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राफेल डील समझिये: एक वीडियो लॉक से लेकर आलू की फैक्ट्री तक

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 26 अगस्त, 2018 06:07 PM
  • 26 अगस्त, 2018 06:07 PM
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यूं तो पल्लवी जोशी आजकल परदे पर बहुत ही कम दिखती हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर गंभीर मुद्दों पर अपनी राय देती रहती हैं. राफेल डील को पल्लवी ने जिस तरह समझाया है वह बेहद रोचक है.

राफेल डील को लेकर हाल ही में राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने इसे एक घोटाला करार दिया. इसके जवाब में मोदी सरकार ने कहा कि राहुल गांधी देश को गुमराह कर रहे हैं. अब सबसे बड़ा कंफ्यूजन ये है कि आखिर ये राफेल डील है क्या? इसके बारे में बताते तो बहुते से लोग हैं, लेकिन किसी की भी बात ठीक से समझ नहीं आती. इसे अब फिल्म निर्माता और सामाजिक कार्यकर्ता विवेक अग्निहोत्री की पत्नी पल्लवी जोशी ने समझाया है. यूं तो पल्लवी जोशी आजकल परदे पर बहुत ही कम दिखती हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर गंभीर मुद्दों पर अपनी राय देती रहती हैं. राफेल डील को पल्लवी ने जिस तरह समझाया है वह बेहद रोचक है. चलिए जानते हैं उन्होंने इसे कैसे समझाया-

पल्लवी जोशी ने बेहद आसान तरीके से राफेल डील को समझाया है.

सोसायटी और लॉक्स से समझाई राफेल डील

पल्लवी ने सोसायटी और उसके सेक्रेटरी का उदाहरण देते हुए इसे समझाया. वह कहती हैं- 'कई सालों से ताले यानी लॉक्स बदलवाने की बात चल रही है. पुराने सेक्रेटरी ने किसी फ्रेंच कंपनी से पासवर्ड प्रोटेक्टेड लॉक्स देने के वादे किए थे, लेकिन 10 साल तक उन्होंने कुछ नहीं किया. जब मैं सेक्रेटरी बनी तो पता चला कि वो तो सिर्फ लॉक्स खरीदने की बात कर रहे थे, जिसका डोर फोन के बिना कोई फायदा नहीं. इतनी एडवांस टेक्नोलॉजी के लॉक्स का मेंटेनेंस और रिपेयर भी महंगा होगा. इस तरह प्रति लॉक कीम 10,000 से भी अधिक बैठ रही थी. जब फ्रांस की कंपनी से बात की तो पता चला कि ऑन पेपर इसका कोई कॉन्ट्रैक्ट ही नहीं है. जिन लॉक को 5000 में खरीदने की बात हुई थी, उसे मैंने 4000 में ही खरीद लिया और ये भी कुछ पार्ट्स भारत में ही बनाने की शर्त रखी ताकि भविष्य में कोई दिक्कत आने पर विदेश न भागना पड़े. पूरी डील 7000 में पक्की हो गई, जिसके लिए पहले 10,000 रुपए मांगे जा रहे थे.'

राफेल डील को लेकर हाल ही में राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने इसे एक घोटाला करार दिया. इसके जवाब में मोदी सरकार ने कहा कि राहुल गांधी देश को गुमराह कर रहे हैं. अब सबसे बड़ा कंफ्यूजन ये है कि आखिर ये राफेल डील है क्या? इसके बारे में बताते तो बहुते से लोग हैं, लेकिन किसी की भी बात ठीक से समझ नहीं आती. इसे अब फिल्म निर्माता और सामाजिक कार्यकर्ता विवेक अग्निहोत्री की पत्नी पल्लवी जोशी ने समझाया है. यूं तो पल्लवी जोशी आजकल परदे पर बहुत ही कम दिखती हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर गंभीर मुद्दों पर अपनी राय देती रहती हैं. राफेल डील को पल्लवी ने जिस तरह समझाया है वह बेहद रोचक है. चलिए जानते हैं उन्होंने इसे कैसे समझाया-

पल्लवी जोशी ने बेहद आसान तरीके से राफेल डील को समझाया है.

सोसायटी और लॉक्स से समझाई राफेल डील

पल्लवी ने सोसायटी और उसके सेक्रेटरी का उदाहरण देते हुए इसे समझाया. वह कहती हैं- 'कई सालों से ताले यानी लॉक्स बदलवाने की बात चल रही है. पुराने सेक्रेटरी ने किसी फ्रेंच कंपनी से पासवर्ड प्रोटेक्टेड लॉक्स देने के वादे किए थे, लेकिन 10 साल तक उन्होंने कुछ नहीं किया. जब मैं सेक्रेटरी बनी तो पता चला कि वो तो सिर्फ लॉक्स खरीदने की बात कर रहे थे, जिसका डोर फोन के बिना कोई फायदा नहीं. इतनी एडवांस टेक्नोलॉजी के लॉक्स का मेंटेनेंस और रिपेयर भी महंगा होगा. इस तरह प्रति लॉक कीम 10,000 से भी अधिक बैठ रही थी. जब फ्रांस की कंपनी से बात की तो पता चला कि ऑन पेपर इसका कोई कॉन्ट्रैक्ट ही नहीं है. जिन लॉक को 5000 में खरीदने की बात हुई थी, उसे मैंने 4000 में ही खरीद लिया और ये भी कुछ पार्ट्स भारत में ही बनाने की शर्त रखी ताकि भविष्य में कोई दिक्कत आने पर विदेश न भागना पड़े. पूरी डील 7000 में पक्की हो गई, जिसके लिए पहले 10,000 रुपए मांगे जा रहे थे.'

