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ममता बनर्जी की रैली की 7 झलकियों में खाँटी राजनीति के अलावा बहुत कुछ है

    • आईचौक
    • Updated: 20 जनवरी, 2019 01:53 PM
  • 20 जनवरी, 2019 01:53 PM
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ममता बनर्जी की रैली की जो तस्वीर बनी वो कर्नाटक जैसी तो नहीं थी लेकिन आवाज जरूर गूंजती रही. शायद देर तक गूंजती भी रहे. कर्नाटक में सोनिया गांधी और मायावती की तस्वीर ने खास तौर पर ध्यान खींचा था.

कोलकाता के ब्रिगेड ग्राउंड में ममता बनर्जी पूरे शबाब पर थी. रैली का संचालन भी ममता बनर्जी खुद ही कर रही थीं. नेताओं के भाषण के बीच में जैसे ही कट प्वाइंट मिला ममता बनर्जी ने सारे नेताओं को ग्रुप फोटो लेने के लिए खड़े होने को कह दिया. कुछ नेताओं को थोड़ा अजीब भी लगा होगा. दरअसल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के पास वक्त की कमी थी इसलिए वो बीच में ही चले गये. हालांकि, उनके पिता एचडी देवगौड़ा पूरे कार्यक्रम में रुके रहे.

1. यूनाइटेड इंडिया रैली दोपहर एक बजे से शुरू होनी थी. होता तो ये है कि ऐसे कार्यक्रम देर से ही शुरू हो पाते हैं. ममता की रैली में ऐसा नहीं हुआ. शायद इसलिए भी क्योंकि कई नेता एक दिन पहले ही कोलकाता पहुंच चुके थे. ममता बनर्जी ने मौके का फायदा उठाते हुए रैली एक घंटे पहले ही शुरू कर दी ताकि ज्यादा से ज्यादा नेताओं को बोलने का अवसर मिल सके.

2. रैली में ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल के बीच शरद पवार को सीट मिली थी. रैली के दौरान ही शरद पवार के मोबाइल पर कोई मैसेज आया. रिएक्शन देख कर तो ऐसा लगा जैसे व्हाट्सऐप पर कोई मीम आया हो. शरद पवार ने पहले ममता बनर्जी को दिखाया, फिर केजरीवाल की ओर मुड़े. देखने के बाद सभी खूब मुस्कुरा रहे थे.

3. शरद यादव हमेशा की तरह हमलावर रूख अख्तियार किये हुए थे. बोफोर्स घोटाले को लेकर धाराप्रवाह भाषण दिये जा रहे थे. मंच पर बैठे सभी नेता कुछ देर के लिए समझ नहीं पाये कि वो ऐसे क्यों बोल रहे हैं. जिस रैली में कांग्रेस भी हिस्सेदार हो वहां बोफोर्स की चर्चा का क्या मतलब.

भाषण खत्म होने के बाद किसी ने याद दिलाया तो भूल सुधार किया - राफेल. माफी मांगी कि बोफोर्स नहीं राफेल की बात कर रहे थे.

तभी तपाक से ममता बोलीं - 'शरद जी ने ठीक किया'. ममता के कहने का मतलब भले ये रहा हो कि शरद यादव ने 'करेक्ट' कर लिया - लेकिन सुन कर ऐसा लग रहा था जैसे कह रही हों - ठीक ही कहा है.

कोलकाता के ब्रिगेड ग्राउंड में ममता बनर्जी पूरे शबाब पर थी. रैली का संचालन भी ममता बनर्जी खुद ही कर रही थीं. नेताओं के भाषण के बीच में जैसे ही कट प्वाइंट मिला ममता बनर्जी ने सारे नेताओं को ग्रुप फोटो लेने के लिए खड़े होने को कह दिया. कुछ नेताओं को थोड़ा अजीब भी लगा होगा. दरअसल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के पास वक्त की कमी थी इसलिए वो बीच में ही चले गये. हालांकि, उनके पिता एचडी देवगौड़ा पूरे कार्यक्रम में रुके रहे.

