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'राष्ट्रवादी कैप्टन' ने किला बचाकर कांग्रेस गंवाने वाले राहुल को दिया है बड़ा सबक

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 24 मई, 2019 08:40 PM
  • 24 मई, 2019 08:40 PM
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भले ही भारत भर में कांग्रेस की हालात पस्त हो मगर जिस तरह पंजाब में कांग्रेस 13 में से 8 सीटें जीतने में कामयाब हुई है पूरा क्रेडिट कैप्टन अमरिंदर सिंह को दिया जा रहा है जिनके राष्ट्रवाद के चलते असंभव सी बात संभव हुई.

2019 के लोकसभा चुनाव का परिणाम हमारे सामने हैं. देश की जनता ने एक बार फिर भाजपा पर विश्वास करते हुए उसे शासन करने का मौका दिया है वहीं कांग्रेस की स्थिति 2014 से भी बदतर है. चुनाव के परिणामों का अवलोकन करने पर साफ है कि जिस तरह का जनादेश मिला है वो ये साफ बता रहा है कि देश की जनता कांग्रेस और उसकी नीतियों को खारिज कर चुकी है.  कांग्रेस से पब्लिक किस हद तक नाराज है इसका अंदाजा हम इसी से लगा सकते हैं कि राहुल गांधी अमेठी के रूप में अपना सबसे महत्वपूर्ण गढ़ बचाने में नाकाम रहे हैं. देश से कांग्रेस का सफाया हो गया है.

बात अगर सीटों की हो तो वो शायद कैप्टन अमरिंदर की सूझबूझ और समझदारी ही  वो कारण था कि कांग्रेस पंजाब में अपनी डूबती हुई नाव बचाने में कामयाब है. पंजाब में कांग्रेस 13 में से 8 सीटें जीतने में कामयाब हुई है और इसका पूरा क्रेडिट कैप्टन अमरिंदर को जा रहा है.

अपने राष्ट्रवाद के कारण पंजाब में कैप्टन अमरिंदर कांग्रेस सके लिए संजीवनी साबित हुए हैं

पंजाब चुनाव के दौरान जिस तरह का कैप्टन अमरिंदर का रवैया रहा है. वो इस बात को खुद-ब खुद साफ कर देता है कि जहां एक तरफ कैप्टन ने राष्ट्रवादी बनकर अपना किला बचाया है. तो वहीं सेना और सुरक्षा बलों द्वारा लिए गए एक्शन पर अपना पक्ष रखकर और रखे गए उस पक्ष को वाद विवाद का हिस्सा बनाकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 'कांग्रेस को गंवा दिया है.'

पंजाब में कांग्रेस क्यों बची इसकी वजह कैप्टन अमरिंदर के उस क्लियर स्टैंड को माना जा रहा है जिसमें उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक और पाकिस्तान को लेकर अपना पक्ष रखा था. पूर्व में भी जिस तरह उन्होंने सिद्धू के पाकिस्तान जाने पर न केवल अपनी आपत्ति दर्ज की बल्कि मुखर होकर इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया उसे भी उनकी सफलता की एक...

2019 के लोकसभा चुनाव का परिणाम हमारे सामने हैं. देश की जनता ने एक बार फिर भाजपा पर विश्वास करते हुए उसे शासन करने का मौका दिया है वहीं कांग्रेस की स्थिति 2014 से भी बदतर है. चुनाव के परिणामों का अवलोकन करने पर साफ है कि जिस तरह का जनादेश मिला है वो ये साफ बता रहा है कि देश की जनता कांग्रेस और उसकी नीतियों को खारिज कर चुकी है.  कांग्रेस से पब्लिक किस हद तक नाराज है इसका अंदाजा हम इसी से लगा सकते हैं कि राहुल गांधी अमेठी के रूप में अपना सबसे महत्वपूर्ण गढ़ बचाने में नाकाम रहे हैं. देश से कांग्रेस का सफाया हो गया है.

बात अगर सीटों की हो तो वो शायद कैप्टन अमरिंदर की सूझबूझ और समझदारी ही  वो कारण था कि कांग्रेस पंजाब में अपनी डूबती हुई नाव बचाने में कामयाब है. पंजाब में कांग्रेस 13 में से 8 सीटें जीतने में कामयाब हुई है और इसका पूरा क्रेडिट कैप्टन अमरिंदर को जा रहा है.

अपने राष्ट्रवाद के कारण पंजाब में कैप्टन अमरिंदर कांग्रेस सके लिए संजीवनी साबित हुए हैं

पंजाब चुनाव के दौरान जिस तरह का कैप्टन अमरिंदर का रवैया रहा है. वो इस बात को खुद-ब खुद साफ कर देता है कि जहां एक तरफ कैप्टन ने राष्ट्रवादी बनकर अपना किला बचाया है. तो वहीं सेना और सुरक्षा बलों द्वारा लिए गए एक्शन पर अपना पक्ष रखकर और रखे गए उस पक्ष को वाद विवाद का हिस्सा बनाकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 'कांग्रेस को गंवा दिया है.'

