• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

राष्ट्रपति चुनाव: कांग्रेस के 4 दलित चेहरे, जानिए कौन हैं ये

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 20 जून, 2017 08:13 PM
  • 20 जून, 2017 08:13 PM
offline
राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस के साथ-साथ बाकी दलों की टेंशन बढ़ा दी है. खबरों की मानें तो विपक्षी दल भी दलित कार्ड खेलने की फिराक में हैं और चार नाम सामने आए हैं.

बीजेपी ने राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार घोषित किया तो टेंशन कांग्रेस के लिए बढ़ गई. साफ सुधरी छवि वाले दलित नेता को सामने खड़ा कर बीजेपी ने नया दांव खेला है. विपक्ष भी अब दलित नेता की तलाश में है और कई नाम भी सामने आए हैं.

रामनाथ कोविंद का किसी नेता से कोई विवाद नहीं रहा. विपक्ष के मन में भी ये बात चल रही है कि कोविंद का तोड़ आखिर कैसे निकाला जाए. कांग्रेस की नजर में 4 नाम ऐसे हैं जिनमें से वो उम्मीदवार घोषित कर सकती है. फिलहाल पार्टी इन नामों पर विचार कर रही है.

डॉ. बी आर अंबेडकर के पौत्र प्रकाश यशवंत अंबेडकर और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र गोपालकृष्ण गांधी

राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद के खिलाफ विपक्ष संयुक्त उम्मीदवार उतार सकता है. गैर-एनडीए दलों के 22 जून को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक करने की उम्मीद है. सूत्रों के अनुसार पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे, भारिपा बहुजन महासंघ के नेता और डॉ. बी आर अंबेडकर के पौत्र प्रकाश यशवंत अंबेडकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र और सेवानिवृत नौकरशाह गोपालकृष्ण गांधी पर विपक्षी पार्टियां विचार कर रही हैं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार

इन चारों नामों में से किसी एक पर पूरे के पूरे विपक्ष के सहमत होने की उम्मीद बहुत कम नजर आ रही है. पूर्व लोसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे की तो इन पर कांग्रेस को छोड़कर बाकी दलों को आपत्ति हो...

बीजेपी ने राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार घोषित किया तो टेंशन कांग्रेस के लिए बढ़ गई. साफ सुधरी छवि वाले दलित नेता को सामने खड़ा कर बीजेपी ने नया दांव खेला है. विपक्ष भी अब दलित नेता की तलाश में है और कई नाम भी सामने आए हैं.

रामनाथ कोविंद का किसी नेता से कोई विवाद नहीं रहा. विपक्ष के मन में भी ये बात चल रही है कि कोविंद का तोड़ आखिर कैसे निकाला जाए. कांग्रेस की नजर में 4 नाम ऐसे हैं जिनमें से वो उम्मीदवार घोषित कर सकती है. फिलहाल पार्टी इन नामों पर विचार कर रही है.

डॉ. बी आर अंबेडकर के पौत्र प्रकाश यशवंत अंबेडकर और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र गोपालकृष्ण गांधी

राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद के खिलाफ विपक्ष संयुक्त उम्मीदवार उतार सकता है. गैर-एनडीए दलों के 22 जून को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक करने की उम्मीद है. सूत्रों के अनुसार पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे, भारिपा बहुजन महासंघ के नेता और डॉ. बी आर अंबेडकर के पौत्र प्रकाश यशवंत अंबेडकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र और सेवानिवृत नौकरशाह गोपालकृष्ण गांधी पर विपक्षी पार्टियां विचार कर रही हैं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार

इन चारों नामों में से किसी एक पर पूरे के पूरे विपक्ष के सहमत होने की उम्मीद बहुत कम नजर आ रही है. पूर्व लोसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे की तो इन पर कांग्रेस को छोड़कर बाकी दलों को आपत्ति हो सकती है. खासकर BSP और SP को. इन दोनों ही पार्टी का पूरा जनाधार यूपी में है.

ऐसे में अगर रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति न बनने की कोशिश ये पार्टी करती है तो प्रदेश में पार्टी का इसका विपरीत असर पड़ सकता है. बता दें, ये पहला मौका है जब उत्तर प्रदेश का व्यक्ति पहली बार राष्ट्रपति बन सकता है. ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव में दोनों ही पार्टी फंसी हुई नजर आ रही है.

लेफ्ट और ममता बेनर्जी भी मीरा कुमार और सुशील कुमार शिंदे के नाम पर सहमत नहीं हैं. ममता पहले ही महात्मा गांधी के पौत्र गोपाल कृष्ण गांधी के नाम पर अपनी सहमती जता चुका हैं. लेकिन कांग्रेस की पहली पसंद मीरा कुमार ही हैं. आखिर विपक्ष का उम्मीदवार होगा कौन, अब ये तो 22 जून को ही पता चलेगा जब विपक्ष की बैठक होगी. लेकिन जिस तरह बीजेपी ने ये दांव खेला है उसके सामने सभी विपक्षी दल टेंशन में जरूर आ गए हैं.

ये भी पढ़ें-

रामनाथ कोविंद के नाम पर आम राय क्यों नहीं !

राष्ट्रपति चुनाव: कहीं बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक उल्टा न पड़ जाए !

राम नाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनना तय, क्योंकि...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