1. यूनाइटेड इंडिया रैली दोपहर एक बजे से शुरू होनी थी. होता तो ये है कि ऐसे कार्यक्रम देर से ही शुरू हो पाते हैं. ममता की रैली में ऐसा नहीं हुआ. शायद इसलिए भी क्योंकि कई नेता एक दिन पहले ही कोलकाता पहुंच चुके थे. ममता बनर्जी ने मौके का फायदा उठाते हुए रैली एक घंटे पहले ही शुरू कर दी ताकि ज्यादा से ज्यादा नेताओं को बोलने का अवसर मिल सके.

2. रैली में ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल के बीच शरद पवार को सीट मिली थी. रैली के दौरान ही शरद पवार के मोबाइल पर कोई मैसेज आया. रिएक्शन देख कर तो ऐसा लगा जैसे व्हाट्सऐप पर कोई मीम आया हो. शरद पवार ने पहले ममता बनर्जी को दिखाया, फिर केजरीवाल की ओर मुड़े. देखने के बाद सभी खूब मुस्कुरा रहे थे.

3. शरद यादव हमेशा की तरह हमलावर रूख अख्तियार किये हुए थे. बोफोर्स घोटाले को लेकर धाराप्रवाह भाषण दिये जा रहे थे. मंच पर बैठे सभी नेता कुछ देर के लिए समझ नहीं पाये कि वो ऐसे क्यों बोल रहे हैं. जिस रैली में कांग्रेस भी हिस्सेदार हो वहां बोफोर्स की चर्चा का क्या मतलब.

भाषण खत्म होने के बाद किसी ने याद दिलाया तो भूल सुधार किया - राफेल. माफी मांगी कि बोफोर्स नहीं राफेल की बात कर रहे थे.

तभी तपाक से ममता बोलीं - 'शरद जी ने ठीक किया'. ममता के कहने का मतलब भले ये रहा हो कि शरद यादव ने 'करेक्ट' कर लिया - लेकिन सुन कर ऐसा लग रहा था जैसे कह रही हों - ठीक ही कहा है.

ममता की रैली में बोफोर्स का भी जिक्र

4. रैली में पिता-पुत्र की तीन जोड़ियां पहुंची थीं. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और उनके बेटे कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी. आरएलडी नेता अजीत सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी. जम्मू-कश्मीर के दो-दो पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला. स्टालिन टीआर बालू और अखिलेश यादव भी अपने एक साथी नेता के साथ पहुंचे थे.

5. हार्दिक पटेल ओपनर बल्लेबाज के रूप में उतारे गये थे. पहला ही शॉट जोरदार मारा - 'सुभाष बाबू लड़े गोरों से, हम लड़ेंगे चोरों से.' हार्दिक का लहजा भी ऐसा रहा जिसमें ध्वनि ऐसी उभर रही थी जैसे कह रहे हों - 'चौकीदार चोर है.' तरीका अलग जरूर रहा लेकिन ये स्लोगन तो शत्रुघ्न सिन्हा ने भी दोहराया.

6. रैली में पहुंचे ज्यादातर नेता बंगाली समाज से कनेक्ट होने के लिए बांग्ला के साथ ही अपने भाषण की शुरुआत कर रहे थे. यहां तक कि कन्नड़ भाषी कुमारस्वामी ने भी बांग्ला में लिखा हुआ पढ़ा. कुमारस्वामी सहित कई नेताओं ने अंग्रेजी में भाषण दिये. डीएमके नेता एमके स्टालिन ने तमिल में भाषण दिया और उसका बांग्ला में अनुवाद सुनाया गया. ममता बनर्जी हिंदी और बंगाली दोनों ही भाषाओँ में बोल रही थीं.

7. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा को डायस पर बुलाते वक्त ममता बनर्जी का सेंस ऑफ ह्यूमर अचानक जाग गया, हालांकि, उसमे कटाक्ष का पुट हावी रहा. बोलीं, 'वो एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर तो नहीं हैं... वो एक्स प्राइम मिनिस्टर हैं.

ममता ने रैली को नाम दिया था - यूनाइटेड इंडिया रैली. बीच में एक बार ममता बनर्जी ने 'यूनाइटेड इंडिया अलाएंस' भी बोला था. हो सकता है गठबंधन का यही नाम प्रस्तावित हो.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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