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एमपी के किसानों का प्रदर्शन यूपी सरकार के पसीने छुड़ा रहा है

    • शरत प्रधान
    • Updated: 16 जून, 2017 08:32 PM
  • 16 जून, 2017 08:32 PM
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यूपी सरकार को अपने चुनावी वादों से ही सबसे ज्यादा डर है. साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने जनता से लंबे-चौड़े वादे किए थे. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है 86 लाख गरीब किसानों के कृषि ऋण को माफ करना.

मध्यप्रदेश में किसानों के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ हुई पुलिस की गोलीबारी में पांच लोग मारे गए. मध्यप्रदेश की इस घटना ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी सतर्क कर दिया है और इस तरह की स्थिति से बचने के लिए उन्होंने कई तरह के प्रतिरक्षात्मक उपाय अपनाने शुरू कर दिए हैं.

यूपी सरकार को अपने चुनावी वादों से ही सबसे ज्यादा डर है. साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने जनता से लंबे-चौड़े वादे किए थे. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है 86 लाख गरीब किसानों के कृषि ऋण को माफ करना. इस वादे को पूरा करने में विफलता के खिलाफ गरीब किसानों का गुस्सा फूट सकता है.

जाहिर है, जब से योगी ने ऋण को माफ़ करने का अपना पहला वादा किया था, तब से ही उनकी चिंता का मुख्य कारण वादे को पूरा करने के लिए संसाधनों को जुटाना था. लेकिन योगी सरकार को गहरा धक्का तब लगा जब केंद्र सरकार ने इस वादे को पूरा करने में अपनी अस्पष्टता जाहिर कर दी. सरकार ने उन्हें दो टूक शब्दों में साफ कह दिया कि इस संबंध में वो राज्य की किसी भी तरह की सहायता नहीं कर सकते. इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी राज्य सरकार को किसी भी तरह की वित्तीय सहायता की संभावना से इनकार कर दिया था. इस वजह से चुनावों के दौरान यूपी के किसानों को 3600 करोड़ रुपये के ऋण को माफ करने के वादों पर संकट के बादल छा गए हैं और योगी जी खुद को मझधार में पा रहे हैं.

अन्नदाता ने पानी पिलाया

हालांकि अब राज्य सरकार को नुकसान ना झेलना पड़े इसके लिए योगी जी का पूरा वित्त तंत्र कमर कस चुका है. सभी सरकार के लिए संसाधनों को बढ़ाने के तरीके और उसके साधन ढूंढने की कोशिश में लगा है. किसानों को इस बात का भरोसा दिलाने के लिए योगी जी ने कुछ कदम उठाए हैं जिसके जरिए वो सिर्फ ये...

मध्यप्रदेश में किसानों के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ हुई पुलिस की गोलीबारी में पांच लोग मारे गए. मध्यप्रदेश की इस घटना ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी सतर्क कर दिया है और इस तरह की स्थिति से बचने के लिए उन्होंने कई तरह के प्रतिरक्षात्मक उपाय अपनाने शुरू कर दिए हैं.

यूपी सरकार को अपने चुनावी वादों से ही सबसे ज्यादा डर है. साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने जनता से लंबे-चौड़े वादे किए थे. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है 86 लाख गरीब किसानों के कृषि ऋण को माफ करना. इस वादे को पूरा करने में विफलता के खिलाफ गरीब किसानों का गुस्सा फूट सकता है.

जाहिर है, जब से योगी ने ऋण को माफ़ करने का अपना पहला वादा किया था, तब से ही उनकी चिंता का मुख्य कारण वादे को पूरा करने के लिए संसाधनों को जुटाना था. लेकिन योगी सरकार को गहरा धक्का तब लगा जब केंद्र सरकार ने इस वादे को पूरा करने में अपनी अस्पष्टता जाहिर कर दी. सरकार ने उन्हें दो टूक शब्दों में साफ कह दिया कि इस संबंध में वो राज्य की किसी भी तरह की सहायता नहीं कर सकते. इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी राज्य सरकार को किसी भी तरह की वित्तीय सहायता की संभावना से इनकार कर दिया था. इस वजह से चुनावों के दौरान यूपी के किसानों को 3600 करोड़ रुपये के ऋण को माफ करने के वादों पर संकट के बादल छा गए हैं और योगी जी खुद को मझधार में पा रहे हैं.

अन्नदाता ने पानी पिलाया

हालांकि अब राज्य सरकार को नुकसान ना झेलना पड़े इसके लिए योगी जी का पूरा वित्त तंत्र कमर कस चुका है. सभी सरकार के लिए संसाधनों को बढ़ाने के तरीके और उसके साधन ढूंढने की कोशिश में लगा है. किसानों को इस बात का भरोसा दिलाने के लिए योगी जी ने कुछ कदम उठाए हैं जिसके जरिए वो सिर्फ ये दर्शाना चाहते हैं कि योगी जी को काम से मतलब है, वो बयानबाजी में विश्वास नहीं करते. मध्यप्रदेश में हिंसा और आगजनी की घटना के दो दिन बाद योगी ने जल्दी से लखनऊ में सभी वित्त और कृषि अधिकारियों की बैठक बुलाई. और किसानों को ऐसा न लगे कि सरकार ने उन्हें बेवकूफ बनाया इसलिए सभी सरकारी बैंकों से ऋण की वसूली के लिए दबाव नहीं बनाने का आग्रह किया. सरकार ने सभी बैंकों से सरकार के बजट पेश करने तक इत्मीनान रखने को कहा है. इस बजट में सरकार एक लाख तक के लोन को माफ करने की घोषणा करने वाली है.

इसके साथ ही योगी जी ने किसानों से अपने संबंधित बैंक खातों के लिए आवश्यक 'Know Your Customer' औपचारिकताओं को भी पूरा करने का भी आग्रह किया है. इस बीच राज्य के फाइनेंस एक्सपर्ट को किसानो के ऋण माफी के लिए संसाधनों को इस तरह से बढ़ाने का आदेश दिया है की राज्य सरकार 36,000 करोड़ रुपये की भारी राशि को किसानों की तरफ से बैंक में जमा करा सकें.

गौरतलब है कि विपक्ष ने पहले ही सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ एक अभियान की शुरूआत कर दी है. इससे राज्य सरकार लोगों को संदेश देना चाह रही है कि किसानों से किए गए ऋण माफी के वादों को पूरा करने का अब कोई इरादा नहीं है. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सहित कई विपक्षी दलों ने केंद्रीय वित्त मंत्री की घोषणा के तुरंत बाद ही अभियान शुरू किया था. इसमें केंद्र सरकार ऋण बोझ के कारण यूपी सरकार के बोझ को साझा करने की स्थिति में नहीं है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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