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Women safety: औरतों ने कहने की हिम्मत दिखाई है, योगी जी सुनने की दिलेरी दिखाइए!

    • नाज़िश अंसारी
    • Updated: 15 मार्च, 2022 12:25 PM
  • 15 मार्च, 2022 12:25 PM
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योगी आदित्यनाथ दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए हैं. सूबे में महिलाओं और लड़कियों को उनसे काफी उम्मीदें हैं. अपने दूसरे कार्यकाल में योगी सरकार को चाहिये कि पहले वो स्त्रियों से सम्बन्धित अपराधों को स्वीकार करे और उनपर उचित एक्शन ले.

स्कूटी पर सवार टैबलेट लिये पढ़ती हुई लड़कियां युवा भारत का आदर्श चेहरा हैं. लेकिन सड़क, बस, टम्पो, विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर उनपर फब्तियां कसते, छेड़ते, यहां वहां छू जाने की कोशिश करते, सफल होने पर दांत दिखाकर, आंख मारकर घिनौनी हंसी हंसते 'मनचले', 'शरारती तत्व' इस आदर्श चेहरे पर धब्बा हैं. वह भी तेज़ाब वाला. शहरों में शायद मुमकिन हो लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियां अंधरे बाद घर से अकेले नहीं निकलतीं. यह चलन से कहीं ज़्यादा सुरक्षा की बात है. चलन तो यह है कि 12, 15 साल की लड़की अपने से आधी उम्र के भाई को ही साथ ले ले. लेकिन अकेले ना जाए. 4 लड़के बोरी की तरह घसीटकर जब लड़की को किसी खेत या बगिया में ले जाने लगेंगे, आधी उम्र वाला भाई क्या ही कर लेगा?

यूपी में योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बनने वाले हैं ऐसे में सूबे की महिलाओं को उनसे बहुत उम्मीदें हैं

दिल्ली में हुए निर्भया कांड को देश का वीभत्सम बलात्कार कहा गया. उस वक़्त वहां कांग्रेस की सरकार थी. भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने हर तरफ से घेरा. बहुत थू-थू हुई. लगा इससे बर्बर और क्या हो सकेगा. लेकिन अभी उन्नाव और हाथरस तो बाक़ी ही थे. अब अराजक तत्व, गुंडों, अपराधियों के साथ बिल्कुल नर्मी ना बरतने वाली भाजपा की सरकार थी.

सरकार किसी भी पार्टी की हो, बलात्कार की वीभतस्ता बढ़ती ही रही. यह क़ानून व्यवस्था की हार के साथ समाज के नैतिक पतन को भी मज़बूत शब्दों में आवाज़ देता है. और हमेशा की तरह सरकारें बहरी हो जाती रही हैं.

कभी बलात्कार के संदर्भ में मुलायम सिंह ने कहा था, जवानी में लड़को से 'गलतियां' हो जाया करती है. अभी कुछ रोज़ पहले राजस्थान की विधान सभा में एक सांसद ने अखबार के हवाले से जब अपने प्रदेश को बलात्कार में अव्वल पाया तो हंसते हुए कहने लगे, अपना प्रदेश तो...

स्कूटी पर सवार टैबलेट लिये पढ़ती हुई लड़कियां युवा भारत का आदर्श चेहरा हैं. लेकिन सड़क, बस, टम्पो, विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर उनपर फब्तियां कसते, छेड़ते, यहां वहां छू जाने की कोशिश करते, सफल होने पर दांत दिखाकर, आंख मारकर घिनौनी हंसी हंसते 'मनचले', 'शरारती तत्व' इस आदर्श चेहरे पर धब्बा हैं. वह भी तेज़ाब वाला. शहरों में शायद मुमकिन हो लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियां अंधरे बाद घर से अकेले नहीं निकलतीं. यह चलन से कहीं ज़्यादा सुरक्षा की बात है. चलन तो यह है कि 12, 15 साल की लड़की अपने से आधी उम्र के भाई को ही साथ ले ले. लेकिन अकेले ना जाए. 4 लड़के बोरी की तरह घसीटकर जब लड़की को किसी खेत या बगिया में ले जाने लगेंगे, आधी उम्र वाला भाई क्या ही कर लेगा?

