• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

शिवराज का उपवास 'बकवास' था !

    • शुभम गुप्ता
    • Updated: 17 जून, 2017 02:56 PM
  • 17 जून, 2017 02:56 PM
offline
28 घंटे के उपवास में शिवराज सिंह चौहान के लिए एसी से लेकर कूलर तक की व्यवस्था की गयी. लेकिन हैरानी तो तब हुई जब शिवराज का अनशन तुड़वाने खुद वो किसान पहुंचे जिनके घरवाले पुलिस की गोली का शिकार हुए थे.

7 जून को मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले में जिस तरह से किसान आंदोलन हुआ और उसके बाद किसान आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया. इसके बाद पुलिस फायरिंग में 5 किसानों की मौत हो गयी थी. घटना के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हर तरफ से घेरा जा रहा था. राहुल गांधी तो बाइक से मंदसौर पहुंच रहे थे. जब शिवराज को कुछ समझ नहीं आया उसके बाद उन्होंने उपवास पर बैठने का फैसला किया.

हर कोई हैरान था कि ऐसे समय तो विपक्ष को उपवास या अनशन पर बैठना चाहिए था लेकिन खुद राज्य का मुख्यमंत्री ही उपवास पर बैठा. 28 घंटे के उपवास में शिवराज सिंह चौहान के लिए एसी से लेकर कूलर तक की व्यवस्था की गयी. लेकिन हैरानी तो तब हुई जब शिवराज का अनशन तुड़वाने खुद वो किसान पहुंचे जिनके घरवाले पुलिस की गोली का शिकार हुए थे. हर कोई हैरान था कि जिनके घर का बेटा अभी-अभी मारा गया है वो कैसे सरकार के साथ हो सकता है.

उपवास या ड्रामा?

लेकिन एक टीवी चैनल के खुलासे के बाद अब ये बात निकल कर आयी है की शिवराज सरकार ने मारे गए किसानों के घरवालों को पैसे देने का वादा किया था. उन्हें एक तरह से धमकाया गया. उनसे कहा गया की हम गाड़ी भेजते हैं आप आओ और मुख्यमंत्री का अनशन तुड़वा दो. तब किसानों ने भी वही किया जो शिवराज के मंत्रियो ने उन्हें करने के लिए कहा था.

किसानों का तो ये भी दावा है कि हमें उपवास पर बैठने के एक दिन पहले बोल दिया गया था की आपको कल आना है और उपवास तुड़वाना है. मतलब साफ है कि क्या शिवराज का उपवास बकवास था? सिर्फ ढोंग था? पिछले 3-4 दिनों से कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश में सत्याग्रह कर रहे हैं. वैसे कांग्रेस नेता भी यही दावा कर रहे थे कि किसानों के मौत की बोली लगायी गयी है.

7 जून को मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले में जिस तरह से किसान आंदोलन हुआ और उसके बाद किसान आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया. इसके बाद पुलिस फायरिंग में 5 किसानों की मौत हो गयी थी. घटना के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हर तरफ से घेरा जा रहा था. राहुल गांधी तो बाइक से मंदसौर पहुंच रहे थे. जब शिवराज को कुछ समझ नहीं आया उसके बाद उन्होंने उपवास पर बैठने का फैसला किया.

हर कोई हैरान था कि ऐसे समय तो विपक्ष को उपवास या अनशन पर बैठना चाहिए था लेकिन खुद राज्य का मुख्यमंत्री ही उपवास पर बैठा. 28 घंटे के उपवास में शिवराज सिंह चौहान के लिए एसी से लेकर कूलर तक की व्यवस्था की गयी. लेकिन हैरानी तो तब हुई जब शिवराज का अनशन तुड़वाने खुद वो किसान पहुंचे जिनके घरवाले पुलिस की गोली का शिकार हुए थे. हर कोई हैरान था कि जिनके घर का बेटा अभी-अभी मारा गया है वो कैसे सरकार के साथ हो सकता है.

उपवास या ड्रामा?

लेकिन एक टीवी चैनल के खुलासे के बाद अब ये बात निकल कर आयी है की शिवराज सरकार ने मारे गए किसानों के घरवालों को पैसे देने का वादा किया था. उन्हें एक तरह से धमकाया गया. उनसे कहा गया की हम गाड़ी भेजते हैं आप आओ और मुख्यमंत्री का अनशन तुड़वा दो. तब किसानों ने भी वही किया जो शिवराज के मंत्रियो ने उन्हें करने के लिए कहा था.

किसानों का तो ये भी दावा है कि हमें उपवास पर बैठने के एक दिन पहले बोल दिया गया था की आपको कल आना है और उपवास तुड़वाना है. मतलब साफ है कि क्या शिवराज का उपवास बकवास था? सिर्फ ढोंग था? पिछले 3-4 दिनों से कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश में सत्याग्रह कर रहे हैं. वैसे कांग्रेस नेता भी यही दावा कर रहे थे कि किसानों के मौत की बोली लगायी गयी है.

इस हादसे के बाद शिवराज सरकार तो कटघरे में थी ही पर अब खुद शिवराज भी कटघरे में खड़े हो गए हैं. पिछले 13 सालों से शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री का पद संभाल रहे हैं. इससे पहले व्यापम घोटाले में भी सरकार पर सवाल खड़े हुए थे. उस समय भी करीब 50 मौतें हुई थीं. सीबीआई जांच में अब तक नहीं पता लग पाया है की ये मौतें कैसे हुई? न ही मामले में अबतक कोई गिरफ़्तारी हुई है? कोई मंत्री जेल नहीं गया.

वैसे ये समय विपक्ष का भी है. पहले ही मध्यप्रदेश में विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है जिस पर आगामी चुनाव लड़ा जा सके. ऐसे में ये ज़रूरी था की कांग्रेस इस मुद्दे को सबसे बड़ा मुद्दा बनाती. लेकिन उनके नेता राहुल गांधी अपनी नानी के पास इटली गए हुए हैं. वहीं सिंधिया अकेले ही मोर्चा संभाले हुए हैं. अब देखते हैं सरकार पर इसका क्या पक्ष होता है.

ये भी पढे़ं-

किसानों के मुद्दे पर सत्ताधारी बीजेपी चारों ओर से घिरती जा रही है

एमपी के किसानों का प्रदर्शन यूपी सरकार के पसीने छुड़ा रहा है

हिंसक किसान आंदोलन और सौ साल पुरानी गांधी-टैगोर बहस

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