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नरेंद्र मोदी या शिवराज सिंह: लोकप्रियता का पैमाना तय करेंगे मध्य प्रदेश चुनाव

    • संतोष चौबे
    • Updated: 27 अक्टूबर, 2018 01:13 PM
  • 27 अक्टूबर, 2018 01:11 PM
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शिवराज के राज्य में मध्य प्रदेश को समस्याओं से जूझना पड़ा है लेकिन उनका दावा है कि उनके खिलाफ कोई विरोधी लहर नहीं है और वो चौथी बार भी जीतकर आने वाले हैं. अब अगर वास्तव में शिवराज जीत जाते हैं तो बीजेपी और नरेंद्र मोदी के लिए ये बहुत बड़ा संकेत होगा.

विश्लेषक और राजनीतिक लोग ये दावा करते हैं कि बीजेपी इस बार मध्य प्रदेश में चुनाव हार सकती है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तीन बार से सत्ता में हैं और राज्य में कांग्रेस की बढ़त देखते हुए इसपर दावे भी किये जा रहे हैं. पर शिवराज सिंह चौहान अभी भी राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं और उन्हें पता है कि उनके सामने कांग्रेस का जो खेमा है उसे पता ही नहीं है कि अगर मौका मिलता है तो कांग्रेस से राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा.

शिवराज सिंह चौहान को इस बार भी जीत की पूरा उम्मीद है

क्या कहते हैं सर्वे

अभी पिछले महीने इंडिया टुडे के प्री-पोल सर्वे में पाया गया कि राज्य की 46% जनता शिवराज को फिर से मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है. कांग्रेस की तरफ से ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके मुकाबले काफी कम वोट मिले थे, जो 32% थे. इसके अलावा कांग्रेस में कौन अगला मुख्यमंत्री बनेगा इस पर भी अजीब स्थिति है. ज्योतिरादित्य और कमल नाथ दोनों बड़े नाम हैं लेकिन इस सर्वे के हिसाब से जनता उनके पक्ष में खड़ी नहीं दिखाई देती है. इसके अलावा दिग्विजय सिंह भी अपना अलग ही राग अलाप रहे हैं.  

सर्वे के अनुसार, 41% लोग शिवराज के कार्य से संतुष्ट हैं जबकि 40% लोग सरकार में बदलाव चाहते हैं. ये अंतर थोड़ा है लेकिन अगर शिवराज अपना पोल मैनेजमेंट ठीक से कर पाए तो शिवराज की लोकप्रियता इसमें इज़ाफ़ा कर सकती है. कुछ और सर्वे ने भी शिवराज सिंह की चौथी सरकार की तरफ ही इशारा किया है. हालांकि एक-दो सर्वे उनके खिलाफ भी हैं.

ये तो सर्वे की बातें हैं और वास्तविकता तो चुनाव के बाद ही पता चलेगी लेकिन अगर शिवराज जीत गए तो उसका सबसे बड़ा फायदा बीजेपी को लोकसभा चुनावों में मिलेगा. जिसका फायदा नरेंद्र मोदी को मिलेगा.

विश्लेषक और राजनीतिक लोग ये दावा करते हैं कि बीजेपी इस बार मध्य प्रदेश में चुनाव हार सकती है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तीन बार से सत्ता में हैं और राज्य में कांग्रेस की बढ़त देखते हुए इसपर दावे भी किये जा रहे हैं. पर शिवराज सिंह चौहान अभी भी राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं और उन्हें पता है कि उनके सामने कांग्रेस का जो खेमा है उसे पता ही नहीं है कि अगर मौका मिलता है तो कांग्रेस से राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा.

शिवराज सिंह चौहान को इस बार भी जीत की पूरा उम्मीद है

क्या कहते हैं सर्वे

अभी पिछले महीने इंडिया टुडे के प्री-पोल सर्वे में पाया गया कि राज्य की 46% जनता शिवराज को फिर से मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है. कांग्रेस की तरफ से ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके मुकाबले काफी कम वोट मिले थे, जो 32% थे. इसके अलावा कांग्रेस में कौन अगला मुख्यमंत्री बनेगा इस पर भी अजीब स्थिति है. ज्योतिरादित्य और कमल नाथ दोनों बड़े नाम हैं लेकिन इस सर्वे के हिसाब से जनता उनके पक्ष में खड़ी नहीं दिखाई देती है. इसके अलावा दिग्विजय सिंह भी अपना अलग ही राग अलाप रहे हैं.  

सर्वे के अनुसार, 41% लोग शिवराज के कार्य से संतुष्ट हैं जबकि 40% लोग सरकार में बदलाव चाहते हैं. ये अंतर थोड़ा है लेकिन अगर शिवराज अपना पोल मैनेजमेंट ठीक से कर पाए तो शिवराज की लोकप्रियता इसमें इज़ाफ़ा कर सकती है. कुछ और सर्वे ने भी शिवराज सिंह की चौथी सरकार की तरफ ही इशारा किया है. हालांकि एक-दो सर्वे उनके खिलाफ भी हैं.

ये तो सर्वे की बातें हैं और वास्तविकता तो चुनाव के बाद ही पता चलेगी लेकिन अगर शिवराज जीत गए तो उसका सबसे बड़ा फायदा बीजेपी को लोकसभा चुनावों में मिलेगा. जिसका फायदा नरेंद्र मोदी को मिलेगा.

