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ऐसे हिंदुस्तानी कश्मीर को कभी पाकिस्तान नहीं बनने देंगे!

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 07 मार्च, 2019 04:43 PM
  • 07 मार्च, 2019 01:41 PM
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वीडियो को ध्यान से देखिए तो अंत में एक शख्स कश्मीर के व्यक्ति को बचाने के लिए सामने आता दिखता है, जिसे देख कर ये कहा जा सकता है कि ऐसे मसीहा कश्मीर को कभी पाकिस्तान नहीं बनने देंगे. यही हैं देश के असली हीरो.

एक अफ्रीकी कहावत है- 'कुल्हाड़ी भूल जाती है, लेकिन पेड़ को याद रहता है.' यानी जिस पर बीतती है वह कभी नहीं भूलता कि उसके साथ क्या हुआ है. पुलवामा हमले के बाद से ही देश के कई हिस्सों से ऐसी खबरें आना शुरू हो गईं कि कश्मीर के लोगों के साथ मारपीट की जा रही है. वजह ये है कि कश्मीर के रहने वाले शख्स आदिल डार ने ही जैश-ए-मोहम्मद के इशारे पर पुलवामा हमले को अंजाम दिया था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. बावजूद इसके आदिल के गांव वाले उसे हीरो मान रहे हैं, जिसके चलते कुछ लोगों में गुस्सा इस कदर बढ़ गया है कि उन्हें हर कश्मीरी अपना दुश्मन लगने लगा है, जैसे हमें हर पाकिस्तानी दुश्मन लगता है.

ताजा मामला लखनऊ की एक भीड़-भाड़ भरी एक सड़क का है, जहां पर कश्मीर को दो युवक सालों से ड्राई फ्रूट्स बेचते हैं. लेकिन बुधवार शाम करीब 5 बजे अचानक दक्षिण पंथी संगठन से जुड़े कुछ लोग हाथों में डंडे लिए आए और उन्हें मारने लगे. बाकायदा उनका वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर डाल दिया. वीडियो देखकर ये साफ पता चलता है कि उन्हें सिर्फ इसलिए मारा जा रहा है क्योंकि वह कश्मीर के रहने वाले हैं. वीडियो में मारपीट कर रहे शख्स ये कहते भी सुनाई दे रहे हैं कि कश्मीर के लोग सेना पर पत्थर मारते हैं, इसलिए अब वो कश्मीर के लोगों को मार रहे हैं.

ये शख्स (दाएं) कश्मीर के युवक (बाएं) को बचाने के लिए सामने आया.

कश्मीर को पाकिस्तान नहीं बनने देंगे!

कुछ लोग कश्मीर के लोगों के प्रति गुस्सा दिखाते हुए ऐसी हरकतें कर रहे हैं मानो वो कश्मीर को भारत का हिस्सा समझते ही नहीं. वहीं दूसरी ओर, अगर वीडियो को ध्यान से देखिए तो अंत में एक शख्स कश्मीर के व्यक्ति को बचाने के लिए सामने आता दिखता है और कहता है- 'आप कानून हाथ में क्यों ले रहे हैं? आपको कोई दिक्कत है तो पुलिस को...

एक अफ्रीकी कहावत है- 'कुल्हाड़ी भूल जाती है, लेकिन पेड़ को याद रहता है.' यानी जिस पर बीतती है वह कभी नहीं भूलता कि उसके साथ क्या हुआ है. पुलवामा हमले के बाद से ही देश के कई हिस्सों से ऐसी खबरें आना शुरू हो गईं कि कश्मीर के लोगों के साथ मारपीट की जा रही है. वजह ये है कि कश्मीर के रहने वाले शख्स आदिल डार ने ही जैश-ए-मोहम्मद के इशारे पर पुलवामा हमले को अंजाम दिया था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. बावजूद इसके आदिल के गांव वाले उसे हीरो मान रहे हैं, जिसके चलते कुछ लोगों में गुस्सा इस कदर बढ़ गया है कि उन्हें हर कश्मीरी अपना दुश्मन लगने लगा है, जैसे हमें हर पाकिस्तानी दुश्मन लगता है.

ताजा मामला लखनऊ की एक भीड़-भाड़ भरी एक सड़क का है, जहां पर कश्मीर को दो युवक सालों से ड्राई फ्रूट्स बेचते हैं. लेकिन बुधवार शाम करीब 5 बजे अचानक दक्षिण पंथी संगठन से जुड़े कुछ लोग हाथों में डंडे लिए आए और उन्हें मारने लगे. बाकायदा उनका वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर डाल दिया. वीडियो देखकर ये साफ पता चलता है कि उन्हें सिर्फ इसलिए मारा जा रहा है क्योंकि वह कश्मीर के रहने वाले हैं. वीडियो में मारपीट कर रहे शख्स ये कहते भी सुनाई दे रहे हैं कि कश्मीर के लोग सेना पर पत्थर मारते हैं, इसलिए अब वो कश्मीर के लोगों को मार रहे हैं.

ये शख्स (दाएं) कश्मीर के युवक (बाएं) को बचाने के लिए सामने आया.

