. भाजपा ने कुल 35 विधानसभा क्षेत्रों में विजय हासिल की है, अर्थात आधे क्षेत्रों में योगी आदित्यनाथ का योगदान काम आया है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के अलावा योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ पीठ के महंत भी हैं. यह पीठ देश भर में फैले नाथ संप्रदाय के अनुयायियों के लिए अत्यंत श्रद्धेय स्थान है. नाथ संप्रदाय से जुड़े होने के कारण संप्रदाय के अनुयायियों में उनके प्रति के विशेष आस्था और सम्मान का भाव है.

त्रिपुरा में योगी आदित्यनाथ खासे लोकप्रिय हैं

त्रिपुरा में लगभग 18 गोरखनाथ मंदिर हैं. चुनाव प्रचार में लोगों ने योगी आदित्यनाथ को गुरु की तरह आदर दिया तथा उनकी बातों को बहुत धैर्य से सुना. प्रचार के समय लोग उनके पैर छूने को भी आतुर देखे गए, जिससे उनकी लोकप्रियता का पता चलता है.

भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता कई वर्षों से त्रिपुरा में भाजपा के विस्तार के लिए धरातल पर काम कर रहे थे. भाजपा की राज्य में जीत उन सामान्य कार्यकर्ताओं के परिश्रम की जीत तो है ही, पर योगी के करिश्मे ने इस जीत को और विशाल बना दिया.

आगामी कर्नाटक चुनाव में भी नाथ संप्रदाय कुछ स्थानों में निर्णायक भूमिका निभाता है. योगी वहां भी भाजपा के लिए ट्रंप कार्ड साबित होने वाले हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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