• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

निर्भया फंड की हालत बता रही है कि क्यों हैदराबाद में महिला डॉक्टर का रेप और हत्या हुई !

    • प्रभाष कुमार दत्ता
    • Updated: 05 दिसम्बर, 2019 06:26 PM
  • 05 दिसम्बर, 2019 06:26 PM
offline
सरकार ने निर्भया फंड तो बना दिया है, लेकिन उसके पैसों का इस्तेमाल ही नहीं किया जा रहा है. महाराष्ट्र जैसे राज्य भी निर्भया फंड इस्तेमाल नहीं (Nirbhaya Fund utilisation) कर रहे. शायद ही कोई महिला होगी जो ये कहे कि निर्भया फंड की वजह से वह निडर होकर सड़क पर घूम सकती है.

निर्भया फंड (Nirbhaya Fund utilisation) की शुरुआत 2013 में की गई थी. इसे शुरू करने का फैसला दिसंबर 2012 में दिल्ली में हुए गैंगरेप (Delhi Gangrape) और हत्या के मामले के बाद किया गया. उस समय रेप पीड़िता को निर्भया (Nirbhaya) नाम दिया गया था, जिसका मतलब होता है निडर. लोगों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन भी किया. प्रदर्शन (Protest) सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि दूर-दराज के इलाकों में भी हुए. इसके बाद सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अलग से फंड जारी करना शुरू किया. इसकी घोषणा तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने की थी. सरकार ने 10,000 करोड़ रुपए का फंड महिलाओं की सुरक्षा के लिए आवंटित किया. लेकिन आज शायद ही कोई महिला होगी जो ये कहे कि निर्भया फंड की वजह से वह निडर होकर सड़क पर घूम सकती है. तेलंगाना की महिला डॉक्टर के साथ रेप (Hyderabad Lady Doctor Rape Murder) और बिहार, राजस्थान, कर्नाटक से आ रही कुछ वैसी ही खबरें दिखाती हैं कि महिलाएं आज भी सुरक्षित नहीं हैं. हाल ही में यूपी के उन्नाव से भी रेप पीड़िता (nnao Rape Victim Case) को जिंदा जलाने की कोशिश की गई है.

सरकार ने निर्भया फंड तो बना दिया है, लेकिन उसके पैसों का इस्तेमाल ही नहीं किया जा रहा है.

निर्भया फंड का क्या हो रहा है?

निर्भया फंड के तहत केंद्र की ओर से राज्यों को पैसे दिए जाते हैं, जिसका इस्तेमाल महिला सुरक्षा के उपायों में किया जाता है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय निर्भया फंड के खर्चों को नोडल एजेंसी है. पहले तो यही मंत्रालय फंड जारी करता था, लेकिन अब पहले राज्यों की तरफ से निर्भया स्कीम के तहत प्रोग्राम मंत्रालय को दिए जाते हैं, जिसे मंत्रालय अप्रूव करता है और फिर उसे इकोनॉमिक अफेयर्स मंत्रालय को भेज दिया जाता है, जहां से फंड जारी होता...

निर्भया फंड (Nirbhaya Fund utilisation) की शुरुआत 2013 में की गई थी. इसे शुरू करने का फैसला दिसंबर 2012 में दिल्ली में हुए गैंगरेप (Delhi Gangrape) और हत्या के मामले के बाद किया गया. उस समय रेप पीड़िता को निर्भया (Nirbhaya) नाम दिया गया था, जिसका मतलब होता है निडर. लोगों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन भी किया. प्रदर्शन (Protest) सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि दूर-दराज के इलाकों में भी हुए. इसके बाद सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अलग से फंड जारी करना शुरू किया. इसकी घोषणा तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने की थी. सरकार ने 10,000 करोड़ रुपए का फंड महिलाओं की सुरक्षा के लिए आवंटित किया. लेकिन आज शायद ही कोई महिला होगी जो ये कहे कि निर्भया फंड की वजह से वह निडर होकर सड़क पर घूम सकती है. तेलंगाना की महिला डॉक्टर के साथ रेप (Hyderabad Lady Doctor Rape Murder) और बिहार, राजस्थान, कर्नाटक से आ रही कुछ वैसी ही खबरें दिखाती हैं कि महिलाएं आज भी सुरक्षित नहीं हैं. हाल ही में यूपी के उन्नाव से भी रेप पीड़िता (nnao Rape Victim Case) को जिंदा जलाने की कोशिश की गई है.

सरकार ने निर्भया फंड तो बना दिया है, लेकिन उसके पैसों का इस्तेमाल ही नहीं किया जा रहा है.

निर्भया फंड का क्या हो रहा है?

निर्भया फंड के तहत केंद्र की ओर से राज्यों को पैसे दिए जाते हैं, जिसका इस्तेमाल महिला सुरक्षा के उपायों में किया जाता है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय निर्भया फंड के खर्चों को नोडल एजेंसी है. पहले तो यही मंत्रालय फंड जारी करता था, लेकिन अब पहले राज्यों की तरफ से निर्भया स्कीम के तहत प्रोग्राम मंत्रालय को दिए जाते हैं, जिसे मंत्रालय अप्रूव करता है और फिर उसे इकोनॉमिक अफेयर्स मंत्रालय को भेज दिया जाता है, जहां से फंड जारी होता है.

