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केजरीवाल को गुजरात और हिमाचल से ज्यादा कर्नाटक क्यों पंसद आने लगा?

    • आईचौक
    • Updated: 24 अप्रिल, 2022 12:08 AM
  • 24 अप्रिल, 2022 12:06 AM
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पंजाब चुनाव के नतीजे आने के अगले दिन अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने अपना अखिल भारतीय इरादा जाहिर कर दिया था - और अब भ्रष्टाचार (Corruption) खत्म करने के नाम पर कर्नाटक (Karnataka Election 2023) में भी सरकार बनाने का दावा कर रहें है.

जहांगीरपुरी में हिंसा और NDMC के एक्शन के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से सोशल मीडिया पर एक सवाल जरूर पूछा जा रहा है - कहां है AAP? और फिर अरविंद केजरीवाल अचानक बेंगलुरू में प्रकट होते हैं - और दावा करते हैं 'हम दिल्ली और पंजाब की तरह कर्नाटक में भी सरकार बनाएंगे!'

अरविंद केजरीवाल की ताजा पारी में ये दूसरा मौका है जब दिल्ली में दंगा हुआ है - और वो फिर से चुप्पी साध लिये हैं. दिल्लीवालों के गुस्सा होने की वजह ये है कि दंगे की जिम्मेदारी केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस पर थोप कर आप नेता चुनावी तैयारियों में जुटे हुए हैं.

हैरानी की बात ये है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश को छोड़ कर वो कर्नाटक (Karnataka Election 2023) में आम आदमी पार्टी के सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. हैरानी इसलिए हो रही है क्योंकि कर्नाटक से पहले गुजरात और हिमाचल प्रदेश में इस साल के आखिर में चुनाव होने जा रहे हैं.

और हैरानी इसलिए भी हो रही है क्योंकि कर्नाटक में भी गुजरात और हिमाचल प्रदेश की तरह ही बीजेपी की ही सरकारें हैं. अब तक तो देखा यही गया है कि अरविंद केजरीवाल उन राज्यों पर फोकस करते हैं जहां कांग्रेस की हालत डांवाडोल होती है उसे रिप्लेस करने का ज्यादा स्कोप होता है.

अमूमन अरविंद केजरीवाल ऐसे चुनावी मैदानों से बचने की कोशिश करते हैं जहां बीजेपी मजबूती होती है और सीधे भिड़ने की नौबत होती है. दिल्ली और पंजाब में तो ऐसा ही देखने को मिला, जबकि यूपी और उत्तराखंड में बस हाजिरी लगा कर लौट गये, गोवा में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला.

एक मौका तो अपने लिये गुजरात के लोगों से भी मांग आये हैं - और हिमाचल प्रदेश पहुंच कर अरविंद केजरीवाल ने पंजाब की तरह ही फटाफट भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का दावा भी कर डाला है. ये बात अलग है कि बीजेपी ने...

जहांगीरपुरी में हिंसा और NDMC के एक्शन के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से सोशल मीडिया पर एक सवाल जरूर पूछा जा रहा है - कहां है AAP? और फिर अरविंद केजरीवाल अचानक बेंगलुरू में प्रकट होते हैं - और दावा करते हैं 'हम दिल्ली और पंजाब की तरह कर्नाटक में भी सरकार बनाएंगे!'

अरविंद केजरीवाल की ताजा पारी में ये दूसरा मौका है जब दिल्ली में दंगा हुआ है - और वो फिर से चुप्पी साध लिये हैं. दिल्लीवालों के गुस्सा होने की वजह ये है कि दंगे की जिम्मेदारी केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस पर थोप कर आप नेता चुनावी तैयारियों में जुटे हुए हैं.

हैरानी की बात ये है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश को छोड़ कर वो कर्नाटक (Karnataka Election 2023) में आम आदमी पार्टी के सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. हैरानी इसलिए हो रही है क्योंकि कर्नाटक से पहले गुजरात और हिमाचल प्रदेश में इस साल के आखिर में चुनाव होने जा रहे हैं.

