• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

Navjot Singh Sidhu की पंजाब पॉलिटिक्स में नई पारी का सस्पेंस होगा उनकी पार्टी

    • आईचौक
    • Updated: 08 मार्च, 2020 04:49 PM
  • 08 मार्च, 2020 04:44 PM
offline
नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) पंजाब की राजनीति में फिर से खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं. सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से सिद्धू की मुलाकात और आम आदमी पार्टी से चल रही बातचीत के बाद उनके अच्छे दिनों के संकेत मिलने लगे हैं, लेकिन क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amrinder Singh) ऐसा होने देंगे?

21 जुलाई, 2019 के बाद से नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने कोई ट्वीट नहीं किया है. आखिरी ट्वीट में सिद्धू ने जानकारी दी है कि वो सरकारी बंगाल भी खाली कर चुके हैं. सिद्धू मीडिया से भी दूरी बनाये हुए हैं. हो सकता है उन्हें लगता हो कि किसी सवाल के जबाव में कोई ऐसी बात न निकल जाये कि नये सिरे से कोई विवाद शुरू हो जाये. वैसे भी सिद्धू का फिलहाल जिन सवालों से सामना होगा वे या तो उनकी भविष्य की राजनीति से जुड़े होंगे या फिर इमरान खान और पाकिस्तान से जुड़े उनके विवादित बयानों को लेकर ही होंगे, तकरीबन तय है. हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट में सिद्धू से जुड़े एक सोशल मीडिया पेज पर लिखे शेर का जिक्र था - 'कुछ देर की खामोशी है, अब कानों में शोर आएगा, तुम्हारा तो सिर्फ वक्त है अब सिद्धू का दौर आएगा.'

अच्छी बात है, सिद्धू का दौर आने वाला है. फरवरी, 2020 के आखिर में सिद्धू ने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मुलाकात की - क्या सिद्धू का राजनीतिक वनवास खत्म होने वाला है? बड़ा सवाल ये है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amrinder Singh) ऐसा होने देंगे?

कांग्रेस की मुख्यधारा में सिद्धू के आने की संभावना कितनी है

दिल्ली में सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने बताया कि दोनों नेताओं से उनकी पंजाब के मौजूदा हालात पर चर्चा हुई. शायद मीडिया से बचना चाहते थे, इसलिए सिद्धू ने एक बयान जारी कर कहा, 'मुझे कांग्रेस हाईकमान द्वारा दिल्ली तलब किया गया था. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी 25 फरवरी को अपने आवास पर 40 मिनट के लिए मुझसे मिली. अगले दिन 26 फरवरी को 10, जनपथ पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से एक घंटे से ज्यादा बातचीत हुई.'

साथ ही, सिद्धू ने बताया कि वो पंजाब को आत्मनिर्भर बनाने और सूबे की तरक्की के लिए एक रोड मैप लेकर गये थे जिस पर चलकर फिर से पंजाब का गौरव स्थापित किया जा सकता है - और उस पर दोनों नेताओं ने धैर्य के साथ गौर फरमाया. सिद्धू के...

21 जुलाई, 2019 के बाद से नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने कोई ट्वीट नहीं किया है. आखिरी ट्वीट में सिद्धू ने जानकारी दी है कि वो सरकारी बंगाल भी खाली कर चुके हैं. सिद्धू मीडिया से भी दूरी बनाये हुए हैं. हो सकता है उन्हें लगता हो कि किसी सवाल के जबाव में कोई ऐसी बात न निकल जाये कि नये सिरे से कोई विवाद शुरू हो जाये. वैसे भी सिद्धू का फिलहाल जिन सवालों से सामना होगा वे या तो उनकी भविष्य की राजनीति से जुड़े होंगे या फिर इमरान खान और पाकिस्तान से जुड़े उनके विवादित बयानों को लेकर ही होंगे, तकरीबन तय है. हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट में सिद्धू से जुड़े एक सोशल मीडिया पेज पर लिखे शेर का जिक्र था - 'कुछ देर की खामोशी है, अब कानों में शोर आएगा, तुम्हारा तो सिर्फ वक्त है अब सिद्धू का दौर आएगा.'

