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बधाई नीतीश जी! आपकी जेब में पार्टी आ गई

    • अशोक प्रियदर्शी
    • Updated: 13 अप्रिल, 2016 08:30 PM
  • 13 अप्रिल, 2016 08:30 PM
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्य में पूर्ण शराबबंदी के लिए बधाइयों का सिलसिला जारी था. इसी बीच वह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किए गए. जाहिर तौर पर हफ्ते भर में नीतीश कुमार के लिए यह दोहरी खुशी की बात थी.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्य में पूर्ण शराबबंदी के लिए बधाइयों का सिलसिला जारी था. इसी बीच वह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किए गए. जाहिर तौर पर हफ्ते भर में नीतीश कुमार के लिए यह दोहरी खुशी की बात थी. अब नीतीश कुमार पार्टी स्तर पर फैसले के लिए भी पूरी तरह से स्वतंत्र हो गए हैं. अब सरकार और पार्टी नीतीश के इशारे पर चलेगी. लेकिन उनकी ताजपोशी पर विरोधी सवाल उठा रहे हैं. इसकी वजह भी है. चूंकी नीतीश कुमार एक व्यक्ति एक पद के पक्षधर रहे हैं. लेकिन यह पहला अवसर है जब सरकार और पार्टी दोनों के मुखिया नीतीश कुमार बने हैं.

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नीतीश कुमार ने पार्टी में शरद यादव की जगह ली है. इसके पहले तीन बार लगातार शरद यादव अध्यक्ष थे. हालांकि नीतीश कुमार को पार्टी प्रमुख बनने के पहले शरद यादव ने एक बयान दिया था कि वे चैथी दफा अध्यक्ष नहीं बनना चाहते हैं. इसपर रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि शरद यादव ने दबाव में यह बयान दिया है, क्योंकि जार्ज फर्णांडीज का हश्र शरद यादव देख चुके हैं. भाजपा सवाल उठा रही है कि नीतीश कुमार बुजुर्गों को किनारा कर रहे हैं. पहले जार्ज फर्णांडीज और अब शरद यादव को किनारा किया गया. हालांकि इसके पहले इस तरह का आरोप नीतीश कुमार भाजपा पर रहे हैं. शरद यादव 68 साल के हैं. 

 नीतीश कुमार को जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया...

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्य में पूर्ण शराबबंदी के लिए बधाइयों का सिलसिला जारी था. इसी बीच वह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किए गए. जाहिर तौर पर हफ्ते भर में नीतीश कुमार के लिए यह दोहरी खुशी की बात थी. अब नीतीश कुमार पार्टी स्तर पर फैसले के लिए भी पूरी तरह से स्वतंत्र हो गए हैं. अब सरकार और पार्टी नीतीश के इशारे पर चलेगी. लेकिन उनकी ताजपोशी पर विरोधी सवाल उठा रहे हैं. इसकी वजह भी है. चूंकी नीतीश कुमार एक व्यक्ति एक पद के पक्षधर रहे हैं. लेकिन यह पहला अवसर है जब सरकार और पार्टी दोनों के मुखिया नीतीश कुमार बने हैं.

ये भी पढ़ें- यूपी में जेपी और वीपी के नाम पर बन रही है नई पार्टी

नीतीश कुमार ने पार्टी में शरद यादव की जगह ली है. इसके पहले तीन बार लगातार शरद यादव अध्यक्ष थे. हालांकि नीतीश कुमार को पार्टी प्रमुख बनने के पहले शरद यादव ने एक बयान दिया था कि वे चैथी दफा अध्यक्ष नहीं बनना चाहते हैं. इसपर रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि शरद यादव ने दबाव में यह बयान दिया है, क्योंकि जार्ज फर्णांडीज का हश्र शरद यादव देख चुके हैं. भाजपा सवाल उठा रही है कि नीतीश कुमार बुजुर्गों को किनारा कर रहे हैं. पहले जार्ज फर्णांडीज और अब शरद यादव को किनारा किया गया. हालांकि इसके पहले इस तरह का आरोप नीतीश कुमार भाजपा पर रहे हैं. शरद यादव 68 साल के हैं. 

 नीतीश कुमार को जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया

हालांकि नीतीश कुमार ने कोई गलती नहीं की है. दरअसल क्षेत्रीय दलों की परंपरा को आगे बढ़ाया है. क्षेत्रीय दलों में सुप्रीमो की परंपरा रही है. लिहाजा, सत्ता में आने के बाद भी क्षेत्रीय दलों के नेता पार्टी की कमान अपने हाथों में रखी है. नीतीश कुमार इसके अपवादों में थे. देखें तो यूपी में सपा सत्ताधारी दल है. अखिलेश यादव मुख्यमंत्री है. जबकि अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव सपा प्रमुख हैं. यही नहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लोकतंत्र की बात करते रहे हैं. लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद भी आप पार्टी की कमान अपने हाथों में रखी है. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी मुख्यमंत्री हैं. तृणमूल कांग्रेस की कमान भी ममता के पास है. ऐसी कई मिसालें हैं.

ये भी पढ़ें- क्या नीतीश की तरह जया को भी शराबबंदी ही फिर से कुर्सी दिलाएगी

रामविलास पासवान केन्द्रीय मंत्री और लोजपा प्रमुख हैं. उपेन्द्र कुशवाहा केन्द्रीय मंत्री और रालोसपा प्रमुख हैं. यही नहीं, लालू प्रसाद मुख्यमंत्री थे तब भी पार्टी की कमान उनके जिम्मे था. सजायाफ्ता होने के बाद भी पार्टी की कमान खुद रखी है. ताज्जुब कि चुनाव जरूर होते हैं. लेकिन दूसरा कोई उम्मीदवार नहीं होता. फिलहाल, लालू प्रसाद के एक पुत्र उपमुख्यमंत्री और दूसरा पुत्र मंत्री है. जीतन राम मांझी ने नयी पार्टी का गठन किया. नवगठित पार्टी हम सेक्युलर के अध्यक्ष मांझी खुद हैं. बहरहाल, नीतीश कुमार पार्टी की कमान दिग्गज नेताओं को दिया करते थे. लेकिन यह कमान भी अब उनके पास आ गई है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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