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यूपी में सरकारी प्रयासों के बाद अपनी माटी की सुगंध से महकेगी दीवाली...

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 09 नवम्बर, 2020 03:56 PM
  • 09 नवम्बर, 2020 03:56 PM
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स्वदेशीकरण, स्वरोजगार, आत्मनिर्भरता, अपनी संस्कृति की रक्षा, शिल्पकारों, कुम्हारों को बढ़ावा, रोजगार के अवसर और शत्रु शक्तियों को शिकस्त देने के लिए योगी सरकार ने दीवाली (Diwali) को अपनी माटी से जोड़ा है. योगी सरकार (Yogi Government )में बना नया- नवेला माटी कला बोर्ड दीपावली के बाजारों में अपनी मट्टी के उत्पादों को बाजार में उतार रहा है.

उत्तर प्रदेश (ttar Pradesh) की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार आपदा मे ही नहीं खुशियों मे भी अवसर तलाश लेती है. यूपी मे इस बार की दीवाली ख़ास होगी और पूरे भारत को एक ख़ास संदेश देगी. त्योहार (Festivals) की खुशियों में अपनी मट्टी की सुगंध महकेगी. स्वदेशीकरण, स्वरोजगार, आत्मनिर्भरता, अपनी संस्कृति की रक्षा, शिल्पकारों, कुम्हारों को बढ़ावा, रोजगार के अवसर और शत्रु शक्तियों को शिकस्त देने के लिए योगी सरकार ने दीवाली को अपनी माटी से जोड़ा है. योगी सरकार में बना नया- नवेला माटी कला बोर्ड दीपावली के बाजारों में अपनी मट्टी के उत्पादों को बाजार में उतार रहा है. परंपरागत त्योहारों में जो मट्टी के बर्तन, खिलोने, दीए और तमाम उत्पादन दुर्भाग्यपूर्ण हमेंशा फुटपाथ तक सीमित थे, जिसे अब यूपी सरकार ने सम्मान और बढ़ावा देने का शुभारंभ कर दिया है. बड़ा बाजार देने और इसकी मार्केटिंग-ब्रॉन्डिंग करना शुरू की है. आशा है कि इस क़दम से करीब तीस लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लोगों को रोजगार मोहय्या होगा.

यूपी में प्रशासनिक स्तर पर दीपोत्सव को लेकर तैयारियां पूरी हैं

भारतीय लघु उद्योगों, शिल्पकारी और माटी से जुड़े उत्पादों की क्षमता बढ़ेगी. बताया जाता है कि यूपी में करीब सत्तर लाख की आबादी कुम्हारी के पेशेवरों के परिवार से सम्बद्ध है. दीपावली पर अयोध्या के घाटों पर 6 लाख दीए रोशन कर दीपोत्सव के आयोजन के पीछे की मंशा का एक कारण कुम्हारों को रोजगार उपलब्ध कराना है.

जब से एक योगी ने यूपी की जिम्मेदारी संभाली हैं तब से हर दीवाली एक नये रंग मे जगमगाती है. त्रेता युग की तरह अब राम नगरी अयोध्या का चप्पा-चप्पा दीवाली पर जगमगता है. राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास से रामभक्तों का ह्दय प्रसन्न है. प्रगति, उन्नति,समृद्धि, सम्पन्नता और रोजगार के अवसर...

उत्तर प्रदेश (ttar Pradesh) की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार आपदा मे ही नहीं खुशियों मे भी अवसर तलाश लेती है. यूपी मे इस बार की दीवाली ख़ास होगी और पूरे भारत को एक ख़ास संदेश देगी. त्योहार (Festivals) की खुशियों में अपनी मट्टी की सुगंध महकेगी. स्वदेशीकरण, स्वरोजगार, आत्मनिर्भरता, अपनी संस्कृति की रक्षा, शिल्पकारों, कुम्हारों को बढ़ावा, रोजगार के अवसर और शत्रु शक्तियों को शिकस्त देने के लिए योगी सरकार ने दीवाली को अपनी माटी से जोड़ा है. योगी सरकार में बना नया- नवेला माटी कला बोर्ड दीपावली के बाजारों में अपनी मट्टी के उत्पादों को बाजार में उतार रहा है. परंपरागत त्योहारों में जो मट्टी के बर्तन, खिलोने, दीए और तमाम उत्पादन दुर्भाग्यपूर्ण हमेंशा फुटपाथ तक सीमित थे, जिसे अब यूपी सरकार ने सम्मान और बढ़ावा देने का शुभारंभ कर दिया है. बड़ा बाजार देने और इसकी मार्केटिंग-ब्रॉन्डिंग करना शुरू की है. आशा है कि इस क़दम से करीब तीस लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लोगों को रोजगार मोहय्या होगा.

