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डॉक्टरों को ऐसी मुसीबत में मत डालो की वे भूल जायें कि पहले किसकी जान बचानी है

    • आईचौक
    • Updated: 26 मार्च, 2020 03:26 PM
  • 26 मार्च, 2020 03:26 PM
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कोरोना के कहर (Corona Virus Outbreak) के दौर में सबसे पहले बचाव और फिर डॉक्टरों (Doctors and Nurses) का ही भरोसा है, लेकिन लोगों का दुर्व्यवहार चिंता की बात है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी खासे खफा हैं. हैरानी तो तब होती है कि जिनके लिए ताली और थाली बजायी उन्हें घर से निकाल रहे हैं.

22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान पूरे देश ने ताली और थाली बजायी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने खुद इसके लिए लोगों से अपील की थी और मतलब भी समझाया था - जब वे अपने अपने घरों में होंगे तो जो लोग सेवा के लिए सड़कों पर निकले हैं उन्हें ऐसे ही सम्मान देना चाहिये. लोगों ने ऐसा किया भी - लेकिन कुछ लोग इस बात को भूल गये.

जब पूरा देश घरों में बैठा है, डॉक्टर और नर्स (Doctors and Nurses) बाहर निकल कर खुद को खतरे में डालते हुए कोरोना वायरस (Corona Virus Outbreak) से पीड़ितों के इलाज में जुटे हैं - लेकिन मुश्किल ये है कि काम के बाद लौटने पर लोग उन्हें घर में घुसने तक नहीं देना चाहते. थक हार कर डॉक्टरों को गृह मंत्री को पत्र लिखना पड़ा है.

हालत ये हो चली है कि कई डॉक्टरों को उनके मकान मालिक घर खाली करने का नोटिस तक दे डाले हैं - क्या ऐसे लोग ये नहीं सोचते कि जब डॉक्टर ही मुसीबत में होंगे तो बाकियों को कौन बचाएगा?

प्रधानमंत्री ने डॉक्टरों के साथ हुई घटना पर नाराजगी जताते हुए राज्य सरकारों से कड़ा एक्शन लेने को भी कहा - ऐसा करने वालों को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी सख्ती से पेश आने की चेतावनी दी है.

पूरा देश घर में और डॉक्टर बेघर - कैसे चलेगा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोगों से संवाद के दौरान उस घटना का जिक्र किया जिसमें जनता कर्फ्यू के अगले ही दिन कुछ लोगों ने डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार किया था. ये बात भी प्रधानमंत्री को कुछ डॉक्टरों ने तब बतायी जब वो कोरोना पर राष्ट्र के नाम दूसरे संबोधन से पहले उनकी राय ले रहे थे. ये सब वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हो रहा था.

तभी एक डॉक्टर ने तेलंगाना के कुछ डॉक्टरों के साथ हुए लोगों के दुर्व्यवहार का जिक्र किया. ये घटना तेलंगाना के वारंगल ही है - और 23 मार्च का वाकया है. 23 मार्च यानी जनता कर्फ्यू के ठीक एक दिन बाद.

22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान पूरे देश ने ताली और थाली बजायी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने खुद इसके लिए लोगों से अपील की थी और मतलब भी समझाया था - जब वे अपने अपने घरों में होंगे तो जो लोग सेवा के लिए सड़कों पर निकले हैं उन्हें ऐसे ही सम्मान देना चाहिये. लोगों ने ऐसा किया भी - लेकिन कुछ लोग इस बात को भूल गये.

जब पूरा देश घरों में बैठा है, डॉक्टर और नर्स (Doctors and Nurses) बाहर निकल कर खुद को खतरे में डालते हुए कोरोना वायरस (Corona Virus Outbreak) से पीड़ितों के इलाज में जुटे हैं - लेकिन मुश्किल ये है कि काम के बाद लौटने पर लोग उन्हें घर में घुसने तक नहीं देना चाहते. थक हार कर डॉक्टरों को गृह मंत्री को पत्र लिखना पड़ा है.

हालत ये हो चली है कि कई डॉक्टरों को उनके मकान मालिक घर खाली करने का नोटिस तक दे डाले हैं - क्या ऐसे लोग ये नहीं सोचते कि जब डॉक्टर ही मुसीबत में होंगे तो बाकियों को कौन बचाएगा?

प्रधानमंत्री ने डॉक्टरों के साथ हुई घटना पर नाराजगी जताते हुए राज्य सरकारों से कड़ा एक्शन लेने को भी कहा - ऐसा करने वालों को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी सख्ती से पेश आने की चेतावनी दी है.

पूरा देश घर में और डॉक्टर बेघर - कैसे चलेगा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोगों से संवाद के दौरान उस घटना का जिक्र किया जिसमें जनता कर्फ्यू के अगले ही दिन कुछ लोगों ने डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार किया था. ये बात भी प्रधानमंत्री को कुछ डॉक्टरों ने तब बतायी जब वो कोरोना पर राष्ट्र के नाम दूसरे संबोधन से पहले उनकी राय ले रहे थे. ये सब वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हो रहा था.

तभी एक डॉक्टर ने तेलंगाना के कुछ डॉक्टरों के साथ हुए लोगों के दुर्व्यवहार का जिक्र किया. ये घटना तेलंगाना के वारंगल ही है - और 23 मार्च का वाकया है. 23 मार्च यानी जनता कर्फ्यू के ठीक एक दिन बाद.

