• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

Monsoon Session 2021: 19 दिन का संसदीय घमासान, 30 बिल बनाम कोरोना त्रासदी का गुस्सा

    • रमेश ठाकुर
    • Updated: 18 जुलाई, 2021 12:25 PM
  • 18 जुलाई, 2021 12:25 PM
offline
2021 का मानसून सत्र कई मायनों में बहुत जरूरी माना जा रहा है. केंद्र सियासी माइलेज लेने की भरसक कोशिश करेगी. शोर-शराबा ज्यादा न हुआ तो इस 19 दिनी मानसून सत्र में करीब ढाई या तीन दर्जन बिलों को केंद्र सरकार पास कराने की कोशिश करेगी. मौसम बेशक चुनावी है, बावजूद इसके बिल सभी महत्वपूर्ण हैं, आमजन की जरूरतों से जुड़े हैं.

चुनावी सत्र सत्ता पक्ष के लिए कई मायनों में खास होने के साथ-साथ चुनौतियों से भी भरा होता है. मौजूदा मानसून सत्र को भी इसी रूप में देखा जा रहा है. केंद्र सियासी माइलेज लेने की भरसक कोशिश करेगी. शोर-शराबा ज्यादा न हुआ तो इस 19 दिनी मानसून सत्र में करीब ढ़ाई या तीन दर्जन बिलों को केंद्र सरकार पास कराने की कोशिश करेगी. मौसम बेशक चुनावी है, बावजूद इसके बिल सभी महत्वपूर्ण हैं, आमजन की जरूरतों से जुड़े हैं. पर, सवाल एक ये भी है, क्या इन बिलों को सहजता से विपक्षी संसद सदस्य पास होने देंगे? फिलहाल इसकी तस्वीर सत्र चलने के एकाध दिनों में दिख जाएगी कि विपक्षी दल केंद्र सरकार को संसद के भीतर कितना घेरते है.

केंद्र सरकार मानसून के इस पूरे सत्र में तकरीबन तीस नए बिलों और तीन अध्यादेशों को लाने का मसौदा तैयार किया है. बिल पास करते वक्त कोई अड़ंगा लगे, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी दलों से सहयोग की अपील भी की हैं. विपक्षी दलों के साथ दोनों नेताओं ने अलग-अलग सर्वदलीय बैठकें भी की हैं. लेकिन इतना तय है, समूचा मानसून सत्र अगर सुचारू रूप से चल जाए और सभी बिल व अध्यादेश पास हो जाएं, तो ये सत्र नई लकीर खींच सकता है. गौरतलब है, अगर ऐसा होता है तो प्रधानमंत्री मोदी के अभी तक के सात वर्षीय हुकूमती कार्यकाल में मौजूदा सत्र सबसे सफल माना जाएगा.

इस बार का मानसून सत्र कई महत्वपूर्ण बिलों को पास किये जाने के मद्देनजर बहुत जरूरी माना जा रहा है

कोरोना संकट को देखते हुए सत्र का समय छोटा रखा गया है लेकिन है बहुत महत्वपूर्ण. मात्र 19 दिनों के इस सत्र में तीस बिल और 3 अध्यादेश लाने की प्लानिंग है जिसका मतलब है रोजाना ‘ऑन एन एवरेज’ दो बिलों को पेश करना. मोदी और उनका नया नवेला मंत्रिमंडल पूरी...

चुनावी सत्र सत्ता पक्ष के लिए कई मायनों में खास होने के साथ-साथ चुनौतियों से भी भरा होता है. मौजूदा मानसून सत्र को भी इसी रूप में देखा जा रहा है. केंद्र सियासी माइलेज लेने की भरसक कोशिश करेगी. शोर-शराबा ज्यादा न हुआ तो इस 19 दिनी मानसून सत्र में करीब ढ़ाई या तीन दर्जन बिलों को केंद्र सरकार पास कराने की कोशिश करेगी. मौसम बेशक चुनावी है, बावजूद इसके बिल सभी महत्वपूर्ण हैं, आमजन की जरूरतों से जुड़े हैं. पर, सवाल एक ये भी है, क्या इन बिलों को सहजता से विपक्षी संसद सदस्य पास होने देंगे? फिलहाल इसकी तस्वीर सत्र चलने के एकाध दिनों में दिख जाएगी कि विपक्षी दल केंद्र सरकार को संसद के भीतर कितना घेरते है.