और हैरानी इसलिए भी हो रही है क्योंकि कर्नाटक में भी गुजरात और हिमाचल प्रदेश की तरह ही बीजेपी की ही सरकारें हैं. अब तक तो देखा यही गया है कि अरविंद केजरीवाल उन राज्यों पर फोकस करते हैं जहां कांग्रेस की हालत डांवाडोल होती है उसे रिप्लेस करने का ज्यादा स्कोप होता है.

अमूमन अरविंद केजरीवाल ऐसे चुनावी मैदानों से बचने की कोशिश करते हैं जहां बीजेपी मजबूती होती है और सीधे भिड़ने की नौबत होती है. दिल्ली और पंजाब में तो ऐसा ही देखने को मिला, जबकि यूपी और उत्तराखंड में बस हाजिरी लगा कर लौट गये, गोवा में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला.

एक मौका तो अपने लिये गुजरात के लोगों से भी मांग आये हैं - और हिमाचल प्रदेश पहुंच कर अरविंद केजरीवाल ने पंजाब की तरह ही फटाफट भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का दावा भी कर डाला है. ये बात अलग है कि बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल को उनके अलग अलग दावों की वजह से घेर लिया है. बीजेपी ने केजरीवाल के तीनों वीडियो शेयर कर सलाह दी है - केजरीवाल जी, गिनती सीख लो. असल में, हिमाचल प्रदेश में भगवंत मान के साथ रोड शो में केजरीवाल ने दावा किया कि पंजाब में हमने 20 दिन में भ्रष्टाचार खत्म कर डाला, जबकि गुजरात में ऐसा 10 दिन में ही कर डालने का दावा किया था. ताज्जुब तो तब हुआ जब एक इंटरव्यू में ये काम 16 दिन में कर डालने का दावा कर डाला.

अब अरविंद केजरीवाल कर्नाटक को दिल्ली और पंजाब की ही तरह भ्रष्टाचार (Corruption) मुक्त बनाने का दावा कर रहे हैं - और इसके लिए कर्नाटक की बीजेपी सरकार को भ्रष्ट सरकार बता रहे हैं.

कर्नाटक में ही दिलचस्पी क्यों

गुजरात और कर्नाटक विधानसभाओं के चुनाव में करीब छह महीने का फासला होगा. निश्चित तौर पर अरविंद केजरीवाल कर्नाटक में सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं लगता कि गुजरात चुनाव में उनकी जरा भी दिलचस्पी नहीं होगी.

अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार का मुद्दा तब उठा रहे हैं जब काफी लोग भूल चुके है कि वो उसी के रास्ते राजनीति में आये थे.

2017 के चुनाव में भी अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में काफी हाथ पैर मारे थे. तब तो उनकी कोशिश हार्दिक पटेल को ही आम आदमी पार्टी में लाने की कोशिश लगी थी. जिस तरीके से ट्विटर पर दोनों एक दूसरे को सपोर्ट कर रहे थे, वो काफी मजबूत इशारे कर रहा था, लेकिन बात नहीं बन सकी. बाद में हार्दिक पटेल ने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया. फिलहाल वो गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं.

हाल फिलहाल जिस तरीके से हार्दिक पटेल पैंतरेबाजी कर रहे हैं, उनकी बातों से ये तो साफ होने लगा है कि जल्दी ही कांग्रेस को बॉय बोलने वाले हैं - और बीजेपी में तो एंट्री मिलने से रही, लिहाजा एक बार फिर आप का ही आसरा है.

संभव है अरविंद केजरीवाल भी गुजरात के साथ साथ कर्नाटक चुनावों की तैयारी की रणनीति बना रहे हों - क्योंकि आप नेताओं के हवाले से आ रही मीडिया रिपोर्ट में तो ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं.

कर्नाटक जीतने का केजरीवाल प्लान: एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी का फोकस पहले उत्तरी कर्नाटक पर होगा. पार्टी चाहती है कि सबसे पहले गुजरात से सटे कर्नाटक के इलाकों पर ध्यान दिया जाये.

