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दीपिका के पहनावे पर नाक काट देनी चाहिए, तो सीता,पार्वती की ड्रेस पर क्‍या होगा ?

    • शुभम गुप्ता
    • Updated: 23 नवम्बर, 2017 12:32 PM
  • 23 नवम्बर, 2017 12:32 PM
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संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती का विरोध करने वाले संगठन करणी सेना का आरोप है कि उन्होंने फिल्म में रानी पद्मावती के कपड़ों संग छेड़ छाड़ करते हुए क्षत्रीय समाज के लोगों की भावना आहत की है.

देश में इस वक़्त एक फिल्म को लेकर बहस चल रही है, आंदोलन चल रहे हैं, विरोध प्रदर्शन हो रहा है और एक नाम हमारे सामने आया है जो इस आंदोलन और विरोध प्रदर्शन से प्रमुख रूप से जुड़ा है. ये नाम है करणी सेना और जो फिल्म है वो है पद्मावती. दरअसल संजाल लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती पर राजपूत समाज के लोगों ने अपना विरोध दर्ज किया है. उनका मानना है की फिल्म में रानी पद्मवती का किरदार निभा रही एक्ट्रेस दीपिका ने जो घूमर गाने में ड्रेस पहनी है उसमे अश्लीलता है. विरोध कर रहे लोगों का मत है कि रानी पद्मावती ने ऐसे कमर कभी दिखाई ही नहीं. साथ ही विरोध करने वाले लोगों का ये भी तर्क है कि आखिर दीपिका की हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की. कुछ लोगो ने कह दिया की दीपिका की इस हरकत पर उनकी नाक काट देनी चाहिए.

पद्मावती विवाद को देखकर कह सकते हैं कि इसमें व्यर्थ की राजनीति नजर आ रही है

पद्मावती और सभ्यता संस्कृति के सन्दर्भ में हुई ये राजस्थान की बात. अब आते हैं पूरे भारत पर. हमारे देश में भगवन राम को सबसे बड़ा माना जाता है. कई वर्षो से इस पर राजनीती भी खूब हो रही है. अब ज़रा सोचिये की मां सीता ने हज़ारो साल पहले कैसे कपडे पहने होंगे ? कुछ समय पहले ही एक टीवी चैनल पर एक मशहूर पौराणिक धारावाहिक 'सिया के राम' था. जिसमें सीता का किरदार निभा रहीं अभिनेत्री मदिराक्षी सेठ ने मां सीता का किरदार निभाया था. अब आप मां सीता के द्वारा पहनी हुई इस ड्रेस या साड़ी पर नज़र डालिये और उसके बाद मां सीता और रानी पद्मावती दोनों के ही फोटो को देखिये.

भंसाली की फिल्म में आधे विवाद की वजह पद्मावती के कपड़े हैं...

देश में इस वक़्त एक फिल्म को लेकर बहस चल रही है, आंदोलन चल रहे हैं, विरोध प्रदर्शन हो रहा है और एक नाम हमारे सामने आया है जो इस आंदोलन और विरोध प्रदर्शन से प्रमुख रूप से जुड़ा है. ये नाम है करणी सेना और जो फिल्म है वो है पद्मावती. दरअसल संजाल लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती पर राजपूत समाज के लोगों ने अपना विरोध दर्ज किया है. उनका मानना है की फिल्म में रानी पद्मवती का किरदार निभा रही एक्ट्रेस दीपिका ने जो घूमर गाने में ड्रेस पहनी है उसमे अश्लीलता है. विरोध कर रहे लोगों का मत है कि रानी पद्मावती ने ऐसे कमर कभी दिखाई ही नहीं. साथ ही विरोध करने वाले लोगों का ये भी तर्क है कि आखिर दीपिका की हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की. कुछ लोगो ने कह दिया की दीपिका की इस हरकत पर उनकी नाक काट देनी चाहिए.

पद्मावती विवाद को देखकर कह सकते हैं कि इसमें व्यर्थ की राजनीति नजर आ रही है

पद्मावती और सभ्यता संस्कृति के सन्दर्भ में हुई ये राजस्थान की बात. अब आते हैं पूरे भारत पर. हमारे देश में भगवन राम को सबसे बड़ा माना जाता है. कई वर्षो से इस पर राजनीती भी खूब हो रही है. अब ज़रा सोचिये की मां सीता ने हज़ारो साल पहले कैसे कपडे पहने होंगे ? कुछ समय पहले ही एक टीवी चैनल पर एक मशहूर पौराणिक धारावाहिक 'सिया के राम' था. जिसमें सीता का किरदार निभा रहीं अभिनेत्री मदिराक्षी सेठ ने मां सीता का किरदार निभाया था. अब आप मां सीता के द्वारा पहनी हुई इस ड्रेस या साड़ी पर नज़र डालिये और उसके बाद मां सीता और रानी पद्मावती दोनों के ही फोटो को देखिये.