केंद्र सरकार मानसून के इस पूरे सत्र में तकरीबन तीस नए बिलों और तीन अध्यादेशों को लाने का मसौदा तैयार किया है. बिल पास करते वक्त कोई अड़ंगा लगे, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी दलों से सहयोग की अपील भी की हैं. विपक्षी दलों के साथ दोनों नेताओं ने अलग-अलग सर्वदलीय बैठकें भी की हैं. लेकिन इतना तय है, समूचा मानसून सत्र अगर सुचारू रूप से चल जाए और सभी बिल व अध्यादेश पास हो जाएं, तो ये सत्र नई लकीर खींच सकता है. गौरतलब है, अगर ऐसा होता है तो प्रधानमंत्री मोदी के अभी तक के सात वर्षीय हुकूमती कार्यकाल में मौजूदा सत्र सबसे सफल माना जाएगा.

इस बार का मानसून सत्र कई महत्वपूर्ण बिलों को पास किये जाने के मद्देनजर बहुत जरूरी माना जा रहा है

कोरोना संकट को देखते हुए सत्र का समय छोटा रखा गया है लेकिन है बहुत महत्वपूर्ण. मात्र 19 दिनों के इस सत्र में तीस बिल और 3 अध्यादेश लाने की प्लानिंग है जिसका मतलब है रोजाना ‘ऑन एन एवरेज’ दो बिलों को पेश करना. मोदी और उनका नया नवेला मंत्रिमंडल पूरी कोशिश करेगा बिल के प्रस्तावों के वक्त विपक्ष ज्यादा हावी न हो, और किसी तरह की कोई परेशानी पैदा ना कर सके.

वैसे, विपक्ष को चारों ओर से घेरने का भी मंत्रिमंडल के सदस्यों ने ब्लू प्रिंट तैयार किया है. बकायदा सत्र चलाने का प्रशिक्षण उन्होंने मोदी से लिया है. वहीं, विपक्षी दल भी खासकर कांग्रेस के सदस्यों ने भी अपनी मजबूत रणनीति बनाकर कमर कसी हुई है. इसलिए अभी से तय है, बिलों के प्रस्ताव के वक्त पक्ष-विपक्ष के दरम्यान तनातनी जरूरी होगी और संसद से वॉकआउट का ड्रामा भी होगा, इन सबकी संभावनाएं प्रबल दिख रही हैं.

बहरहाल, कौन-कौन से बिल इस मानसून सत्र में पास हो सकते हैं? उन पर नजर डाले तो समझने में देर नहीं लगेगी कि आमजन के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं सभी बिल. मानव तस्करी विधेयक, केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, डीएनए टेक्नोलॉजी बिल, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप, कंटेनमेंट संशोधन बिल, सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिल, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट बिल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी कोल बियरिंग एरिया बिल, चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे महत्वपूर्ण बिल हैं, जिनका तत्काल प्रभाव से लागू होना समय की दरकार है.

एकाध बिल ऐसे हैं, जो पिछले कई सत्रों से लंबित हैं. जैसे, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड बिल. जिसका उद्देश्य कर्ज में घिरे कॉरपोरेट्स को आसान तरीके से कम समय में दिवाला प्रक्रिया पूरा करने की अनुमति देना. वहीं, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता के प्रबंधन को लेकर भी एक बिल पेश होना है जिसका मकसद दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता साफ करना होगा. ये ऐसे बिल हैं जो सीधे आमजन की जरूरतों से संबंध रखते हैं.

