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पद्मावती का विरोध क्या सच में भारत को हिन्दू पाकिस्तान बना देगा ?

    • मिन्हाज मर्चेन्ट
    • Updated: 23 नवम्बर, 2017 03:03 PM
  • 23 नवम्बर, 2017 03:03 PM
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भाजपा की रणनीतिक कमी समय-समय पर दिख जाती है. इनके प्रवक्ता या तो एकदम शिथिल रहते हैं या फिर बिल्कुल आक्रामक हो जाते हैं. पीएम कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करते ये बात भी सरकार के खिलाफ जाती है.

हिन्दू पाकिस्तान. आज के समय में ये शब्द हमारे लिए कोई नया नहीं रह गया है. देश में कुछ भी होता है और उसमें हम पाकिस्तान का अक्स देखने लगते हैं. बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार भी इस झूठ को बनाए रखने में अपना भरपूर योगदान दे रही है.

पद्मावती फिल्म पर बीजेपी का विरोध नितांत अनुचित है. बीजेपी के लिए सही काम करने से ज्यादा जरुरी चुनाव जीतना है. यही कारण है कि राजस्थान के राजपूतों और देश के बाकी हिस्सों के हिन्दूओं का वोट पाने की खातिर बीजेपी इस तरह के हथकंडे अपनाए. और पद्मावती के निर्माता को इसकी रिलीज डेट आगे बढ़ानी पड़ी.

फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली का सिर काटकर लाने वाले को दस करोड़ ईनाम देने की घोषणा करने वाले भाजपा नेता सूरज पाल अमू को गिरफ्तार करने के बजाए उसके खिलाफ सिर्फ कारण बताओ नोटिस कर दिया और अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ लिया. ऐसा करके सरकार ने भारतीय संस्कृति के नाम पर गुंडागर्दी करने वालों को और ताकत ही दे दी.

भाजपा नेताओं का मत है कि-

पहले हम चुनाव जीत लें. उसके बाद लोगों के अधिकारों के बारे में कुछ काम करेंगे. लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा और दहशतगर्दों को प्रश्रय न देने जैसे सही काम बाद में किए जाएंगे. भाजपा ने ये बहुत ही गलत तरीका अपनाया है. क्योंकि जैसे ही चुनाव को मर्यादा के ऊपर रखा जाता है, तो आगे इस नियम को तोड़ना मुश्किल हो जाएगा.

पद्मावती के मामले में...

हिन्दू पाकिस्तान. आज के समय में ये शब्द हमारे लिए कोई नया नहीं रह गया है. देश में कुछ भी होता है और उसमें हम पाकिस्तान का अक्स देखने लगते हैं. बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार भी इस झूठ को बनाए रखने में अपना भरपूर योगदान दे रही है.

पद्मावती फिल्म पर बीजेपी का विरोध नितांत अनुचित है. बीजेपी के लिए सही काम करने से ज्यादा जरुरी चुनाव जीतना है. यही कारण है कि राजस्थान के राजपूतों और देश के बाकी हिस्सों के हिन्दूओं का वोट पाने की खातिर बीजेपी इस तरह के हथकंडे अपनाए. और पद्मावती के निर्माता को इसकी रिलीज डेट आगे बढ़ानी पड़ी.

फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली का सिर काटकर लाने वाले को दस करोड़ ईनाम देने की घोषणा करने वाले भाजपा नेता सूरज पाल अमू को गिरफ्तार करने के बजाए उसके खिलाफ सिर्फ कारण बताओ नोटिस कर दिया और अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ लिया. ऐसा करके सरकार ने भारतीय संस्कृति के नाम पर गुंडागर्दी करने वालों को और ताकत ही दे दी.

भाजपा नेताओं का मत है कि-

पहले हम चुनाव जीत लें. उसके बाद लोगों के अधिकारों के बारे में कुछ काम करेंगे. लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा और दहशतगर्दों को प्रश्रय न देने जैसे सही काम बाद में किए जाएंगे. भाजपा ने ये बहुत ही गलत तरीका अपनाया है. क्योंकि जैसे ही चुनाव को मर्यादा के ऊपर रखा जाता है, तो आगे इस नियम को तोड़ना मुश्किल हो जाएगा.

पद्मावती के मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बयान ने आग में घी का ही काम किया है. सम्मानित पदों पर बैठे भाजपा के नेताओं द्वारा विरोध के दबाने के इस तरह के बयान ने पाकिस्तान के हिन्दू वर्जन बनने का रास्ता खोल दिया है.

कुछ वेबसाइट जिनकी फंडिंग सवालों के घेरे में है वो पीएम मोदी को रोज भला-बुरा कहती हैं. लेफ्ट के नेता, कुछ कांग्रेसी नेता (दोनों एक जैसे), तृणमूल वाले, राजद और आप के नेता प्रधानमंत्री को सबकुछ कह चुके हैं. 'राक्षस' से 'मूर्ख' तक. बिल्कुल सही है. आखिर किसी लोकतंत्र में इतनी आजादी तो होनी ही चाहिए कि प्रधानमंत्री को भी गली के गुंडे जैसा समझकर अपशब्द कहा जाए!

