• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

आर्थिक मंदी का मजाक उड़ाने के बजाय इससे निपटने के तरीके सोचने चाहिए !

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 12 अक्टूबर, 2019 08:30 PM
  • 12 अक्टूबर, 2019 08:30 PM
offline
पहले निर्मला सीतारमण, फिर पियूष गोयल और अब रविशंकर प्रसाद ने आर्थिक मंदी का मजाक उड़ाया है. मोदी सरकार को अब समझ लेना चाहिए कि ये वक्त आर्थिक मंदी से निपटने के लिए अहम कदम उठाने का है, हंसी-मजाक करने का नहीं.

देश आर्थिक मंदी से गुजर रहा है, लेकिन मोदी सरकार के मंत्री इस बात सरेआम कुबूल करने को तैयार नहीं दिख रहे हैं. ऐसा नहीं है कि वह ये मानते नहीं कि देश में मंदी है, लेकिन बस वह इस बात जताना नहीं चाहते. और जो जता रहे हैं कि मंदी है, तो वह किसी को भी इसका जिम्मेदार ठहरा दे रहे हैं. अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को ही ले लीजिए. आर्थिक मंदी कितनी भयानक हो सकती है, इसका अंदाजा उन्हें बखूबी है. तभी तो कॉरपोरेट टैक्स में 10 फीसदी की कटौती कर दी. वह समझती हैं कि ऑटो सेक्टर की मदद नहीं की तो भारी नुकसान हो सकता है. लेकिन यही सीतारमण जब राजनीतिक बयानबाजी पर उतरती हैं तो क्या बोलती हैं, शायद उन्हें खुद को पता नहीं रहता. अब केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी आर्थिक मंदी को लेकर कुछ ऐसी ही बयानबाजी की है, बल्कि यूं कहिए कि मंदी का मजाक उड़ाया है.

पहले निर्मला सीतारमण, फिर पियूष गोयल और अब रविशंकर प्रसाद ने आर्थिक मंदी का मजाक उड़ाया है.

क्या बोले रविशंकर प्रसाद?

रविशंकर प्रसाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, जहां उनसे देश में आर्थिक मंदी के बारे में पूछा गया. इस पर हंसते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा- मैं अटल बिहारी वापजेपी की सरकार में सूचना व प्रसारण मंत्री था और मुझे फिल्में देखना बहुत पसंद है. फिल्में अच्छी कमाई कर रही हैं. 2 अक्टूबर को तीन फिल्में रिलीज हुईं और फिल्म आलोचक कोमल नहता ने मुझे बताया कि तीन फिल्मों में एक ही दिन में 120 करोड़ रुपए की कमाई की. तीन फिल्मों से 120 करोड़ रुपए आना दिखाता है कि देश की अर्थव्यवस्था बिल्कुल ठीक है. रविशंकर प्रसाद कोई बहस करते हैं तो आंकड़े जरूर गिनाते हैं, जैसा कि फिल्मों की कमाई में भी गिनाए, लेकिन अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत है, इसके आंकड़े नहीं बताए.

6 सालों के सबसे निचले स्तर पर...

देश आर्थिक मंदी से गुजर रहा है, लेकिन मोदी सरकार के मंत्री इस बात सरेआम कुबूल करने को तैयार नहीं दिख रहे हैं. ऐसा नहीं है कि वह ये मानते नहीं कि देश में मंदी है, लेकिन बस वह इस बात जताना नहीं चाहते. और जो जता रहे हैं कि मंदी है, तो वह किसी को भी इसका जिम्मेदार ठहरा दे रहे हैं. अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को ही ले लीजिए. आर्थिक मंदी कितनी भयानक हो सकती है, इसका अंदाजा उन्हें बखूबी है. तभी तो कॉरपोरेट टैक्स में 10 फीसदी की कटौती कर दी. वह समझती हैं कि ऑटो सेक्टर की मदद नहीं की तो भारी नुकसान हो सकता है. लेकिन यही सीतारमण जब राजनीतिक बयानबाजी पर उतरती हैं तो क्या बोलती हैं, शायद उन्हें खुद को पता नहीं रहता. अब केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी आर्थिक मंदी को लेकर कुछ ऐसी ही बयानबाजी की है, बल्कि यूं कहिए कि मंदी का मजाक उड़ाया है.

पहले निर्मला सीतारमण, फिर पियूष गोयल और अब रविशंकर प्रसाद ने आर्थिक मंदी का मजाक उड़ाया है.

क्या बोले रविशंकर प्रसाद?