कश्मीर को पाकिस्तान नहीं बनने देंगे!

कुछ लोग कश्मीर के लोगों के प्रति गुस्सा दिखाते हुए ऐसी हरकतें कर रहे हैं मानो वो कश्मीर को भारत का हिस्सा समझते ही नहीं. वहीं दूसरी ओर, अगर वीडियो को ध्यान से देखिए तो अंत में एक शख्स कश्मीर के व्यक्ति को बचाने के लिए सामने आता दिखता है और कहता है- 'आप कानून हाथ में क्यों ले रहे हैं? आपको कोई दिक्कत है तो पुलिस को फोन करिए.' इस शख्स को देख कर ये कहा जा सकता है कि ऐसे हिंदुस्तानी लोग कश्मीर को कभी पाकिस्तान नहीं बनने देंगे. यही हैं देश के असली हीरो.

ऐसे कश्मीर के लोग भारत को अपना कैसे समझेंगे?

पाकिस्तान सरकार और सेना की करतूतों के चलते आज हालात ये हैं कि हर भारतीय शख्स पाकिस्तान से नफरत करता है. ये नफरत सिर्फ सरकार और सेना तक सीमित नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के बेकसूर नागरिकों से भी भारत के लोग बेहद नफरत करते हैं. और यही आलम पाकिस्तान का भी है. उन्हें भी भारतीय लोग फूटी आंख नहीं सुहाते. कश्मीर पहले ही अलग-अलग विचारधाराओं में बंटा हुआ है. कुछ चाहते हैं ये पाकिस्तान का हिस्सा बने तो कुछ चाहते हैं ये हिंदुस्तान में ही रहे. कुछ ऐसे भी हैं जो कश्मीर को आजाद देखना चाहते हैं.

अब जरा सोचिए, जिन लोगों ने लखनऊ में कश्मीरी युवकों से मारपीट की, क्या कश्मीर के लोग ऐसी घटनाओं को भारत की ओर से अपने ऊपर हमला नहीं समझेंगे? क्या ये लोग कश्मीर के लोगों के साथ भी वैसा ही नहीं कर रहे हैं जैसा एक भारतीय शख्स किसी पाकिस्तानी के साथ करने की सोचता है? लेकिन कश्मीरियों के खिलाफ गुस्सा लिए भीड़ में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो उन्हें आज भी अपना मानते हैं और उनकी मदद करते हैं. वीडियो में दिख रहा शख्स भी कश्मीरियों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं है. हालांकि, अभी तक ये नहीं पता चल सका है कि उन्हें बचाने वाला वह शख्स कौन है. लेकिन सोशल मीडिया पर इस शख्स की तारीफें होने लगी हैं. द कश्मीर नाम के एक ट्विटर हैंडल ने एक टीवी ग्रैब शेयर करते हुए लिखा है- 'जब कश्मीरी युवकों को दक्षिणपंथी लोग पीट रहे थे, इस शख्स ने बीच-बचाव किया, जिसने हमलावरों को रुकने के लिए कहा. पता नहीं ये कौन है, लेकिन जब तक ऐसे लोग हैं तब तक उम्मीद रहेगी.'

बीच-बचाव करने वाले हिंदुस्तानी की सोशल मीडिया पर हो रही सराहना.

सलाखों के पीछे पहुंचे 'गुंडे'

लखनऊ के इस वीडियो के आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज करते हुए कार्रवाई की और एक हमलावर को धर दबोचा. इसका नाम बजरंग सोनकर है, जो अब सलाखों के पीछे पहुंच गया है. जहां एक ओर सोशल मीडिया पर इस शख्स के गिरफ्तार होने की बात हो रही है वहीं कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि बाकी लोगों को क्यों छोड़ दिया गया. यहां तक कहा जा रहा है कि वह दलित है इसलिए पकड़ लिया गया, जबकि बाकी ब्राह्मण थे, इसलिए आजाद घूम रहे हैं.

हमलावरों में से एक बजरंग सोनकर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

पुलवामा हमले के बाद से ही भारत के लोगों में गुस्से की आग इतनी भड़की कि उसमें कई कश्मीरी छात्र पहले ही झुलस चुके हैं. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में कुछ कश्मीरी छात्रों पर हमला हुआ था, जिसके बाद कश्मीरी छात्रों में डर का माहौल पैदा हो गया. उन्हें वापस कश्मीर लौटने की धमकियां मिलने लगीं. वहीं दूसरी ओर पटना के बुद्ध मार्ग में कश्मीरी बाजार पर हमला किया गया और दुकानें बंद करवाते हुए कश्मीर वापस लौटने की धमकी दी. और अब लखनऊ से तो मारपीट का वीडियो ही सामने आ गया है. ये हरकतें उन शरारती तत्वों की हैं जो देश का सौहार्दपूर्ण माहौल बिगाड़ना चाहते हैं. लेकिन देश में वो मसीहा भी हैं जो ऐसे लोगों का विरोध करने के लिए खुलकर सामने आते हैं और उसका साथ देते हैं जो सही है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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