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मध्यप्रदेश चुनाव: पुत्रमोह में धृतराष्‍ट्र बनते भाजपा-कांग्रेस के बड़े नेता

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 24 अक्टूबर, 2018 11:56 AM
  • 24 अक्टूबर, 2018 11:55 AM
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मध्यप्रदेश में अगले महीने की 28 तारीख को विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में प्रदेश के कई बड़े नेता अपने पुत्र-पुत्रियों या फिर नज़दीकी रिश्तेदारों को टिकट दिलाकर सियासी सफर के पायदान पर चढ़ाने में लगे हैं.

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान के साथ ही अब टिकट की दावेदारी के लिए मार-काट मची है. लेकिन इसमें खाास बात यह है कि दोनों प्रमुख पार्टियों- भाजपा और कांग्रेस के नेतागण अपने-अपने रिश्तेदारों के लिए भी टिकट का दावा कर रहे हैं. हालांकि राजनीति में वंशवाद कोई नया नहीं है लेकिन यह देखा गया है कि जो नेता वंशवाद का विरोध करते थे समय आने पर उन्होंने भी अपने नज़दीकी रिश्तेदारों को राजनीति में स्थापित किया. पहले भाजपा कांग्रेस पर आरोप लगाती थी कि पार्टी में वंशवाद है लेकिन अब तो भाजपा भी किसी से पीछे नहीं है, यहां तक कि राज्यों में छोटे दलों की बुनियाद ही परिवारवाद पर टिकी है. देश के हर कोने में राजनीतिक वंशवाद फल फूल रहा है.

और अब मध्यप्रदेश में अगले महीने की 28 तारीख को विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में प्रदेश के कई बड़े नेता अपने पुत्र-पुत्रियों या फिर नज़दीकी रिश्तेदारों को टिकट दिलाकर सियासी सफर के पायदान पर चढ़ाने में लगे हैं.

जानने की कोशिश करते हैं ऐसे ही कुछ कद्दावर नेताओं के रिश्तेदारों की जो सियासत के सफर में अपना पदार्पण कर सकते हैं.

पहले बात भाजपा की-

कार्तिकेय चौहान:

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय चौहान

मंदार महाजन:

सुमित्रा महाजन के बेटे मंदार महाजन

आकाश विजयवर्गीय:

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान के साथ ही अब टिकट की दावेदारी के लिए मार-काट मची है. लेकिन इसमें खाास बात यह है कि दोनों प्रमुख पार्टियों- भाजपा और कांग्रेस के नेतागण अपने-अपने रिश्तेदारों के लिए भी टिकट का दावा कर रहे हैं. हालांकि राजनीति में वंशवाद कोई नया नहीं है लेकिन यह देखा गया है कि जो नेता वंशवाद का विरोध करते थे समय आने पर उन्होंने भी अपने नज़दीकी रिश्तेदारों को राजनीति में स्थापित किया. पहले भाजपा कांग्रेस पर आरोप लगाती थी कि पार्टी में वंशवाद है लेकिन अब तो भाजपा भी किसी से पीछे नहीं है, यहां तक कि राज्यों में छोटे दलों की बुनियाद ही परिवारवाद पर टिकी है. देश के हर कोने में राजनीतिक वंशवाद फल फूल रहा है.

और अब मध्यप्रदेश में अगले महीने की 28 तारीख को विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में प्रदेश के कई बड़े नेता अपने पुत्र-पुत्रियों या फिर नज़दीकी रिश्तेदारों को टिकट दिलाकर सियासी सफर के पायदान पर चढ़ाने में लगे हैं.

जानने की कोशिश करते हैं ऐसे ही कुछ कद्दावर नेताओं के रिश्तेदारों की जो सियासत के सफर में अपना पदार्पण कर सकते हैं.

पहले बात भाजपा की-

कार्तिकेय चौहान:

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय चौहान

मंदार महाजन:

सुमित्रा महाजन के बेटे मंदार महाजन

आकाश विजयवर्गीय:

कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय

तुष्मुल झा:

प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा

अभिषेक भार्गव:

गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक भार्गव

मुदित शेजवार:

डॉ. गौरीशंकर शेजवार के पुत्र मुदित शेजवार

मौसम बिसेन:

 कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन

मौसम कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी हैं और राजनीति में प्रवेश के लिए टिकट के इंतज़ार में हैं.

अब बात कांग्रेस की-

अपने नज़दीकी रिश्तेदारों को सियासत में लेन के लिए कांग्रेस भी पीछे नहीं है.

नकुलनाथ:

कमलनाथ के पुत्र नकुल नाथ

ये कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ के पुत्र हैं. कमलनाथ इन्हें राजनीति में लाने को इच्छुक हैं. इस बार उन्हें टिकट मिलने की प्रबल संभावना है.  

विक्रांत भूरिया:

कामतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया

विक्रांत कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया के सुपुत्र हैं. झाबुआ से टिकट लेकर राजनीति में पदार्पण करना चाहते हैं. विक्रांत पहले आदिवासी संगठन जयस से जुड़े थे.

नितिन चतुर्वेदी:

सत्यव्रत चतुर्वेदी के बेटे नितिन चतुर्वेदी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी अपने बेटे नितिन चतुर्वेदी को टिकट दिलाना चाह रहे हैं. हालांकि वो पहले भी असफलतापूर्वक चुनाव लड़ चुके हैं.  

जयवर्धन सिंह:

दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह राघोगढ़ विधानसभा से विधायक हैं.  

इस विधानसभा चुनाव से लेकर अगले साल के लोकसभा चुनाव आते-आते ऐसा प्रतीत होता है जैसे नेताओं के रिश्तेदार बड़ी संख्या में सियासी सफर की सीढ़ियों पर पैर रखेंगे. हालांकि मध्यप्रदेश की राजनीति में यह पहली बार नहीं होगा. इससे पहले भी बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं के रिश्तेदार कामयाबी के शिखर पर हैं. मसलन स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद हैं तथा मुख्यमंत्री की दौड़ में भी शामिल हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता हैं.

हालांकि ये नए नेतापुत्र टिकट हासिल कर पाएंगे या नहीं या फिर टिकट लेकर जीत पाएंगे या नहीं, आनेवाला वक़्त ही बता पायेगा लेकिन इतना तो तय है कि मध्यप्रदेश की राजनीति में नए युवराजों की फौज आने को व्याकुल है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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