ऐसा लगता है कि गुजरात और कर्नाटक की सीमा वाले इलाकों में कैंप कर आम आदमी पार्टी एक साथ दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए कैंपेन चलाने की कोशिश कर रही है. गुजरात में कुछ मिल गया तो बल्ले बल्ले, वरना कर्नाटक के लिए पहले से ही तैयारी हो जाएगी.

आम आदमी पार्टी ने ऐलान किया है कि वो कर्नाटक की सभी 224 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. 122 विधायकों के सपोर्ट अभी कर्नाटक में बीजेपी की बासवराज बोम्मई की सरकार है. विपक्ष में कांग्रेस के पास 69 और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस के 32 विधायक हैं. 2018 में जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनायी थी, लेकिन सवा साल बीतते बीतते ऑपरेशन लोटस के शिकार हो गये. तब बीजेपी के बीएस येद्दियुरप्पा मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन बाद में बीजेपी नेतृत्व ने उनको हटा दिया.

अरविंद केजरीवाल ने दिलीप पांडेय को कर्नाटक का चुनाव प्रभारी बनाया है. दिलीप पांडेय इलाके के लोगों के बीच पैठ बनाने की कोशिश के साथ साथ समाज के कई तबकों से लोगों को पार्टी से जोड़ने की कोशिश भी कर रहे हैं - और पूर्व आईपीएस अधिकारी भास्कर राव का आम आदमी पार्टी ज्वाइन करना ऐसा ही उदाहरण है.

कर्नाटक में पैर जमाने की AAP की कोशिश: बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर रहे भास्कर राव ने दिल्ली पहुंच कर आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली. दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भास्कर राव के कार्यकाल को याद करते हुए आईपीएस अफसर को 'आम आदमी का कमिश्नर' (Common Man’s Commissioner) बताया - और जोश से लबालब आप नेता ने ये भी बताया कि ऐसे और भी लोग जल्दी ही आप से जुड़ने वाले हैं.

भास्कर राव का कहना है कि वो आम आदमी पार्टी के शासन में स्कूलों और अस्पतालों को बड़े ध्यान से देखते आ रहे हैं और उनका मानना है कि ये पॉलिटिकल कल्चर में बदलाव आने से ही संभव हो सकता है.

अंग्रेजी अखबार द हिंदू से बातचीत में दिल्ली जैसे बदलाव की तरफ इशारा करते हुए भास्कर राव कहते हैं, 'ऐसा ही बदलाव मैं अपने राज्य कर्नाटक में चाहता हूं, इसीलिए मैंने AAP को ज्वाइन किया है.'

भास्कर राव का कहना है, कर्नाटक के लोगों ने कम से कम तीन राजनीतिक दलों को देखा है - कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस. लेकिन लोगों को निराशा ही हाथ लगी है. बताते हैं, 'अपनी सेवा के 32 साल में मैंने तीनों ही पार्टियों के शासन को करीब से देखा है... कपड़ों की मरम्मत कर पहनने से तो बेहतर है नये कपड़े ही सिलवा लिये जायें.'

भास्कर राव ने आम आदमी पार्टी से जो उम्मीदें पाल रखी हैं, उम्मीद की जानी चाहिये अरविंद केजरीवाल टूटने नहीं देंगे - क्योंकि बड़ी उम्मीदों के साथ लोग अपना जमा जमाया कॅरियर छोड़ कर शुरू में ही आप से जुड़ गये थे, लेकिन मोहभंग होते देर नहीं लगी.

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केजरीवाल लड़ेंगे चुनाव

अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार खत्म करने के वादे के साथ ही राजनीति में आये थे और उसी कारण लोगों ने आम आदमी पार्टी को हाथों हाथ लिया था - लेकिन दिल्ली में पहली सरकार बनाने के 49 दिन बाद इस्तीफा देने वाले केजरीवाल लोकपाल के नाम पर ही भाग खड़े हुए. तब तो केजरीवाल ने कहा था कि अगर वो लोकपाल बना ही नहीं सकते तो सरकार बनाने का क्या फायदा, लेकिन अब तो उनके मुंह से लोकपाल का नाम वैसे ही नहीं सुनने को मिलता जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों में नोटबंदी का कभी जिक्र तक नहीं होता.