इसके बाद पल्लवी ने कहा- 'यही राफेल डील भी है. जिसके तहत हमें फाइटर प्लेन भी सस्ते में मिले, साथ में मिसाइलें मिलीं और कई पार्ट्स भारत में बनने से करीब 12,500 करोड़ रुपए की बचत भी हुई.' आगे वह बोलीं- 'पुराने सेक्रेटरी कल ही विदेश से लौटे और आते साथ ही झूठ-मूठ के सवाल करने लगे तो मैंने उनसे कहा कि भाई साहब आप अपनी आलू की फैक्ट्री संभालिए और सोसायटी की सुरक्षा हम पर छोड़ दीजिये. ईजी (आसान) है ना.' पल्लवी का ये वीडियो सोशल मीडिया पर देखते ही देखते वायरल हो गया. पल्लवी का ये वीडियो देखते ही यह समझ आ जाता है कि यह कांग्रेस और राहुल गांधी को जवाब देने और लोगों को राफेल डील के बारे में समझाने के लिए बनाया गया वीडियो है. अब कांग्रेस कहां चुप बैठने वाली थी. उसने भी एक वीडियो इसी थीम पर बना डाला.

ये है कांग्रेस का वीडियो

कांग्रेस के वीडियो में दिखने वाली महिला किरदार ने खुद को उस पुराने सेक्रेटरी की तरह दिखाया और कहा- 'जब मैं सेक्रेटरी थी तो मैंने एक फ्रेंच कंपनी से बहुत सोच समझ कर डील की थी. हमने सोचा अधिकतर लॉक भारत में बनवाए जाएं ताकि विदेशों पर निर्भर न रहना पड़े. इन लॉक को बनाने की जिम्मेदारी एक सरकारी कंपनी को दे दी. ये डील सिर्फ 6000 रुपए में की. हाल ही में हमारी बिल्डिंग के चौकीदार ने सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए उसी फ्रेंच कंपनी को फोन किया कहा कि मेरा एक दोस्त है जो बहुत अच्छे पकौड़े तलता है, जिस पर काफी सारा कर्ज है. मैं उसे बोलता हूं वो कर्ज चुकाने के लिए चाबी भी बना देगा.'

अपनी बात आगे बढ़ाते हुए वह बोलीं- 'जितने लॉक मंगवाए गए थे चौकीदार ने कहा कि उन्हें सिर्फ एक चौथाई लॉक चाहिए और पता चला कि चौकीदार के दोस्त ने कभी चाबी बनाई ही नहीं. खर्चा पूछने पर वह बोले कि ये एक सीक्रेट है. जब इस मामले पर फ्रांस की कंपनी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इसकी कीमत 18,000 रुपए है. यही राफेल डील है, एक सोचा-समझा घोटाला. देश की नाक के नीचे से उन्हीं का पैसा चुराया जा रहा है. घोटाले में भागीदारी और सुरक्षा में बेईमानी इस सरकारी की नीति है.' अंत में वह बिना नाम लिए सीधे पीएम मोदी पर हमला करते हुए बोलती हैं- 'तो गटर की गैस से चाय बनाने वाले चौकीदार से हमारी दरख्वास्त है कि अपनी सुरक्षा की नीतियों और भ्रष्टाचार की रीतियों से देश को खतरे में डाले. क्योंकि जनता को बेवकूफ बनाना ईजी (आसान) नहीं है.'

जहां एक ओर राफेल डील पर कांग्रेस और भाजपा भिड़ी हुई हैं, वहीं इससे अनिल अंबानी भी बहुत परेशान हैं. एक बार पिछले साल दिसंबर में उन्होंने राफेल डील को लेकर राहुल गांधी को पत्र लिखा था और अब दोबारा उन्होंने राहुल गांधी को पत्र लिखते हुए कहा है कि राफेल डील से उन्हें एक भी रुपया नहीं मिल रहा है. उनका आरोप है कि कुछ प्रतिद्वंद्वी कंपनियों ने अपना हित साधने के लिए गलत, भ्रामक और भटकाने वाली जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि भारत जो 36 राफेल जेट फ्रांस से खरीद रहा है, उनके एक भी रुपए के पार्ट का निर्माण उनकी कंपनी नहीं कर रही है. उन्होंने राहुल गांधी के उस आरोप को खारिज किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राफेल डील में बदलाव सिर्फ एक उद्योगपति को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया था. यहां इशारा अनिल अंबानी की तरफ था.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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