अच्छी बात है, सिद्धू का दौर आने वाला है. फरवरी, 2020 के आखिर में सिद्धू ने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मुलाकात की - क्या सिद्धू का राजनीतिक वनवास खत्म होने वाला है? बड़ा सवाल ये है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amrinder Singh) ऐसा होने देंगे?

कांग्रेस की मुख्यधारा में सिद्धू के आने की संभावना कितनी है

दिल्ली में सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने बताया कि दोनों नेताओं से उनकी पंजाब के मौजूदा हालात पर चर्चा हुई. शायद मीडिया से बचना चाहते थे, इसलिए सिद्धू ने एक बयान जारी कर कहा, 'मुझे कांग्रेस हाईकमान द्वारा दिल्ली तलब किया गया था. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी 25 फरवरी को अपने आवास पर 40 मिनट के लिए मुझसे मिली. अगले दिन 26 फरवरी को 10, जनपथ पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से एक घंटे से ज्यादा बातचीत हुई.'

साथ ही, सिद्धू ने बताया कि वो पंजाब को आत्मनिर्भर बनाने और सूबे की तरक्की के लिए एक रोड मैप लेकर गये थे जिस पर चलकर फिर से पंजाब का गौरव स्थापित किया जा सकता है - और उस पर दोनों नेताओं ने धैर्य के साथ गौर फरमाया. सिद्धू के मुताबिक ये वही रोड मैप जिसे कैबिनेट मंत्री रहते हुए काम कर रहे थे.

तो क्या सिद्धू अब मुख्यमंत्री बन कर उस रोड मैप पर काम करना चाहते हैं? ध्यान रहे, 2018 के मध्य प्रदेश चुनाव से पहले कमलनाथ ने भी एक रोड मैप तैयार किया था और उसी के बूते ज्योतिरादित्य सिंधिया को दरकिनार कर मध्य प्रदेश में पार्टी की कमान हासिल की और फिर मुख्यमंत्री भी बने.

लगता है सिद्धू वो बात दिमाग में रख कर चल रहे हैं जो पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह 2017 के चुनावों के दौरान लोगों को समझाते रहे. तब कैप्टन की ओर से यही मैसेज देने की कोशिश रही कि वो अपनी आखिरी राजनीतिक पारी खेलना चाहते हैं. हालांकि, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है.

क्या सिद्धू को ऐसा लगता है कि पांच साल सरकार चलाने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह संन्यास ले लेंगे? सिद्धू को मालूम होना चाहिये कि राहुल गांधी को असली कैप्टन मानने के बावजूद उन्हें अमरिंदर सिंह के सामने पीछे हटना पड़ा - और एक तरीके से तब से राजनीतिक वनवास ही झेल रहे हैं.

सिद्धू कांग्रेस में ही ताली ठोकेंगे या कहीं और?

सिद्धू की बातों से ही समझें तो लगता है, कांग्रेस नेतृत्व ने सिद्धू को बुलाकर वैसे ही मुलाकात की है जैसे हरियाणा चुनाव से पहले भूपिंदर सिंह हुड्डा से मुलाकात की थी. तब ये भी महसूस किया गया कि अगर हुड्डा को कांग्रेस की कमान पहले सौंप दी गयी होती तो नतीजे अलग भी हो सकते थे.

पंजाब में विधानसभा चुनाव होने में अभी दो साल का वक्त बाकी है - और अगर कांग्रेस नेतृत्व अभी से ऐसा सोच रहा है तो इसे अच्छा ही समझा जाना चाहिये. सिद्धू के रास्ते की मुश्किल सिर्फ कैप्टन अमरिंदर सिंह ही नहीं हैं, ऐसे और भी नेता हैं जो सिद्धू को पसंद नहीं करते. जब ऐसी कोई नौबत आएगी तो पहले दावेदार तो सिद्धू से पहले PCC अध्यक्ष रहे प्रताप सिंह बाजवा ही होंगे. वैसे भी बाजवा करीबी तो राहुल गांधी के ही माने जाते हैं, लेकिन हरियाणा में अशोक तंवर के साथ जो हुआ उसे देखते हुए कुछ कहा भी नहीं जा सकता.