तो फिर आखिर देश के 'हिन्दू पाकिस्तान' बनते जाने पर इतना हो-हल्ला क्यों? इसके लिए अकेले भाजपा ही दोषी नहीं है. कांग्रेस ने भी रसातल में जाने की इस प्रक्रिया में पूरा साथ दिया है. इनके पास भी कुछ ऐसे तुरुप के इक्के जिनका समय और परिस्थिति के हिसाब से ये इस्तेमाल करते हैं. कानूनी तौर पर मोदी का विरोध करना है तो कपिल सिब्बल मौजूद हैं. नोटबंदी को बकवास बताना है तो पी चिदंबरम आगे आ जाते हैं. जनता के सामने अगर जीएसटी को गलत साबित करना है तो दस साल तक मौन धारण किए रहने के बाद मनमोहन सिंह भी बोल पड़ते हैं.

भाजपा की रणनीतिक कमी समय-समय पर दिख जाती है. इनके प्रवक्ता या तो एकदम शिथिल रहते हैं या फिर बिल्कुल आक्रामक हो जाते हैं. पीएम कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करते ये बात भी सरकार के खिलाफ जाती है. सरकार में मोदी ही जनता के सबसे पसंदीदा चेहरा हैं. हर महीने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मीडिया के सवालों करना लोकतंत्र का जरुरी हिस्सा होता है. लेकिन सवाल-जवाब के इस मौके का इस्तेमाल न करके मोदी विपक्ष के केस को मजबूत ही कर रहे हैं.

हिन्दू पाकिस्तान?

पाकिस्तान (जो ईश निंदा के नाम पर हत्याओं को माफ कर देता है, जिसने अहमदियों की संवैधानिक वैधता को खत्म कर दिया है, शिया लोगों को निशाने पर रखता है और बंटवारे के बाद देश में बचे हिन्दूओं को देश से बाहर निकाल दिया) जैसा आतंकी राष्ट्र और भारत जो मुस्लिम अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करता है के बीच तुलना करने पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए.

धर्म के नाम पर हिंसा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करनी चाहिए

लेकिन हमारे देश में मुसलमान सच में सुरक्षित हैं?

कुछ मामलों में हां

मदरसाओं को सरकार पैसे देती है. वक्फ बोर्ड को जमीनें दे जाती हैं. हज यात्रियों को सब्सिडी मिलती है. पर्सनल लॉ के मामले में कोई दखल नहीं देता.

और कुछ में नहीं-

मुसलमानों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया जाता है. हर पांच साल में उनसे वोट लिए जाते हैं और जैसे कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सपा, राजद, एआईएमआईएम, आईयूएमएल और खुद को धर्मनिरपेक्ष बताने वाली पार्टियों को वोट मिल जाता है उन्हें फिर वापस अपनी चारदीवारी के पीछे बंद कर दिया जाता है. लेकिन पिछले 70 सालों में इस दिखावे की रक्षा के बावजूद भारत के मुसलमानों की स्थित दलितों से भी दयनीय है. और भाजपा की सरकार आने के बाद से इनमें असुरक्षा की भावना और गहरी हो गई है.

इन सारी बातों से कहीं भी ये साबित नहीं होता कि भारत 'हिन्दू पाकिस्तान' बन रहा है लेकिन इससे ये जरुर पता चलता है कि भाजपा को एक पार्टी के तौर पर अपनी रणनीति को बदलने की जरुरत है.

पहला- उदार बनें. भारत एक संभावनाओं वाला देश है और धर्म हमारी आत्मा है. धर्म का इस्तेमाल पिछड़ेपन वाली सोच को बढ़ावा देने के लिए मत कीजिए. फिल्म, आर्ट और साहित्य लोकतंत्र के मूलतत्व होते हैं. भले ही ये किसी खास समुदाय की 'भावनाओं को आहत' कर रहे हैं तो भी इनकी आवाज दबाने की कोई भी कोशिश नहीं होनी चाहिए. क्योंकि इससे भाजपा को बहुमत का वोट तो मिल जाएगा लेकिन साथ ही बहुमत का विश्वास भी वो खो देंगे.

दूसरा- लोगों की जिंदगी से दूर रहें. आधार का आइडिया शानदार था. लेकिन इसे नागरिकों के हर क्षेत्र से जोड़कर भाजपा खुद को बड़े भाई की भूमिका में स्थापित कर रही है.

तीसरा- लोगों के खान-पान के मामले में थोड़ी नरमी बरतें. मैं शाकाहारी हूं. लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं कि मैं अपना नजरिया घर में मांसाहारी लोगों पर थोपने लगूं. ये और बता देता हूं कि मेरे सारे मासांहारी परिवारजन कट्टर हिंदू हैं.

चौथा- गायों की पूजा तो करें लेकिन गौ रक्षा के नाम पर हो रही गुंडागर्दी को किसी भी हाल में बर्दाश्त न करें. इसके कारण कट्टर हिन्दूओं की एक खतरनाक खेप सामने आ रही है. साथ ही इसकी वजह से अधकचरा ज्ञान रखने वाले विशेषज्ञों को भारत की तुलना पाकिस्तान से करने का मौका मिल जाता है और फिर 'हिन्दू पाकिस्तान' जैसे शब्द ईजाद कर लिए जाते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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