• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

क्या नीतीश की तरह जया को भी शराबबंदी ही फिर से कुर्सी दिलाएगी

    • आईचौक
    • Updated: 11 अप्रिल, 2016 06:38 PM
  • 11 अप्रिल, 2016 06:38 PM
offline
तमिलनाडु को शराब की बिक्री से हर साल करीब 30,000 करोड़ रुपये की आमदनी होती है. बिहार में पाबंदी की सूरत में राजस्व घाटे की बात होती रही, लेकिन नीतीश सरकार ने हिम्मत दिखाई.

गुजरात में शराबबंदी लागू है, मगर आपको तलब हो तो मायूस नहीं होना पड़ेगा. बिहार में ताजा ताजा पाबंदी लगी है - और तमिलनाडु में मुख्यमंत्री जयललिता ने भी नीतीश जैसी ही चुनावी घोषणा कर दी है.

नीतीश से प्रेरणा या...

इससे पहले भी नीतीश कुमार के सत्ता में आने में महिलाओं की बड़ी भूमिका मानी गई थी. बिहार चुनाव में नीतीश की शराबबंदी की घोषणा भी महिला वोट बैंक से ही जोड़ कर देखी गई - और अब तो उन्होंने अपना वादा पूरा कर इरादा भी जाहिर कर दिया है.

इसे भी पढ़ें: अम्मा ने यूं ही नहीं अपनाया एकला चलो रे फॉर्मूला...

तमिलनाडु में जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके की भी महिलाओं में खासी पैठ मानी जाती है - और शराबबंदी की घोषणा कर उन्होंने चुनावी सियासत में मजबूत शह दे डाली है.

लेकिन जयललिता की ये घोषणा महज नीतीश कुमार से प्रेरित है या स्थानीय दबाव के कारण?

शराब का विरोध

पिछले साल अक्टूबर में लोकगायक एस कोवन को सरकार की शराब पॉलिसी के विरोध के चलते जेल तक जाना पड़ा. कोवन ने एक गीत में लिकर पॉलिसी के बहाने जयललिता को निशाना बनाया था.

तमिलनाडु में 'मक्कल अधिकारम' शराबबंदी की मुहिम चलाता है - और इसके लिए उसके सदस्यों को देशद्रोह जैसे मुकदमों तक को फेस करना पड़ा है. जिनके खिलाफ केस दर्ज किये गये उनमें मक्कल अधिकारम के कोऑर्डिनेटर सी. राजू भी शामिल रहे हैं.

वैसे देखें तो तमिलनाडु में स्कूलों और धार्मिक स्थानों के आसपास शराब की सरकारी दुकानें खोले जाने का विरोध होता रहा है.

इसे भी पढ़ें: जयललिता तोड़ पाएंगी 30 साल से चला आ रहा...

गुजरात में शराबबंदी लागू है, मगर आपको तलब हो तो मायूस नहीं होना पड़ेगा. बिहार में ताजा ताजा पाबंदी लगी है - और तमिलनाडु में मुख्यमंत्री जयललिता ने भी नीतीश जैसी ही चुनावी घोषणा कर दी है.

नीतीश से प्रेरणा या...

इससे पहले भी नीतीश कुमार के सत्ता में आने में महिलाओं की बड़ी भूमिका मानी गई थी. बिहार चुनाव में नीतीश की शराबबंदी की घोषणा भी महिला वोट बैंक से ही जोड़ कर देखी गई - और अब तो उन्होंने अपना वादा पूरा कर इरादा भी जाहिर कर दिया है.

इसे भी पढ़ें: अम्मा ने यूं ही नहीं अपनाया एकला चलो रे फॉर्मूला...

तमिलनाडु में जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके की भी महिलाओं में खासी पैठ मानी जाती है - और शराबबंदी की घोषणा कर उन्होंने चुनावी सियासत में मजबूत शह दे डाली है.

लेकिन जयललिता की ये घोषणा महज नीतीश कुमार से प्रेरित है या स्थानीय दबाव के कारण?

शराब का विरोध

पिछले साल अक्टूबर में लोकगायक एस कोवन को सरकार की शराब पॉलिसी के विरोध के चलते जेल तक जाना पड़ा. कोवन ने एक गीत में लिकर पॉलिसी के बहाने जयललिता को निशाना बनाया था.

तमिलनाडु में 'मक्कल अधिकारम' शराबबंदी की मुहिम चलाता है - और इसके लिए उसके सदस्यों को देशद्रोह जैसे मुकदमों तक को फेस करना पड़ा है. जिनके खिलाफ केस दर्ज किये गये उनमें मक्कल अधिकारम के कोऑर्डिनेटर सी. राजू भी शामिल रहे हैं.

वैसे देखें तो तमिलनाडु में स्कूलों और धार्मिक स्थानों के आसपास शराब की सरकारी दुकानें खोले जाने का विरोध होता रहा है.

इसे भी पढ़ें: जयललिता तोड़ पाएंगी 30 साल से चला आ रहा ट्रेंड?

ये विरोध आम तौर पर लोकल लेवल तक सीमित रहा लेकिन जब शराब को लेकर दो वीडियो सामने आए तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. इनमें से एक वीडियो में कुछ लड़के चार साल के एक बच्चे को जबरदस्ती शराब पिलाते दिखाई दिये, जबकि दूसरे में हाईस्कूल की दो छात्राएं नशे में सड़क किनारे बेसुध पड़ी नजर आई थीं.

तमिलनाडु में चरणबद्ध तरीके से शराबबंदी लागू करने का वादा करते हुए भी जयललिता ने विरोधियों को टारगेट किया, "डीएमके चीफ को शराब पर पाबंदी लगाने को लेकर बोलने का अधिकार नहीं है. तमिलनाडु में शराब की बिक्री पर 1937 में ही पाबंदी लगाई गई थी जिसके बाद 30 जनवरी 1948 को उसे बढ़ाया गया. पाबंदी हटाने वाली डीएमके और करुणानिधि की सरकार थी."

इस बार पक्का वादा...

जयललिता की इस बात को डीएमके नेता लोगों को इसे ठगने की कोशिश के तौर पर समझा रहे हैं. एआईएडीएमके और डीएमके दोनों इससे पहले भी शराबबंदी की बात कर चुके हैं लेकिन सत्ता में आ जाने के बाद उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

बाढ़ और भ्रष्टाचार का मामला जोर न पकड़ पाने के बाद शराबबंदी नया चुनावी मुद्दा है. वैसे शराबबंदी के खिलाफ ठोस पहल का श्रेय पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदौस की पार्टी पीएमके को दिया जाना चाहिए. ये रामदौस ही रहे जो केंद्र में मंत्री रहते हुए सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर पाबंदी लगाने में अहम रोल अदा किया.

जहां तक रेवेन्यू की बात है, तमिलनाडु को शराब की बिक्री से हर साल करीब 30,000 करोड़ रुपये की आमदनी होती है. बिहार में पाबंदी की सूरत में राजस्व घाटे की बात होती रही, लेकिन नीतीश सरकार ने हिम्मत दिखाई.

क्या शराबबंदी को लेकर जयललिता पर नीतीश कुमार का असर है? या फिर विपक्षी दलों का चुनावी दबाव? बड़ा सवाल ये है कि क्या जयललिता भी नीतीश की तरह पूर्ण शराबबंदी लागू करने की हिम्मत दिखा पाएंगी? खासकर ऐसे में जब ज्यादातर अम्मा स्कीम की कामयाबी के पीछे वही आमदनी हो.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