एक वीडियो कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

डॉक्टर ने प्रधानमंत्री को बताया कि मकान मालिकों ने कई जूनियर डॉक्टरों को घरों से निकाल दिया. मकान मालिकों का साफ साफ कहना रहा कि वे डॉक्टर गंदे हैं और संक्रमित हैं. मकान मालिकों के इस कदम के बाद वे डॉक्टर सीधे सड़क पर आ गये. वीडियो कांफ्रेंसिंग में शामिल डॉक्टरों का भी प्रधानमंत्री से यही सवाल था कि ऐसा हुआ तो स्वास्थ्यकर्मी कैसे काम कर पाएंगे.

डॉक्टरों से दुर्व्यवहार की ऐसी घटनाएं दिल्ली और नोएडा में भी हुई हैं और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी इस पर चिंता जतायी है. ऐसी ही एक घटना का पता ट्विटर पर एक वायरल वीडियो के जरिये पता चला.

ये घटना दिल्ली नोएडा के बीच डीएनडी फ्लाईओवर की है और हैदराबाद के एक दिन बाद यानी 24 मार्च की है. वायरल वीडियो में एक डॉक्टर को पुलिस वालों ने रोक लिया है और मौके पर मौजूद एक रिपोर्टर भी पुलिसवालों की तरफ से सवाल उठा रहा है.

ये घटना नोएडा के ESIC अस्पताल के निदेशक के साथ हुई जिसे न तो पुलिस वाले और न ही वो रिपोर्टर डॉक्टर मानने को तैयार हैं. बाद में अस्पताल की तरफ से टीवी चैनल के रिपोर्टर के व्यवहार पर गहरी नाराजगी जतायी गयी है.

हैरानी की बात ये है कि न तो रिपोर्टर और न ही वीडियो में नजर आ रहे पुलिस के सब इंस्पेक्टर को इस बात की जानकारी है कि ESIC यानी कर्मचारी राज्य बीमा निगम का कोई अस्पताल होता है - और ऐसे अस्पताल का निदेशक भी डॉक्टर होता है. ESIC के डायरेक्टर डॉक्टर आशीष सिंघल को वो रिपोर्टर किसी बीमा कंपनी का कर्मचारी मान कर चल रहा है - और पुलिस अफसर को भी बिलकुल वैसा ही कंफ्यूजन है.

डॉक्टरों से दुर्व्यवहार क्यों?

वाराणसी के लोगों से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले, 'कुछ स्थानों से ऐसी घटनाओं की जानकारी भी मिली है, जिससे हृदय को चोट पहुंची है... मेरी सभी नागरिकों से अपील है कि अगर ऐसी कोई गतिविधि कहीं दिख रही है... कहीं आपको डॉक्टर, नर्स या मेडिकल स्टाफ के साथ कोई बुरा बर्ताव होता दिख रहा हो तो आप वहां जाकर लोगों को समझाएं...'

प्रधानमंत्री मोदी की तरह ही केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन भी डॉक्टरों को परेशान किये जाने को लेकर काफी चिंतित नजर आये. डॉक्टर हर्षवर्धन ने ट्विटर पर अपनी भावनाएं शेयर करते हुए लिखा - ‘मैं दिल्ली, नोएडा, वारंगल, गुजरात में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को परेशान किए जाने को लेकर परेशान हूं. मैं कहना चाहता हूं कि डॉक्टर सारे सुरक्षा मानक अपना रहे हैं. किसी को घबराने की जरूरत नहीं है.’

खबर ये भी है कि एम्स के डॉक्टरों की तरफ से गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर हालात का अपडेट दिया गया है. पत्र मिलने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने एम्स रेजिडेंट डॉक्टर असोसिएशन के मुख्य सचिव डॉक्टर एस राजकुमार से बात भी की है. अमित शाह भरोसा दिलाया है कि ऐसी बातों को सरकार गंभीरता से लिया जा रहा है. गृह मंत्री ने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर से भी इस सिलसिले में बात की है और डॉक्टरों को परेशान करने वाले मकान मालिकों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने को कहा है.

प्रधानमंत्री मोदी ने भी वाराणसी के लोगों से वीडियों कांफ्रेंसिंग के दौरान ही राज्य सरकारों से ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की सलाह दी. ये बात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक भी पहुंची है.

अरविंद केजरीवाल का कहना रहा, 'मकान मालिक कह रहे हैं कि ये लोग कोरोना फैला देंगे, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. भगवान ना करे, लेकिन अगर आपके घर में कोई कोरोना से पीड़ित हो गया तो उन्हें बचाने कोई नहीं आएगा.'

सवाल है कि लोग डॉक्टरों के साथ ऐसा व्यवहार कर क्यों रहे हैं? वे कैसे भूल जा रहे हैं कि डॉक्टर और मेडिकल पेशे से जुड़े लोग खुद की जिंदगी खतरे में डाल कर लोगों के इलाज में दिन रात जुटे हैं. अब तक तो लोग डॉक्टर को भगवान की तरह पूजते आ रहे थे - भला ऐसा कैसे हो सकता है कि खुद को बचाने के लिए घरों में रहते हुए भी उन्हें बेघर कर दे रहे हैं जो उनके जैसे ही बीमार लोगों के लिए घर से निकले थे - हो सकता है ऐसे लोग मेडिकल पैमानों पर खुद को स्वस्थ मान कर चल रहे हों, लेकिन सामाजिक तौर पर तो मानसिक रूप में बीमार हैं. बहुत बीमार हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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