पंजाब में कांग्रेस क्यों बची इसकी वजह कैप्टन अमरिंदर के उस क्लियर स्टैंड को माना जा रहा है जिसमें उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक और पाकिस्तान को लेकर अपना पक्ष रखा था. पूर्व में भी जिस तरह उन्होंने सिद्धू के पाकिस्तान जाने पर न केवल अपनी आपत्ति दर्ज की बल्कि मुखर होकर इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया उसे भी उनकी सफलता की एक अहम वजह माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि कैप्टन के इसी रुख के चलते आम पंजाबी वोटरों ने उनपर विश्वास किया और अपना बहुमूल्य मत कांग्रेस पार्टी को दिया.

बात शीशे की तरह साफ है. देश की 17 वीं लोकसभा के लिए हुए 2019 के इस चुनाव में तमाम मुख्य मुद्दों के अलावा राष्ट्रवाद एक बड़ा मुद्दा रहा है. देश की जनता ने उन तमाम लोगों का साथ दिया जिन्होंने बिना किसी और बात की परवाह किये राष्ट्रवाद पर अपने विचार व्यक्त किये, पाकिस्तान की आलोचना की और कहा कि अब वो वक़्त आ गया है जब पाकिस्तान को उसके किये की सजा दे देनी चाहिए. राष्ट्रवाद की इन बातों के बीच जो रवैया नवजोत सिंह सिद्धू और खुद राहुल गांधी का था वो विचलित करने वाला था.

सिद्धू जहां एक तरफ दोस्ती निभाते हुए पाकिस्तान गए और पाकिस्तान की सेना से जुड़े अधिकारियों के गले लगे तो वहीं उस समय पूरा देश विचलित हुआ जब उड़ी हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक पर राहुल गांधी ने सवाल उठाया और देश के प्रधानमंत्री को शहीदों के खून की दलाली करने वाला बताया.

जनादेश से साफ हो गया है है कि देश भर में कांग्रेस के सफाए का कारण राहुल और सिद्धू जैसे लोग हैं

गौरतलब है कि पंजाब में कांग्रेस 8 सीटें मिली हैं. अकाली-बीजेपी गंठबंधन को 4 और आप को सिर्फ 1 सीट मिली हैं. बात सिद्धू और कैप्टन के बीच चल रही रार पर चल रही है तो हमारे लिए उस बात को भी जानना जरूरी है जिसमें अभी कुछ दिनों पहले ही कैप्टन ने सिद्धू पर बड़ा हमला बोला था. कैप्टेन ने कहा था कि नवजोत सिंह सिद्धू खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और मुझे रिप्लेस करना चाहते हैं.  ज्ञात हो कि अमृतसर लोकसभा सीट को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू. कैप्टन अमरिंदर से नाराज थे. सिद्धू चाहते थे कि इस सीट से उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू को टिकट मिले.

अब क्योंकि कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की नीतियों के चलते बुरी तरह से पस्त हुई है तो एक बार फिर कैप्टन को उनपर निशाना साधने का मौका मिल गया है. लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी के खराब प्रदर्शन का ठीकरा सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू के सिर पर ही फोड़ा है. नवजोत सिद्धू के पाकिस्तान जाकर वहां के सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा से गले मिलने को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, 'भारतीय और खासतौर पर सेना से जुड़े लोग पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष के गले लगने जैसी हरकतों को पसंद नहीं कर सकते.'

Captain Amarinder Singh on Navjot Singh Sidhu: Indians especially servicemen will not tolerate hugging the Pakistani Army Chief. pic.twitter.com/AVZFgIraR2

— ANI (@ANI) May 23, 2019

यानी एक बार फिर पाकिस्तान के सन्दर्भ में सिद्धू पर बयान देकर कैप्टन ने जनता के बीच अपनी दावेदारी मजबूत कर ली है. साथ ही कहीं न कहीं कैप्टन अमरिंदर ने सिद्धू के अलावा राहुल गांधी तक को यही सन्देश दिया है कि अगर कोई भी राष्ट्र के विरुद्ध जाएगा तो उसका परिणाम कुछ वैसा ही होगा जैसा इस समय कांग्रेस पार्टी और उन सब का है.

पंजाब में इतिहास रचने वाले कैप्टन अमरिंदर से कितनी प्रेरणा कांग्रेस और राहुल गांधी ले पाएंगे इसका जवाब वक़्त की गर्त में छिपा है. मगर अपने मुखर राष्ट्रवाद के बल पर जो उन्होंने पंजाब में कर दिखाया है उसने जनता का भी रुख स्पष्ट कर दिया है. जिसके अनुसार जनता उसी दल/ व्यक्ति का साथ देगी जो देश का होगा. साथ ही जनता ने ये भी बताया है कि जो देश के विरोध में आएगा उसे तत्काल प्रभाव में बाहर का रास्ता दिखाकर उसकी राजनीति पर विराम लगा दिया जाएगा.    

 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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