यूपी में योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बनने वाले हैं ऐसे में सूबे की महिलाओं को उनसे बहुत उम्मीदें हैं

दिल्ली में हुए निर्भया कांड को देश का वीभत्सम बलात्कार कहा गया. उस वक़्त वहां कांग्रेस की सरकार थी. भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने हर तरफ से घेरा. बहुत थू-थू हुई. लगा इससे बर्बर और क्या हो सकेगा. लेकिन अभी उन्नाव और हाथरस तो बाक़ी ही थे. अब अराजक तत्व, गुंडों, अपराधियों के साथ बिल्कुल नर्मी ना बरतने वाली भाजपा की सरकार थी.

सरकार किसी भी पार्टी की हो, बलात्कार की वीभतस्ता बढ़ती ही रही. यह क़ानून व्यवस्था की हार के साथ समाज के नैतिक पतन को भी मज़बूत शब्दों में आवाज़ देता है. और हमेशा की तरह सरकारें बहरी हो जाती रही हैं.

कभी बलात्कार के संदर्भ में मुलायम सिंह ने कहा था, जवानी में लड़को से 'गलतियां' हो जाया करती है. अभी कुछ रोज़ पहले राजस्थान की विधान सभा में एक सांसद ने अखबार के हवाले से जब अपने प्रदेश को बलात्कार में अव्वल पाया तो हंसते हुए कहने लगे, अपना प्रदेश तो मर्दो का देश है. क्या करें!

यह मैं नहीं राजस्थान पत्रिका की हेडलाइन कहती है. नेता जी बचाव करते हुए पार्टी के दूसरे सांसद ने कहा बलात्कार के मामलों में राजस्थान नहीं यूपी नम्बर एक पर है. वहां FIR तक नहीं दर्ज कराई जा सकती.

साल 2020 में एनसीआरबी के डाटा के मुताबिक उत्तर प्रदेश में हर 2 घंटे में एक रेप का मामला दर्ज किया जाता है जबकि बच्चों के खिलाफ रेप का मामला हर 90 मिनट में रिपोर्ट हुआ है. योगी जी ने इस रिपोर्ट को इंकार करते हुए सब चंगा सी कहा.

2021 में राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) को महिलाओं के खिलाफ अपराध की करीब 31,000 शिकायतें मिलीं थी. जोकि साल 2014 के बाद सबसे ज्यादा हैं. इनमें से आधे से ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश (ttar Pradesh) के थे. वहीं, महिलाओं के खिलाफ अपराध की शिकायतों में 2020 की तुलना में 2021 में 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.

यह भी तब है जब प्रदेश में भाजपा की सरकार है. हां, सारे मामले बलात्कार के नहीं हैं. आधी से ज़्यादा शिकायतें सम्मान के साथ जीने की हैं. तो क्या... स्त्रियां कब तब लत्त-धत्त सहती हुई जीती रहेंगी. कब तक ओरल हैरेसमेंट सहती रहेंगी.

योगी सरकार को चाहिये पहले स्त्रियों से सम्बन्धित अपराधों को स्वीकार करें. जैसा कि NCW ने मेंशन किया कि उत्तर प्रदेश अपराधों के बढ़ने की वजह स्त्रियों द्वारा एफआईआर करवाना भी है यानी स्त्रियां अब मुखर होकर शिकायतें दर्ज करवा रही हैं.

इससे एक अच्छी पहल की तरह देखते हुए सरकार को स्वागत करना चाहिये. उनके दुखों, डरों, साथ हो रहे अत्याचारों, अपराधों को सुनना चाहिए. दर्ज करना चाहिए.

पिंक कलर की 4-6 बसें चलाने भर से उनकी सुरक्षा निश्चित नहीं होती. कड़ी निंदा से तो बिल्कुल भी नहीं. दो कदम आगे बढ़ाने के लिए एक कदम पीछे खींच लिया जाना असफलता नहीं है. धैर्यपूर्वक सुनना समाधान का आधा रास्ता तय कर लेना है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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