रविशंकर प्रसाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, जहां उनसे देश में आर्थिक मंदी के बारे में पूछा गया. इस पर हंसते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा- मैं अटल बिहारी वापजेपी की सरकार में सूचना व प्रसारण मंत्री था और मुझे फिल्में देखना बहुत पसंद है. फिल्में अच्छी कमाई कर रही हैं. 2 अक्टूबर को तीन फिल्में रिलीज हुईं और फिल्म आलोचक कोमल नहता ने मुझे बताया कि तीन फिल्मों में एक ही दिन में 120 करोड़ रुपए की कमाई की. तीन फिल्मों से 120 करोड़ रुपए आना दिखाता है कि देश की अर्थव्यवस्था बिल्कुल ठीक है. रविशंकर प्रसाद कोई बहस करते हैं तो आंकड़े जरूर गिनाते हैं, जैसा कि फिल्मों की कमाई में भी गिनाए, लेकिन अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत है, इसके आंकड़े नहीं बताए.

6 सालों के सबसे निचले स्तर पर जीडीपी

इस समय देश की जीडीपी जिस स्तर पर आ गई है, वह पिछले 6 सालों का सबसे निचला स्तर है. जून में खत्म हुई तिमाही में जीडीपी ग्रोथ की दर गिरकर 5 फीसदी तक पहुंच गई है, लेकिन रविशंकर प्रसाद को हंसी आ रही है.

भारतीय रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है और इसके लिए मांग और निवेश में कमी होने की जिम्मेदार ठहराया है. इससे पहले ये अनुमान 6.9 फीसदी था. यानी RBI को भी मंदी दिख रही है और समझ आ रही है, लेकिन रविशंकर प्रसाद को बस यही दिख रहा है कि 3 फिल्मों में एक दिन में 120 करोड़ कमा लिए.

रेटिंग देने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था मूडीज ने भी 2019-20 के लिए जीडीपी की दर का अनुमान 6.20 फीसदी से घटाकर 5.80 फीसदी कर दिया है. मूडीज ने भी दर कम करने की वजह निवेश में कमी को बताया है. खैर, मूडीज की बात पर भी गौर किया जाएगा, अगर फिल्में देखने से फुर्सत मिल जाती है तो.

बयानबाजी में मंत्रियों का IQ लेवल जीरो क्यों हो जाता है?

पहले निर्मला सीतारमण ने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के आंकड़े जारी करते हुए बताया था कि गाड़ियों की बिक्री में करीब 41 फीसदी की कमी आ गई है. उनसे जब इसकी वजह पूछी गई तो वह तपाक से बोलीं कि इसकी वजह मिलेनियल्स यानी 20 साल के ऊपर के लोग (जो 1980 के बाद पैदा हुए) हैं, जो गाड़ियां खरीदकर मासिक किस्त नहीं चुकाना चाहते. वह ओला-उबर से यात्रा करते हैं, मेट्रो से इधर-उधर जाना पसंद करते हैं. उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी खूब फजीहत हुई.

अभी एक मंत्री की बयानबाजी पर बहस खत्म भी नहीं हुई थी कि पियूष गोयल ने ग्रेविटी का क्रेडिट न्यूटन के बजाय आइंस्टीन को दे डाला. उन्होंने अर्थव्यवस्था पर कहा था कि आप हिसाब-किताब में मत जाइए जो टीवी पर देखते हैं. 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था हासिल करना चाहते हैं, तो देश को करीब 12% की दर से आगे बढ़ना होगा, जबकि आज यह 6 फीसदी की दर से बढ़ रही है. गणित में मत जाओ. उन गणितों ने कभी आइंस्टीन को गुरुत्वाकर्षण की खोज में मदद नहीं की.' और अब रविशंकर प्रसाद ने फिल्मों की कमाई से तय कर लिया कि अर्थव्यवस्था मजबूत है. ये लोग रोजगार की तो बात ही नहीं करते. मोदी सरकार को समझना और मानना होगा कि देश में मंदी हैं और इस पर हंसने या इसका मजाक उड़ाने से हमें इससे निजात नहीं मिलने वाली, इसके लिए लगातार कई प्रयास करने होंगे.

मोदी सरकार ने प्रयास किए, लेकिन वह काफी नहीं

ऐसा नहीं कहा जा सकता कि मोदी सरकार ने मंदी से निपटने के लिए कोई प्रयास नहीं किया. कई बैंकों का मर्जर किया, कॉरपोरेट टैक्स में 10 फीसदी की कटौती की और पीएम मोदी ने अमेरिका में एलएनजी यानी लिक्विफाइड नेचुरल गैस को लेकर एक बड़ी डील की. ये सब भारत की अर्थव्यवस्था को ऊपर ले जाएंगे, लेकिन मोदी सरकार रोजगार के मुद्दे पर ना सिर्फ पिछड़ती सी दिख रही है, बल्कि इस ओर अहम कदम भी नहीं उठा रही है. अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाले युवाओं को प्रोत्साहन देना जरूरी है, बजाय उन्हें ये बताने के कि 3 फिल्में लगी हैं, जाओ देख लो.

ये भी पढ़ें-

PMC जैसे घोटालों का असल गुनहगार कौन, बैंक या RBI ?

Reliace Jio के 6 पैसे प्रति मिनट कॉल टैरिफ का गेम प्लान दूर की कौड़ी है !

SBI Fixed deposit rates का घटना सीनियर सिटिजन्स और घरेलू बचत पर संकट की घड़ी है


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