भंसाली की फिल्म में आधे विवाद की वजह पद्मावती के कपड़े हैं

आप खुद अंतर् समझ पा रहे होंगे. क्या मां सीता ऐसे कपडे पहनती थी? क्या करणी सेना को यहां कुछ नहीं दिखाई दिया जबकि ये मामला तो खुद भगवान से जुड़ा था. ऐसे ही एक और सीरियल आया था देवो के देव महादेव. उसमे भी आप मां पार्वती की ड्रेसेस देखिये और दीपिका की फिल्म रानी पद्मावती से तुलना कीजिये. अंतर आपको खुद नजर आ जाएगा. इस हिसाब से तो इन सेनाओं की इन धारावाहिकों में काम करने वाली एक्ट्रेस का गला ही काट देना चाहिए. तो उस समय ये तमाम सेनाएं कहां गयी थी? कहां सो रही थी? क्यों किसी को कुछ नहीं नज़र आया.

महादेव धारावाहिक में मां पार्वती का लुक

आइये उन कारणों पर नजर डालते हैं जिनके चलते फिल्म पद्मावती और निर्देशक संजय लीला भंसाली दोनों पर ही राजनीति और बयानबाजी हो रही है.

करणी सेना

अभी तक आपने देश में सिर्फ एक ही सेना के बारे में सुना है और वो है शिव सेना. शिव सेना महाराष्ट्र में एक बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में जानी जाती है, जिसे बाला साहेब ठाकरे ने स्थापित किया था. आज करणी सेना के कुछ लोग भी यही चाहते हैं कि उनका भी नाम हो, उन्हें भी पहचान मिले.

मीडिया

अब ऐसे तो कोई भी न्यूज़ चैनल किसी को दिखा नहीं सकता, तो एक नया तरीका निकाला गया. देश के हर राज्य में प्रदर्शन करो, नतीजा ये निकला कि आज देश के हर न्यूज चैनल पर प्राइम टाइम में सिर्फ यही लोग दिखाई देते हैं. आज सारा देश इन लोगों को जान गया है.

चुनाव

हमारे देश में हर मुद्दे के पीछे राजनीती ज़रूर होती है. इस मुद्दे के पीछे भी है. राजस्थान में अगले ही साल चुनाव होने हैं. हो सकता है जो लोग आपको टीवी पर विरोश प्रदर्शन करते दिखाई दे रहे हों वही लोग चुनाव प्रत्याशी के तौर पर चुनाव प्रचार प्रसार करते नज़र आएं.

मध्य प्रदेश में फिल्म क्यों बैन हुई? ये बात किसी को समझ नहीं आयी ? जबकि वहां तो ऐसा कोई बड़ा विरोध भी नहीं था ? तो ये भी जान लीजिये, मध्य प्रदेश में भी अगले साल चुनाव हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले ही चुनाव को लेकर चिंतित हैं. अब ऐसे में इस मुद्दे पर वो भी राजनीती कर रहे हैं और राजपूत समाज के वोट पक्के करने की कोशिश कर रहे हैं. वैसे भी भंसाली की फिल्म को रिलीज़ करने से उन्हें कौन सा चुनावी फायदा होने वाला है. बैन करके वो कम से कम कुछ वोट तो जुटा लेंगे.

सिनेमा या धारावाहिकों में प्रयोग कोई नई बात नहीं है

पब्लिसिटी

कहते हैं नेगेटिव पब्लिसिटी ही सही मगर पब्लिसिटी तो है. संजय लीला भंसाली की फिल्म को भी इसका खूब फायदा मिला है. आज देश के बच्चों से लेकर बड़ो तक हर कोई इस फिल्म को देखना चाहता है. फिल्म जब भी रिलीज़ होगी शत प्रतिशत हिट होगी.

फिल्म क्यों बैन हो इसका कोई प्रमुख कारण नहीं

हाल ही में, फिल्म के विरोध में दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम में अखिल भारतीय क्षत्रिय समाज का एक सम्मलेन हुआ. जिसमे देश भर से राजपूत समाज के लोग आये. जब पूछा गया कि आखिर वो क्यों विरोध कर रहे हैं तो उन्हें जवाब आश्चर्य में डालने वाले थे.

पहला कारण फिल्म में मां पद्मावती का नाम ऐसे ही सिर्फ पद्मावती रख दिया गया. भंसाली को नाम रखना चाहिए था - मां पद्मावती, महारानी पद्मावती, वीरांगना पद्मावती, देवी पद्मावती. जब हमने बोला की अगर वो नाम बदल लेते हैं तो क्या आप फिल्म रिलीज़ होने देंगे.

दूसरा कारण था घूमर नृत्य. उनका कहना था कि फिल्म में घूमर नृत्य दिखाया है वो ऐसा नहीं होता. दीपिका की ड्रेस ठीक नहीं. हमने कहा चलो गाना हटा दिया जाये. फिर तो रिलीज़ होने देंगे आप. जवाब ना ही था.

तीसरा कारण फिल्म में खिलजी और रानी पद्मावती का ड्रीम सीन है. हमने कहा भंसाली ने लिखित में दिया है ऐसा कुछ नहीं. अब तो आप फिल्म रिलीज़ होने देंगे. जवाब में फिर ना.

आखिर में यही नतीजा निकला कर सामने आया कि प्रदर्शन करने वाले लोगों को नहीं पता कि वो किस बात के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन वो यही चाहते हैं कि बस फिल्म रिलीज न हो. अगर ये फिल्म रिलीज हुई तो ये  थ्रेटर जला देंगे. जय भवानी.

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हां, भंसाली की पद्मावती से हमें गुस्सा आया है, हमारी भावना आहत हुई है

जले जिस्मों की आंच में संस्कृति और सिनेमा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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