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कावड़ यात्रा पर योगी और धानी के अलग-अलग फैसलों का अर्थ समझिए...

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 17 जुलाई, 2021 08:16 PM
  • 17 जुलाई, 2021 08:16 PM
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धर्म और राजधर्म के बीच समन्वय बनाकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व संतुलित फैसला करता रहा है. शायद ये केंद्रीय नेतृत्व का आदेश ही था कि उत्तरखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कावड़ यात्रा रद्द कर दी, किंतु यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा को अनुमति दे दी जिससे गफलत की स्थिति उत्पन्न हो गयी है.

किसी भी राज्य में चुनावी सफलता के लिए भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा ही नहीं दिशा निर्देशों के पालन की कार्यकुशलता साबित करनी पड़ती है. देवभूमि उत्तराखंड के युवा नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपना कार्यभार संभालते ही उक्त सच पर अमल करना शुरू कर दिया. धर्म और राजधर्म के बीच समन्वय बनाकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व संतुलित फैसला करता रहा है. शायद ये केंद्रीय नेतृत्व का आदेश ही था कि उत्तरखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कावड़ यात्रा रद्द कर दी, किंतु यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कावड़ यात्रा को अनुमति दे दी.

भाजपा शासित दो राज्यों के कावड़ यात्रा को लेकर अलग/अलग फैसलों के बीच के गहरे अर्थ हैं. भाजपा शासित राज्यों की सरकारें और केंद्रीय नेतृत्व के बीच समन्वय तो होगा ही. फिर किसी एक संवेदनशील मामले पर दो राज्यों के लिए केंद्रीय दिशा निर्देश अलग-अलग कैसे हो सकते हैं. जाहिर सी बात है कि उत्तराखंड में कावड़ यात्रा को रद्द करने का आदेश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धानी ने सिर्फ अपने विवेक से तो लिया नहीं होगा.

कावड़ को लेकर पुष्कर सिंह धामी की मनाई के बाद जो फैसला यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया वो विचलित करता है

बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के फैसले को अपनी जुबान देकर धानी ने कोरोना के मद्देनजर कावड़ यात्रा पर रोक लगाई. लेकिन यूपी में न्यायालय ने योगी सरकार द्वारा कावड़ यात्रा की अनुमती देने पर जवाब तलब कर लिया.

गौरतलब है कि उत्तराखंड के नवनियुक्त युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कोरोना वायरस की तीसरी लहर के ख़तरे को देखते हुए कावड़ यात्रा रद्द करने का एलान किया. जबकि कावड़ यात्रा को शर्तों के साथ अनुमति देने वाली यूपी...

किसी भी राज्य में चुनावी सफलता के लिए भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा ही नहीं दिशा निर्देशों के पालन की कार्यकुशलता साबित करनी पड़ती है. देवभूमि उत्तराखंड के युवा नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपना कार्यभार संभालते ही उक्त सच पर अमल करना शुरू कर दिया. धर्म और राजधर्म के बीच समन्वय बनाकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व संतुलित फैसला करता रहा है. शायद ये केंद्रीय नेतृत्व का आदेश ही था कि उत्तरखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कावड़ यात्रा रद्द कर दी, किंतु यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कावड़ यात्रा को अनुमति दे दी.

भाजपा शासित दो राज्यों के कावड़ यात्रा को लेकर अलग/अलग फैसलों के बीच के गहरे अर्थ हैं. भाजपा शासित राज्यों की सरकारें और केंद्रीय नेतृत्व के बीच समन्वय तो होगा ही. फिर किसी एक संवेदनशील मामले पर दो राज्यों के लिए केंद्रीय दिशा निर्देश अलग-अलग कैसे हो सकते हैं. जाहिर सी बात है कि उत्तराखंड में कावड़ यात्रा को रद्द करने का आदेश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धानी ने सिर्फ अपने विवेक से तो लिया नहीं होगा.

कावड़ को लेकर पुष्कर सिंह धामी की मनाई के बाद जो फैसला यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया वो विचलित करता है

बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के फैसले को अपनी जुबान देकर धानी ने कोरोना के मद्देनजर कावड़ यात्रा पर रोक लगाई. लेकिन यूपी में न्यायालय ने योगी सरकार द्वारा कावड़ यात्रा की अनुमती देने पर जवाब तलब कर लिया.

गौरतलब है कि उत्तराखंड के नवनियुक्त युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कोरोना वायरस की तीसरी लहर के ख़तरे को देखते हुए कावड़ यात्रा रद्द करने का एलान किया. जबकि कावड़ यात्रा को शर्तों के साथ अनुमति देने वाली यूपी की योगी सरकार की किरकिरी तब हो गई जब न्यायालय ने यात्रा को अनुमति देने को लेकर सरकार से जवाब तलब किया.

मुख्यमंत्री का पद संभालते ही दिल्ली पंहुचे धानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. बताया जाता है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से परामर्श और आदेश के बाद कोरोना के मद्देनजर मुख्यमंत्री धानी ने कावड़ यात्रा को रद्द करने का फैसला किया.

कांवड़ यात्रा में उत्तराखंड मुख्य रूप से मेजबान राज्य की भूमिका निभाता रहा है. जबकि यात्री मुख्य रूप से यूपी, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान जैसे राज्यों से आते हैं. मालूम हो कि कोरोना की दूसरी तबाही के दौरान ही उत्तरखंड सरकार द्वारा कुंभ स्नान कि अनुमति दिए जाने को लेकर तमाम सवाल उठे थे.

तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ की विदाई के कारणों में कुंभ की अनुमति का गलत फैसला भी जोड़ा जाता है. अगले वर्ष उत्तराखंड मे भी चुनाव होना है इसलिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने बहुत ठोक बजा कर ही पुष्कर सिंह धामी जैसे युवा नेता पर विश्वास किया है.

और वो दिल्ली के हर इशारे को अमल मे लाकर इस विश्वास पर खरे उतरने की कोशिश में लग गए हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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