• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
इकोनॉमी

SBI Fixed deposit rates का घटना सीनियर सिटिजन्स और घरेलू बचत पर संकट की घड़ी है

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 10 अक्टूबर, 2019 03:14 PM
  • 10 अक्टूबर, 2019 03:14 PM
offline
SBI Fixed Deposit Interest Rates के पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि ये दरें लगातार घटी हैं और अब घटते-घटते बहुत कम हो चुकी हैं. वैसे दरें तो सबके लिए घटी हैं, लेकिन बुजुर्गों के इससे अधिक दिक्कत होगी.

आर्थिक मंदी के इस दौर में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने जो कदम उठाया है, बेशक उससे पैसा मार्केट में आएगा, लेकिन बुजुर्गों को इससे दिक्कत भी होगी. भारतीय स्टेट बैंक ने एक अहम कदम उठाते हुए फिक्स डिपॉजिट (Fix Deposit Interest Rates) पर मिलने वाले ब्याज में कटौती करने का फैसला किया है. SBI Fix Deposit Interest Rates की नई दरों की घोषणा भी हो गई है, जो आज से लागू होंगी. SBI का ये फैसला सीनियर सिटिजन्स के लिए किसी झटके से कम नहीं हैं. वैसे तो अगर इन नई दरों की तुलना पुरानी दरों से करें तो कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिलेगा, लेकिन अगर पिछले कुछ सालों की दरों पर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि ये दरें लगातार घटी हैं और अब घटते-घटते बहुत कम हो चुकी हैं. वैसे दरें तो सबके लिए घटी हैं, लेकिन बुजुर्गों के इससे अधिक दिक्कत होगी. जो शुरुआत भारतीय स्टेट बैंक ने की है, उस पर बाकी बैंक भी बेशक चलेंगे.

सीनियर सिटिजन और रिटायर हो चुके अधिकतर लोग अपनी जमापूंजी और फिक्स डिपॉजिट पर ही निर्भर रहते हैं. इसी से मिले ब्याज से वह अपने रोजमर्रा के खर्चों को पूरा करते हैं. अब आप ही सोचिए, अगर उस ब्याज में ही कटौती हो जाएगी तो कैसे बुजुर्गों को दिक्कत तो होगी ही. अगर एक उदाहरण से समझना चाहें कि इस ब्याज कटौती से क्या होगा, तो आपको बता दें कि अगर किसी बुजुर्ग ने 50 लाख रुपए फिक्स डिपॉजिट किए हैं तो ब्याज से होने वाली उसकी सालाना कमाई पर करीब 5000 रुपए का फर्क पड़ेगा. आपको बता दें कि बैंकों में करीब 4.1 करोड़ सीनियर सिटिजन खाते हैं, जिनमें लगभग 14 लाख करोड़ रुपए पड़े हैं. फिक्स डिपॉजिट की दरों में की गई ये कटौती इन 14 लाख करोड़ रुपयों पर तगड़ा आघात है.

SBI की ओर से फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज दरें घटाने से सबसे अधिक दिक्कत बुजुर्गों को होगी.

फिक्स डिपॉजिट पर यूं...

आर्थिक मंदी के इस दौर में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने जो कदम उठाया है, बेशक उससे पैसा मार्केट में आएगा, लेकिन बुजुर्गों को इससे दिक्कत भी होगी. भारतीय स्टेट बैंक ने एक अहम कदम उठाते हुए फिक्स डिपॉजिट (Fix Deposit Interest Rates) पर मिलने वाले ब्याज में कटौती करने का फैसला किया है. SBI Fix Deposit Interest Rates की नई दरों की घोषणा भी हो गई है, जो आज से लागू होंगी. SBI का ये फैसला सीनियर सिटिजन्स के लिए किसी झटके से कम नहीं हैं. वैसे तो अगर इन नई दरों की तुलना पुरानी दरों से करें तो कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिलेगा, लेकिन अगर पिछले कुछ सालों की दरों पर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि ये दरें लगातार घटी हैं और अब घटते-घटते बहुत कम हो चुकी हैं. वैसे दरें तो सबके लिए घटी हैं, लेकिन बुजुर्गों के इससे अधिक दिक्कत होगी. जो शुरुआत भारतीय स्टेट बैंक ने की है, उस पर बाकी बैंक भी बेशक चलेंगे.

सीनियर सिटिजन और रिटायर हो चुके अधिकतर लोग अपनी जमापूंजी और फिक्स डिपॉजिट पर ही निर्भर रहते हैं. इसी से मिले ब्याज से वह अपने रोजमर्रा के खर्चों को पूरा करते हैं. अब आप ही सोचिए, अगर उस ब्याज में ही कटौती हो जाएगी तो कैसे बुजुर्गों को दिक्कत तो होगी ही. अगर एक उदाहरण से समझना चाहें कि इस ब्याज कटौती से क्या होगा, तो आपको बता दें कि अगर किसी बुजुर्ग ने 50 लाख रुपए फिक्स डिपॉजिट किए हैं तो ब्याज से होने वाली उसकी सालाना कमाई पर करीब 5000 रुपए का फर्क पड़ेगा. आपको बता दें कि बैंकों में करीब 4.1 करोड़ सीनियर सिटिजन खाते हैं, जिनमें लगभग 14 लाख करोड़ रुपए पड़े हैं. फिक्स डिपॉजिट की दरों में की गई ये कटौती इन 14 लाख करोड़ रुपयों पर तगड़ा आघात है.

SBI की ओर से फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज दरें घटाने से सबसे अधिक दिक्कत बुजुर्गों को होगी.