सिद्धू पर तो राहुल गांधी का ही वरद हस्त रहा - जब राहुल गांधी ने कुर्सी छोड़ी उसके बाद निपटा दिये गये. प्रियंका गांधी से उनकी इससे पहले अहमद पटेल के साथ मुलाकात हुई थी - और सिद्धू ने इस्तीफा देकर सरकारी घर भी खाली करना पड़ा.

अब फिर से आकर प्रियंका गांधी से मिले हैं, लेकिन इस बार मुलाकात सोनिया गांधी से भी हुई है. ये मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है.

कांग्रेस अभी भले ही सिद्धू को ज्यादा तवज्जो न दे रही हो, लेकिन उनका पंजाब के जाट समुदाय से होना और सेलीब्रिटी होना वो ताकत है जिसकी वजह से पार्टी गंवाना भी नहीं चाहेगी - और वो भी तब जब आम आदमी पार्टी से फिर से सिद्धू की बात चल रही हो.

अगर कांग्रेस के नहीं तो फिर किसके होंगे सिद्धू

पंजाब की राजनीति में SGPC यानी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का बड़ा दबदबा रहा है. विधानसभा चुनावों से पहले SGPC का चुनाव होना है. करीब तीन दशक से SGPC पर प्रकाश सिंह बादल वाले शिरोमणि अकाली दल का ही नियंत्रण देखा गया है, लेकिन 2015 की एक घटना के बाद से माना जा रहा है कि एक वर्ग अकाली दल से छिटक सकता है. अकाली दल टकसाली SGPC चुनाव में अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए अलग से तैयारी कर रहा है और संगठन से जुड़े सीनियर नेता सुखदेव सिंह ढींढसा ने सिद्धू को साथ आने का खुला ऑफर दिया है - 'सिद्धू का हमारे यहां स्वागत है - लेकिन अगर वो चुप्पी बनाये रखेंगे तो कोई फायदा नहीं होगा.'

2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी आप नेताओं से सिद्धू की लगातार बातचीत होती रही. मुलाकात तो अरविंद केजरीवाल से भी हुई थी, लेकिन सिद्धू की एक ही शर्त भारी पड़ी और वो थी मुख्यमंत्री पद से नीचे कोई डील पसंद नहीं करते.

दिल्ली चुनाव में भी जीत के बाद अरविंद केजरीवाल फिर से पंजाब की तैयारियों में जुटे हुए हैं. आप में ये धारणा बन रही है कि अगर सिद्धू को जोड़ लिया जाये तो पंजाब इकाई खड़ी होने के साथ ही लोक इंसाफ पार्टी के नेता सिमरजीत सिंह बैंस और दूसरी कुछ छोटी पार्टियां भी साथ आ सकती हैं. हालांकि, आप नेता भगवंत मान का कहना है कि सिद्धू के साथ अभी तक कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है.

सिद्धू ऐसे तिराहे पर घड़े हैं जहां से वो चाहें तो कांग्रेस में ही बने रहने का फैसला कर सकते हैं. दूसरा रास्ता आम आदमी पार्टी वाला है और तीसरा रास्ता बीजेपी की तरफ है जहां वो 13 साल तक बने रहे. घर वापसी की संभावना खत्म तो नहीं ही हुई होगी.

झारखंड में बाबूलाल मरांडी की घर वापसी के बाद सिद्धू के लिए भी संभावना बन जरूर सकती है. वैसे भी बीजेपी का पंजाब में तकरीबन वही हाल है जो बिहार में है. बिहार में वो नीतीश कुमार पर निर्भर है तो पंजाब में बादल परिवार.

इन्हें भी पढ़ें :

नवजोत सिंह सिद्धू अब कहां ठोकेंगे ताली !

Kartarpur corridor: पाकिस्तान पहुंचे सिद्धू पर मखमल लपेटकर लट्ठ बरसे!

'राष्ट्रवादी कैप्टन' ने किला बचाकर कांग्रेस गंवाने वाले राहुल को दिया है बड़ा सबक


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