यूपी में प्रशासनिक स्तर पर दीपोत्सव को लेकर तैयारियां पूरी हैं

भारतीय लघु उद्योगों, शिल्पकारी और माटी से जुड़े उत्पादों की क्षमता बढ़ेगी. बताया जाता है कि यूपी में करीब सत्तर लाख की आबादी कुम्हारी के पेशेवरों के परिवार से सम्बद्ध है. दीपावली पर अयोध्या के घाटों पर 6 लाख दीए रोशन कर दीपोत्सव के आयोजन के पीछे की मंशा का एक कारण कुम्हारों को रोजगार उपलब्ध कराना है.

जब से एक योगी ने यूपी की जिम्मेदारी संभाली हैं तब से हर दीवाली एक नये रंग मे जगमगाती है. त्रेता युग की तरह अब राम नगरी अयोध्या का चप्पा-चप्पा दीवाली पर जगमगता है. राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास से रामभक्तों का ह्दय प्रसन्न है. प्रगति, उन्नति,समृद्धि, सम्पन्नता और रोजगार के अवसर बता रहे हैं कि लक्ष्मी जी मेहरबान होंगी. उनकी पूजा-आराधना स्वीकार होगी.

चौदह साल के वनवास के बाद रावण का वध करके भगवान श्री रामचन्द्र जी अयोध्या आये तो अयोध्या दीपों से जगमगा गया था. दशहरे के बीस दिन बाद सृष्टि का हर रामभक्त पूरे उल्लास और भक्ति के साथ दीवाली में दीपोत्सव मनाता है. दशहरे से इस त्योहार का कनेक्शन है. ये पर्व शक्तिशाली शत्रुओं से मुक़ाबला करने का संदेश देकर हर दौर में समसामयिक हो जाते हैं. किटाणुओं-विषाणुओं (वायरस)से लड़ने और साफ-सफाई का त्योहार हर मायने में अंधेरों से लड़ता है. स्वदेशीकरण, आत्मनिर्भरता, पारंपरिक कला-संस्कृति, शिल्पकारी और कुम्हारी के पेशे के अंधेरों में रोशनी लाता है.

माटी से जुड़े उत्पादों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ माह पहले योगी कैबिनेट में माटी कला बोर्ड को मंजूरी मिली थी. बोर्ड ने अपने नाम के अनुरूप माटी से जुड़ी पारंपरिक कलाओ और लोक शिल्प जैसे हुनरों को बढ़ावा देने की कोशिशें तेज़ कर दी हैं. जिसके तहत एक तीर से कई उद्देश्य साधे जा रहे हैं. प्लास्टिक बैन के विकल्प के साथ चाइनीज सामानों के बहिष्कार के लिए भी माटी कला मददगार साबित होगी.

दीपावली से ठीक एक सप्ताह पहले माटी कला बोर्ड ने उत्तर प्रदेश की राजधानी में माटी से जुड़े लोकल हुनरों को वोकल बनाने की कोशिशों के सिलसिले को आगे बढ़ाया है. लखनऊ के डालीबाग में चल रहा माटी कला मेला तेरह नवम्बर तक जारी रहेगा. जिसमें उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों के माटी कलाकार (शिल्पी) अपनी पारंपरिक कला का प्रदर्शन कर रहे हैं.

ऐसा आयोजन ना सिर्फ खरीदारों को लुभा रहे हैं बल्कि लोग हानिकारक प्लास्टिक और चाइनीज सामानों से निजात पाने के लाए मिट्टे के सामानों को खूबसूरत विकल्प के रूप में अपना रहे हैं. दीपावली के मौके पर ऐसे मेले में मिट्टी के दीए और लक्ष्मी-गणेश की सुंदर मूर्तियां मुख्य आकषर्क का केंद्र बन रही हैं.

आधुनिक चाक पर सृजनात्मकता माटी मे किस तरह जान पैदा करती है इसका प्रदर्शन भी लोगों को लुभा रहा है. अपर मुख्य सचिव उ.प्र. खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड नवनीत सहगल मिट्टी के उत्पाद तैयार करने वालों के जीवन संवारने की दिशा मे भरसक प्रयास कर रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में इन प्रयासो मे दीपावली एक अच्छा अवसर बनी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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