दिल्ली और पंजाब की आप सरकार को जीरो भ्रष्टाचार वाली सरकार होने का दावा करते हुए, अरविंद केजरीवाल ने कर्नाटक पहुंच कर दावा किया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ही उनको ईमानदार मुख्यमंत्री का सर्टिफिकेट दिया है - क्योंकि सीबीआई ने उनके घर छापेमारी की और कुछ भी नहीं मिला था.

न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल कह रहे थे, 'प्रधानमंत्री ने सीबीआई को मेरे आवास पर छापा मारने के लिए भेजा... अधिकारी मेरे बेडरूम में घुसे थे लेकिन उनको कुछ नहीं मिला... आखिरकार प्रधानमंत्री ने मुझे ईमानदार CM का प्रमाण पत्र दिया... हमने इसे दिल्ली और पंजाब में बनाया है - अब हम कर्नाटक में सरकार बनाएंगे.'

कर्नाटक के होसापेट में आयोजित 'कार्यकर्ता समावेश' में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के हाल के दावों को काउंटर करते हुए अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी की सरकार को भ्रष्ट बता डाला है. जेपी नड्डा ने बीजेपी और कांग्रेस का फर्क समझाते हुए है कहा था कि बीजेपी के लिए जहां मिशन महत्वपूर्ण होता है, कांग्रेस का जोर कमीशन पर रहता है.

लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल अलग ही किस्सा सुनाने लगे हैं, 'पिछली कांग्रेस सरकार को 20 प्रतिशत कमीशन सरकार कहा जाता है - और मौजूदा बीजेपी सरकार को 40 फीसदी कमीशन सरकार कहा जाता है.'

और फिर अपनी सरकार की तारीफ में कसीदे पढ़ते हैं, 'दिल्ली में जीरो फीसदी कमीशन की सरकार है क्योंकि दिल्ली में बेहद ईमानदार सरकार है... एक पैसे की भी रिश्वत नहीं ली जाती है.'

अरविंद केजरीवाल को ये कहने का मौका इसलिए मिल रहा है क्योंकि हाल ही में एक ठेकेदार ने बीजेपी सरकार के एक मंत्री पर 40 फीसदी कमीशन लेने का सनसनीखेज इल्जाम लगाया था.

अब तो कर्नाटक सरकार के मंत्री केएस ईश्वरप्पा के खिलाफ FIR भी दर्ज कर ली गयी है. ईश्वरप्पा पर एक ठेकेदार संतोष पाटिल को खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप है और ये पुलिस से ये शिकायत संतोष के भाई प्रशांत ने की है.

बताते हैं कि मौत से पहले संतोष पाटिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस सिलसिले में एक पत्र भी लिखा था, जिसमें दावा किया गया कि मंत्री अपने विभाग के काम के बदले 40 फीसदी कमीशन मांग रहे हैं.

बोम्मई सरकार में ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री ईश्वरप्पा ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को गलत बताया है. ये ईश्वरप्पा ही हैं जो बोम्मई से पहले रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येद्दियुरप्पा पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाये थे.

माना तो यही जाता है कि ईश्वरप्पा ने अपनी मुहिम में येद्दियुरप्पा के खिलाफ और भी विधायकों को जोड़ लिया और पार्टी में ही कहा जाने लगा कि अगर येद्दियुरप्पा मुख्यमंत्री बने रहे तो बीजेपी के लिए अगला चुनाव जीतना मुश्किल हो सकता है.

लगता है अरविंद केजरीवाल ने ईश्वरप्पा के ही दांव से पूरी बीजेपी को घेरने का प्लान कर लिया है, लेकिन मुश्किल तो ये है कि चुनाव में अभी काफी वक्त है - और पब्लिक मेमरी बहुत शॉर्ट समझी जाती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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