ठीक है अगर विपक्ष का धर्म विरोध करना ही है, तो कुछ मुद्दों पर उन्हें गंभीर होना होगा. विरोध की आड़ में कहीं ऐसा न हो आमजन का नुकसान हो जाए. बीते सात महीनों से दिल्ली में बैठे आंदोलित किसानों ने तकरीबन सभी विपक्षी दलों से तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए गुजारिश की है. उनकी आवाज उठेगी, ये निश्चित है. पर, तय ये भी सरकार कोई जवाब नहीं देगी? वैसे देखा जाए तो इस बार विपक्ष के पास मुद्दों की कमी नहीं?

सत्र कोरोना संकट में शुरु हुआ है. सरकार को घेरने के लिए कोविड-19 की पहली और दूसरी वेव तक में स्वास्थ्य अव्यवस्थाएं, ऑक्सीजन की कमी, शमशान घाटों में अव्यवस्थाएं, गंगा-नदियों के तटों पर बिखरे शव, दवाईंयों की कमी, वैक्सीनेशन में देरी से लेकर महंगाई, आसमान पर पहुंची पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें, दालों-खाद्यों के बढ़ते दाम और कृषि कानूनों के विरूद्व दिल्ली में बैठे किसानों से खराब हुई यातायात व्यवस्थाएं जैसे ज्वलंत मुद्दे हैं जिनपर केंद्र सरकार को घेर सकते हैं.

इसके अलावा दिन-प्रतिदिन बढ़ती देश में बेरोजगारी और सरकारी संपत्तियों का निजीकरण भी विरोध का जरिया हो सकता है. साथ ही सबसे गर्म गम मसला धर्मांतरण और उत्तर प्रदेश-बंगाल में होती हिंसक घटनाओं को रोकने में सरकारों की विफलताएं? यही मुद्दे सरकार को मुसीबत में डालने के लिए पर्याप्त होंगे, बजाय बिलों का विरोध करना. इसके लिए विपक्ष कितनी तैयारी के जाएगा, ये देखने वाली बात होगी. बिलावजह के विरोध से बात नहीं बनने वाली.

वैसे, सबसे काबिलेगौर बात इस बार ये होगी, कि सरकार विपक्ष को कितना सुनेगी, क्योंकि प्रश्नकाल व्यवस्था तो पहले से ही खत्म हो चुकी है. दो ऐसे बिल हैं जिन्हें सरकार किसी भी सूरत में पास कराना चाहेगी. पहला, रक्षा सेवा विधेयक-2021 बिल और दूसरा, दिल्ली-एनसीआर के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग विधेयक-2021. हालांकि दोनों बिल बिना शोर-शराबे के पास हो जाएं, ऐसा संभव नहीं? सत्र के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा भी खलबली मचाएगा.

एलान हो चुका है, मोर्चे के विभिन्न संगठनों के करीब दो सौ किसान संसद के बाहर प्रदर्शन करेंगे. वैसे सरकार की आफत तो इस बार चौतरफा दिखाई पड़ती, देखना होगा सरकार इन आफतों की तरफ कितना ध्यान देती है या फिर सबको इग्नोर करके आगे बढे़गी. सरकार मौजूदा सत्र के जरिए भरपूर सियासी लाभ लेने की भी कोशिश करेगी, क्योंकि अगले वर्ष पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव जो होने हैं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश है.

उत्तर प्रदेश को जीतने के बाद ही 2024 की चुनौती आसान हो सकती है. इसलिए जनता को लुभाने की पूरी कोशिश रहेगी. तभी तो कुछ बिल ऐसे हैं, जो जनता के हितों से सीधा वास्ता रखते हैं. सत्र का समापन 13 अगस्त को होगा.

ये भी पढ़ें -

कावड़ यात्रा पर योगी और धानी के अलग-अलग फैसलों का अर्थ समझिए...

कैप्टन की सोनिया को चिट्ठी के भाव पढ़िये, शब्द नहीं - 'आप कांग्रेस के मामलों में दखल दे रही हैं!'

बाबुल सुप्रियो को ममता का 'घर' भाया, मगर इन 5 बागियों को कब मिलेगी मंजिल?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