फिक्स डिपॉजिट पर यूं घटती रहीं ब्याज दरें

ज्यादा दूर ना जाते हुए महज पिछले साल से ही तुलना करें तो पता चलेगा कि भारतीय स्टेट बैंक ने फिक्स डिपॉजिट की ब्याज दर में तगड़ी कटौती की है. 1-2 साल को पैमाना लेते हुए देखें तो 2018 में फिक्स डिपॉजिट की ब्याज दर 6.8 फीसदी थी, लेकिन अब नए बदलावों के बाद वह 6.4 फीसदी रह गई है. अगर ठीक 11 साल पीछे चले जाएं तो मिलेगा कि अक्टूबर 2008 में यही ब्याज दर 10 फीसदी थी. नीचे दिए गए चार्ट को देखिए, आपको पता चलेगा कि भारतीय स्टेट बैंक ने कैसे साल दर साल फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज दर को कम किया है.

पिछले 12 सालों में SBI की फिक्स डिपॉजिट की ब्याज दरें. ये ब्याज दरें हर साल अक्टूबर-नवंबर के करीब की ली गई हैं.

घरेलू बचत को लगेगा झटका !

भारत एक ऐसा देश है जहां पर लोग फिक्स डिपॉजिट को एक भरोमंद विकल्प मानते हैं, बिना किसी रिस्क के पैसे लगाते हैं. 2008 के दौरान जब पूरी दुनिया मंदी की मार झेल रही थी, तब भी भारत की आर्थिक व्यवस्था को उतना नुकसान नहीं हुआ, जितना बाकी देशों को. इसकी सबसे बड़ी वजह थी डोमेस्टिक सेविंग. भारत में लोग फिक्स डिपॉजिट में पैसे रखना पसंद करते हैं. यही पैसे अगर शेयर बाजार में लगे होते तो शायद भारत को भी मंदी में तगड़ा झटका लगता. अब फिक्स डिपॉजिट की दरें कम होने के चलते लोगों के सामने अधिक रिटर्न और कम रिस्क के साथ म्यूचुअल फंड का विकल्प है, लेकिन वह फिक्स डिपॉजिट जितना आसान और आरामदायक नहीं है. तो सवाल है कि आखिर लोग म्यूचुअल फंड की ओर जाएंगे या नहीं?

म्यूचुअल फंड में कितने लोग करेंगे निवेश?

फिक्स इंट्रेस्ट रेट में कटौती का मतलब है कि अगर आपको अपने पैसों पर अच्छा ब्याज चाहिए तो इसके लिए म्यूचुअल फंड की ओर जाना होगा. अब मान लेते हैं कि नौजवान पीढ़ी या मिडिल क्लास के नौकरीपेशा लोग म्यूचुअल फंड में पैसे निवेश कर लेंगे, लेकिन सारी जिंदगी काम करते-करते थक चुके लोग अपने बुढ़ापे में आराम की जिंदगी जीना पसंद करते हैं. ऐसे में कितनी उम्मीद की जा सकती है कि सीनियर सिटिजन म्यूचुअल फंड में पैसे निवेश कर के इस बात की टेंशन लेंगे कि उनके पैसे बढ़े या नहीं और कहां पैसे निवेश करना फायदेमंद होगा. देखा जाए तो बैंकों की तरफ से फिक्स डिपॉजिट की ब्याज दरों में की गई कटौती धीरे-धीरे फिक्स डिपॉजिट से लोगों का मोह भंग करने वाला काम कर रही है.

क्यों कम हुई फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज दर?

भारतीय स्टेट बैंक के अनुसार ये रेट कट इसलिए हुआ है क्योंकि अब ब्याज दरें भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से रेपो रेट कम-ज्यादा होने के आधार पर निर्धारित होंगी. एटिका वेल्थ मैनेजमेंट के सीईओ और एमडी गजेंद्र कोठारी के अनुसार बैंकों को अब फ्लोटिंग इंस्ट्रेस्ट रेट की ओर जाना ही होगा, लेकिन शॉर्ट टर्म में इसकी वजह से कुछ दिक्कतें होंगी और ग्राहकों की ओर से विरोध भी झेलना होगा.

सिस्टम से पैसे निकालकर बाजार में लाना है मकसद

भारतीय स्टेट बैंक ने साफ किया है कि आखिर फिक्स इंट्रेस्ट रेट छोड़कर अब फ्लोटिंग इंट्रेस्ट रेट की तरफ क्यों जाना पड़ा है. ये तो सभी जानते हैं कि देश में आर्थिक मंदी है और अर्थव्यवस्था 5 फीसदी पर है. इस स्थिति में बाजार में पैसों का मूवमेंट बढ़ाने की जरूरत है. वहीं दूसरी ओर बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी अधिक हो गई है. ऐसे में इस कदम का मकसद सिर्फ यही है कि बैंकिंग सिस्टम से पैसे बाहर जाएं और मार्केट में उनका मूवमेंट बढ़े.

ये भी पढ़ें-

तो क्या अब 2000 के नोट भी बंद होने वाले हैं, 1000 के नोट फिर लौटेंगे?

Maruti Suzuki S-Presso ने सस्ती कारों के बाजार काे उलट कर रख दिया है!

क्यों भारत में इलेक्ट्रिक कार बनाना टेढ़ी खीर साबित होगा


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    Union Budget 2024: बजट में रक्षा क्षेत्र के साथ हुआ न्याय
  • offline
    Online Gaming Industry: सब धान बाईस पसेरी समझकर 28% GST लगा दिया!
  • offline
    कॉफी से अच्छी तो चाय निकली, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग दोनों से एडजस्ट कर लिया!
  • offline
    राहुल का 51 मिनट का भाषण, 51 घंटे से पहले ही अडानी ने लगाई छलांग; 1 दिन में मस्क से दोगुना कमाया
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