लेटेस्ट डेटा के अनुसार महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने नवंबर में निर्भया फंड से 2050 करोड़ रुपए अलग-अलग राज्यों को आवंटित किए हैं. ये भी हैदराबाद गैंगरेप के बाद महिलाओं की सुरक्षा पर उठे सवालों के बाद जारी किया गया. केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से पिछले पांच सालों में 1656 करोड़ रुपए जारी किए हैं, लेकिन निर्भया फंड के यूटिलाइजेशन की दर की बात करें तो ये बहुत ही कम है.

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से जारी फंड में से सिर्फ 20 फीसदी ही राज्यों ने इस्तेमाल किया है. गृह मंत्रालय के रिपोर्ट की बात करें तो उसका सिर्फ 9 फीसदी निर्भया फंड के तहत इस्तेमाल किया गया है. यानी पिछले 5 सालों में गृह मंत्रालय की ओर से जारी कुल 1656.71 करोड़ रुपए का सिर्फ 9 फीसदी, जो महज 146.98 करोड़ रुपए आता है. राज्यों की ओर से इस फंड का इस्तेमाल बहुत कम करने ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को मौका दे दिया है कि वह महिला सुरक्षा में चूक होने का ठीकरा राज्यों पर फोड़ रही हैं. उन्होंने कहा- निर्भया फंड की शुरुआत रेप पीड़िताओं की मदद और बाद में उनके रीहैबिलिटेशन के लिए की गई थी, लेकिन पॉलिसी बनाने एक बात है और उन्हें लागू करना अलग बात है.

दिक्कत कहां पर आ रही है?

29 नवंबर को स्मृति ईरानी ने संसद में जो डेटा दिया था वो दिखाता है कि 6 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने गृह मंत्रालय की तरफ से निर्भया फंड के तहत जारी पैसों में से एक भी रुपया इस्तेमाल नहीं किया. इनमें महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा और दमन-दीव हैं. इनमें सबसे बड़े राज्य महाराष्ट्र में 2014-19 तक भाजपा की सरकार रही. बावजूद इसके भाजपा शासित केंद्र सरकार महाराष्ट्र पर इतना भी दबाव नहीं बना पाई कि वह निर्भया फंड का इस्तेमाल करवा सके. यही वजह है कि 2017 में महिलाओं पर अत्याचार के कुल 4306 मामले सामने आए थे. ये आंकड़ा देश में चौथे नंबर का आंकड़ा है. महिलाओं के अपहरण में महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है, जबकि रेप में मामलों में छठे नंबर पर है.

तेलंगाना, जहां 26 साल की महिला डॉक्टर का गैंगरेप कर के उसकी हत्या की गई, वहां भी केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए 103 करोड़ रुपए में से महज 4 करोड़ रुपए इस्तेमाल किए गए. बता दें कि गृह मंत्रालय की ओर से ये पैसे तेलंगाना में चलाए जाने वाले 13 प्रोग्राम के लिए दिए गए थे, जिनमें से एक इमरजेंसी रेस्पॉन्स स्कीम भी थी. बता दें कि हैदराबाद की महिला डॉक्टर के परिजनों ने राष्ट्रीय महिला आयोग से की शिकायत में कहा है कि पुलिस ने उनकी ओर से शिकायत करने के बावजूद समय बर्बाद किया और बार-बार यही कहती रही कि वह किसी के साथ भाग गई होगी.

केंद्र सरकार का न्याय विभाग भी निर्भया फंड में पैसे आवंटित करता है. संसद में केंद्र की ओर से दिए जवाब की मानें तो किसी भी राज्य ने न्याय विभाग की ओर से जारी किए पैसों में से भी एक भी रुपया इस्तेमाल नहीं किया. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से निर्भया फंड चार हिस्सों में जारी किया जाता है, जिसमें महिला पुलिस वालेंटियर स्कीम भी है. इस स्कीम के तहत कुल 12 राज्यों को पैसे जारी किए गए थे. स्मृति ईरानी ने ये स्पष्ट नहीं किया कि अन्य राज्यों ने भी ऐसे प्रोग्राम के लिए पैसे मांगे थे या नहीं. लेकिन इन 12 राज्यों की बात करें तो इसमें से सिर्फ 4 ने ही निर्भया फंड का इस्तेमाल महिला पुलिस वालेंटियर स्कीम के लिए किया. बाकियों ने एक भी पैसा खर्च नहीं किया.

बात भले ही किसी राज्य की हो या संसद की, दोनों ही जगह हैदराबाद में महिला डॉक्टर से गैंगरेप के बाद लोगों की संवेदनाएं सामने आईं. सड़कों पर तक प्रदर्शन किए गए कि महिला डॉक्टर और उसके जैसी अन्य पीड़िताओं को न्याय मिलना चाहिए. लेकिन निर्भया प्रदर्शन के बाद निर्भया फंड बनाने के दौरान सरकारों ने लोगों से जो वादे किए थे, कोई भी अपने वादे निभा नहीं सका है. निर्भया फंड के जरिए देश की महिलाओं को निडर बनाने का सपना बस सपना बनकर ही रह गया है, जो हर गुजरते दिन और बदलती सरकारों के साथ बिखरता जा रहा है.

ये भी पढ़ें-

हैदराबाद रेप पीड़िता को दिशा कहने से क्या फायदा जब 'निर्भया' से कुछ न बदला

हैदराबाद केस: जज्बाती विरोध से नहीं रुकेंगे रेप!

हैदराबाद की महिला डॉक्टर की मौत के बाद जो रहा है, वह बलात्कार से भी घिनौना है !


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