शिवराज सिंह चौहान की जीत यानी पीएम मोदी की जीत

देश में अगर प्रधानमंत्री के रूप में देखें तो नरेंद्र मोदी अभी भी सबसे लोकप्रिय राजनेता हैं. यद्यपि उनकी लोकप्रियता में पिछले कुछ दिनों में गिरावट आयी है और राहुल गांधी की लोकप्रियता बढ़ी है लेकिन अभी भी वो राहुल गांधी से काफी आगे हैं. इसके अलावा बीजेपी का फैलाव सत्ता के रूप में अब पूरे देश में है जबकि कांग्रेस, जो सत्ता के रूप में काफी सीमित हो चुकी है, उसे फैलने में अभी समय लग सकता है. वही हम राहुल गांधी के विषय में भी कह सकते हैं.

शिवराज सिंह चौहान और नरेंद्र मोदी दोनों को विरोधी लहर से जूझना है

शिवराज के राज्य में मध्य प्रदेश को समस्याओं से जूझना पड़ा है लेकिन उनका दावा है कि उनके खिलाफ कोई विरोधी लहर नहीं है और वो चौथी बार भी जीतकर आने वाले हैं. अब अगर वास्तव में शिवराज जीत जाते हैं तो बीजेपी और नरेंद्र मोदी के लिए ये बहुत बड़ा संकेत होगा कि केंद्र में बीजेपी सरकार के खिलाफ विरोधी लहर होने के दावे के बाद भी मोदी की लोकप्रियता पर वो चुनाव जीत सकते हैं. क्योंकि उनके खिलाफ खड़े होने वालों के पास अभी लोगों का उतना सपोर्ट नहीं है कि वो चुनावी नैया को मोदी की लोकप्रियता के दम पर पार लगा सकते हैं, भले ही जनता को पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम से दिक्कत हो या देश में विमुद्रीकरण और जीएसटी का बुरा प्रभाव पड़ा हो या उतनी नौकरियां नहीं आ पाईं जितनी आनी चाहिए थीं.

शिवराज सिंह चौहान चुनाव दर चुनाव मजबूत बनकर उभरे हैं और विरोधी लहर के खिलाफ इस बार भी बीजेपी उनकी लोकप्रियता में अपनी जीत देखना चाहेगी.

मध्य प्रदेश में समस्याएं तो हैं लेकिन शिवराज भी उतने ही लोकप्रिय हैं

प्रदेश में भ्रष्टाचार है और व्यापम घोटाला तो उसकी ऊपरी परत भर है. प्रदेश में सरकारी तंत्र की बुरी हालत है. मंत्री और अधिकारी तो भ्रष्ट पाए ही गए हैं, यहां तो चपरासियों के पास से करोड़ों बरामद हुए हैं. कांग्रेस का काम तो खैर आरोप लगाना है ही और आरोप ये लगाए गए हैं कि मध्य प्रदेश में पिछले साल 2700 करोड़ से ज्यादा घोटाले हुए हैं.

प्रदेश में सभी आंदोलनरत हैं- अगड़े, पिछड़े, अनुसूचित जाति के लोग. सभी की अपनी समस्याएं हैं और सभी को मुख्यमंत्री जी से हल चाहिए. लेकिन मुख्यमंत्री जी नर्मदा समस्या जमीन पर हल करने के बजाए बाबा लोगों को मंत्री बनाकर ही हल कर लेना चाहते हैं.

मध्यप्रदेश के हालातों में सालों से कोई सुधार नहीं, फिर भी शिवराज को जनता का साथमिल रहा है

मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार 2003 से है और शिवराज सिंह चौहान 2005 में मुख्यमंत्री बने थे. तब से लगातार, शिवराज दावा करते हैं कि मध्य प्रदेश, जो कि पहले एक बीमारू राज्य था काफी आगे बढ़ा है. शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्य प्रदेश कृषि उन्नति के मामले में भारत में काफी आगे है लेकिन फिर भी किसान क्यों आंदोलन कर रहे हैं इसका उनके पास कोई जवाब नहीं है.

शिवराज के अनुसार मध्य प्रदेश की प्रति-व्यक्ति आय, राज्य में मूलभूत संरचना, सुविधाएं और बिजली की उपलब्धता में काफी सुधार हुआ है लेकिन अगर हम आंकड़ों की बात देखें तो ये 2005-06 में देश में तीसरा सबसे गरीब राज्य था और इसमें कोई बड़ा सुधार नहीं हो पाया. प्रति-व्यक्ति आय में मध्य प्रदेश 2014-15 में देश में चौथा सबसे गरीब राज्य था.

खैर, यहां पर बहुत आंकड़े देने का कोई मतलब नहीं है. आंकड़े बीजेपी अपने पक्ष में बताएगी और कांग्रेस बीजेपी के विपक्ष में, जबकि वास्तव में उनका टारगेट जनता ही है. वो जनता जो वोट देती है. और फिलहाल वो जनता शिवराज सिंह चौहान के पक्ष में खड़ी दिखाई दे रही है, उनकी लोकप्रियता के पक्ष में. और नरेंद्र मोदी भी 2019 में पूरे देश में वही देखना चाहेंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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